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सूरा अल-अह्जाब - Page: 7

Al-Ahzab

(The Clans, The Coalition, The Combined Forces)

६१

مَلْعُوْنِيْنَۖ اَيْنَمَا ثُقِفُوْٓا اُخِذُوْا وَقُتِّلُوْا تَقْتِيْلًا ٦١

malʿūnīna
مَّلْعُونِينَۖ
लानत किए गए
aynamā
أَيْنَمَا
जहाँ कहीं
thuqifū
ثُقِفُوٓا۟
वो पाऐ जाऐं
ukhidhū
أُخِذُوا۟
वो पकड़ लिए जाऐं
waquttilū
وَقُتِّلُوا۟
और क़त्ल कर दिए जाऐं
taqtīlan
تَقْتِيلًا
बुरी तरह क़त्ल किया जाना
फिटकारे हुए होंगे। जहाँ कही पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे ([३३] अल-अह्जाब: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

سُنَّةَ اللّٰهِ فِى الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۚوَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللّٰهِ تَبْدِيْلًا ٦٢

sunnata
سُنَّةَ
तरीक़ा है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
فِى
उनके बारे में जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके बारे में जो
khalaw
خَلَوْا۟
गुज़र चुके
min
مِن
उससे पहले
qablu
قَبْلُۖ
उससे पहले
walan
وَلَن
और हरगिज़ ना
tajida
تَجِدَ
आप पाऐंगे
lisunnati
لِسُنَّةِ
तरीक़े में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
tabdīlan
تَبْدِيلًا
कोई तब्दीली
यही अल्लाह की रीति रही है उन लोगों के विषय में भी जो पहले गुज़र चुके हैं। और तुम अल्लाह की रीति में कदापि परिवर्तन न पाओगे ([३३] अल-अह्जाब: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

يَسْـَٔلُكَ النَّاسُ عَنِ السَّاعَةِۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ ۗوَمَا يُدْرِيْكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ تَكُوْنُ قَرِيْبًا ٦٣

yasaluka
يَسْـَٔلُكَ
सवाल करते हैं आप से
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोग
ʿani
عَنِ
क़यामत के बारे में
l-sāʿati
ٱلسَّاعَةِۖ
क़यामत के बारे में
qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَا
बेशक
ʿil'muhā
عِلْمُهَا
इल्म उसका
ʿinda
عِندَ
पास है
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के
wamā
وَمَا
और क्या चीज़
yud'rīka
يُدْرِيكَ
बताए आपको
laʿalla
لَعَلَّ
शायद कि
l-sāʿata
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत
takūnu
تَكُونُ
हो वो
qarīban
قَرِيبًا
क़रीब ही
लोग तुमसे क़ियामत की घड़ी के बारे में पूछते है। कह दो, 'उसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है। तुम्हें क्या मालूम? कदाचित वह घड़ी निकट ही हो।' ([३३] अल-अह्जाब: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

اِنَّ اللّٰهَ لَعَنَ الْكٰفِرِيْنَ وَاَعَدَّ لَهُمْ سَعِيْرًاۙ ٦٤

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
laʿana
لَعَنَ
लानत की है
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों पर
wa-aʿadda
وَأَعَدَّ
और उसने तैयार कर रखा है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
saʿīran
سَعِيرًا
भड़कती आग को
निश्चय ही अल्लाह ने इनकार करनेवालों पर लानत की है और उनके लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है, ([३३] अल-अह्जाब: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۚ لَا يَجِدُوْنَ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ۚ ٦٥

khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेश रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَآ
उसमें
abadan
أَبَدًاۖ
हमेशा-हमेशा
لَّا
ना वो पाऐंगे
yajidūna
يَجِدُونَ
ना वो पाऐंगे
waliyyan
وَلِيًّا
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
जिसमें वे सदैव रहेंगे। न वे कोई निकटवर्ती समर्थक पाएँगे और न (दूर का) सहायक ([३३] अल-अह्जाब: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

يَوْمَ تُقَلَّبُ وُجُوْهُهُمْ فِى النَّارِ يَقُوْلُوْنَ يٰلَيْتَنَآ اَطَعْنَا اللّٰهَ وَاَطَعْنَا الرَّسُوْلَا۠ ٦٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tuqallabu
تُقَلَّبُ
उलट-पलट किए जाऐंगे
wujūhuhum
وُجُوهُهُمْ
चेहरे उनके
فِى
आग में
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग में
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहेंगे
yālaytanā
يَٰلَيْتَنَآ
ऐ काश कि हम
aṭaʿnā
أَطَعْنَا
इताअत करते हम
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wa-aṭaʿnā
وَأَطَعْنَا
और इताअत करते हम
l-rasūlā
ٱلرَّسُولَا۠
रसूल की
जिस दिन उनके चहेरे आग में उलटे-पलटे जाएँगे, वे कहेंगे, 'क्या ही अच्छा होता कि हमने अल्लाह का आज्ञापालन किया होता और रसूल का आज्ञापालन किया होता!' ([३३] अल-अह्जाब: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

وَقَالُوْا رَبَّنَآ اِنَّآ اَطَعْنَا سَادَتَنَا وَكُبَرَاۤءَنَا فَاَضَلُّوْنَا السَّبِيْلَا۠ ٦٧

waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहेंगे
rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
innā
إِنَّآ
बेशक हम
aṭaʿnā
أَطَعْنَا
इताअत की हमने
sādatanā
سَادَتَنَا
अपने सरदारों की
wakubarāanā
وَكُبَرَآءَنَا
और अपने बड़ों की
fa-aḍallūnā
فَأَضَلُّونَا
तो उन्होंने भटका दिया हमें
l-sabīlā
ٱلسَّبِيلَا۠
रास्ते से
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! वास्तव में हमने अपने सरदारों और अपने बड़ो का आज्ञा का पालन किया और उन्होंने हमें मार्ग से भटका दिया। ([३३] अल-अह्जाब: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

رَبَّنَآ اٰتِهِمْ ضِعْفَيْنِ مِنَ الْعَذَابِ وَالْعَنْهُمْ لَعْنًا كَبِيْرًا ࣖ ٦٨

rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
ātihim
ءَاتِهِمْ
दे उन्हें
ḍiʿ'fayni
ضِعْفَيْنِ
दोगुना
mina
مِنَ
अज़ाब में से
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब में से
wal-ʿanhum
وَٱلْعَنْهُمْ
और लानत फ़रमा उन पर
laʿnan
لَعْنًا
लानत
kabīran
كَبِيرًا
बहुत बड़ी
'ऐ हमारे रब! उन्हें दोहरी यातना दे और उनपर बड़ी लानत कर!' ([३३] अल-अह्जाब: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ اٰذَوْا مُوْسٰى فَبَرَّاَهُ اللّٰهُ مِمَّا قَالُوْا ۗوَكَانَ عِنْدَ اللّٰهِ وَجِيْهًا ۗ ٦٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम हो जाओ
takūnū
تَكُونُوا۟
ना तुम हो जाओ
ka-alladhīna
كَٱلَّذِينَ
उनकी तरह जिन्होंने
ādhaw
ءَاذَوْا۟
अज़ीयतें दीं
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा को
fabarra-ahu
فَبَرَّأَهُ
तो बरी कर दिया उसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mimmā
مِمَّا
उससे जो
qālū
قَالُوا۟ۚ
उन्होंने कहा था
wakāna
وَكَانَ
और था वो
ʿinda
عِندَ
नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wajīhan
وَجِيهًا
बहुत बाइज़्ज़त
ऐ ईमान लानेवालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने मूसा को दुख पहुँचाया, तो अल्लाह ने उससे जो कुछ उन्होंने कहा था उसे बरी कर दिया। वह अल्लाह के यहाँ बड़ा गरिमावान था ([३३] अल-अह्जाब: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَقُوْلُوْا قَوْلًا سَدِيْدًاۙ ٧٠

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
waqūlū
وَقُولُوا۟
और कहो
qawlan
قَوْلًا
बात
sadīdan
سَدِيدًا
सीधी
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो और बात कहो ठीक सधी हुई ([३३] अल-अह्जाब: 70)
Tafseer (तफ़सीर )