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सूरा अल-अह्जाब - Page: 4

Al-Ahzab

(The Clans, The Coalition, The Combined Forces)

३१

۞ وَمَنْ يَّقْنُتْ مِنْكُنَّ لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتَعْمَلْ صَالِحًا نُّؤْتِهَآ اَجْرَهَا مَرَّتَيْنِۙ وَاَعْتَدْنَا لَهَا رِزْقًا كَرِيْمًا ٣١

waman
وَمَن
और जो कोई
yaqnut
يَقْنُتْ
इताअत करेगी
minkunna
مِنكُنَّ
तुम में से
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह की
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल की
wataʿmal
وَتَعْمَلْ
और वो अमल करेगी
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
nu'tihā
نُّؤْتِهَآ
हम देंगे उसे
ajrahā
أَجْرَهَا
अजर उसका
marratayni
مَرَّتَيْنِ
दो बार
wa-aʿtadnā
وَأَعْتَدْنَا
और तैयार कर रखा है हमने
lahā
لَهَا
उसके लिए
riz'qan
رِزْقًا
रिज़्क़
karīman
كَرِيمًا
बाइज़्ज़त /उमदा
किन्तु तुममें से जो अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठापूर्वक आज्ञाकारिता की नीति अपनाए और अच्छा कर्म करे, उसे हम दोहरा प्रतिदान प्रदान करेंगे और उसके लिए हमने सम्मानपूर्ण आजीविका तैयार कर रखी है ([३३] अल-अह्जाब: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

يٰنِسَاۤءَ النَّبِيِّ لَسْتُنَّ كَاَحَدٍ مِّنَ النِّسَاۤءِ اِنِ اتَّقَيْتُنَّ فَلَا تَخْضَعْنَ بِالْقَوْلِ فَيَطْمَعَ الَّذِيْ فِيْ قَلْبِهٖ مَرَضٌ وَّقُلْنَ قَوْلًا مَّعْرُوْفًاۚ ٣٢

yānisāa
يَٰنِسَآءَ
ऐ नबी की बीवियो
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّ
ऐ नबी की बीवियो
lastunna
لَسْتُنَّ
नहीं हो तुम
ka-aḥadin
كَأَحَدٍ
किसी एक की तरह
mina
مِّنَ
औरतों में से
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِۚ
औरतों में से
ini
إِنِ
अगर
ittaqaytunna
ٱتَّقَيْتُنَّ
तुम तक़वा इख़्तियार करो
falā
فَلَا
तो ना
takhḍaʿna
تَخْضَعْنَ
तुम लोच पैदा करना
bil-qawli
بِٱلْقَوْلِ
बात में
fayaṭmaʿa
فَيَطْمَعَ
वरना तमअ करेगा
alladhī
ٱلَّذِى
वो शख़्स
فِى
जिसके दिल में
qalbihi
قَلْبِهِۦ
जिसके दिल में
maraḍun
مَرَضٌ
मर्ज़ है
waqul'na
وَقُلْنَ
और कहो
qawlan
قَوْلًا
बात
maʿrūfan
مَّعْرُوفًا
भली/मारूफ़
ऐ नबी की स्त्रियों! तुम सामान्य स्त्रियों में से किसी की तरह नहीं हो, यदि तुम अल्लाह का डर रखो। अतः तुम्हारी बातों में लोच न हो कि वह व्यक्ति जिसके दिल में रोग है, वह लालच में पड़ जाए। तुम सामान्य रूप से बात करो ([३३] अल-अह्जाब: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَقَرْنَ فِيْ بُيُوْتِكُنَّ وَلَا تَبَرَّجْنَ تَبَرُّجَ الْجَاهِلِيَّةِ الْاُوْلٰى وَاَقِمْنَ الصَّلٰوةَ وَاٰتِيْنَ الزَّكٰوةَ وَاَطِعْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗاِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ اَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيْرًاۚ ٣٣

waqarna
وَقَرْنَ
और क़रार पकड़ो
فِى
अपने घरों में
buyūtikunna
بُيُوتِكُنَّ
अपने घरों में
walā
وَلَا
और ना
tabarrajna
تَبَرَّجْنَ
तुम इज़हारे ज़ीनत करो
tabarruja
تَبَرُّجَ
इज़हारे ज़ीनत
l-jāhiliyati
ٱلْجَٰهِلِيَّةِ
जाहिलियत
l-ūlā
ٱلْأُولَىٰۖ
पहली का
wa-aqim'na
وَأَقِمْنَ
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātīna
وَءَاتِينَ
और अदा करो
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
wa-aṭiʿ'na
وَأَطِعْنَ
और इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥٓۚ
और उसके रसूल की
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyudh'hiba
لِيُذْهِبَ
कि वो ले जाए
ʿankumu
عَنكُمُ
तुम से
l-rij'sa
ٱلرِّجْسَ
नापाकी को
ahla
أَهْلَ
ऐ अहले बैत
l-bayti
ٱلْبَيْتِ
ऐ अहले बैत
wayuṭahhirakum
وَيُطَهِّرَكُمْ
और वो पाक कर दे तुम्हें
taṭhīran
تَطْهِيرًا
ख़ूब पाक करना
अपने घरों में टिककर रहो और विगत अज्ञानकाल की-सी सज-धज न दिखाती फिरना। नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो। और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। अल्लाह तो बस यही चाहता है कि ऐ नबी के घरवालो, तुमसे गन्दगी को दूर रखे और तुम्हें तरह पाक-साफ़ रखे ([३३] अल-अह्जाब: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَاذْكُرْنَ مَا يُتْلٰى فِيْ بُيُوْتِكُنَّ مِنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ وَالْحِكْمَةِۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ لَطِيْفًا خَبِيْرًا ࣖ ٣٤

wa-udh'kur'na
وَٱذْكُرْنَ
और याद रखो
مَا
उसको जो
yut'lā
يُتْلَىٰ
पढ़ा जाता है
فِى
तुम्हारे घरों में
buyūtikunna
بُيُوتِكُنَّ
तुम्हारे घरों में
min
مِنْ
आयात में से
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात में से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wal-ḥik'mati
وَٱلْحِكْمَةِۚ
और हिकमत में से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
laṭīfan
لَطِيفًا
बहुत बारीक बीन
khabīran
خَبِيرًا
ख़ूब बाख़बर
तुम्हारे घरों में अल्लाह की जो आयतें और तत्वदर्शिता की बातें सुनाई जाती है उनकी चर्चा करती रहो। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, खबर रखनेवाला है ([३३] अल-अह्जाब: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اِنَّ الْمُسْلِمِيْنَ وَالْمُسْلِمٰتِ وَالْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ وَالْقٰنِتِيْنَ وَالْقٰنِتٰتِ وَالصّٰدِقِيْنَ وَالصّٰدِقٰتِ وَالصّٰبِرِيْنَ وَالصّٰبِرٰتِ وَالْخٰشِعِيْنَ وَالْخٰشِعٰتِ وَالْمُتَصَدِّقِيْنَ وَالْمُتَصَدِّقٰتِ وَالصَّاۤىِٕمِيْنَ وَالصّٰۤىِٕمٰتِ وَالْحٰفِظِيْنَ فُرُوْجَهُمْ وَالْحٰفِظٰتِ وَالذَّاكِرِيْنَ اللّٰهَ كَثِيْرًا وَّالذَّاكِرٰتِ اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمْ مَّغْفِرَةً وَّاَجْرًا عَظِيْمًا ٣٥

inna
إِنَّ
बेशक
l-mus'limīna
ٱلْمُسْلِمِينَ
मुसलमान मर्द
wal-mus'limāti
وَٱلْمُسْلِمَٰتِ
और मुसलमान औरतें
wal-mu'minīna
وَٱلْمُؤْمِنِينَ
और मोमिन मर्द
wal-mu'mināti
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतें
wal-qānitīna
وَٱلْقَٰنِتِينَ
और फ़रमाबरदार मर्द
wal-qānitāti
وَٱلْقَٰنِتَٰتِ
और फ़रमाबरदार औरतें
wal-ṣādiqīna
وَٱلصَّٰدِقِينَ
और सच्चे मर्द
wal-ṣādiqāti
وَٱلصَّٰدِقَٰتِ
और सच्ची औरतें
wal-ṣābirīna
وَٱلصَّٰبِرِينَ
और सब्र करने वाले मर्द
wal-ṣābirāti
وَٱلصَّٰبِرَٰتِ
और सब्र करने वाली औरतें
wal-khāshiʿīna
وَٱلْخَٰشِعِينَ
और ख़ुशूअ करने वाले मर्द
wal-khāshiʿāti
وَٱلْخَٰشِعَٰتِ
और ख़ुशूअ करने वाली औरतें
wal-mutaṣadiqīna
وَٱلْمُتَصَدِّقِينَ
और सदक़ा देने वाले मर्द
wal-mutaṣadiqāti
وَٱلْمُتَصَدِّقَٰتِ
और सदक़ा देने वाली औरतें
wal-ṣāimīna
وَٱلصَّٰٓئِمِينَ
और रोज़ा रखने वाले मर्द
wal-ṣāimāti
وَٱلصَّٰٓئِمَٰتِ
और रोज़ा रखने वाली औरतें
wal-ḥāfiẓīna
وَٱلْحَٰفِظِينَ
और हिफ़ाज़त करने वाले मर्द
furūjahum
فُرُوجَهُمْ
अपनी शर्म गाहों की
wal-ḥāfiẓāti
وَٱلْحَٰفِظَٰتِ
और हिफ़ाज़त करने वाली औरतें
wal-dhākirīna
وَٱلذَّٰكِرِينَ
और ज़िक्र करने वाले मर्द
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह का
kathīran
كَثِيرًا
बहुत ज़्यादा
wal-dhākirāti
وَٱلذَّٰكِرَٰتِ
और ज़िक्र करने वाली औरतें
aʿadda
أَعَدَّ
तैयार कर रखी है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lahum
لَهُم
उनके लिए
maghfiratan
مَّغْفِرَةً
मग़फ़िरत
wa-ajran
وَأَجْرًا
और अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
मुस्लिम पुरुष और मुस्लिम स्त्रियाँ, ईमानवाले पुरुष और ईमानवाली स्त्रियाँ, निष्ठा्पूर्वक आज्ञापालन करनेवाले पुरुष और निष्ठापूर्वक आज्ञापालन करनेवाली स्त्रियाँ, सत्यवादी पुरुष और सत्यवादी स्त्रियाँ, धैर्यवान पुरुष और धैर्य रखनेवाली स्त्रियाँ, विनम्रता दिखानेवाले पुरुष और विनम्रता दिखानेवाली स्त्रियाँ, सदक़ा (दान) देनेवाले पुरुष और सदक़ा देनेवाली स्त्रियाँ, रोज़ा रखनेवाले पुरुष और रोज़ा रखनेवाली स्त्रियाँ, अपने गुप्तांगों की रक्षा करनेवाले पुरुष और रक्षा करनेवाली स्त्रियाँ और अल्लाह को अधिक याद करनेवाले पुरुष और याद करनेवाली स्त्रियाँ - इनके लिए अल्लाह ने क्षमा और बड़ा प्रतिदान तैयार कर रखा है ([३३] अल-अह्जाब: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ وَّلَا مُؤْمِنَةٍ اِذَا قَضَى اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗٓ اَمْرًا اَنْ يَّكُوْنَ لَهُمُ الْخِيَرَةُ مِنْ اَمْرِهِمْ ۗوَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا مُّبِيْنًاۗ ٣٦

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
limu'minin
لِمُؤْمِنٍ
किसी मोमिन मर्द के लिए
walā
وَلَا
और ना
mu'minatin
مُؤْمِنَةٍ
किसी मोमिन औरत के लिए
idhā
إِذَا
जब
qaḍā
قَضَى
फ़ैसला कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥٓ
और उसका रसूल
amran
أَمْرًا
किसी मामले का
an
أَن
कि
yakūna
يَكُونَ
हो
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-khiyaratu
ٱلْخِيَرَةُ
कोई इख़्तियार
min
مِنْ
अपने मामले में से
amrihim
أَمْرِهِمْۗ
अपने मामले में से
waman
وَمَن
और जो कोई
yaʿṣi
يَعْصِ
नाफ़रमानी करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक
ḍalla
ضَلَّ
वो भटक गया
ḍalālan
ضَلَٰلًا
भटकना
mubīnan
مُّبِينًا
खुल्लम-खुल्ला
न किसी ईमानवाले पुरुष और न किसी ईमानवाली स्त्री को यह अधिकार है कि जब अल्लाह और उसका रसूल किसी मामले का फ़ैसला कर दें, तो फिर उन्हें अपने मामले में कोई अधिकार शेष रहे। जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करे तो वह खुली गुमराही में पड़ गया ([३३] अल-अह्जाब: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَاِذْ تَقُوْلُ لِلَّذِيْٓ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَيْهِ وَاَنْعَمْتَ عَلَيْهِ اَمْسِكْ عَلَيْكَ زَوْجَكَ وَاتَّقِ اللّٰهَ وَتُخْفِيْ فِيْ نَفْسِكَ مَا اللّٰهُ مُبْدِيْهِ وَتَخْشَى النَّاسَۚ وَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشٰىهُ ۗ فَلَمَّا قَضٰى زَيْدٌ مِّنْهَا وَطَرًاۗ زَوَّجْنٰكَهَا لِكَيْ لَا يَكُوْنَ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ حَرَجٌ فِيْٓ اَزْوَاجِ اَدْعِيَاۤىِٕهِمْ اِذَا قَضَوْا مِنْهُنَّ وَطَرًاۗ وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ مَفْعُوْلًا ٣٧

wa-idh
وَإِذْ
और जब
taqūlu
تَقُولُ
आप कह रहे थे
lilladhī
لِلَّذِىٓ
उस शख़्स से
anʿama
أَنْعَمَ
इनाम किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
wa-anʿamta
وَأَنْعَمْتَ
और इनाम किया आपने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
amsik
أَمْسِكْ
रोक रख
ʿalayka
عَلَيْكَ
अपने पास
zawjaka
زَوْجَكَ
अपनी बीवी को
wa-ittaqi
وَٱتَّقِ
और डर
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
watukh'fī
وَتُخْفِى
और आप छुपाते थे
فِى
अपने दिल में
nafsika
نَفْسِكَ
अपने दिल में
مَا
वो जो
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
mub'dīhi
مُبْدِيهِ
ज़ाहिर करने वाला था उसे
watakhshā
وَتَخْشَى
और आप डर रहे थे
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
हालाँकि अल्लाह
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार है
an
أَن
कि
takhshāhu
تَخْشَىٰهُۖ
आप डरें उससे
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
qaḍā
قَضَىٰ
पूरी कर चुका
zaydun
زَيْدٌ
ज़ैद
min'hā
مِّنْهَا
उससे
waṭaran
وَطَرًا
हाजत
zawwajnākahā
زَوَّجْنَٰكَهَا
निकाह कर दिया हमने आपका उससे
likay
لِكَىْ
ताकि ना
لَا
ताकि ना
yakūna
يَكُونَ
हो
ʿalā
عَلَى
मोमिनों पर
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर
ḥarajun
حَرَجٌ
कोई तंगी
فِىٓ
बीवियों के मामले में
azwāji
أَزْوَٰجِ
बीवियों के मामले में
adʿiyāihim
أَدْعِيَآئِهِمْ
अपने मुँह बोले बेटों की
idhā
إِذَا
जब
qaḍaw
قَضَوْا۟
वो पूरा कर चुकें
min'hunna
مِنْهُنَّ
उनसे
waṭaran
وَطَرًاۚ
हाजत
wakāna
وَكَانَ
और है
amru
أَمْرُ
हुक्म
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
mafʿūlan
مَفْعُولًا
होकर रहने वाला
याद करो (ऐ नबी), जबकि तुम उस व्यक्ति से कह रहे थे जिसपर अल्लाह ने अनुकम्पा की, और तुमने भी जिसपर अनुकम्पा की कि 'अपनी पत्नी को अपने पास रोक रखो और अल्लाह का डर रखो, और तुम अपने जी में उस बात को छिपा रहे हो जिसको अल्लाह प्रकट करनेवाला है। तुम लोगों से डरते हो, जबकि अल्लाह इसका ज़्यादा हक़ रखता है कि तुम उससे डरो।' अतः जब ज़ैद उससे अपनी ज़रूरत पूरी कर चुका तो हमने उसका तुमसे विवाह कर दिया, ताकि ईमानवालों पर अपने मुँह बोले बेटों की पत्नियों के मामले में कोई तंगी न रहे जबकि वे उनसे अपनी ज़रूरत पूरी कर लें। अल्लाह का फ़ैसला तो पूरा होकर ही रहता है ([३३] अल-अह्जाब: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

مَا كَانَ عَلَى النَّبِيِّ مِنْ حَرَجٍ فِيْمَا فَرَضَ اللّٰهُ لَهٗ ۗسُنَّةَ اللّٰهِ فِى الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۗوَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ قَدَرًا مَّقْدُوْرًاۙ ٣٨

مَّا
नहीं
kāna
كَانَ
है
ʿalā
عَلَى
नबी पर
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّ
नबी पर
min
مِنْ
कोई तंगी
ḥarajin
حَرَجٍ
कोई तंगी
fīmā
فِيمَا
उसमें जो
faraḍa
فَرَضَ
मुक़र्रर किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lahu
لَهُۥۖ
उसके लिए
sunnata
سُنَّةَ
तरीक़ा है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
فِى
उन लोगों में जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में जो
khalaw
خَلَوْا۟
गुज़र चुके
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۚ
इससे पहले
wakāna
وَكَانَ
और है
amru
أَمْرُ
हुक्म
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
qadaran
قَدَرًا
एक अंदाज़ा
maqdūran
مَّقْدُورًا
मुक़र्रर किया हुआ
नबी पर उस काम में कोई तंगी नहीं जो अल्लाह ने उसके लिए ठहराया हो। यही अल्लाह का दस्तूर उन लोगों के मामले में भी रहा है जो पहले गुज़र चुके है - और अल्लाह का काम तो जँचा-तुला होता है। - ([३३] अल-अह्जाब: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

ۨالَّذِيْنَ يُبَلِّغُوْنَ رِسٰلٰتِ اللّٰهِ وَيَخْشَوْنَهٗ وَلَا يَخْشَوْنَ اَحَدًا اِلَّا اللّٰهَ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ حَسِيْبًا ٣٩

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yuballighūna
يُبَلِّغُونَ
पहुँचाते हैं
risālāti
رِسَٰلَٰتِ
पैग़ामात
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wayakhshawnahu
وَيَخْشَوْنَهُۥ
और वो डरते हैं उससे
walā
وَلَا
और नहीं
yakhshawna
يَخْشَوْنَ
वो डरते
aḥadan
أَحَدًا
किसी एक से भी
illā
إِلَّا
सिवाए
l-laha
ٱللَّهَۗ
अल्लाह के
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
ḥasīban
حَسِيبًا
हिसाब लेने वाला
जो अल्लाह के सन्देश पहुँचाते थे और उसी से डरते थे और अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरते थे। और हिसाब लेने के लिए अल्लाह काफ़ी है। - ([३३] अल-अह्जाब: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

مَا كَانَ مُحَمَّدٌ اَبَآ اَحَدٍ مِّنْ رِّجَالِكُمْ وَلٰكِنْ رَّسُوْلَ اللّٰهِ وَخَاتَمَ النَّبِيّٖنَۗ وَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ࣖ ٤٠

مَّا
नहीं
kāna
كَانَ
हैं
muḥammadun
مُحَمَّدٌ
मुहम्मद
abā
أَبَآ
बाप
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक के
min
مِّن
तुम्हारे मर्दों में से
rijālikum
رِّجَالِكُمْ
तुम्हारे मर्दों में से
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
rasūla
رَّسُولَ
रसूल हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wakhātama
وَخَاتَمَ
और ख़ात्म अन नबिय्यीन हैं
l-nabiyīna
ٱلنَّبِيِّۦنَۗ
और ख़ात्म अन नबिय्यीन हैं
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
मुहम्मद तुम्हारे पुरुषों में से किसी के बाप नहीं है, बल्कि वे अल्लाह के रसूल और नबियों के समापक है। अल्लाह को हर चीज़ का पूरा ज्ञान है ([३३] अल-अह्जाब: 40)
Tafseer (तफ़सीर )