पवित्र कुरान सूरा सबा आयत १५
Qur'an Surah Saba Verse 15
सबा [३४]: १५ ~ कुरान अनुवाद शब्द द्वारा शब्द - तफ़सीर
لَقَدْ كَانَ لِسَبَاٍ فِيْ مَسْكَنِهِمْ اٰيَةٌ ۚجَنَّتٰنِ عَنْ يَّمِيْنٍ وَّشِمَالٍ ەۗ كُلُوْا مِنْ رِّزْقِ رَبِّكُمْ وَاشْكُرُوْا لَهٗ ۗبَلْدَةٌ طَيِّبَةٌ وَّرَبٌّ غَفُوْرٌ (سبإ : ٣٤)
- laqad
- لَقَدْ
- Certainly
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kāna
- كَانَ
- (there) was
- थी
- lisaba-in
- لِسَبَإٍ
- for Saba
- सबा के लिए
- fī
- فِى
- in
- उनके घरों में
- maskanihim
- مَسْكَنِهِمْ
- their dwelling place
- उनके घरों में
- āyatun
- ءَايَةٌۖ
- a sign:
- एक निशानी
- jannatāni
- جَنَّتَانِ
- Two gardens
- दो बाग़
- ʿan
- عَن
- on
- दाऐं तरफ़
- yamīnin
- يَمِينٍ
- (the) right
- दाऐं तरफ़
- washimālin
- وَشِمَالٍۖ
- and (on the) left
- और बाऐं तरफ़
- kulū
- كُلُوا۟
- "Eat
- खाओ
- min
- مِن
- from
- रिज़्क़ में से
- riz'qi
- رِّزْقِ
- (the) provision
- रिज़्क़ में से
- rabbikum
- رَبِّكُمْ
- (of) your Lord
- अपने रब के
- wa-ush'kurū
- وَٱشْكُرُوا۟
- and be grateful
- और शुक्र करो
- lahu
- لَهُۥۚ
- to Him
- उसका
- baldatun
- بَلْدَةٌ
- A land
- शहर है
- ṭayyibatun
- طَيِّبَةٌ
- good
- पाकीज़ा
- warabbun
- وَرَبٌّ
- and a Lord
- और रब है
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- Oft-Forgiving"
- ख़ूब बख़्शने वाला
Transliteration:
Laqad kaana li Saba-in fee maskanihim Aayatun jannataani 'ai yameeninw wa shimaalin kuloo mir rizq Rabbikum washkuroolah; baldatun taiyibatunw wa Rabbun Ghafoor(QS. Sabaʾ:15)
English Sahih International:
There was for [the tribe of] Saba' in their dwelling place a sign: two [fields of] gardens on the right and on the left. [They were told], "Eat from the provisions of your Lord and be grateful to Him. A good land [have you], and a forgiving Lord." (QS. Saba, Ayah १५)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सबा के लिए उनके निवास-स्थान ही में एक निशानी थी - दाएँ और बाएँ दो बाग, 'खाओ अपने रब की रोज़ी, और उसके प्रति आभार प्रकट करो। भूमि भी अच्छी-सी और रब भी क्षमाशील।' (सबा, आयत १५)
Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (क़ौम) सबा के लिए तो यक़ीनन ख़ुद उन्हीं के घरों में (कुदरते खुदा की) एक बड़ी निशानी थी कि उनके शहर के दोनों तरफ दाहिने बाएं (हरे-भरे) बाग़ात थे (और उनको हुक्म था) कि अपने परवरदिगार की दी हुई रोज़ी Âाओ (पियो) और उसका शुक्र अदा करो (दुनिया में) ऐसा पाकीज़ा शहर और (आख़ेरत में) परवरदिगार सा बख्शने वाला
Azizul-Haqq Al-Umary
सबा[1] की जाति के लिए उनकी बस्तियों में एक निशानी[2] थीः बाग़ थे दायें और बायें। खाओ अपने पालनहार का दिया हुआ और उसके कृतज्ञ रहो। स्वच्छ नगर है तथा अति क्षमि पालनहार।