مَلْعُوْنِيْنَۖ اَيْنَمَا ثُقِفُوْٓا اُخِذُوْا وَقُتِّلُوْا تَقْتِيْلًا ٦١
- malʿūnīna
- مَّلْعُونِينَۖ
- लानत किए गए
- aynamā
- أَيْنَمَا
- जहाँ कहीं
- thuqifū
- ثُقِفُوٓا۟
- वो पाऐ जाऐं
- ukhidhū
- أُخِذُوا۟
- वो पकड़ लिए जाऐं
- waquttilū
- وَقُتِّلُوا۟
- और क़त्ल कर दिए जाऐं
- taqtīlan
- تَقْتِيلًا
- बुरी तरह क़त्ल किया जाना
फिटकारे हुए होंगे। जहाँ कही पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे ([३३] अल-अह्जाब: 61)Tafseer (तफ़सीर )
سُنَّةَ اللّٰهِ فِى الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۚوَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللّٰهِ تَبْدِيْلًا ٦٢
- sunnata
- سُنَّةَ
- तरीक़ा है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- fī
- فِى
- उनके बारे में जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके बारे में जो
- khalaw
- خَلَوْا۟
- गुज़र चुके
- min
- مِن
- उससे पहले
- qablu
- قَبْلُۖ
- उससे पहले
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ ना
- tajida
- تَجِدَ
- आप पाऐंगे
- lisunnati
- لِسُنَّةِ
- तरीक़े में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- tabdīlan
- تَبْدِيلًا
- कोई तब्दीली
यही अल्लाह की रीति रही है उन लोगों के विषय में भी जो पहले गुज़र चुके हैं। और तुम अल्लाह की रीति में कदापि परिवर्तन न पाओगे ([३३] अल-अह्जाब: 62)Tafseer (तफ़सीर )
يَسْـَٔلُكَ النَّاسُ عَنِ السَّاعَةِۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ ۗوَمَا يُدْرِيْكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ تَكُوْنُ قَرِيْبًا ٦٣
- yasaluka
- يَسْـَٔلُكَ
- सवाल करते हैं आप से
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोग
- ʿani
- عَنِ
- क़यामत के बारे में
- l-sāʿati
- ٱلسَّاعَةِۖ
- क़यामत के बारे में
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- ʿil'muhā
- عِلْمُهَا
- इल्म उसका
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और क्या चीज़
- yud'rīka
- يُدْرِيكَ
- बताए आपको
- laʿalla
- لَعَلَّ
- शायद कि
- l-sāʿata
- ٱلسَّاعَةَ
- क़यामत
- takūnu
- تَكُونُ
- हो वो
- qarīban
- قَرِيبًا
- क़रीब ही
लोग तुमसे क़ियामत की घड़ी के बारे में पूछते है। कह दो, 'उसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है। तुम्हें क्या मालूम? कदाचित वह घड़ी निकट ही हो।' ([३३] अल-अह्जाब: 63)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ لَعَنَ الْكٰفِرِيْنَ وَاَعَدَّ لَهُمْ سَعِيْرًاۙ ٦٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- laʿana
- لَعَنَ
- लानत की है
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों पर
- wa-aʿadda
- وَأَعَدَّ
- और उसने तैयार कर रखा है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- saʿīran
- سَعِيرًا
- भड़कती आग को
निश्चय ही अल्लाह ने इनकार करनेवालों पर लानत की है और उनके लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है, ([३३] अल-अह्जाब: 64)Tafseer (तफ़सीर )
خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۚ لَا يَجِدُوْنَ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ۚ ٦٥
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेश रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًاۖ
- हमेशा-हमेशा
- lā
- لَّا
- ना वो पाऐंगे
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- ना वो पाऐंगे
- waliyyan
- وَلِيًّا
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīran
- نَصِيرًا
- कोई मददगार
जिसमें वे सदैव रहेंगे। न वे कोई निकटवर्ती समर्थक पाएँगे और न (दूर का) सहायक ([३३] अल-अह्जाब: 65)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَ تُقَلَّبُ وُجُوْهُهُمْ فِى النَّارِ يَقُوْلُوْنَ يٰلَيْتَنَآ اَطَعْنَا اللّٰهَ وَاَطَعْنَا الرَّسُوْلَا۠ ٦٦
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- tuqallabu
- تُقَلَّبُ
- उलट-पलट किए जाऐंगे
- wujūhuhum
- وُجُوهُهُمْ
- चेहरे उनके
- fī
- فِى
- आग में
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग में
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहेंगे
- yālaytanā
- يَٰلَيْتَنَآ
- ऐ काश कि हम
- aṭaʿnā
- أَطَعْنَا
- इताअत करते हम
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wa-aṭaʿnā
- وَأَطَعْنَا
- और इताअत करते हम
- l-rasūlā
- ٱلرَّسُولَا۠
- रसूल की
जिस दिन उनके चहेरे आग में उलटे-पलटे जाएँगे, वे कहेंगे, 'क्या ही अच्छा होता कि हमने अल्लाह का आज्ञापालन किया होता और रसूल का आज्ञापालन किया होता!' ([३३] अल-अह्जाब: 66)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا رَبَّنَآ اِنَّآ اَطَعْنَا سَادَتَنَا وَكُبَرَاۤءَنَا فَاَضَلُّوْنَا السَّبِيْلَا۠ ٦٧
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और वो कहेंगे
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- aṭaʿnā
- أَطَعْنَا
- इताअत की हमने
- sādatanā
- سَادَتَنَا
- अपने सरदारों की
- wakubarāanā
- وَكُبَرَآءَنَا
- और अपने बड़ों की
- fa-aḍallūnā
- فَأَضَلُّونَا
- तो उन्होंने भटका दिया हमें
- l-sabīlā
- ٱلسَّبِيلَا۠
- रास्ते से
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! वास्तव में हमने अपने सरदारों और अपने बड़ो का आज्ञा का पालन किया और उन्होंने हमें मार्ग से भटका दिया। ([३३] अल-अह्जाब: 67)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَآ اٰتِهِمْ ضِعْفَيْنِ مِنَ الْعَذَابِ وَالْعَنْهُمْ لَعْنًا كَبِيْرًا ࣖ ٦٨
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- ātihim
- ءَاتِهِمْ
- दे उन्हें
- ḍiʿ'fayni
- ضِعْفَيْنِ
- दोगुना
- mina
- مِنَ
- अज़ाब में से
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब में से
- wal-ʿanhum
- وَٱلْعَنْهُمْ
- और लानत फ़रमा उन पर
- laʿnan
- لَعْنًا
- लानत
- kabīran
- كَبِيرًا
- बहुत बड़ी
'ऐ हमारे रब! उन्हें दोहरी यातना दे और उनपर बड़ी लानत कर!' ([३३] अल-अह्जाब: 68)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ اٰذَوْا مُوْسٰى فَبَرَّاَهُ اللّٰهُ مِمَّا قَالُوْا ۗوَكَانَ عِنْدَ اللّٰهِ وَجِيْهًا ۗ ٦٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम हो जाओ
- takūnū
- تَكُونُوا۟
- ना तुम हो जाओ
- ka-alladhīna
- كَٱلَّذِينَ
- उनकी तरह जिन्होंने
- ādhaw
- ءَاذَوْا۟
- अज़ीयतें दीं
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- fabarra-ahu
- فَبَرَّأَهُ
- तो बरी कर दिया उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- qālū
- قَالُوا۟ۚ
- उन्होंने कहा था
- wakāna
- وَكَانَ
- और था वो
- ʿinda
- عِندَ
- नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wajīhan
- وَجِيهًا
- बहुत बाइज़्ज़त
ऐ ईमान लानेवालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने मूसा को दुख पहुँचाया, तो अल्लाह ने उससे जो कुछ उन्होंने कहा था उसे बरी कर दिया। वह अल्लाह के यहाँ बड़ा गरिमावान था ([३३] अल-अह्जाब: 69)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَقُوْلُوْا قَوْلًا سَدِيْدًاۙ ٧٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- ittaqū
- ٱتَّقُوا۟
- डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- waqūlū
- وَقُولُوا۟
- और कहो
- qawlan
- قَوْلًا
- बात
- sadīdan
- سَدِيدًا
- सीधी
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और बात कहो ठीक सधी हुई ([३३] अल-अह्जाब: 70)Tafseer (तफ़सीर )