اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ جَاعِلِ الْمَلٰۤىِٕكَةِ رُسُلًاۙ اُولِيْٓ اَجْنِحَةٍ مَّثْنٰى وَثُلٰثَ وَرُبٰعَۗ يَزِيْدُ فِى الْخَلْقِ مَا يَشَاۤءُۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١
- al-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- fāṭiri
- فَاطِرِ
- पैदा करने वाला है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- jāʿili
- جَاعِلِ
- बनाने वाला है
- l-malāikati
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों को
- rusulan
- رُسُلًا
- पैग़ामबर
- ulī
- أُو۟لِىٓ
- परों वाले
- ajniḥatin
- أَجْنِحَةٍ
- परों वाले
- mathnā
- مَّثْنَىٰ
- दो-दो
- wathulātha
- وَثُلَٰثَ
- और तीन-तीन
- warubāʿa
- وَرُبَٰعَۚ
- और चार- चार
- yazīdu
- يَزِيدُ
- वो इज़ाफ़ा करता है
- fī
- فِى
- तख़लीक़ में
- l-khalqi
- ٱلْخَلْقِ
- तख़लीक़ में
- mā
- مَا
- जो
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। दो-दो, तीन-तीन और चार-चार फ़रिश्तों को बाज़ुओंवालों सन्देशवाहक बनाकर नियुक्त करता है। वह संरचना में जैसी चाहता है, अभिवृद्धि करता है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([३५] फातिर: 1)Tafseer (तफ़सीर )
مَا يَفْتَحِ اللّٰهُ لِلنَّاسِ مِنْ رَّحْمَةٍ فَلَا مُمْسِكَ لَهَا ۚوَمَا يُمْسِكْۙ فَلَا مُرْسِلَ لَهٗ مِنْۢ بَعْدِهٖۗ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٢
- mā
- مَّا
- जो
- yaftaḥi
- يَفْتَحِ
- खोल दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- min
- مِن
- कोई रहमत
- raḥmatin
- رَّحْمَةٍ
- कोई रहमत
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- mum'sika
- مُمْسِكَ
- कोई बन्द करने वाला
- lahā
- لَهَاۖ
- उसे
- wamā
- وَمَا
- और जो
- yum'sik
- يُمْسِكْ
- वो बन्द कर दे
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- mur'sila
- مُرْسِلَ
- कोई भेजने वाला
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦۚ
- बाद उसके
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
अल्लाह जो दयालुता लोगों के लिए खोल दे उसे कोई रोकनेवाला नहीं और जिसे वह रोक ले तो उसके बाद उसे कोई जारी करनेवाला भी नहीं। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([३५] फातिर: 2)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ اذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْۗ هَلْ مِنْ خَالِقٍ غَيْرُ اللّٰهِ يَرْزُقُكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِۗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۖ فَاَنّٰى تُؤْفَكُوْنَ ٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- ऐ लोगो
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- याद करो
- niʿ'mata
- نِعْمَتَ
- नेअमत को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْۚ
- जो तुम पर है
- hal
- هَلْ
- क्या है
- min
- مِنْ
- कोई पैदा करने वाला
- khāliqin
- خَٰلِقٍ
- कोई पैदा करने वाला
- ghayru
- غَيْرُ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- yarzuqukum
- يَرْزُقُكُم
- जो रिज़्क़ देता हो तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन से
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह(बरहक़ )
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- fa-annā
- فَأَنَّىٰ
- तो कहाँ से
- tu'fakūna
- تُؤْفَكُونَ
- तुम फेरे जाते हो
ऐ लोगो! अल्लाह की तुमपर जो अनुकम्पा है, उसे याद करो। क्या अल्लाह के सिवा कोई और पैदा करनेवाला है, जो तुम्हें आकाश और धरती से रोज़ी देता हो? उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। तो तुम कहाँ से उलटे भटके चले जा रहे हो? ([३५] फातिर: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَۗ وَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ٤
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yukadhibūka
- يُكَذِّبُوكَ
- वो झुठलाते हैं आपको
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- kudhibat
- كُذِّبَتْ
- झुठलाए गए
- rusulun
- رُسُلٌ
- कई रसूल
- min
- مِّن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَۚ
- आपसे पहले
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और तरफ़ अल्लाह ही के
- tur'jaʿu
- تُرْجَعُ
- लौटाए जाते हैं
- l-umūru
- ٱلْأُمُورُ
- सब काम
और यदि वे तुम्हें झुठलाते तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है। सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते हैं ([३५] फातिर: 4)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَاۗ وَلَا يَغُرَّنَّكُمْ بِاللّٰهِ الْغَرُوْرُ ٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- ऐ लोगो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqun
- حَقٌّۖ
- सच्चा है
- falā
- فَلَا
- तो ना
- taghurrannakumu
- تَغُرَّنَّكُمُ
- हरगिज़ धोके में डाले तुम्हें
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया की
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaghurrannakum
- يَغُرَّنَّكُم
- हरगिज़ धोके में डाले तुम्हें
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह के बारे में
- l-gharūru
- ٱلْغَرُورُ
- बड़ा धोकेबाज़
ऐ लोगों! निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें धोखे में न डाले और न वह धोखेबाज़ अल्लाह के विषय में तुम्हें धोखा दे ([३५] फातिर: 5)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الشَّيْطٰنَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَاتَّخِذُوْهُ عَدُوًّاۗ اِنَّمَا يَدْعُوْا حِزْبَهٗ لِيَكُوْنُوْا مِنْ اَصْحٰبِ السَّعِيْرِۗ ٦
- inna
- إِنَّ
- बिलाशुबह
- l-shayṭāna
- ٱلشَّيْطَٰنَ
- शैतान
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारा
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन है
- fa-ittakhidhūhu
- فَٱتَّخِذُوهُ
- तो बनाओ उसे
- ʿaduwwan
- عَدُوًّاۚ
- दुश्मन
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yadʿū
- يَدْعُوا۟
- वो बुलाता है
- ḥiz'bahu
- حِزْبَهُۥ
- अपने गिरोह को
- liyakūnū
- لِيَكُونُوا۟
- ताकि वो हो जाऐं
- min
- مِنْ
- साथियों में से
- aṣḥābi
- أَصْحَٰبِ
- साथियों में से
- l-saʿīri
- ٱلسَّعِيرِ
- भड़कती आग के
निश्चय ही शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे शत्रु ही समझो। वह तो अपने गिरोह को केवल इसी लिए बुला रहा है कि वे दहकती आगवालों में सम्मिलित हो जाएँ ([३५] फातिर: 6)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ەۗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ كَبِيْرٌ ࣖ ٧
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- shadīdun
- شَدِيدٌۖ
- सख़्त
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- maghfiratun
- مَّغْفِرَةٌ
- बख़्शिश है
- wa-ajrun
- وَأَجْرٌ
- और अजर है
- kabīrun
- كَبِيرٌ
- बहुत बड़ा
वे लोग है कि जिन्होंने इनकार किया उनके लिए कठोर यातना है। किन्तु जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है ([३५] फातिर: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَمَنْ زُيِّنَ لَهٗ سُوْۤءُ عَمَلِهٖ فَرَاٰهُ حَسَنًاۗ فَاِنَّ اللّٰهَ يُضِلُّ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُۖ فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرٰتٍۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِمَا يَصْنَعُوْنَ ٨
- afaman
- أَفَمَن
- क्या भला वो जो
- zuyyina
- زُيِّنَ
- मुज़य्यन कर दिया गया
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- sūu
- سُوٓءُ
- बुरा
- ʿamalihi
- عَمَلِهِۦ
- अमल उसका
- faraāhu
- فَرَءَاهُ
- फिर वो देखे उसे
- ḥasanan
- حَسَنًاۖ
- ख़ूबसूरत
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḍillu
- يُضِلُّ
- वो गुमराह करता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wayahdī
- وَيَهْدِى
- और वो हिदायत देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۖ
- वो चाहता है
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tadhhab
- تَذْهَبْ
- जाती रहे
- nafsuka
- نَفْسُكَ
- आपकी जान
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ḥasarātin
- حَسَرَٰتٍۚ
- हसरतें करके
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bimā
- بِمَا
- जो कुछ
- yaṣnaʿūna
- يَصْنَعُونَ
- वो करते हैं
फिर क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसका बुरा कर्म सुहाना बना दिया गया हो और वह उसे अच्छा दिख रहा हो (तो क्या वह बुराई को छोड़ेगा)? निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग से वंचित रखता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। अतः उनपर अफ़सोस करते-करते तुम्हारी जान न जाती रहे। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे रच रहे है ([३५] फातिर: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَاللّٰهُ الَّذِيْٓ اَرْسَلَ الرِّيٰحَ فَتُثِيْرُ سَحَابًا فَسُقْنٰهُ اِلٰى بَلَدٍ مَّيِّتٍ فَاَحْيَيْنَا بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ كَذٰلِكَ النُّشُوْرُ ٩
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो है जिसने
- arsala
- أَرْسَلَ
- भेजा
- l-riyāḥa
- ٱلرِّيَٰحَ
- हवाओं को
- fatuthīru
- فَتُثِيرُ
- तो वो उठाती हैं
- saḥāban
- سَحَابًا
- बादल
- fasuq'nāhu
- فَسُقْنَٰهُ
- फिर चलाते हैं हम उसे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ शहर
- baladin
- بَلَدٍ
- तरफ़ शहर
- mayyitin
- مَّيِّتٍ
- मुर्दा के
- fa-aḥyaynā
- فَأَحْيَيْنَا
- फिर ज़िन्दा करते हैं हम
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَاۚ
- उसकी मौत के
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह होगा
- l-nushūru
- ٱلنُّشُورُ
- उठाया जाना
अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है ([३५] फातिर: 9)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ كَانَ يُرِيْدُ الْعِزَّةَ فَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ جَمِيْعًاۗ اِلَيْهِ يَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّيِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ يَرْفَعُهٗ ۗوَالَّذِيْنَ يَمْكُرُوْنَ السَّيِّاٰتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ۗوَمَكْرُ اُولٰۤىِٕكَ هُوَ يَبُوْرُ ١٠
- man
- مَن
- जो कोई
- kāna
- كَانَ
- है
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता
- l-ʿizata
- ٱلْعِزَّةَ
- इज़्ज़त
- falillahi
- فَلِلَّهِ
- तो अल्लाह ही के लिए है
- l-ʿizatu
- ٱلْعِزَّةُ
- इज़्ज़त
- jamīʿan
- جَمِيعًاۚ
- सारी की सारी
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- yaṣʿadu
- يَصْعَدُ
- चढ़ते हैं
- l-kalimu
- ٱلْكَلِمُ
- कलमात
- l-ṭayibu
- ٱلطَّيِّبُ
- पाकीज़ा
- wal-ʿamalu
- وَٱلْعَمَلُ
- और अमल
- l-ṣāliḥu
- ٱلصَّٰلِحُ
- सालेह
- yarfaʿuhu
- يَرْفَعُهُۥۚ
- बुलन्द करता है उसे
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yamkurūna
- يَمْكُرُونَ
- मकर करते हैं
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुरे
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- shadīdun
- شَدِيدٌۖ
- सख़्त
- wamakru
- وَمَكْرُ
- और मकर
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- उन लोगों का
- huwa
- هُوَ
- वो
- yabūru
- يَبُورُ
- वो तबाह हो जाएगा
जो कोई प्रभुत्व चाहता हो तो प्रभुत्व तो सारा का सारा अल्लाह के लिए है। उसी की ओर अच्छा-पवित्र बोल चढ़ता है और अच्छा कर्म उसे ऊँचा उठाता है। रहे वे लोग जो बुरी चालें चलते है, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चालबाज़ी मटियामेट होकर रहेगी ([३५] फातिर: 10)Tafseer (तफ़सीर )