۞ تُرْجِيْ مَنْ تَشَاۤءُ مِنْهُنَّ وَتُـْٔوِيْٓ اِلَيْكَ مَنْ تَشَاۤءُۗ وَمَنِ ابْتَغَيْتَ مِمَّنْ عَزَلْتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكَۗ ذٰلِكَ اَدْنٰٓى اَنْ تَقَرَّ اَعْيُنُهُنَّ وَلَا يَحْزَنَّ وَيَرْضَيْنَ بِمَآ اٰتَيْتَهُنَّ كُلُّهُنَّۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا فِيْ قُلُوْبِكُمْ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَلِيْمًا ٥١
- tur'jī
- تُرْجِى
- आप दूर रखें
- man
- مَن
- जिसे
- tashāu
- تَشَآءُ
- आप चाहें
- min'hunna
- مِنْهُنَّ
- उनमें से
- watu'wī
- وَتُـْٔوِىٓ
- और आप जगह दें
- ilayka
- إِلَيْكَ
- अपने पास
- man
- مَن
- जिसे
- tashāu
- تَشَآءُۖ
- आप चाहें
- wamani
- وَمَنِ
- और जिसे
- ib'taghayta
- ٱبْتَغَيْتَ
- तलब करें आप
- mimman
- مِمَّنْ
- उनमें से जिसे
- ʿazalta
- عَزَلْتَ
- अलग कर दिया हो आपने
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalayka
- عَلَيْكَۚ
- आप पर
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- adnā
- أَدْنَىٰٓ
- क़रीबतर है
- an
- أَن
- कि
- taqarra
- تَقَرَّ
- ठंडी हों
- aʿyunuhunna
- أَعْيُنُهُنَّ
- आँखें उनकी
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaḥzanna
- يَحْزَنَّ
- वो ग़मगीन हों
- wayarḍayna
- وَيَرْضَيْنَ
- और वो राज़ी रहें
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- ātaytahunna
- ءَاتَيْتَهُنَّ
- दें आप उन्हें
- kulluhunna
- كُلُّهُنَّۚ
- सब की सब
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- तुम्हारे दिलों में है
- qulūbikum
- قُلُوبِكُمْۚ
- तुम्हारे दिलों में है
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥalīman
- حَلِيمًا
- ख़ूब हिल्म वाला
तुम उनमें से जिसे चाहो अपने से अलग रखो और जिसे चाहो अपने पास रखो, और जिनको तुमने अलग रखा हो, उनमें से किसी के इच्छुक हो तो इसमें तुमपर कोई दोष नहीं, इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि उनकी आँखें ठंड़ी रहें और वे शोकाकुल न हों और जो कुछ तुम उन्हें दो उसपर वे राज़ी रहें। अल्लाह जानता है जो कुछ तुम्हारे दिलों में है। अल्लाह सर्वज्ञ, बहुत सहनशील है ([३३] अल-अह्जाब: 51)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَحِلُّ لَكَ النِّسَاۤءُ مِنْۢ بَعْدُ وَلَآ اَنْ تَبَدَّلَ بِهِنَّ مِنْ اَزْوَاجٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكَ حُسْنُهُنَّ اِلَّا مَا مَلَكَتْ يَمِيْنُكَۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ رَّقِيْبًا ࣖ ٥٢
- lā
- لَّا
- नहीं हलाल
- yaḥillu
- يَحِلُّ
- नहीं हलाल
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- l-nisāu
- ٱلنِّسَآءُ
- औरतें
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdu
- بَعْدُ
- बाद उसके
- walā
- وَلَآ
- और ना
- an
- أَن
- कि
- tabaddala
- تَبَدَّلَ
- आप बदल लें
- bihinna
- بِهِنَّ
- उनके बदले
- min
- مِنْ
- कोई और बीवियाँ
- azwājin
- أَزْوَٰجٍ
- कोई और बीवियाँ
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- aʿjabaka
- أَعْجَبَكَ
- पसंद आए आपको
- ḥus'nuhunna
- حُسْنُهُنَّ
- हुसन उनका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जिनका
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक है
- yamīnuka
- يَمِينُكَۗ
- दायाँ हाथ आपका
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- raqīban
- رَّقِيبًا
- ख़ूब निगरान
इसके पश्चात तुम्हारे लिए दूसरी स्त्रियाँ वैध नहीं और न यह कि तुम उनकी जगह दूसरी पत्नियों ले आओ, यद्यपि उनका सौन्दर्य तुम्हें कितना ही भाए। उनकी बात औऱ है जो तुम्हारी लौंडियाँ हो। वास्तव में अल्लाह की स्पष्ट हर चीज़ पर है ([३३] अल-अह्जाब: 52)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُيُوْتَ النَّبِيِّ اِلَّآ اَنْ يُّؤْذَنَ لَكُمْ اِلٰى طَعَامٍ غَيْرَ نٰظِرِيْنَ اِنٰىهُ وَلٰكِنْ اِذَا دُعِيْتُمْ فَادْخُلُوْا فَاِذَا طَعِمْتُمْ فَانْتَشِرُوْا وَلَا مُسْتَأْنِسِيْنَ لِحَدِيْثٍۗ اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ يُؤْذِى النَّبِيَّ فَيَسْتَحْيٖ مِنْكُمْ ۖوَاللّٰهُ لَا يَسْتَحْيٖ مِنَ الْحَقِّۗ وَاِذَا سَاَلْتُمُوْهُنَّ مَتَاعًا فَاسْـَٔلُوْهُنَّ مِنْ وَّرَاۤءِ حِجَابٍۗ ذٰلِكُمْ اَطْهَرُ لِقُلُوْبِكُمْ وَقُلُوْبِهِنَّۗ وَمَا كَانَ لَكُمْ اَنْ تُؤْذُوْا رَسُوْلَ اللّٰهِ وَلَآ اَنْ تَنْكِحُوْٓا اَزْوَاجَهٗ مِنْۢ بَعْدِهٖٓ اَبَدًاۗ اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ عِنْدَ اللّٰهِ عَظِيْمًا ٥٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम दाख़िल हो
- tadkhulū
- تَدْخُلُوا۟
- ना तुम दाख़िल हो
- buyūta
- بُيُوتَ
- घरों में
- l-nabiyi
- ٱلنَّبِىِّ
- नबी के
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yu'dhana
- يُؤْذَنَ
- इजाज़त दी जाए
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ खाने के
- ṭaʿāmin
- طَعَامٍ
- तरफ़ खाने के
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- nāẓirīna
- نَٰظِرِينَ
- इन्तिज़ार करने वाले हो
- ināhu
- إِنَىٰهُ
- उसकी तैयारी का
- walākin
- وَلَٰكِنْ
- और लेकिन
- idhā
- إِذَا
- जब
- duʿītum
- دُعِيتُمْ
- बुलाए जाओ तुम
- fa-ud'khulū
- فَٱدْخُلُوا۟
- तो दाख़िल हो जाओ
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- ṭaʿim'tum
- طَعِمْتُمْ
- खाना खालो तुम
- fa-intashirū
- فَٱنتَشِرُوا۟
- तो मुन्तशिर हो जाओ
- walā
- وَلَا
- और ना हो
- mus'tanisīna
- مُسْتَـْٔنِسِينَ
- दिल लगाने वाले
- liḥadīthin
- لِحَدِيثٍۚ
- बातों के लिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये
- kāna
- كَانَ
- है
- yu'dhī
- يُؤْذِى
- ईज़ा देता
- l-nabiya
- ٱلنَّبِىَّ
- नबी को
- fayastaḥyī
- فَيَسْتَحْىِۦ
- तो वो शर्माते हैं
- minkum
- مِنكُمْۖ
- तुम से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं शर्माता
- yastaḥyī
- يَسْتَحْىِۦ
- नहीं शर्माता
- mina
- مِنَ
- हक़ से
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّۚ
- हक़ से
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- sa-altumūhunna
- سَأَلْتُمُوهُنَّ
- सवाल करो तुम उनसे
- matāʿan
- مَتَٰعًا
- किसी चीज़ का
- fasalūhunna
- فَسْـَٔلُوهُنَّ
- तो सवाल करो उनसे
- min
- مِن
- पीछे से
- warāi
- وَرَآءِ
- पीछे से
- ḥijābin
- حِجَابٍۚ
- पर्दे के
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये बात
- aṭharu
- أَطْهَرُ
- ज़्यादा पाकीज़ा है
- liqulūbikum
- لِقُلُوبِكُمْ
- तुम्हारे दिलों के लिए
- waqulūbihinna
- وَقُلُوبِهِنَّۚ
- और उनके दिलों के लिए
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है (मुनासिब)
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- an
- أَن
- कि
- tu'dhū
- تُؤْذُوا۟
- तुम ईज़ा दो
- rasūla
- رَسُولَ
- अल्लाह के रसूल को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रसूल को
- walā
- وَلَآ
- और ना
- an
- أَن
- ये कि
- tankiḥū
- تَنكِحُوٓا۟
- तुम निकाह करो
- azwājahu
- أَزْوَٰجَهُۥ
- उनकी बीवियों से
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦٓ
- बाद इसके
- abadan
- أَبَدًاۚ
- कभी भी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये (बात)
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿinda
- عِندَ
- नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ी
ऐ ईमान लानेवालो! नबी के घरों में प्रवेश न करो, सिवाय इसके कि कभी तुम्हें खाने पर आने की अनुमति दी जाए। वह भी इस तरह कि उसकी (खाना पकने की) तैयारी की प्रतिक्षा में न रहो। अलबत्ता जब तुम्हें बुलाया जाए तो अन्दर जाओ, और जब तुम खा चुको तो उठकर चले जाओ, बातों में लगे न रहो। निश्चय ही यह हरकत नबी को तकलीफ़ देती है। किन्तु उन्हें तुमसे लज्जा आती है। किन्तु अल्लाह सच्ची बात कहने से लज्जा नहीं करता। और जब तुम उनसे कुछ माँगों तो उनसे परदे के पीछे से माँगो। यह अधिक शुद्धता की बात है तुम्हारे दिलों के लिए और उनके दिलों के लिए भी। तुम्हारे लिए वैध नहीं कि तुम अल्लाह के रसूल को तकलीफ़ पहुँचाओ और न यह कि उसके बाद कभी उसकी पत्नियों से विवाह करो। निश्चय ही अल्लाह की दृष्टि में यह बड़ी गम्भीर बात है ([३३] अल-अह्जाब: 53)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تُبْدُوْا شَيْـًٔا اَوْ تُخْفُوْهُ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ٥٤
- in
- إِن
- अगर
- tub'dū
- تُبْدُوا۟
- तुम ज़ाहिर करोगे
- shayan
- شَيْـًٔا
- कोई चीज़
- aw
- أَوْ
- या
- tukh'fūhu
- تُخْفُوهُ
- तुम छुपाओगे उसे
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
तुम चाहे किसी चीज़ को व्यक्त करो या उसे छिपाओ, अल्लाह को तो हर चीज़ का ज्ञान है ([३३] अल-अह्जाब: 54)Tafseer (तफ़सीर )
لَا جُنَاحَ عَلَيْهِنَّ فِيْٓ اٰبَاۤىِٕهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤىِٕهِنَّ وَلَآ اِخْوَانِهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤءِ اِخْوَانِهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤءِ اَخَوٰتِهِنَّ وَلَا نِسَاۤىِٕهِنَّ وَلَا مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُنَّۚ وَاتَّقِيْنَ اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدًا ٥٥
- lā
- لَّا
- नहीं कोई गुनाह
- junāḥa
- جُنَاحَ
- नहीं कोई गुनाह
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन(औरतों)पर
- fī
- فِىٓ
- अपने बापों(के सामने आने)में
- ābāihinna
- ءَابَآئِهِنَّ
- अपने बापों(के सामने आने)में
- walā
- وَلَآ
- और ना
- abnāihinna
- أَبْنَآئِهِنَّ
- अपने बेटों के
- walā
- وَلَآ
- और ना
- ikh'wānihinna
- إِخْوَٰنِهِنَّ
- अपने भाईयों के
- walā
- وَلَآ
- और ना
- abnāi
- أَبْنَآءِ
- बेटों के
- ikh'wānihinna
- إِخْوَٰنِهِنَّ
- अपने भाईयों के
- walā
- وَلَآ
- और ना
- abnāi
- أَبْنَآءِ
- बेटों के
- akhawātihinna
- أَخَوَٰتِهِنَّ
- अपनी बहनों के
- walā
- وَلَا
- और ना
- nisāihinna
- نِسَآئِهِنَّ
- अपनी औरतों के
- walā
- وَلَا
- और ना
- mā
- مَا
- उनके जो
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हैं
- aymānuhunna
- أَيْمَٰنُهُنَّۗ
- दाऐं हाथ उनके
- wa-ittaqīna
- وَٱتَّقِينَ
- और डरती रहो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- shahīdan
- شَهِيدًا
- ख़ूब गवाह
न उनके लिए अपने बापों के सामने होने में कोई दोष है और न अपने बेटों, न अपने भाइयों, न अपने भतीजों, न अपने भांजो, न अपने मेल की स्त्रियों और न जिनपर उन्हें स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो उनके सामने होने में। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही अल्लाह हर चीज़ का साक्षी है ([३३] अल-अह्जाब: 55)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ وَمَلٰۤىِٕكَتَهٗ يُصَلُّوْنَ عَلَى النَّبِيِّۗ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا صَلُّوْا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوْا تَسْلِيْمًا ٥٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- wamalāikatahu
- وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ
- और उसके फ़रिश्ते
- yuṣallūna
- يُصَلُّونَ
- सलात/दरूद भेजते हैं
- ʿalā
- عَلَى
- नबी पर
- l-nabiyi
- ٱلنَّبِىِّۚ
- नबी पर
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- ṣallū
- صَلُّوا۟
- सलात/दरूद भेजो
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- आप पर
- wasallimū
- وَسَلِّمُوا۟
- और सलाम भेजो
- taslīman
- تَسْلِيمًا
- ख़ूब सलाम भेजना
निस्संदेह अल्लाह और उसके फ़रिश्ते नबी पर रहमत भेजते है। ऐ ईमान लानेवालो, तुम भी उसपर रहमत भेजो और ख़ूब सलाम भेजो ([३३] अल-अह्जाब: 56)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ يُؤْذُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ وَاَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا مُّهِيْنًا ٥٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yu'dhūna
- يُؤْذُونَ
- ईज़ा देते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल को
- laʿanahumu
- لَعَنَهُمُ
- लानत की उन पर
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- wal-ākhirati
- وَٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत में
- wa-aʿadda
- وَأَعَدَّ
- और उसने तैयार कर रखा है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- muhīnan
- مُّهِينًا
- रुसवा करने वाला
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल को दुख पहुँचाते है, अल्लाह ने उनपर दुनिया और आख़िरत में लानत की है और उनके लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है ([३३] अल-अह्जाब: 57)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يُؤْذُوْنَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ بِغَيْرِ مَا اكْتَسَبُوْا فَقَدِ احْتَمَلُوْا بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ ٥٨
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yu'dhūna
- يُؤْذُونَ
- ईज़ा देते हैं
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिन मर्दों को
- wal-mu'mināti
- وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- और मोमिन औरतों को
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर( किसी गुनाह के)
- mā
- مَا
- जो
- ik'tasabū
- ٱكْتَسَبُوا۟
- उन्होंने कमाया
- faqadi
- فَقَدِ
- तो तहक़ीक़
- iḥ'tamalū
- ٱحْتَمَلُوا۟
- उन्होंने उठा लिया
- buh'tānan
- بُهْتَٰنًا
- बोहतान
- wa-ith'man
- وَإِثْمًا
- और गुनाह
- mubīnan
- مُّبِينًا
- खुला
और जो लोग ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को, बिना इसके कि उन्होंने कुछ किया हो (आरोप लगाकर), दुख पहुँचाते है, उन्होंने तो बड़े मिथ्यारोपण और प्रत्यक्ष गुनाह का बोझ अपने ऊपर उठा लिया ([३३] अल-अह्जाब: 58)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِّاَزْوَاجِكَ وَبَنٰتِكَ وَنِسَاۤءِ الْمُؤْمِنِيْنَ يُدْنِيْنَ عَلَيْهِنَّ مِنْ جَلَابِيْبِهِنَّۗ ذٰلِكَ اَدْنٰىٓ اَنْ يُّعْرَفْنَ فَلَا يُؤْذَيْنَۗ وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ٥٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- li-azwājika
- لِّأَزْوَٰجِكَ
- अपनी बीवियों से
- wabanātika
- وَبَنَاتِكَ
- और अपनी बेटियों से
- wanisāi
- وَنِسَآءِ
- और औरतों से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों की
- yud'nīna
- يُدْنِينَ
- कि वो लटका लें
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- अपने ऊपर
- min
- مِن
- अपनी चादरों में से
- jalābībihinna
- جَلَٰبِيبِهِنَّۚ
- अपनी चादरों में से
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- adnā
- أَدْنَىٰٓ
- क़रीबतर है
- an
- أَن
- कि
- yuʿ'rafna
- يُعْرَفْنَ
- वो पहचान ली जाऐं
- falā
- فَلَا
- फिर ना
- yu'dhayna
- يُؤْذَيْنَۗ
- वो ईज़ा दी जाऐं
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
ऐ नबी! अपनी पत्नि यों और अपनी बेटियों और ईमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे अपने ऊपर अपनी चादरों का कुछ हिस्सा लटका लिया करें। इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि वे पहचान ली जाएँ और सताई न जाएँ। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([३३] अल-अह्जाब: 59)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَىِٕنْ لَّمْ يَنْتَهِ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْمُرْجِفُوْنَ فِى الْمَدِيْنَةِ لَنُغْرِيَنَّكَ بِهِمْ ثُمَّ لَا يُجَاوِرُوْنَكَ فِيْهَآ اِلَّا قَلِيْلًا ٦٠
- la-in
- لَّئِن
- अलबत्ता अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yantahi
- يَنتَهِ
- बाज़ आए
- l-munāfiqūna
- ٱلْمُنَٰفِقُونَ
- मुनाफ़िक़
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- fī
- فِى
- दिलों में उनके
- qulūbihim
- قُلُوبِهِم
- दिलों में उनके
- maraḍun
- مَّرَضٌ
- मर्ज़ है
- wal-mur'jifūna
- وَٱلْمُرْجِفُونَ
- और झूठी ख़बरें उड़ाने वाले
- fī
- فِى
- मदीने में
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِ
- मदीने में
- lanugh'riyannaka
- لَنُغْرِيَنَّكَ
- अलबत्ता हम ज़रूर मुसल्लत कर देंगे आपको
- bihim
- بِهِمْ
- उन पर
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना वो हमसाए रहेंगे आपके
- yujāwirūnaka
- يُجَاوِرُونَكَ
- ना वो हमसाए रहेंगे आपके
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़ा
यदि कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है और मदीना में खलबली पैदा करनेवाली अफ़वाहें फैलाने से बाज़ न आएँ तो हम तुम्हें उनके विरुद्ध उभार खड़ा करेंगे। फिर वे उसमें तुम्हारे साथ थोड़ा ही रहने पाएँगे, ([३३] अल-अह्जाब: 60)Tafseer (तफ़सीर )