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सूरा सबा - Page: 5

Saba

(सबा, [[शेबा (राणी)

४१

قَالُوْا سُبْحٰنَكَ اَنْتَ وَلِيُّنَا مِنْ دُوْنِهِمْ ۚبَلْ كَانُوْا يَعْبُدُوْنَ الْجِنَّ اَكْثَرُهُمْ بِهِمْ مُّؤْمِنُوْنَ ٤١

qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
sub'ḥānaka
سُبْحَٰنَكَ
पाक है तू
anta
أَنتَ
तू ही
waliyyunā
وَلِيُّنَا
दोस्त है हमारा
min
مِن
उनके सिवा
dūnihim
دُونِهِمۖ
उनके सिवा
bal
بَلْ
बल्कि
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿbudūna
يَعْبُدُونَ
वो ईबादत करते
l-jina
ٱلْجِنَّۖ
जिन्नों कि
aktharuhum
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
bihim
بِهِم
उन्हीं पर
mu'minūna
مُّؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले थे
वे कहेंगे, 'महान है तू, हमारा निकटता का मधुर सम्बन्ध तो तुझी से है, उनसे नहीं; बल्कि बात यह है कि वे जिन्नों को पूजते थे। उनमें से अधिकतर उन्हीं पर ईमान रखते थे।' ([३४] सबा: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

فَالْيَوْمَ لَا يَمْلِكُ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ نَّفْعًا وَّلَا ضَرًّا ۗوَنَقُوْلُ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا ذُوْقُوْا عَذَابَ النَّارِ الَّتِيْ كُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُوْنَ ٤٢

fal-yawma
فَٱلْيَوْمَ
तो आज के दिन
لَا
ना मालिक होगा
yamliku
يَمْلِكُ
ना मालिक होगा
baʿḍukum
بَعْضُكُمْ
बाज़ तुम्हारा
libaʿḍin
لِبَعْضٍ
बाज़ के लिए
nafʿan
نَّفْعًا
किसी नफ़ा का
walā
وَلَا
और ना
ḍarran
ضَرًّا
किसी नुक़्सान का
wanaqūlu
وَنَقُولُ
और हम कहेंगे
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
dhūqū
ذُوقُوا۟
चखो
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग का
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
kuntum
كُنتُم
थे तुम
bihā
بِهَا
जिसे
tukadhibūna
تُكَذِّبُونَ
तुम झुठलाया करते
'अतः आज न तो तुम परस्पर एक-दूसरे के लाभ का अधिकार रखते हो और न हानि का।' और हम उन ज़ालिमों से कहेंगे, 'अब उस आग की यातना का मज़ा चखो, जिसे तुम झुठलाते रहे हो।' ([३४] सबा: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ قَالُوْا مَا هٰذَآ اِلَّا رَجُلٌ يُّرِيْدُ اَنْ يَّصُدَّكُمْ عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُكُمْ ۚوَقَالُوْا مَا هٰذَآ اِلَّآ اِفْكٌ مُّفْتَرًىۗ وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِلْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْۙ اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ٤٣

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
tut'lā
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
āyātunā
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
bayyinātin
بَيِّنَٰتٍ
वाज़ेह
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
مَا
नहीं
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
rajulun
رَجُلٌ
एक शख़्स
yurīdu
يُرِيدُ
वो चाहता है
an
أَن
कि
yaṣuddakum
يَصُدَّكُمْ
वो रोक दे तुम्हें
ʿammā
عَمَّا
उनसे जिनकी
kāna
كَانَ
थे
yaʿbudu
يَعْبُدُ
इबादत करते
ābāukum
ءَابَآؤُكُمْ
आबा ओ अजदाद तुम्हारे
waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहते हैं
مَا
नहीं
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّآ
मगर
if'kun
إِفْكٌ
एक झूठ
muf'taran
مُّفْتَرًىۚ
गढ़ा हुआ
waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lil'ḥaqqi
لِلْحَقِّ
हक़ के बारे में
lammā
لَمَّا
जब
jāahum
جَآءَهُمْ
वो आ गया उनके पास
in
إِنْ
नहीं
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
siḥ'run
سِحْرٌ
जादू
mubīnun
مُّبِينٌ
वाज़ेह
उन्हें जब हमारी स्पष्ट़ आयतें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे कहते है, 'यह तो बस ऐसा व्यक्ति है जो चाहता है कि तुम्हें उनसे रोक दें जिनको तुम्हारे बाप-दादा पूजते रहे है।' और कहते है, 'यह तो एक घड़ा हुआ झूठ है।' जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आया, कह दिया, 'यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है।' ([३४] सबा: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَمَآ اٰتَيْنٰهُمْ مِّنْ كُتُبٍ يَّدْرُسُوْنَهَا وَمَآ اَرْسَلْنَآ اِلَيْهِمْ قَبْلَكَ مِنْ نَّذِيْرٍۗ ٤٤

wamā
وَمَآ
और नहीं
ātaynāhum
ءَاتَيْنَٰهُم
दीं हमने उन्हें
min
مِّن
कुछ किताबें
kutubin
كُتُبٍ
कुछ किताबें
yadrusūnahā
يَدْرُسُونَهَاۖ
वो पढ़ते हों उन्हें
wamā
وَمَآ
और नहीं
arsalnā
أَرْسَلْنَآ
भेजा हमने
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
qablaka
قَبْلَكَ
आपसे पहले
min
مِن
कोई डराने वाला
nadhīrin
نَّذِيرٍ
कोई डराने वाला
हमने उन्हें न तो किताबे दी थीं, जिनको वे पढ़ते हों और न तुमसे पहले उनकी ओर कोई सावधान करनेवाला ही भेजा था ([३४] सबा: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَكَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۙ وَمَا بَلَغُوْا مِعْشَارَ مَآ اٰتَيْنٰهُمْ فَكَذَّبُوْا رُسُلِيْۗ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيْرِ ࣖ ٤٥

wakadhaba
وَكَذَّبَ
और झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
wamā
وَمَا
और नहीं
balaghū
بَلَغُوا۟
वो पहुँचे
miʿ'shāra
مِعْشَارَ
दसवें हिस्से को(भी)
مَآ
जो
ātaynāhum
ءَاتَيْنَٰهُمْ
दिया था हमने उन्हें
fakadhabū
فَكَذَّبُوا۟
तो उन्होंने झुठलाया था
rusulī
رُسُلِىۖ
मेरे रसूलों को
fakayfa
فَكَيْفَ
तो कैसा
kāna
كَانَ
था
nakīri
نَكِيرِ
अज़ाब मेरा
और झूठलाया उन लोगों ने भी जो उनसे पहले थे। और जो कुछ हमने उन्हें दिया था ये तो उसके दसवें भाग को भी नहीं पहुँचे है। तो उन्होंने मेरे रसूलों को झुठलाया। तो फिर कैसी रही मेरी यातना! ([३४] सबा: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

۞ قُلْ اِنَّمَآ اَعِظُكُمْ بِوَاحِدَةٍۚ اَنْ تَقُوْمُوْا لِلّٰهِ مَثْنٰى وَفُرَادٰى ثُمَّ تَتَفَكَّرُوْاۗ مَا بِصَاحِبِكُمْ مِّنْ جِنَّةٍۗ اِنْ هُوَ اِلَّا نَذِيْرٌ لَّكُمْ بَيْنَ يَدَيْ عَذَابٍ شَدِيْدٍ ٤٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَآ
बेशक
aʿiẓukum
أَعِظُكُم
मैं नसीहत करता हूँ तुम्हें
biwāḥidatin
بِوَٰحِدَةٍۖ
एक (बात) की
an
أَن
कि
taqūmū
تَقُومُوا۟
तुम खड़े हो जाओ
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
mathnā
مَثْنَىٰ
दो-दो
wafurādā
وَفُرَٰدَىٰ
और अकेले-अकेले
thumma
ثُمَّ
फिर
tatafakkarū
تَتَفَكَّرُوا۟ۚ
तुम ग़ौरो फ़िक्र करो
مَا
नहीं
biṣāḥibikum
بِصَاحِبِكُم
तुम्हारे साथी को
min
مِّن
कोई जुनून
jinnatin
جِنَّةٍۚ
कोई जुनून
in
إِنْ
नहीं
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला
lakum
لَّكُم
तुम्हें
bayna
بَيْنَ
पहले
yaday
يَدَىْ
पहले
ʿadhābin
عَذَابٍ
एक अज़ाब
shadīdin
شَدِيدٍ
सख़्त से
कहो, 'मैं तुम्हें बस एक बात की नसीहत करता हूँ कि अल्लाह के लिए दो-दो औऱ एक-एक करके उठ रखे हो; फिर विचार करो। तुम्हारे साथी को कोई उन्माद नहीं है। वह तो एक कठोर यातना से पहले तुम्हें सचेत करनेवाला ही है।' ([३४] सबा: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

قُلْ مَا سَاَلْتُكُمْ مِّنْ اَجْرٍ فَهُوَ لَكُمْۗ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى اللّٰهِ ۚوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدٌ ٤٧

qul
قُلْ
कह दीजिए
مَا
जो भी
sa-altukum
سَأَلْتُكُم
माँगा है मैं ने तुमसे
min
مِّنْ
कोई अजर
ajrin
أَجْرٍ
कोई अजर
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
lakum
لَكُمْۖ
तुम्हारे लिए है
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह पर
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
shahīdun
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है
कहो, 'मैं तुमसे कोई बदला नहीं माँगता वह तुम्हें ही मुबारक हो। मेरा बदला तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है और वह हर चीज का साक्षी है।' ([३४] सबा: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

قُلْ اِنَّ رَبِّيْ يَقْذِفُ بِالْحَقِّۚ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ ٤٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
yaqdhifu
يَقْذِفُ
वो डालता है
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
हक़ को
ʿallāmu
عَلَّٰمُ
ख़ूब जानने वाला है
l-ghuyūbi
ٱلْغُيُوبِ
ग़ैबों को
कहो, 'निश्चय ही मेरा रब सत्य को असत्य पर ग़ालिब करता है। वह परोक्ष की बातें भली-भाँथि जानता है।' ([३४] सबा: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

قُلْ جَاۤءَ الْحَقُّ وَمَا يُبْدِئُ الْبَاطِلُ وَمَا يُعِيْدُ ٤٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
jāa
جَآءَ
आ गया
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
wamā
وَمَا
और ना
yub'di-u
يُبْدِئُ
इब्तिदा करता है
l-bāṭilu
ٱلْبَٰطِلُ
बातिल
wamā
وَمَا
और ना
yuʿīdu
يُعِيدُ
वो एआदा करेगा
कह दो, 'सत्य आ गया (असत्य मिट गया) और असत्य न तो आरम्भ करता है और न पुनरावृत्ति ही।' ([३४] सबा: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

قُلْ اِنْ ضَلَلْتُ فَاِنَّمَآ اَضِلُّ عَلٰى نَفْسِيْۚ وَاِنِ اهْتَدَيْتُ فَبِمَا يُوْحِيْٓ اِلَيَّ رَبِّيْۗ اِنَّهٗ سَمِيْعٌ قَرِيْبٌ ٥٠

qul
قُلْ
कह दीजिए
in
إِن
अगर
ḍalaltu
ضَلَلْتُ
मैं भटक गया
fa-innamā
فَإِنَّمَآ
तो बेशक
aḍillu
أَضِلُّ
मैं भटकता हूँ
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी जान पर
nafsī
نَفْسِىۖ
अपनी जान पर
wa-ini
وَإِنِ
और अगर
ih'tadaytu
ٱهْتَدَيْتُ
हिदायत पा गया मैं
fabimā
فَبِمَا
तो बवजह उसके जो
yūḥī
يُوحِىٓ
वही की
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
rabbī
رَبِّىٓۚ
मेरे रब ने
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
samīʿun
سَمِيعٌ
बहुत सुनने वाला है
qarībun
قَرِيبٌ
बहुत क़रीब है
कहो, 'यदि मैं पथभ्रष्ट॥ हो जाऊँ तो पथभ्रष्ट होकर मैं अपना ही बुरा करूँगा, और यदि मैं सीधे मार्ग पर हूँ, तो इसका कारण वह प्रकाशना है जो मेरा रब मेरी ओर करता है। निस्संदेह वह सब कुछ सुनता है, निकट है।' ([३४] सबा: 50)
Tafseer (तफ़सीर )