Skip to content

सूरा अल-अह्जाब - Page: 6

Al-Ahzab

(The Clans, The Coalition, The Combined Forces)

५१

۞ تُرْجِيْ مَنْ تَشَاۤءُ مِنْهُنَّ وَتُـْٔوِيْٓ اِلَيْكَ مَنْ تَشَاۤءُۗ وَمَنِ ابْتَغَيْتَ مِمَّنْ عَزَلْتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكَۗ ذٰلِكَ اَدْنٰٓى اَنْ تَقَرَّ اَعْيُنُهُنَّ وَلَا يَحْزَنَّ وَيَرْضَيْنَ بِمَآ اٰتَيْتَهُنَّ كُلُّهُنَّۗ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ مَا فِيْ قُلُوْبِكُمْ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَلِيْمًا ٥١

tur'jī
تُرْجِى
आप दूर रखें
man
مَن
जिसे
tashāu
تَشَآءُ
आप चाहें
min'hunna
مِنْهُنَّ
उनमें से
watu'wī
وَتُـْٔوِىٓ
और आप जगह दें
ilayka
إِلَيْكَ
अपने पास
man
مَن
जिसे
tashāu
تَشَآءُۖ
आप चाहें
wamani
وَمَنِ
और जिसे
ib'taghayta
ٱبْتَغَيْتَ
तलब करें आप
mimman
مِمَّنْ
उनमें से जिसे
ʿazalta
عَزَلْتَ
अलग कर दिया हो आपने
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalayka
عَلَيْكَۚ
आप पर
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
adnā
أَدْنَىٰٓ
क़रीबतर है
an
أَن
कि
taqarra
تَقَرَّ
ठंडी हों
aʿyunuhunna
أَعْيُنُهُنَّ
आँखें उनकी
walā
وَلَا
और ना
yaḥzanna
يَحْزَنَّ
वो ग़मगीन हों
wayarḍayna
وَيَرْضَيْنَ
और वो राज़ी रहें
bimā
بِمَآ
उस पर जो
ātaytahunna
ءَاتَيْتَهُنَّ
दें आप उन्हें
kulluhunna
كُلُّهُنَّۚ
सब की सब
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो
فِى
तुम्हारे दिलों में है
qulūbikum
قُلُوبِكُمْۚ
तुम्हारे दिलों में है
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥalīman
حَلِيمًا
ख़ूब हिल्म वाला
तुम उनमें से जिसे चाहो अपने से अलग रखो और जिसे चाहो अपने पास रखो, और जिनको तुमने अलग रखा हो, उनमें से किसी के इच्छुक हो तो इसमें तुमपर कोई दोष नहीं, इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि उनकी आँखें ठंड़ी रहें और वे शोकाकुल न हों और जो कुछ तुम उन्हें दो उसपर वे राज़ी रहें। अल्लाह जानता है जो कुछ तुम्हारे दिलों में है। अल्लाह सर्वज्ञ, बहुत सहनशील है ([३३] अल-अह्जाब: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

لَا يَحِلُّ لَكَ النِّسَاۤءُ مِنْۢ بَعْدُ وَلَآ اَنْ تَبَدَّلَ بِهِنَّ مِنْ اَزْوَاجٍ وَّلَوْ اَعْجَبَكَ حُسْنُهُنَّ اِلَّا مَا مَلَكَتْ يَمِيْنُكَۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ رَّقِيْبًا ࣖ ٥٢

لَّا
नहीं हलाल
yaḥillu
يَحِلُّ
नहीं हलाल
laka
لَكَ
आपके लिए
l-nisāu
ٱلنِّسَآءُ
औरतें
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdu
بَعْدُ
बाद उसके
walā
وَلَآ
और ना
an
أَن
कि
tabaddala
تَبَدَّلَ
आप बदल लें
bihinna
بِهِنَّ
उनके बदले
min
مِنْ
कोई और बीवियाँ
azwājin
أَزْوَٰجٍ
कोई और बीवियाँ
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
aʿjabaka
أَعْجَبَكَ
पसंद आए आपको
ḥus'nuhunna
حُسْنُهُنَّ
हुसन उनका
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जिनका
malakat
مَلَكَتْ
मालिक है
yamīnuka
يَمِينُكَۗ
दायाँ हाथ आपका
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
raqīban
رَّقِيبًا
ख़ूब निगरान
इसके पश्चात तुम्हारे लिए दूसरी स्त्रियाँ वैध नहीं और न यह कि तुम उनकी जगह दूसरी पत्नियों ले आओ, यद्यपि उनका सौन्दर्य तुम्हें कितना ही भाए। उनकी बात औऱ है जो तुम्हारी लौंडियाँ हो। वास्तव में अल्लाह की स्पष्ट हर चीज़ पर है ([३३] अल-अह्जाब: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُيُوْتَ النَّبِيِّ اِلَّآ اَنْ يُّؤْذَنَ لَكُمْ اِلٰى طَعَامٍ غَيْرَ نٰظِرِيْنَ اِنٰىهُ وَلٰكِنْ اِذَا دُعِيْتُمْ فَادْخُلُوْا فَاِذَا طَعِمْتُمْ فَانْتَشِرُوْا وَلَا مُسْتَأْنِسِيْنَ لِحَدِيْثٍۗ اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ يُؤْذِى النَّبِيَّ فَيَسْتَحْيٖ مِنْكُمْ ۖوَاللّٰهُ لَا يَسْتَحْيٖ مِنَ الْحَقِّۗ وَاِذَا سَاَلْتُمُوْهُنَّ مَتَاعًا فَاسْـَٔلُوْهُنَّ مِنْ وَّرَاۤءِ حِجَابٍۗ ذٰلِكُمْ اَطْهَرُ لِقُلُوْبِكُمْ وَقُلُوْبِهِنَّۗ وَمَا كَانَ لَكُمْ اَنْ تُؤْذُوْا رَسُوْلَ اللّٰهِ وَلَآ اَنْ تَنْكِحُوْٓا اَزْوَاجَهٗ مِنْۢ بَعْدِهٖٓ اَبَدًاۗ اِنَّ ذٰلِكُمْ كَانَ عِنْدَ اللّٰهِ عَظِيْمًا ٥٣

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम दाख़िल हो
tadkhulū
تَدْخُلُوا۟
ना तुम दाख़िल हो
buyūta
بُيُوتَ
घरों में
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّ
नबी के
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yu'dhana
يُؤْذَنَ
इजाज़त दी जाए
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ खाने के
ṭaʿāmin
طَعَامٍ
तरफ़ खाने के
ghayra
غَيْرَ
ना
nāẓirīna
نَٰظِرِينَ
इन्तिज़ार करने वाले हो
ināhu
إِنَىٰهُ
उसकी तैयारी का
walākin
وَلَٰكِنْ
और लेकिन
idhā
إِذَا
जब
duʿītum
دُعِيتُمْ
बुलाए जाओ तुम
fa-ud'khulū
فَٱدْخُلُوا۟
तो दाख़िल हो जाओ
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
ṭaʿim'tum
طَعِمْتُمْ
खाना खालो तुम
fa-intashirū
فَٱنتَشِرُوا۟
तो मुन्तशिर हो जाओ
walā
وَلَا
और ना हो
mus'tanisīna
مُسْتَـْٔنِسِينَ
दिल लगाने वाले
liḥadīthin
لِحَدِيثٍۚ
बातों के लिए
inna
إِنَّ
बेशक
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये
kāna
كَانَ
है
yu'dhī
يُؤْذِى
ईज़ा देता
l-nabiya
ٱلنَّبِىَّ
नबी को
fayastaḥyī
فَيَسْتَحْىِۦ
तो वो शर्माते हैं
minkum
مِنكُمْۖ
तुम से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं शर्माता
yastaḥyī
يَسْتَحْىِۦ
नहीं शर्माता
mina
مِنَ
हक़ से
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّۚ
हक़ से
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
sa-altumūhunna
سَأَلْتُمُوهُنَّ
सवाल करो तुम उनसे
matāʿan
مَتَٰعًا
किसी चीज़ का
fasalūhunna
فَسْـَٔلُوهُنَّ
तो सवाल करो उनसे
min
مِن
पीछे से
warāi
وَرَآءِ
पीछे से
ḥijābin
حِجَابٍۚ
पर्दे के
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये बात
aṭharu
أَطْهَرُ
ज़्यादा पाकीज़ा है
liqulūbikum
لِقُلُوبِكُمْ
तुम्हारे दिलों के लिए
waqulūbihinna
وَقُلُوبِهِنَّۚ
और उनके दिलों के लिए
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है (मुनासिब)
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
an
أَن
कि
tu'dhū
تُؤْذُوا۟
तुम ईज़ा दो
rasūla
رَسُولَ
अल्लाह के रसूल को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रसूल को
walā
وَلَآ
और ना
an
أَن
ये कि
tankiḥū
تَنكِحُوٓا۟
तुम निकाह करो
azwājahu
أَزْوَٰجَهُۥ
उनकी बीवियों से
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdihi
بَعْدِهِۦٓ
बाद इसके
abadan
أَبَدًاۚ
कभी भी
inna
إِنَّ
बेशक
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये (बात)
kāna
كَانَ
है
ʿinda
عِندَ
नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ी
ऐ ईमान लानेवालो! नबी के घरों में प्रवेश न करो, सिवाय इसके कि कभी तुम्हें खाने पर आने की अनुमति दी जाए। वह भी इस तरह कि उसकी (खाना पकने की) तैयारी की प्रतिक्षा में न रहो। अलबत्ता जब तुम्हें बुलाया जाए तो अन्दर जाओ, और जब तुम खा चुको तो उठकर चले जाओ, बातों में लगे न रहो। निश्चय ही यह हरकत नबी को तकलीफ़ देती है। किन्तु उन्हें तुमसे लज्जा आती है। किन्तु अल्लाह सच्ची बात कहने से लज्जा नहीं करता। और जब तुम उनसे कुछ माँगों तो उनसे परदे के पीछे से माँगो। यह अधिक शुद्धता की बात है तुम्हारे दिलों के लिए और उनके दिलों के लिए भी। तुम्हारे लिए वैध नहीं कि तुम अल्लाह के रसूल को तकलीफ़ पहुँचाओ और न यह कि उसके बाद कभी उसकी पत्नियों से विवाह करो। निश्चय ही अल्लाह की दृष्टि में यह बड़ी गम्भीर बात है ([३३] अल-अह्जाब: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

اِنْ تُبْدُوْا شَيْـًٔا اَوْ تُخْفُوْهُ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ٥٤

in
إِن
अगर
tub'dū
تُبْدُوا۟
तुम ज़ाहिर करोगे
shayan
شَيْـًٔا
कोई चीज़
aw
أَوْ
या
tukh'fūhu
تُخْفُوهُ
तुम छुपाओगे उसे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
तुम चाहे किसी चीज़ को व्यक्त करो या उसे छिपाओ, अल्लाह को तो हर चीज़ का ज्ञान है ([३३] अल-अह्जाब: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

لَا جُنَاحَ عَلَيْهِنَّ فِيْٓ اٰبَاۤىِٕهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤىِٕهِنَّ وَلَآ اِخْوَانِهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤءِ اِخْوَانِهِنَّ وَلَآ اَبْنَاۤءِ اَخَوٰتِهِنَّ وَلَا نِسَاۤىِٕهِنَّ وَلَا مَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُنَّۚ وَاتَّقِيْنَ اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدًا ٥٥

لَّا
नहीं कोई गुनाह
junāḥa
جُنَاحَ
नहीं कोई गुनाह
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
उन(औरतों)पर
فِىٓ
अपने बापों(के सामने आने)में
ābāihinna
ءَابَآئِهِنَّ
अपने बापों(के सामने आने)में
walā
وَلَآ
और ना
abnāihinna
أَبْنَآئِهِنَّ
अपने बेटों के
walā
وَلَآ
और ना
ikh'wānihinna
إِخْوَٰنِهِنَّ
अपने भाईयों के
walā
وَلَآ
और ना
abnāi
أَبْنَآءِ
बेटों के
ikh'wānihinna
إِخْوَٰنِهِنَّ
अपने भाईयों के
walā
وَلَآ
और ना
abnāi
أَبْنَآءِ
बेटों के
akhawātihinna
أَخَوَٰتِهِنَّ
अपनी बहनों के
walā
وَلَا
और ना
nisāihinna
نِسَآئِهِنَّ
अपनी औरतों के
walā
وَلَا
और ना
مَا
उनके जो
malakat
مَلَكَتْ
मालिक हैं
aymānuhunna
أَيْمَٰنُهُنَّۗ
दाऐं हाथ उनके
wa-ittaqīna
وَٱتَّقِينَ
और डरती रहो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
shahīdan
شَهِيدًا
ख़ूब गवाह
न उनके लिए अपने बापों के सामने होने में कोई दोष है और न अपने बेटों, न अपने भाइयों, न अपने भतीजों, न अपने भांजो, न अपने मेल की स्त्रियों और न जिनपर उन्हें स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो उनके सामने होने में। अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही अल्लाह हर चीज़ का साक्षी है ([३३] अल-अह्जाब: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

اِنَّ اللّٰهَ وَمَلٰۤىِٕكَتَهٗ يُصَلُّوْنَ عَلَى النَّبِيِّۗ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا صَلُّوْا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوْا تَسْلِيْمًا ٥٦

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
wamalāikatahu
وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ
और उसके फ़रिश्ते
yuṣallūna
يُصَلُّونَ
सलात/दरूद भेजते हैं
ʿalā
عَلَى
नबी पर
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّۚ
नबी पर
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ṣallū
صَلُّوا۟
सलात/दरूद भेजो
ʿalayhi
عَلَيْهِ
आप पर
wasallimū
وَسَلِّمُوا۟
और सलाम भेजो
taslīman
تَسْلِيمًا
ख़ूब सलाम भेजना
निस्संदेह अल्लाह और उसके फ़रिश्ते नबी पर रहमत भेजते है। ऐ ईमान लानेवालो, तुम भी उसपर रहमत भेजो और ख़ूब सलाम भेजो ([३३] अल-अह्जाब: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

اِنَّ الَّذِيْنَ يُؤْذُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ وَاَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا مُّهِيْنًا ٥٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yu'dhūna
يُؤْذُونَ
ईज़ा देते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल को
laʿanahumu
لَعَنَهُمُ
लानत की उन पर
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
wal-ākhirati
وَٱلْءَاخِرَةِ
और आख़िरत में
wa-aʿadda
وَأَعَدَّ
और उसने तैयार कर रखा है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
muhīnan
مُّهِينًا
रुसवा करने वाला
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल को दुख पहुँचाते है, अल्लाह ने उनपर दुनिया और आख़िरत में लानत की है और उनके लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है ([३३] अल-अह्जाब: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَالَّذِيْنَ يُؤْذُوْنَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ بِغَيْرِ مَا اكْتَسَبُوْا فَقَدِ احْتَمَلُوْا بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ ٥٨

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
yu'dhūna
يُؤْذُونَ
ईज़ा देते हैं
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों को
wal-mu'mināti
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर( किसी गुनाह के)
مَا
जो
ik'tasabū
ٱكْتَسَبُوا۟
उन्होंने कमाया
faqadi
فَقَدِ
तो तहक़ीक़
iḥ'tamalū
ٱحْتَمَلُوا۟
उन्होंने उठा लिया
buh'tānan
بُهْتَٰنًا
बोहतान
wa-ith'man
وَإِثْمًا
और गुनाह
mubīnan
مُّبِينًا
खुला
और जो लोग ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को, बिना इसके कि उन्होंने कुछ किया हो (आरोप लगाकर), दुख पहुँचाते है, उन्होंने तो बड़े मिथ्यारोपण और प्रत्यक्ष गुनाह का बोझ अपने ऊपर उठा लिया ([३३] अल-अह्जाब: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِّاَزْوَاجِكَ وَبَنٰتِكَ وَنِسَاۤءِ الْمُؤْمِنِيْنَ يُدْنِيْنَ عَلَيْهِنَّ مِنْ جَلَابِيْبِهِنَّۗ ذٰلِكَ اَدْنٰىٓ اَنْ يُّعْرَفْنَ فَلَا يُؤْذَيْنَۗ وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ٥٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
l-nabiyu
ٱلنَّبِىُّ
नबी
qul
قُل
कह दीजिए
li-azwājika
لِّأَزْوَٰجِكَ
अपनी बीवियों से
wabanātika
وَبَنَاتِكَ
और अपनी बेटियों से
wanisāi
وَنِسَآءِ
और औरतों से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों की
yud'nīna
يُدْنِينَ
कि वो लटका लें
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
अपने ऊपर
min
مِن
अपनी चादरों में से
jalābībihinna
جَلَٰبِيبِهِنَّۚ
अपनी चादरों में से
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
adnā
أَدْنَىٰٓ
क़रीबतर है
an
أَن
कि
yuʿ'rafna
يُعْرَفْنَ
वो पहचान ली जाऐं
falā
فَلَا
फिर ना
yu'dhayna
يُؤْذَيْنَۗ
वो ईज़ा दी जाऐं
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
ऐ नबी! अपनी पत्नि यों और अपनी बेटियों और ईमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे अपने ऊपर अपनी चादरों का कुछ हिस्सा लटका लिया करें। इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि वे पहचान ली जाएँ और सताई न जाएँ। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([३३] अल-अह्जाब: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

۞ لَىِٕنْ لَّمْ يَنْتَهِ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْمُرْجِفُوْنَ فِى الْمَدِيْنَةِ لَنُغْرِيَنَّكَ بِهِمْ ثُمَّ لَا يُجَاوِرُوْنَكَ فِيْهَآ اِلَّا قَلِيْلًا ٦٠

la-in
لَّئِن
अलबत्ता अगर
lam
لَّمْ
ना
yantahi
يَنتَهِ
बाज़ आए
l-munāfiqūna
ٱلْمُنَٰفِقُونَ
मुनाफ़िक़
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
فِى
दिलों में उनके
qulūbihim
قُلُوبِهِم
दिलों में उनके
maraḍun
مَّرَضٌ
मर्ज़ है
wal-mur'jifūna
وَٱلْمُرْجِفُونَ
और झूठी ख़बरें उड़ाने वाले
فِى
मदीने में
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِ
मदीने में
lanugh'riyannaka
لَنُغْرِيَنَّكَ
अलबत्ता हम ज़रूर मुसल्लत कर देंगे आपको
bihim
بِهِمْ
उन पर
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना वो हमसाए रहेंगे आपके
yujāwirūnaka
يُجَاوِرُونَكَ
ना वो हमसाए रहेंगे आपके
fīhā
فِيهَآ
उसमें
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़ा
यदि कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है और मदीना में खलबली पैदा करनेवाली अफ़वाहें फैलाने से बाज़ न आएँ तो हम तुम्हें उनके विरुद्ध उभार खड़ा करेंगे। फिर वे उसमें तुम्हारे साथ थोड़ा ही रहने पाएँगे, ([३३] अल-अह्जाब: 60)
Tafseer (तफ़सीर )