يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اذْكُرُوا اللّٰهَ ذِكْرًا كَثِيْرًاۙ ٤١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- जो ईमान लाए हो
- udh'kurū
- ٱذْكُرُوا۟
- ज़िक्र करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह का
- dhik'ran
- ذِكْرًا
- ज़िक्र करना
- kathīran
- كَثِيرًا
- कसरत से
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह को अधिक याद करो ([३३] अल-अह्जाब: 41)Tafseer (तफ़सीर )
وَّسَبِّحُوْهُ بُكْرَةً وَّاَصِيْلًا ٤٢
- wasabbiḥūhu
- وَسَبِّحُوهُ
- और तस्बीह करो उसकी
- buk'ratan
- بُكْرَةً
- सुबह
- wa-aṣīlan
- وَأَصِيلًا
- और शाम
और प्रातःकाल और सन्ध्या समय उसकी तसबीह करते रहो - ([३३] अल-अह्जाब: 42)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ يُصَلِّيْ عَلَيْكُمْ وَمَلٰۤىِٕكَتُهٗ لِيُخْرِجَكُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِۗ وَكَانَ بِالْمُؤْمِنِيْنَ رَحِيْمًا ٤٣
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yuṣallī
- يُصَلِّى
- रहमत भेजता है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wamalāikatuhu
- وَمَلَٰٓئِكَتُهُۥ
- और उसके फ़रिश्ते(दुआ करते हैं)
- liyukh'rijakum
- لِيُخْرِجَكُم
- ताकि वो निकाले तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- अंधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अंधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रौशनी के
- l-nūri
- ٱلنُّورِۚ
- तरफ़ रौशनी के
- wakāna
- وَكَانَ
- और है वो
- bil-mu'minīna
- بِٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों पर
- raḥīman
- رَحِيمًا
- ख़ूब रहम फ़रमाने वाला
वही है जो तुमपर रहमत भेजता है और उसके फ़रिश्ते भी (दुआएँ करते है) - ताकि वह तुम्हें अँधरों से प्रकाश की ओर निकाल लाए। वास्तव में, वह ईमानवालों पर बहुत दयालु है ([३३] अल-अह्जाब: 43)Tafseer (तफ़सीर )
تَحِيَّتُهُمْ يَوْمَ يَلْقَوْنَهٗ سَلٰمٌ ۚوَاَعَدَّ لَهُمْ اَجْرًا كَرِيْمًا ٤٤
- taḥiyyatuhum
- تَحِيَّتُهُمْ
- उनकी दुआ होगी
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yalqawnahu
- يَلْقَوْنَهُۥ
- वो मिलेंगे उससे
- salāmun
- سَلَٰمٌۚ
- सलाम
- wa-aʿadda
- وَأَعَدَّ
- और उसने तैयार कर रखा है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ajran
- أَجْرًا
- अजर
- karīman
- كَرِيمًا
- उम्दा/बाइज़्ज़त
जिस दिन वे उससे मिलेंगे उनका अभिवादन होगा, सलाम और उनके लिए प्रतिष्ठामय प्रदान तैयार कर रखा है ([३३] अल-अह्जाब: 44)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ شَاهِدًا وَّمُبَشِّرًا وَّنَذِيْرًاۙ ٤٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- arsalnāka
- أَرْسَلْنَٰكَ
- भेजा हमने आपको
- shāhidan
- شَٰهِدًا
- गवाही देने वाला
- wamubashiran
- وَمُبَشِّرًا
- और ख़ुशख़बरी देने वाला
- wanadhīran
- وَنَذِيرًا
- और डराने वाला (बना कर)
ऐ नबी! हमने तुमको साक्षी और शुभ सूचना देनेवाला और सचेल करनेवाला बनाकर भेजा है; ([३३] अल-अह्जाब: 45)Tafseer (तफ़सीर )
وَّدَاعِيًا اِلَى اللّٰهِ بِاِذْنِهٖ وَسِرَاجًا مُّنِيْرًا ٤٦
- wadāʿiyan
- وَدَاعِيًا
- और दावत देने वाला
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह के
- bi-idh'nihi
- بِإِذْنِهِۦ
- उसके इज़न से
- wasirājan
- وَسِرَاجًا
- और चिराग़
- munīran
- مُّنِيرًا
- रौशन
और अल्लाह की अनुज्ञा से उसकी ओर बुलानेवाला और प्रकाशमान प्रदीप बनाकर ([३३] अल-अह्जाब: 46)Tafseer (तफ़सीर )
وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ بِاَنَّ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَضْلًا كَبِيْرًا ٤٧
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
- bi-anna
- بِأَنَّ
- कि बेशक
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से है
- faḍlan
- فَضْلًا
- फ़ज़ल
- kabīran
- كَبِيرًا
- बहुत बड़ा
ईमानवालों को शुभ सूचना दे दो कि उनके लिए अल्लाह को ओर से बहुत बड़ा उदार अनुग्रह है ([३३] अल-अह्जाब: 47)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِيْنَ وَالْمُنٰفِقِيْنَ وَدَعْ اَذٰىهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ وَكِيْلًا ٤٨
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuṭiʿi
- تُطِعِ
- आप इताअत कीजिए
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों की
- wal-munāfiqīna
- وَٱلْمُنَٰفِقِينَ
- और मुनाफ़िक़ों की
- wadaʿ
- وَدَعْ
- और नज़र अंदाज़ कर दीजिए
- adhāhum
- أَذَىٰهُمْ
- उनकी अज़ियत रसानी को
- watawakkal
- وَتَوَكَّلْ
- और तवक्कल कीजिए
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह पर
- wakafā
- وَكَفَىٰ
- और काफ़ी है
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह
- wakīlan
- وَكِيلًا
- कारसाज़
और इनकार करनेवालों और कपटाचारियों के कहने में न आना। उनकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ का ख़याल न करो। और अल्लाह पर भरोसा रखो। अल्लाह इसके लिए काफ़ी है कि अपने मामले में उसपर भरोसा किया जाए ([३३] अल-अह्जाब: 48)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا نَكَحْتُمُ الْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ فَمَا لَكُمْ عَلَيْهِنَّ مِنْ عِدَّةٍ تَعْتَدُّوْنَهَاۚ فَمَتِّعُوْهُنَّ وَسَرِّحُوْهُنَّ سَرَاحًا جَمِيْلًا ٤٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- idhā
- إِذَا
- जब
- nakaḥtumu
- نَكَحْتُمُ
- निकाह करो तुम
- l-mu'mināti
- ٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- मोमिन औरतों से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ṭallaqtumūhunna
- طَلَّقْتُمُوهُنَّ
- तलाक़ दे दो तुम उन्हें
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- tamassūhunna
- تَمَسُّوهُنَّ
- तुम छुओ उन्हें
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन पर
- min
- مِنْ
- कोई इद्दत
- ʿiddatin
- عِدَّةٍ
- कोई इद्दत
- taʿtaddūnahā
- تَعْتَدُّونَهَاۖ
- तुम शुमार करो उसे
- famattiʿūhunna
- فَمَتِّعُوهُنَّ
- तो कुछ फ़ायदा दो उन्हें
- wasarriḥūhunna
- وَسَرِّحُوهُنَّ
- और रुख़्सत करो उन्हें
- sarāḥan
- سَرَاحًا
- रुख़्सत करना
- jamīlan
- جَمِيلًا
- भले तरीक़े से
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम ईमान लानेवाली स्त्रियों से विवाह करो और फिर उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो तो तुम्हारे लिए उनपर कोई इद्दत नहीं, जिसकी तुम गिनती करो। अतः उन्हें कुछ सामान दे दो और भली रीति से विदा कर दो ([३३] अल-अह्जाब: 49)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ اِنَّآ اَحْلَلْنَا لَكَ اَزْوَاجَكَ الّٰتِيْٓ اٰتَيْتَ اُجُوْرَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِيْنُكَ مِمَّآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلَيْكَ وَبَنٰتِ عَمِّكَ وَبَنٰتِ عَمّٰتِكَ وَبَنٰتِ خَالِكَ وَبَنٰتِ خٰلٰتِكَ الّٰتِيْ هَاجَرْنَ مَعَكَۗ وَامْرَاَةً مُّؤْمِنَةً اِنْ وَّهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ اِنْ اَرَادَ النَّبِيُّ اَنْ يَّسْتَنْكِحَهَا خَالِصَةً لَّكَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِيْنَۗ قَدْ عَلِمْنَا مَا فَرَضْنَا عَلَيْهِمْ فِيْٓ اَزْوَاجِهِمْ وَمَا مَلَكَتْ اَيْمَانُهُمْ لِكَيْلَا يَكُوْنَ عَلَيْكَ حَرَجٌۗ وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ٥٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- aḥlalnā
- أَحْلَلْنَا
- हलाल कर दीं हमने
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- azwājaka
- أَزْوَٰجَكَ
- बीवियाँ आपकी
- allātī
- ٱلَّٰتِىٓ
- वो जिन्हें
- ātayta
- ءَاتَيْتَ
- दिए आपने
- ujūrahunna
- أُجُورَهُنَّ
- महर उनके
- wamā
- وَمَا
- और जिनका
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक है
- yamīnuka
- يَمِينُكَ
- दायाँ हाथ आपका
- mimmā
- مِمَّآ
- उसमें से जो
- afāa
- أَفَآءَ
- लौटाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- wabanāti
- وَبَنَاتِ
- और बेटियाँ
- ʿammika
- عَمِّكَ
- आपके चचा की
- wabanāti
- وَبَنَاتِ
- और बेटियाँ
- ʿammātika
- عَمَّٰتِكَ
- आपकी फ़ूफ़ीयों की
- wabanāti
- وَبَنَاتِ
- और बेटियाँ
- khālika
- خَالِكَ
- आपके मामूं की
- wabanāti
- وَبَنَاتِ
- और बेटियाँ
- khālātika
- خَٰلَٰتِكَ
- आपकी ख़ालाओं की
- allātī
- ٱلَّٰتِى
- वो जिन्होंने
- hājarna
- هَاجَرْنَ
- हिजरत की
- maʿaka
- مَعَكَ
- आपके साथ
- wa-im'ra-atan
- وَٱمْرَأَةً
- और कोई औरत
- mu'minatan
- مُّؤْمِنَةً
- मोमिना
- in
- إِن
- अगर
- wahabat
- وَهَبَتْ
- वो हिबा कर दे
- nafsahā
- نَفْسَهَا
- अपने नफ़्स को
- lilnnabiyyi
- لِلنَّبِىِّ
- नबी के लिए
- in
- إِنْ
- अगर
- arāda
- أَرَادَ
- इरादा करें
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- an
- أَن
- कि
- yastankiḥahā
- يَسْتَنكِحَهَا
- वो निकाह करें उससे
- khāliṣatan
- خَالِصَةً
- ख़ास है
- laka
- لَّكَ
- आपके लिए
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَۗ
- मोमिनें के
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ʿalim'nā
- عَلِمْنَا
- जान लिया हमने
- mā
- مَا
- जो
- faraḍnā
- فَرَضْنَا
- फ़र्ज़ किया हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- fī
- فِىٓ
- उनकी बीवियों के मामले में
- azwājihim
- أَزْوَٰجِهِمْ
- उनकी बीवियों के मामले में
- wamā
- وَمَا
- और जिनके
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हैं
- aymānuhum
- أَيْمَٰنُهُمْ
- दाऐं हाथ उनके
- likaylā
- لِكَيْلَا
- ताकि ना
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- ḥarajun
- حَرَجٌۗ
- कोई तंगी
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
ऐ नबी! हमने तुम्हारे लिए तुम्हारी वे पत्नियों वैध कर दी है जिनके मह्रक तुम दे चुके हो, और उन स्त्रियों को भी जो तुम्हारी मिल्कियत में आई, जिन्हें अल्लाह ने ग़नीमत के रूप में तुम्हें दी और तुम्हारी चचा की बेटियाँ और तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ और तुम्हारे मामुओं की बेटियाँ और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की है और वह ईमानवाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए दे दे, यदि नबी उससे विवाह करना चाहे। ईमानवालों से हटकर यह केवल तुम्हारे ही लिए है, हमें मालूम है जो कुछ हमने उनकी पत्ऩियों और उनकी लौड़ियों के बारे में उनपर अनिवार्य किया है - ताकि तुमपर कोई तंगी न रहे। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है ([३३] अल-अह्जाब: 50)Tafseer (तफ़सीर )