Skip to content

सूरा फातिर - Page: 2

Fatir

(मलाइका, Originator)

११

وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ اَزْوَاجًاۗ وَمَا تَحْمِلُ مِنْ اُنْثٰى وَلَا تَضَعُ اِلَّا بِعِلْمِهٖۗ وَمَا يُعَمَّرُ مِنْ مُّعَمَّرٍ وَّلَا يُنْقَصُ مِنْ عُمُرِهٖٓ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍۗ اِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌ ١١

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
khalaqakum
خَلَقَكُم
पैदा किया तुम्हें
min
مِّن
मिट्टी से
turābin
تُرَابٍ
मिट्टी से
thumma
ثُمَّ
फिर
min
مِن
नुत्फ़े से
nuṭ'fatin
نُّطْفَةٍ
नुत्फ़े से
thumma
ثُمَّ
फिर
jaʿalakum
جَعَلَكُمْ
बनाया तुम्हें
azwājan
أَزْوَٰجًاۚ
जोड़े
wamā
وَمَا
और नहीं
taḥmilu
تَحْمِلُ
उठाती
min
مِنْ
कोई मादा
unthā
أُنثَىٰ
कोई मादा
walā
وَلَا
और नहीं
taḍaʿu
تَضَعُ
वो जन्म देती है
illā
إِلَّا
मगर
biʿil'mihi
بِعِلْمِهِۦۚ
साथ उसके इल्म के
wamā
وَمَا
और नहीं
yuʿammaru
يُعَمَّرُ
उमर दिया जाता
min
مِن
कोई उमर दिया हुआ
muʿammarin
مُّعَمَّرٍ
कोई उमर दिया हुआ
walā
وَلَا
और ना
yunqaṣu
يُنقَصُ
कमी की जाती
min
مِنْ
उसकी उमर में से कुछ
ʿumurihi
عُمُرِهِۦٓ
उसकी उमर में से कुछ
illā
إِلَّا
मगर
فِى
एक किताब में है
kitābin
كِتَٰبٍۚ
एक किताब में है
inna
إِنَّ
बेशक
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
yasīrun
يَسِيرٌ
बहुत आसान है
अल्लाह ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और जो कोई आयु को प्राप्ति करनेवाला आयु को प्राप्त करता है और जो कुछ उसकी आयु में कमी होती है। अनिवार्यतः यह सब एक किताब में लिखा होता है। निश्चय ही यह सब अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है ([३५] फातिर: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَمَا يَسْتَوِى الْبَحْرٰنِۖ هٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَاۤىِٕغٌ شَرَابُهٗ وَهٰذَا مِلْحٌ اُجَاجٌۗ وَمِنْ كُلٍّ تَأْكُلُوْنَ لَحْمًا طَرِيًّا وَّتَسْتَخْرِجُوْنَ حِلْيَةً تَلْبَسُوْنَهَا ۚوَتَرَى الْفُلْكَ فِيْهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ١٢

wamā
وَمَا
और नहीं
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकते
l-baḥrāni
ٱلْبَحْرَانِ
दो समुन्दर
hādhā
هَٰذَا
ये
ʿadhbun
عَذْبٌ
मीठा है
furātun
فُرَاتٌ
प्यास बुझाने वाला
sāighun
سَآئِغٌ
ख़ुशगवार है
sharābuhu
شَرَابُهُۥ
पानी उसका
wahādhā
وَهَٰذَا
और ये
mil'ḥun
مِلْحٌ
खारी है
ujājun
أُجَاجٌۖ
निहायत तल्ख़
wamin
وَمِن
और हर एक से
kullin
كُلٍّ
और हर एक से
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
laḥman
لَحْمًا
गोश्त
ṭariyyan
طَرِيًّا
तरो ताज़ा
watastakhrijūna
وَتَسْتَخْرِجُونَ
और तुम निकाल लेते हो
ḥil'yatan
حِلْيَةً
ज़ेवर
talbasūnahā
تَلْبَسُونَهَاۖ
तुम पहनते हो उसे
watarā
وَتَرَى
और आप देखते हैं
l-ful'ka
ٱلْفُلْكَ
कश्तियों को
fīhi
فِيهِ
उसमें
mawākhira
مَوَاخِرَ
फाड़ने वाली हैं
litabtaghū
لِتَبْتَغُوا۟
ताकि तुम तलाश करो
min
مِن
उसके फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
उसके फ़ज़ल से
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो
दोनों सागर समान नहीं, यह मीठा सुस्वाद है जिससे प्यास जाती रहे, पीने में रुचिकर। और यह खारा-कडुवा है। और तुम प्रत्येक में से तरोताज़ा माँस खाते हो और आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम नौकाओं को देखते हो कि चीरती हुई उसमें चली जा रही हैं, ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और कदाचित तुम आभारी बनो ([३५] फातिर: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

يُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَيُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِۚ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَّجْرِيْ لِاَجَلٍ مُّسَمًّىۗ ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُۗ وَالَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ مَا يَمْلِكُوْنَ مِنْ قِطْمِيْرٍۗ ١٣

yūliju
يُولِجُ
वो दाख़िल करता है
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात को
فِى
दिन में
l-nahāri
ٱلنَّهَارِ
दिन में
wayūliju
وَيُولِجُ
और वो दाख़िल करता है
l-nahāra
ٱلنَّهَارَ
दिन को
فِى
रात में
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात में
wasakhara
وَسَخَّرَ
और उसने मुसख़्खर किया
l-shamsa
ٱلشَّمْسَ
सूरज
wal-qamara
وَٱلْقَمَرَ
और चाँद को
kullun
كُلٌّ
हर एक
yajrī
يَجْرِى
चल रहा है
li-ajalin
لِأَجَلٍ
एक वक़्त तक
musamman
مُّسَمًّىۚ
जो मुक़र्रर है
dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbukum
رَبُّكُمْ
रब तुम्हारा
lahu
لَهُ
उसी के लिए है
l-mul'ku
ٱلْمُلْكُۚ
बादशाहत
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
उस के सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उस के सिवा
مَا
नहीं
yamlikūna
يَمْلِكُونَ
वो मालिक हो सकते
min
مِن
खजूर की गुठली के छिल्के के भी
qiṭ'mīrin
قِطْمِيرٍ
खजूर की गुठली के छिल्के के भी
वह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता हैं। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। प्रत्येक एक नियत समय पूरी करने के लिए चल रहा है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। उसी की बादशाही है। उससे हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे एक तिनके के भी मालिक नहीं ([३५] फातिर: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اِنْ تَدْعُوْهُمْ لَا يَسْمَعُوْا دُعَاۤءَكُمْۚ وَلَوْ سَمِعُوْا مَا اسْتَجَابُوْا لَكُمْۗ وَيَوْمَ الْقِيٰمَةِ يَكْفُرُوْنَ بِشِرْكِكُمْۗ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِيْرٍ ࣖ ١٤

in
إِن
अगर
tadʿūhum
تَدْعُوهُمْ
तुम पुकारो उन्हें
لَا
नहीं वो सुनेंगे
yasmaʿū
يَسْمَعُوا۟
नहीं वो सुनेंगे
duʿāakum
دُعَآءَكُمْ
पुकार तुम्हारी
walaw
وَلَوْ
और अगर
samiʿū
سَمِعُوا۟
वो सुने लें
مَا
नहीं
is'tajābū
ٱسْتَجَابُوا۟
वो जवाब देंगे
lakum
لَكُمْۖ
तुम्हें
wayawma
وَيَوْمَ
और दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
वो इन्कार कर देंगे
bishir'kikum
بِشِرْكِكُمْۚ
तुम्हारे शिर्क का
walā
وَلَا
और नहीं
yunabbi-uka
يُنَبِّئُكَ
ख़बर दे सकता आपको
mith'lu
مِثْلُ
मानिन्द
khabīrin
خَبِيرٍ
ख़ूब ख़बर रखने वाले के
यदि तुम उन्हें पुकारो तो वे तुम्हारी पुकार सुनेगे नहीं। और यदि वे सुनते तो भी तुम्हारी याचना स्वीकार न कर सकते और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे साझी ठहराने का इनकार कर देंगे। पूरी ख़बर रखनेवाला (अल्लाह) की तरह तुम्हें कोई न बताएगा ([३५] फातिर: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

۞ يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ اَنْتُمُ الْفُقَرَاۤءُ اِلَى اللّٰهِ ۚوَاللّٰهُ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ١٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोगो
antumu
أَنتُمُ
तुम
l-fuqarāu
ٱلْفُقَرَآءُ
मोहताज हो
ilā
إِلَى
तरफ़
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-ghaniyu
ٱلْغَنِىُّ
बहुत बेनियाज़
l-ḥamīdu
ٱلْحَمِيدُ
ख़ूब तारीफ़ वाला
ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है ([३५] फातिर: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيْدٍۚ ١٦

in
إِن
अगर
yasha
يَشَأْ
वो चाहे
yudh'hib'kum
يُذْهِبْكُمْ
वो ले जाए तुम्हें
wayati
وَيَأْتِ
और वो ले आए
bikhalqin
بِخَلْقٍ
एक मख़लूक़
jadīdin
جَدِيدٍ
नई
यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई संसृति ले आए ([३५] फातिर: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

وَمَا ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ بِعَزِيْزٍ ١٧

wamā
وَمَا
और नहीं
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
biʿazīzin
بِعَزِيزٍ
कुछ मुश्किल
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं ([३५] फातिर: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰى ۗوَاِنْ تَدْعُ مُثْقَلَةٌ اِلٰى حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَيْءٌ وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰىۗ اِنَّمَا تُنْذِرُ الَّذِيْنَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ۗوَمَنْ تَزَكّٰى فَاِنَّمَا يَتَزَكّٰى لِنَفْسِهٖ ۗوَاِلَى اللّٰهِ الْمَصِيْرُ ١٨

walā
وَلَا
और ना
taziru
تَزِرُ
बोझ उठाएगी
wāziratun
وَازِرَةٌ
कोई बोझ उठाने वाली
wiz'ra
وِزْرَ
बोझ
ukh'rā
أُخْرَىٰۚ
दूसरी का
wa-in
وَإِن
और अगर
tadʿu
تَدْعُ
पुकारेगी
muth'qalatun
مُثْقَلَةٌ
कोई बोझ से लदी हुई
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने बोझ के
ḥim'lihā
حِمْلِهَا
तरफ़ अपने बोझ के
لَا
ना उठाया जाएगा
yuḥ'mal
يُحْمَلْ
ना उठाया जाएगा
min'hu
مِنْهُ
उससे
shayon
شَىْءٌ
कुछ भी
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kāna
كَانَ
हो
dhā
ذَا
क़राबत दार
qur'bā
قُرْبَىٰٓۗ
क़राबत दार
innamā
إِنَّمَا
बेशक
tundhiru
تُنذِرُ
आप तो डरा सकते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
yakhshawna
يَخْشَوْنَ
डरते हैं
rabbahum
رَبَّهُم
अपने रब से
bil-ghaybi
بِٱلْغَيْبِ
ग़ायबाना तौर पर
wa-aqāmū
وَأَقَامُوا۟
और वो क़ायम करते हैं
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَۚ
नमाज़
waman
وَمَن
और जिसने
tazakkā
تَزَكَّىٰ
पाकीज़गी इख़्तियार की
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yatazakkā
يَتَزَكَّىٰ
वो पाकीज़गी इख़्तियार करता है
linafsihi
لِنَفْسِهِۦۚ
अपने नफ़्स के लिए
wa-ilā
وَإِلَى
और तरफ़ अल्लाह ही के
l-lahi
ٱللَّهِ
और तरफ़ अल्लाह ही के
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है ([३५] फातिर: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَمَا يَسْتَوِى الْاَعْمٰى وَالْبَصِيْرُ ۙ ١٩

wamā
وَمَا
और नहीं
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकता
l-aʿmā
ٱلْأَعْمَىٰ
अँधा
wal-baṣīru
وَٱلْبَصِيرُ
और देखने वाला
अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं, ([३५] फातिर: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَلَا الظُّلُمٰتُ وَلَا النُّوْرُۙ ٢٠

walā
وَلَا
और ना
l-ẓulumātu
ٱلظُّلُمَٰتُ
अँधेरे
walā
وَلَا
और ना
l-nūru
ٱلنُّورُ
नूर
और न अँधेरे और प्रकाश, ([३५] फातिर: 20)
Tafseer (तफ़सीर )