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सूरा सबा - Page: 2

Saba

(सबा, [[शेबा (राणी)

११

اَنِ اعْمَلْ سٰبِغٰتٍ وَّقَدِّرْ فِى السَّرْدِ وَاعْمَلُوْا صَالِحًاۗ اِنِّيْ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ١١

ani
أَنِ
कि
iʿ'mal
ٱعْمَلْ
बनाओ
sābighātin
سَٰبِغَٰتٍ
कुशादह ज़रहें
waqaddir
وَقَدِّرْ
और अंदाज़े पर रखो
فِى
हल्क़े में
l-sardi
ٱلسَّرْدِۖ
हल्क़े में
wa-iʿ'malū
وَٱعْمَلُوا۟
और अमल करो
ṣāliḥan
صَٰلِحًاۖ
नेक
innī
إِنِّى
बेशक मैं
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला हूँ
कि 'पूरी कवचें बना और कड़ियों को ठीक अंदाज़ें से जोड।' - और तुम अच्छा कर्म करो। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो उसे मैं देखता हूँ ([३४] सबा: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَلِسُلَيْمٰنَ الرِّيْحَ غُدُوُّهَا شَهْرٌ وَّرَوَاحُهَا شَهْرٌۚ وَاَسَلْنَا لَهٗ عَيْنَ الْقِطْرِۗ وَمِنَ الْجِنِّ مَنْ يَّعْمَلُ بَيْنَ يَدَيْهِ بِاِذْنِ رَبِّهٖۗ وَمَنْ يَّزِغْ مِنْهُمْ عَنْ اَمْرِنَا نُذِقْهُ مِنْ عَذَابِ السَّعِيْرِ ١٢

walisulaymāna
وَلِسُلَيْمَٰنَ
और सुलैमान के लिए
l-rīḥa
ٱلرِّيحَ
हवा को(मुसख़्खर किया)
ghuduwwuhā
غُدُوُّهَا
सुबह का चलना उसका
shahrun
شَهْرٌ
एक माह का
warawāḥuhā
وَرَوَاحُهَا
और शाम का चलना उसका
shahrun
شَهْرٌۖ
एक माह का
wa-asalnā
وَأَسَلْنَا
और बहा दिया हमने
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
ʿayna
عَيْنَ
चश्मा
l-qiṭ'ri
ٱلْقِطْرِۖ
पिघले हुए ताँबे का
wamina
وَمِنَ
और जिन्नों में से
l-jini
ٱلْجِنِّ
और जिन्नों में से
man
مَن
जो
yaʿmalu
يَعْمَلُ
काम करते थे
bayna
بَيْنَ
उसके सामने
yadayhi
يَدَيْهِ
उसके सामने
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
इज़्न से
rabbihi
رَبِّهِۦۖ
उसके रब के
waman
وَمَن
और जो
yazigh
يَزِغْ
सरकशी करता
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ʿan
عَنْ
हमारे हुक्म से
amrinā
أَمْرِنَا
हमारे हुक्म से
nudhiq'hu
نُذِقْهُ
हम चखाते उसे
min
مِنْ
अज़ाब से
ʿadhābi
عَذَابِ
अज़ाब से
l-saʿīri
ٱلسَّعِيرِ
भड़कती हुई आग के
और सुलैमान के लिए वायु को वशीभुत कर दिया था। प्रातः समय उसका चलना एक महीने की राह तक और सायंकाल को उसका चलना एक महीने की राह तक - और हमने उसके लिए पिघले हुए ताँबे का स्रोत बहा दिया - और जिन्नों में से भी कुछ को (उसके वशीभूत कर दिया था,) जो अपने रब की अनुज्ञा से उसके आगे काम करते थे। (हमारा आदेशा था,) 'उनमें से जो हमारे हुक्म से फिरेगा उसे हम भडकती आग का मज़ा चखाएँगे।' ([३४] सबा: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

يَعْمَلُوْنَ لَهٗ مَا يَشَاۤءُ مِنْ مَّحَارِيْبَ وَتَمَاثِيْلَ وَجِفَانٍ كَالْجَوَابِ وَقُدُوْرٍ رّٰسِيٰتٍۗ اِعْمَلُوْٓا اٰلَ دَاوٗدَ شُكْرًا ۗوَقَلِيْلٌ مِّنْ عِبَادِيَ الشَّكُوْرُ ١٣

yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो बनाते
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता
min
مِن
बड़ी-बड़ी इमारतें
maḥārība
مَّحَٰرِيبَ
बड़ी-बड़ी इमारतें
watamāthīla
وَتَمَٰثِيلَ
और मुजस्समे
wajifānin
وَجِفَانٍ
और लगन
kal-jawābi
كَٱلْجَوَابِ
हौज़ की तरह
waqudūrin
وَقُدُورٍ
और देगें
rāsiyātin
رَّاسِيَٰتٍۚ
गड़ी हुईं
iʿ'malū
ٱعْمَلُوٓا۟
अमल करो
āla
ءَالَ
ऐ आले दाऊद
dāwūda
دَاوُۥدَ
ऐ आले दाऊद
shuk'ran
شُكْرًاۚ
शुक्र करने के लिए
waqalīlun
وَقَلِيلٌ
और कम ही हैं
min
مِّنْ
मेरे बन्दों में से
ʿibādiya
عِبَادِىَ
मेरे बन्दों में से
l-shakūru
ٱلشَّكُورُ
शुक्र गुज़ार
वे उसके लिए बनाते, जो कुछ वह चाहता - बड़े-बड़े भवन, प्रतिमाएँ, बड़े हौज़ जैसे थाल और जमी रहनेवाली देगें - 'ऐ दाऊद के लोगों! कर्म करो, कृतज्ञता दिखाने रूप में। मेरे बन्दों में कृतज्ञ थोड़े ही हैं।' ([३४] सबा: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

فَلَمَّا قَضَيْنَا عَلَيْهِ الْمَوْتَ مَا دَلَّهُمْ عَلٰى مَوْتِهٖٓ اِلَّا دَاۤبَّةُ الْاَرْضِ تَأْكُلُ مِنْسَاَتَهٗ ۚفَلَمَّا خَرَّ تَبَيَّنَتِ الْجِنُّ اَنْ لَّوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ الْغَيْبَ مَا لَبِثُوْا فِى الْعَذَابِ الْمُهِيْنِۗ ١٤

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
qaḍaynā
قَضَيْنَا
मुक़र्रर किया हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
l-mawta
ٱلْمَوْتَ
मौत को
مَا
ना
dallahum
دَلَّهُمْ
ख़बर दी उनको
ʿalā
عَلَىٰ
उसकी मौत की
mawtihi
مَوْتِهِۦٓ
उसकी मौत की
illā
إِلَّا
मगर
dābbatu
دَآبَّةُ
कीड़े ने
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन के
takulu
تَأْكُلُ
वो खाता रहा
minsa-atahu
مِنسَأَتَهُۥۖ
उसका असा
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
kharra
خَرَّ
वो गिर पड़ा
tabayyanati
تَبَيَّنَتِ
वाज़ेह हो गया
l-jinu
ٱلْجِنُّ
जिन्नों पर
an
أَن
कि
law
لَّوْ
अगर
kānū
كَانُوا۟
होते वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो इल्म रखते
l-ghayba
ٱلْغَيْبَ
ग़ैब का
مَا
ना
labithū
لَبِثُوا۟
वो रहते
فِى
अज़ाब में
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब में
l-muhīni
ٱلْمُهِينِ
रुस्वाकुन
फिर जब हमने उसके लिए मौत का फ़ैसला लागू किया तो फिर उन जिन्नों को उसकी मौत का पता बस भूमि के उस कीड़े ने दिया जो उसकी लाठी को खा रहा था। फिर जब वह गिर पड़ा, तब जिन्नों पर प्रकट हुआ कि यदि वे परोक्ष के जाननेवाले होते तो इस अपमानजनक यातना में पड़े न रहते ([३४] सबा: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

لَقَدْ كَانَ لِسَبَاٍ فِيْ مَسْكَنِهِمْ اٰيَةٌ ۚجَنَّتٰنِ عَنْ يَّمِيْنٍ وَّشِمَالٍ ەۗ كُلُوْا مِنْ رِّزْقِ رَبِّكُمْ وَاشْكُرُوْا لَهٗ ۗبَلْدَةٌ طَيِّبَةٌ وَّرَبٌّ غَفُوْرٌ ١٥

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kāna
كَانَ
थी
lisaba-in
لِسَبَإٍ
सबा के लिए
فِى
उनके घरों में
maskanihim
مَسْكَنِهِمْ
उनके घरों में
āyatun
ءَايَةٌۖ
एक निशानी
jannatāni
جَنَّتَانِ
दो बाग़
ʿan
عَن
दाऐं तरफ़
yamīnin
يَمِينٍ
दाऐं तरफ़
washimālin
وَشِمَالٍۖ
और बाऐं तरफ़
kulū
كُلُوا۟
खाओ
min
مِن
रिज़्क़ में से
riz'qi
رِّزْقِ
रिज़्क़ में से
rabbikum
رَبِّكُمْ
अपने रब के
wa-ush'kurū
وَٱشْكُرُوا۟
और शुक्र करो
lahu
لَهُۥۚ
उसका
baldatun
بَلْدَةٌ
शहर है
ṭayyibatun
طَيِّبَةٌ
पाकीज़ा
warabbun
وَرَبٌّ
और रब है
ghafūrun
غَفُورٌ
ख़ूब बख़्शने वाला
सबा के लिए उनके निवास-स्थान ही में एक निशानी थी - दाएँ और बाएँ दो बाग, 'खाओ अपने रब की रोज़ी, और उसके प्रति आभार प्रकट करो। भूमि भी अच्छी-सी और रब भी क्षमाशील।' ([३४] सबा: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

فَاَعْرَضُوْا فَاَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ سَيْلَ الْعَرِمِ وَبَدَّلْنٰهُمْ بِجَنَّتَيْهِمْ جَنَّتَيْنِ ذَوَاتَيْ اُكُلٍ خَمْطٍ وَّاَثْلٍ وَّشَيْءٍ مِّنْ سِدْرٍ قَلِيْلٍ ١٦

fa-aʿraḍū
فَأَعْرَضُوا۟
फिर वो मुँह मोड़ गए
fa-arsalnā
فَأَرْسَلْنَا
तो भेजा हमने
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
sayla
سَيْلَ
सैलाब
l-ʿarimi
ٱلْعَرِمِ
बँद तोड़
wabaddalnāhum
وَبَدَّلْنَٰهُم
और बदल कर दिए हमने उन्हें
bijannatayhim
بِجَنَّتَيْهِمْ
बदले उनके दो बाग़ों के
jannatayni
جَنَّتَيْنِ
दो बाग़
dhawātay
ذَوَاتَىْ
बदमज़ह फलों वाले
ukulin
أُكُلٍ
बदमज़ह फलों वाले
khamṭin
خَمْطٍ
बदमज़ह फलों वाले
wa-athlin
وَأَثْلٍ
और झाओ के दरख़्त
washayin
وَشَىْءٍ
और कुछ
min
مِّن
बेरी के दरख़्त
sid'rin
سِدْرٍ
बेरी के दरख़्त
qalīlin
قَلِيلٍ
थोड़े से
किन्तु वे ध्यान में न लाए तो हमने उनपर बँध-तोड़ बाढ़ भेज दी और उनके दोनों बाग़ों के बदले में उन्हें दो दूसरे बाग़ दिए, जिनमें कड़वे-कसैले फल और झाड़ थे, और कुछ थोड़ी-सी झड़-बेरियाँ ([३४] सबा: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

ذٰلِكَ جَزَيْنٰهُمْ بِمَا كَفَرُوْاۗ وَهَلْ نُجٰزِيْٓ اِلَّا الْكَفُوْرَ ١٧

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
jazaynāhum
جَزَيْنَٰهُم
बदला दिया हमने उन्हें
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kafarū
كَفَرُوا۟ۖ
उन्होंने नाशुक्री की
wahal
وَهَلْ
और नहीं
nujāzī
نُجَٰزِىٓ
हम बदला/सज़ा देते
illā
إِلَّا
मगर
l-kafūra
ٱلْكَفُورَ
सख़्त नाशुक्रे को
यह बदला हमने उन्हें इसलिए दिया कि उन्होंने कृतध्नता दिखाई। ऐसा बदला तो हम कृतध्न लोगों को ही देते है ([३४] सबा: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَجَعَلْنَا بَيْنَهُمْ وَبَيْنَ الْقُرَى الَّتِيْ بٰرَكْنَا فِيْهَا قُرًى ظَاهِرَةً وَّقَدَّرْنَا فِيْهَا السَّيْرَۗ سِيْرُوْا فِيْهَا لَيَالِيَ وَاَيَّامًا اٰمِنِيْنَ ١٨

wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाईं थीं हमने
baynahum
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
wabayna
وَبَيْنَ
और दर्मियान
l-qurā
ٱلْقُرَى
उन बस्तियों के
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
bāraknā
بَٰرَكْنَا
बरकत दी हमने
fīhā
فِيهَا
जिन में
quran
قُرًى
बस्तियाँ
ẓāhiratan
ظَٰهِرَةً
ज़ाहिर/नुमायाँ
waqaddarnā
وَقَدَّرْنَا
और अंदाज़े पर रखी हमने
fīhā
فِيهَا
उनमें
l-sayra
ٱلسَّيْرَۖ
मसाफ़त
sīrū
سِيرُوا۟
चले फिरो
fīhā
فِيهَا
उसमें
layāliya
لَيَالِىَ
रातों को
wa-ayyāman
وَأَيَّامًا
और दिनों को
āminīna
ءَامِنِينَ
अमन से रहने वाले
और हमने उनके और उन बस्तियों के बीच जिनमें हमने बरकत रखी थी प्रत्यक्ष बस्तियाँ बसाई और उनमें सफ़र की मंज़िलें ख़ास अंदाज़े पर रखीं, 'उनमें रात-दिन निश्चिन्त होकर चलो फिरो!' ([३४] सबा: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

فَقَالُوْا رَبَّنَا بٰعِدْ بَيْنَ اَسْفَارِنَا وَظَلَمُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَجَعَلْنٰهُمْ اَحَادِيْثَ وَمَزَّقْنٰهُمْ كُلَّ مُمَزَّقٍۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ١٩

faqālū
فَقَالُوا۟
तो उन्होंने कहा
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
bāʿid
بَٰعِدْ
दूरी पैदा कर दे
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
asfārinā
أَسْفَارِنَا
हमारे सफ़रों के
waẓalamū
وَظَلَمُوٓا۟
और उन्होंने ज़ुल्म किया
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपनी जानों पर
fajaʿalnāhum
فَجَعَلْنَٰهُمْ
तो बना दिया हमने उन्हें
aḥādītha
أَحَادِيثَ
बातें/अफ़साने
wamazzaqnāhum
وَمَزَّقْنَٰهُمْ
और रेज़ा-रेज़ा कर दिया हमने उन्हें
kulla
كُلَّ
हर तरह
mumazzaqin
مُمَزَّقٍۚ
रेज़ा-रेज़ा करना
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
likulli
لِّكُلِّ
वास्ते हर
ṣabbārin
صَبَّارٍ
बहुत सब्र करने वाले
shakūrin
شَكُورٍ
शुक्र गुज़ार के
किन्तु उन्होंने कहा, 'ऐ हमारे रब! हमारी यात्राओं में दूरी कर दे।' उन्होंने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। अन्ततः हम उन्हें (अतीत की) कहानियाँ बनाकर रहे, औऱ उन्हें बिल्कुल छिन्न-भिन्न कर डाला। निश्चय ही इसमें निशानियाँ है प्रत्येक बड़े धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए ([३४] सबा: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَلَقَدْ صَدَّقَ عَلَيْهِمْ اِبْلِيْسُ ظَنَّهٗ فَاتَّبَعُوْهُ اِلَّا فَرِيْقًا مِّنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ٢٠

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक
ṣaddaqa
صَدَّقَ
सच कर दिखाया
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ib'līsu
إِبْلِيسُ
इब्लीस ने
ẓannahu
ظَنَّهُۥ
गुमान अपना
fa-ittabaʿūhu
فَٱتَّبَعُوهُ
तो उन्होंने पैरवी की उसकी
illā
إِلَّا
सिवाए
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह के
mina
مِّنَ
मोमिनों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
इबलीस ने उनके विषय में अपना गुमान सत्य पाया और ईमानवालो के एक गिरोह के सिवा उन्होंने उसी का अनुसरण किया ([३४] सबा: 20)
Tafseer (तफ़सीर )