وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ اَزْوَاجًاۗ وَمَا تَحْمِلُ مِنْ اُنْثٰى وَلَا تَضَعُ اِلَّا بِعِلْمِهٖۗ وَمَا يُعَمَّرُ مِنْ مُّعَمَّرٍ وَّلَا يُنْقَصُ مِنْ عُمُرِهٖٓ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍۗ اِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌ ١١
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह ने
- khalaqakum
- خَلَقَكُم
- पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- मिट्टी से
- turābin
- تُرَابٍ
- मिट्टी से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- min
- مِن
- नुत्फ़े से
- nuṭ'fatin
- نُّطْفَةٍ
- नुत्फ़े से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- jaʿalakum
- جَعَلَكُمْ
- बनाया तुम्हें
- azwājan
- أَزْوَٰجًاۚ
- जोड़े
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- taḥmilu
- تَحْمِلُ
- उठाती
- min
- مِنْ
- कोई मादा
- unthā
- أُنثَىٰ
- कोई मादा
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- taḍaʿu
- تَضَعُ
- वो जन्म देती है
- illā
- إِلَّا
- मगर
- biʿil'mihi
- بِعِلْمِهِۦۚ
- साथ उसके इल्म के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yuʿammaru
- يُعَمَّرُ
- उमर दिया जाता
- min
- مِن
- कोई उमर दिया हुआ
- muʿammarin
- مُّعَمَّرٍ
- कोई उमर दिया हुआ
- walā
- وَلَا
- और ना
- yunqaṣu
- يُنقَصُ
- कमी की जाती
- min
- مِنْ
- उसकी उमर में से कुछ
- ʿumurihi
- عُمُرِهِۦٓ
- उसकी उमर में से कुछ
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- एक किताब में है
- kitābin
- كِتَٰبٍۚ
- एक किताब में है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīrun
- يَسِيرٌ
- बहुत आसान है
अल्लाह ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और जो कोई आयु को प्राप्ति करनेवाला आयु को प्राप्त करता है और जो कुछ उसकी आयु में कमी होती है। अनिवार्यतः यह सब एक किताब में लिखा होता है। निश्चय ही यह सब अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है ([३५] फातिर: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا يَسْتَوِى الْبَحْرٰنِۖ هٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَاۤىِٕغٌ شَرَابُهٗ وَهٰذَا مِلْحٌ اُجَاجٌۗ وَمِنْ كُلٍّ تَأْكُلُوْنَ لَحْمًا طَرِيًّا وَّتَسْتَخْرِجُوْنَ حِلْيَةً تَلْبَسُوْنَهَا ۚوَتَرَى الْفُلْكَ فِيْهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ١٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yastawī
- يَسْتَوِى
- बराबर हो सकते
- l-baḥrāni
- ٱلْبَحْرَانِ
- दो समुन्दर
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- ʿadhbun
- عَذْبٌ
- मीठा है
- furātun
- فُرَاتٌ
- प्यास बुझाने वाला
- sāighun
- سَآئِغٌ
- ख़ुशगवार है
- sharābuhu
- شَرَابُهُۥ
- पानी उसका
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये
- mil'ḥun
- مِلْحٌ
- खारी है
- ujājun
- أُجَاجٌۖ
- निहायत तल्ख़
- wamin
- وَمِن
- और हर एक से
- kullin
- كُلٍّ
- और हर एक से
- takulūna
- تَأْكُلُونَ
- तुम खाते हो
- laḥman
- لَحْمًا
- गोश्त
- ṭariyyan
- طَرِيًّا
- तरो ताज़ा
- watastakhrijūna
- وَتَسْتَخْرِجُونَ
- और तुम निकाल लेते हो
- ḥil'yatan
- حِلْيَةً
- ज़ेवर
- talbasūnahā
- تَلْبَسُونَهَاۖ
- तुम पहनते हो उसे
- watarā
- وَتَرَى
- और आप देखते हैं
- l-ful'ka
- ٱلْفُلْكَ
- कश्तियों को
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- mawākhira
- مَوَاخِرَ
- फाड़ने वाली हैं
- litabtaghū
- لِتَبْتَغُوا۟
- ताकि तुम तलाश करो
- min
- مِن
- उसके फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- उसके फ़ज़ल से
- walaʿallakum
- وَلَعَلَّكُمْ
- और ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र अदा करो
दोनों सागर समान नहीं, यह मीठा सुस्वाद है जिससे प्यास जाती रहे, पीने में रुचिकर। और यह खारा-कडुवा है। और तुम प्रत्येक में से तरोताज़ा माँस खाते हो और आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम नौकाओं को देखते हो कि चीरती हुई उसमें चली जा रही हैं, ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और कदाचित तुम आभारी बनो ([३५] फातिर: 12)Tafseer (तफ़सीर )
يُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَيُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِۚ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَّجْرِيْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُۗ وَالَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ مَا يَمْلِكُوْنَ مِنْ قِطْمِيْرٍۗ ١٣
- yūliju
- يُولِجُ
- वो दाख़िल करता है
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात को
- fī
- فِى
- दिन में
- l-nahāri
- ٱلنَّهَارِ
- दिन में
- wayūliju
- وَيُولِجُ
- और वो दाख़िल करता है
- l-nahāra
- ٱلنَّهَارَ
- दिन को
- fī
- فِى
- रात में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात में
- wasakhara
- وَسَخَّرَ
- और उसने मुसख़्खर किया
- l-shamsa
- ٱلشَّمْسَ
- सूरज
- wal-qamara
- وَٱلْقَمَرَ
- और चाँद को
- kullun
- كُلٌّ
- हर एक
- yajrī
- يَجْرِى
- चल रहा है
- li-ajalin
- لِأَجَلٍ
- एक वक़्त तक
- musamman
- مُّسَمًّىۚ
- जो मुक़र्रर है
- dhālikumu
- ذَٰلِكُمُ
- ये है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- रब तुम्हारा
- lahu
- لَهُ
- उसी के लिए है
- l-mul'ku
- ٱلْمُلْكُۚ
- बादशाहत
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- उस के सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उस के सिवा
- mā
- مَا
- नहीं
- yamlikūna
- يَمْلِكُونَ
- वो मालिक हो सकते
- min
- مِن
- खजूर की गुठली के छिल्के के भी
- qiṭ'mīrin
- قِطْمِيرٍ
- खजूर की गुठली के छिल्के के भी
वह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता हैं। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। प्रत्येक एक नियत समय पूरी करने के लिए चल रहा है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। उसी की बादशाही है। उससे हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे एक तिनके के भी मालिक नहीं ([३५] फातिर: 13)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تَدْعُوْهُمْ لَا يَسْمَعُوْا دُعَاۤءَكُمْۚ وَلَوْ سَمِعُوْا مَا اسْتَجَابُوْا لَكُمْۗ وَيَوْمَ الْقِيٰمَةِ يَكْفُرُوْنَ بِشِرْكِكُمْۗ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِيْرٍ ࣖ ١٤
- in
- إِن
- अगर
- tadʿūhum
- تَدْعُوهُمْ
- तुम पुकारो उन्हें
- lā
- لَا
- नहीं वो सुनेंगे
- yasmaʿū
- يَسْمَعُوا۟
- नहीं वो सुनेंगे
- duʿāakum
- دُعَآءَكُمْ
- पुकार तुम्हारी
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- samiʿū
- سَمِعُوا۟
- वो सुने लें
- mā
- مَا
- नहीं
- is'tajābū
- ٱسْتَجَابُوا۟
- वो जवाब देंगे
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- वो इन्कार कर देंगे
- bishir'kikum
- بِشِرْكِكُمْۚ
- तुम्हारे शिर्क का
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yunabbi-uka
- يُنَبِّئُكَ
- ख़बर दे सकता आपको
- mith'lu
- مِثْلُ
- मानिन्द
- khabīrin
- خَبِيرٍ
- ख़ूब ख़बर रखने वाले के
यदि तुम उन्हें पुकारो तो वे तुम्हारी पुकार सुनेगे नहीं। और यदि वे सुनते तो भी तुम्हारी याचना स्वीकार न कर सकते और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे साझी ठहराने का इनकार कर देंगे। पूरी ख़बर रखनेवाला (अल्लाह) की तरह तुम्हें कोई न बताएगा ([३५] फातिर: 14)Tafseer (तफ़सीर )
۞ يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ اَنْتُمُ الْفُقَرَاۤءُ اِلَى اللّٰهِ ۚوَاللّٰهُ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ١٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोगो
- antumu
- أَنتُمُ
- तुम
- l-fuqarāu
- ٱلْفُقَرَآءُ
- मोहताज हो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ghaniyu
- ٱلْغَنِىُّ
- बहुत बेनियाज़
- l-ḥamīdu
- ٱلْحَمِيدُ
- ख़ूब तारीफ़ वाला
ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है ([३५] फातिर: 15)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيْدٍۚ ١٦
- in
- إِن
- अगर
- yasha
- يَشَأْ
- वो चाहे
- yudh'hib'kum
- يُذْهِبْكُمْ
- वो ले जाए तुम्हें
- wayati
- وَيَأْتِ
- और वो ले आए
- bikhalqin
- بِخَلْقٍ
- एक मख़लूक़
- jadīdin
- جَدِيدٍ
- नई
यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई संसृति ले आए ([३५] फातिर: 16)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ بِعَزِيْزٍ ١٧
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- biʿazīzin
- بِعَزِيزٍ
- कुछ मुश्किल
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं ([३५] फातिर: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰى ۗوَاِنْ تَدْعُ مُثْقَلَةٌ اِلٰى حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَيْءٌ وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰىۗ اِنَّمَا تُنْذِرُ الَّذِيْنَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ۗوَمَنْ تَزَكّٰى فَاِنَّمَا يَتَزَكّٰى لِنَفْسِهٖ ۗوَاِلَى اللّٰهِ الْمَصِيْرُ ١٨
- walā
- وَلَا
- और ना
- taziru
- تَزِرُ
- बोझ उठाएगी
- wāziratun
- وَازِرَةٌ
- कोई बोझ उठाने वाली
- wiz'ra
- وِزْرَ
- बोझ
- ukh'rā
- أُخْرَىٰۚ
- दूसरी का
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tadʿu
- تَدْعُ
- पुकारेगी
- muth'qalatun
- مُثْقَلَةٌ
- कोई बोझ से लदी हुई
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने बोझ के
- ḥim'lihā
- حِمْلِهَا
- तरफ़ अपने बोझ के
- lā
- لَا
- ना उठाया जाएगा
- yuḥ'mal
- يُحْمَلْ
- ना उठाया जाएगा
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- shayon
- شَىْءٌ
- कुछ भी
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kāna
- كَانَ
- हो
- dhā
- ذَا
- क़राबत दार
- qur'bā
- قُرْبَىٰٓۗ
- क़राबत दार
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- tundhiru
- تُنذِرُ
- आप तो डरा सकते हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- yakhshawna
- يَخْشَوْنَ
- डरते हैं
- rabbahum
- رَبَّهُم
- अपने रब से
- bil-ghaybi
- بِٱلْغَيْبِ
- ग़ायबाना तौर पर
- wa-aqāmū
- وَأَقَامُوا۟
- और वो क़ायम करते हैं
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَۚ
- नमाज़
- waman
- وَمَن
- और जिसने
- tazakkā
- تَزَكَّىٰ
- पाकीज़गी इख़्तियार की
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yatazakkā
- يَتَزَكَّىٰ
- वो पाकीज़गी इख़्तियार करता है
- linafsihi
- لِنَفْسِهِۦۚ
- अपने नफ़्स के लिए
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है ([३५] फातिर: 18)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا يَسْتَوِى الْاَعْمٰى وَالْبَصِيْرُ ۙ ١٩
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yastawī
- يَسْتَوِى
- बराबर हो सकता
- l-aʿmā
- ٱلْأَعْمَىٰ
- अँधा
- wal-baṣīru
- وَٱلْبَصِيرُ
- और देखने वाला
अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं, ([३५] फातिर: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا الظُّلُمٰتُ وَلَا النُّوْرُۙ ٢٠
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-ẓulumātu
- ٱلظُّلُمَٰتُ
- अँधेरे
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-nūru
- ٱلنُّورُ
- नूर
और न अँधेरे और प्रकाश, ([३५] फातिर: 20)Tafseer (तफ़सीर )