۞ وَمَنْ يَّقْنُتْ مِنْكُنَّ لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتَعْمَلْ صَالِحًا نُّؤْتِهَآ اَجْرَهَا مَرَّتَيْنِۙ وَاَعْتَدْنَا لَهَا رِزْقًا كَرِيْمًا ٣١
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaqnut
- يَقْنُتْ
- इताअत करेगी
- minkunna
- مِنكُنَّ
- तुम में से
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह की
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल की
- wataʿmal
- وَتَعْمَلْ
- और वो अमल करेगी
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- nu'tihā
- نُّؤْتِهَآ
- हम देंगे उसे
- ajrahā
- أَجْرَهَا
- अजर उसका
- marratayni
- مَرَّتَيْنِ
- दो बार
- wa-aʿtadnā
- وَأَعْتَدْنَا
- और तैयार कर रखा है हमने
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए
- riz'qan
- رِزْقًا
- रिज़्क़
- karīman
- كَرِيمًا
- बाइज़्ज़त /उमदा
किन्तु तुममें से जो अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठापूर्वक आज्ञाकारिता की नीति अपनाए और अच्छा कर्म करे, उसे हम दोहरा प्रतिदान प्रदान करेंगे और उसके लिए हमने सम्मानपूर्ण आजीविका तैयार कर रखी है ([३३] अल-अह्जाब: 31)Tafseer (तफ़सीर )
يٰنِسَاۤءَ النَّبِيِّ لَسْتُنَّ كَاَحَدٍ مِّنَ النِّسَاۤءِ اِنِ اتَّقَيْتُنَّ فَلَا تَخْضَعْنَ بِالْقَوْلِ فَيَطْمَعَ الَّذِيْ فِيْ قَلْبِهٖ مَرَضٌ وَّقُلْنَ قَوْلًا مَّعْرُوْفًاۚ ٣٢
- yānisāa
- يَٰنِسَآءَ
- ऐ नबी की बीवियो
- l-nabiyi
- ٱلنَّبِىِّ
- ऐ नबी की बीवियो
- lastunna
- لَسْتُنَّ
- नहीं हो तुम
- ka-aḥadin
- كَأَحَدٍ
- किसी एक की तरह
- mina
- مِّنَ
- औरतों में से
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِۚ
- औरतों में से
- ini
- إِنِ
- अगर
- ittaqaytunna
- ٱتَّقَيْتُنَّ
- तुम तक़वा इख़्तियार करो
- falā
- فَلَا
- तो ना
- takhḍaʿna
- تَخْضَعْنَ
- तुम लोच पैदा करना
- bil-qawli
- بِٱلْقَوْلِ
- बात में
- fayaṭmaʿa
- فَيَطْمَعَ
- वरना तमअ करेगा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो शख़्स
- fī
- فِى
- जिसके दिल में
- qalbihi
- قَلْبِهِۦ
- जिसके दिल में
- maraḍun
- مَرَضٌ
- मर्ज़ है
- waqul'na
- وَقُلْنَ
- और कहो
- qawlan
- قَوْلًا
- बात
- maʿrūfan
- مَّعْرُوفًا
- भली/मारूफ़
ऐ नबी की स्त्रियों! तुम सामान्य स्त्रियों में से किसी की तरह नहीं हो, यदि तुम अल्लाह का डर रखो। अतः तुम्हारी बातों में लोच न हो कि वह व्यक्ति जिसके दिल में रोग है, वह लालच में पड़ जाए। तुम सामान्य रूप से बात करो ([३३] अल-अह्जाब: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَرْنَ فِيْ بُيُوْتِكُنَّ وَلَا تَبَرَّجْنَ تَبَرُّجَ الْجَاهِلِيَّةِ الْاُوْلٰى وَاَقِمْنَ الصَّلٰوةَ وَاٰتِيْنَ الزَّكٰوةَ وَاَطِعْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗاِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ اَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيْرًاۚ ٣٣
- waqarna
- وَقَرْنَ
- और क़रार पकड़ो
- fī
- فِى
- अपने घरों में
- buyūtikunna
- بُيُوتِكُنَّ
- अपने घरों में
- walā
- وَلَا
- और ना
- tabarrajna
- تَبَرَّجْنَ
- तुम इज़हारे ज़ीनत करो
- tabarruja
- تَبَرُّجَ
- इज़हारे ज़ीनत
- l-jāhiliyati
- ٱلْجَٰهِلِيَّةِ
- जाहिलियत
- l-ūlā
- ٱلْأُولَىٰۖ
- पहली का
- wa-aqim'na
- وَأَقِمْنَ
- और क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātīna
- وَءَاتِينَ
- और अदा करो
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- wa-aṭiʿ'na
- وَأَطِعْنَ
- और इताअत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥٓۚ
- और उसके रसूल की
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- liyudh'hiba
- لِيُذْهِبَ
- कि वो ले जाए
- ʿankumu
- عَنكُمُ
- तुम से
- l-rij'sa
- ٱلرِّجْسَ
- नापाकी को
- ahla
- أَهْلَ
- ऐ अहले बैत
- l-bayti
- ٱلْبَيْتِ
- ऐ अहले बैत
- wayuṭahhirakum
- وَيُطَهِّرَكُمْ
- और वो पाक कर दे तुम्हें
- taṭhīran
- تَطْهِيرًا
- ख़ूब पाक करना
अपने घरों में टिककर रहो और विगत अज्ञानकाल की-सी सज-धज न दिखाती फिरना। नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो। और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। अल्लाह तो बस यही चाहता है कि ऐ नबी के घरवालो, तुमसे गन्दगी को दूर रखे और तुम्हें तरह पाक-साफ़ रखे ([३३] अल-अह्जाब: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَاذْكُرْنَ مَا يُتْلٰى فِيْ بُيُوْتِكُنَّ مِنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ وَالْحِكْمَةِۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ لَطِيْفًا خَبِيْرًا ࣖ ٣٤
- wa-udh'kur'na
- وَٱذْكُرْنَ
- और याद रखो
- mā
- مَا
- उसको जो
- yut'lā
- يُتْلَىٰ
- पढ़ा जाता है
- fī
- فِى
- तुम्हारे घरों में
- buyūtikunna
- بُيُوتِكُنَّ
- तुम्हारे घरों में
- min
- مِنْ
- आयात में से
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात में से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- wal-ḥik'mati
- وَٱلْحِكْمَةِۚ
- और हिकमत में से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- laṭīfan
- لَطِيفًا
- बहुत बारीक बीन
- khabīran
- خَبِيرًا
- ख़ूब बाख़बर
तुम्हारे घरों में अल्लाह की जो आयतें और तत्वदर्शिता की बातें सुनाई जाती है उनकी चर्चा करती रहो। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, खबर रखनेवाला है ([३३] अल-अह्जाब: 34)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الْمُسْلِمِيْنَ وَالْمُسْلِمٰتِ وَالْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ وَالْقٰنِتِيْنَ وَالْقٰنِتٰتِ وَالصّٰدِقِيْنَ وَالصّٰدِقٰتِ وَالصّٰبِرِيْنَ وَالصّٰبِرٰتِ وَالْخٰشِعِيْنَ وَالْخٰشِعٰتِ وَالْمُتَصَدِّقِيْنَ وَالْمُتَصَدِّقٰتِ وَالصَّاۤىِٕمِيْنَ وَالصّٰۤىِٕمٰتِ وَالْحٰفِظِيْنَ فُرُوْجَهُمْ وَالْحٰفِظٰتِ وَالذَّاكِرِيْنَ اللّٰهَ كَثِيْرًا وَّالذَّاكِرٰتِ اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمْ مَّغْفِرَةً وَّاَجْرًا عَظِيْمًا ٣٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-mus'limīna
- ٱلْمُسْلِمِينَ
- मुसलमान मर्द
- wal-mus'limāti
- وَٱلْمُسْلِمَٰتِ
- और मुसलमान औरतें
- wal-mu'minīna
- وَٱلْمُؤْمِنِينَ
- और मोमिन मर्द
- wal-mu'mināti
- وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- और मोमिन औरतें
- wal-qānitīna
- وَٱلْقَٰنِتِينَ
- और फ़रमाबरदार मर्द
- wal-qānitāti
- وَٱلْقَٰنِتَٰتِ
- और फ़रमाबरदार औरतें
- wal-ṣādiqīna
- وَٱلصَّٰدِقِينَ
- और सच्चे मर्द
- wal-ṣādiqāti
- وَٱلصَّٰدِقَٰتِ
- और सच्ची औरतें
- wal-ṣābirīna
- وَٱلصَّٰبِرِينَ
- और सब्र करने वाले मर्द
- wal-ṣābirāti
- وَٱلصَّٰبِرَٰتِ
- और सब्र करने वाली औरतें
- wal-khāshiʿīna
- وَٱلْخَٰشِعِينَ
- और ख़ुशूअ करने वाले मर्द
- wal-khāshiʿāti
- وَٱلْخَٰشِعَٰتِ
- और ख़ुशूअ करने वाली औरतें
- wal-mutaṣadiqīna
- وَٱلْمُتَصَدِّقِينَ
- और सदक़ा देने वाले मर्द
- wal-mutaṣadiqāti
- وَٱلْمُتَصَدِّقَٰتِ
- और सदक़ा देने वाली औरतें
- wal-ṣāimīna
- وَٱلصَّٰٓئِمِينَ
- और रोज़ा रखने वाले मर्द
- wal-ṣāimāti
- وَٱلصَّٰٓئِمَٰتِ
- और रोज़ा रखने वाली औरतें
- wal-ḥāfiẓīna
- وَٱلْحَٰفِظِينَ
- और हिफ़ाज़त करने वाले मर्द
- furūjahum
- فُرُوجَهُمْ
- अपनी शर्म गाहों की
- wal-ḥāfiẓāti
- وَٱلْحَٰفِظَٰتِ
- और हिफ़ाज़त करने वाली औरतें
- wal-dhākirīna
- وَٱلذَّٰكِرِينَ
- और ज़िक्र करने वाले मर्द
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह का
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत ज़्यादा
- wal-dhākirāti
- وَٱلذَّٰكِرَٰتِ
- और ज़िक्र करने वाली औरतें
- aʿadda
- أَعَدَّ
- तैयार कर रखी है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- maghfiratan
- مَّغْفِرَةً
- मग़फ़िरत
- wa-ajran
- وَأَجْرًا
- और अजर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
मुस्लिम पुरुष और मुस्लिम स्त्रियाँ, ईमानवाले पुरुष और ईमानवाली स्त्रियाँ, निष्ठा्पूर्वक आज्ञापालन करनेवाले पुरुष और निष्ठापूर्वक आज्ञापालन करनेवाली स्त्रियाँ, सत्यवादी पुरुष और सत्यवादी स्त्रियाँ, धैर्यवान पुरुष और धैर्य रखनेवाली स्त्रियाँ, विनम्रता दिखानेवाले पुरुष और विनम्रता दिखानेवाली स्त्रियाँ, सदक़ा (दान) देनेवाले पुरुष और सदक़ा देनेवाली स्त्रियाँ, रोज़ा रखनेवाले पुरुष और रोज़ा रखनेवाली स्त्रियाँ, अपने गुप्तांगों की रक्षा करनेवाले पुरुष और रक्षा करनेवाली स्त्रियाँ और अल्लाह को अधिक याद करनेवाले पुरुष और याद करनेवाली स्त्रियाँ - इनके लिए अल्लाह ने क्षमा और बड़ा प्रतिदान तैयार कर रखा है ([३३] अल-अह्जाब: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ وَّلَا مُؤْمِنَةٍ اِذَا قَضَى اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗٓ اَمْرًا اَنْ يَّكُوْنَ لَهُمُ الْخِيَرَةُ مِنْ اَمْرِهِمْ ۗوَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا مُّبِيْنًاۗ ٣٦
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- limu'minin
- لِمُؤْمِنٍ
- किसी मोमिन मर्द के लिए
- walā
- وَلَا
- और ना
- mu'minatin
- مُؤْمِنَةٍ
- किसी मोमिन औरत के लिए
- idhā
- إِذَا
- जब
- qaḍā
- قَضَى
- फ़ैसला कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥٓ
- और उसका रसूल
- amran
- أَمْرًا
- किसी मामले का
- an
- أَن
- कि
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-khiyaratu
- ٱلْخِيَرَةُ
- कोई इख़्तियार
- min
- مِنْ
- अपने मामले में से
- amrihim
- أَمْرِهِمْۗ
- अपने मामले में से
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaʿṣi
- يَعْصِ
- नाफ़रमानी करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक
- ḍalla
- ضَلَّ
- वो भटक गया
- ḍalālan
- ضَلَٰلًا
- भटकना
- mubīnan
- مُّبِينًا
- खुल्लम-खुल्ला
न किसी ईमानवाले पुरुष और न किसी ईमानवाली स्त्री को यह अधिकार है कि जब अल्लाह और उसका रसूल किसी मामले का फ़ैसला कर दें, तो फिर उन्हें अपने मामले में कोई अधिकार शेष रहे। जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करे तो वह खुली गुमराही में पड़ गया ([३३] अल-अह्जाब: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ تَقُوْلُ لِلَّذِيْٓ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَيْهِ وَاَنْعَمْتَ عَلَيْهِ اَمْسِكْ عَلَيْكَ زَوْجَكَ وَاتَّقِ اللّٰهَ وَتُخْفِيْ فِيْ نَفْسِكَ مَا اللّٰهُ مُبْدِيْهِ وَتَخْشَى النَّاسَۚ وَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشٰىهُ ۗ فَلَمَّا قَضٰى زَيْدٌ مِّنْهَا وَطَرًاۗ زَوَّجْنٰكَهَا لِكَيْ لَا يَكُوْنَ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ حَرَجٌ فِيْٓ اَزْوَاجِ اَدْعِيَاۤىِٕهِمْ اِذَا قَضَوْا مِنْهُنَّ وَطَرًاۗ وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ مَفْعُوْلًا ٣٧
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- taqūlu
- تَقُولُ
- आप कह रहे थे
- lilladhī
- لِلَّذِىٓ
- उस शख़्स से
- anʿama
- أَنْعَمَ
- इनाम किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- wa-anʿamta
- وَأَنْعَمْتَ
- और इनाम किया आपने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- amsik
- أَمْسِكْ
- रोक रख
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- अपने पास
- zawjaka
- زَوْجَكَ
- अपनी बीवी को
- wa-ittaqi
- وَٱتَّقِ
- और डर
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- watukh'fī
- وَتُخْفِى
- और आप छुपाते थे
- fī
- فِى
- अपने दिल में
- nafsika
- نَفْسِكَ
- अपने दिल में
- mā
- مَا
- वो जो
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mub'dīhi
- مُبْدِيهِ
- ज़ाहिर करने वाला था उसे
- watakhshā
- وَتَخْشَى
- और आप डर रहे थे
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- हालाँकि अल्लाह
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार है
- an
- أَن
- कि
- takhshāhu
- تَخْشَىٰهُۖ
- आप डरें उससे
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- qaḍā
- قَضَىٰ
- पूरी कर चुका
- zaydun
- زَيْدٌ
- ज़ैद
- min'hā
- مِّنْهَا
- उससे
- waṭaran
- وَطَرًا
- हाजत
- zawwajnākahā
- زَوَّجْنَٰكَهَا
- निकाह कर दिया हमने आपका उससे
- likay
- لِكَىْ
- ताकि ना
- lā
- لَا
- ताकि ना
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- ʿalā
- عَلَى
- मोमिनों पर
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों पर
- ḥarajun
- حَرَجٌ
- कोई तंगी
- fī
- فِىٓ
- बीवियों के मामले में
- azwāji
- أَزْوَٰجِ
- बीवियों के मामले में
- adʿiyāihim
- أَدْعِيَآئِهِمْ
- अपने मुँह बोले बेटों की
- idhā
- إِذَا
- जब
- qaḍaw
- قَضَوْا۟
- वो पूरा कर चुकें
- min'hunna
- مِنْهُنَّ
- उनसे
- waṭaran
- وَطَرًاۚ
- हाजत
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- amru
- أَمْرُ
- हुक्म
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- mafʿūlan
- مَفْعُولًا
- होकर रहने वाला
याद करो (ऐ नबी), जबकि तुम उस व्यक्ति से कह रहे थे जिसपर अल्लाह ने अनुकम्पा की, और तुमने भी जिसपर अनुकम्पा की कि 'अपनी पत्नी को अपने पास रोक रखो और अल्लाह का डर रखो, और तुम अपने जी में उस बात को छिपा रहे हो जिसको अल्लाह प्रकट करनेवाला है। तुम लोगों से डरते हो, जबकि अल्लाह इसका ज़्यादा हक़ रखता है कि तुम उससे डरो।' अतः जब ज़ैद उससे अपनी ज़रूरत पूरी कर चुका तो हमने उसका तुमसे विवाह कर दिया, ताकि ईमानवालों पर अपने मुँह बोले बेटों की पत्नियों के मामले में कोई तंगी न रहे जबकि वे उनसे अपनी ज़रूरत पूरी कर लें। अल्लाह का फ़ैसला तो पूरा होकर ही रहता है ([३३] अल-अह्जाब: 37)Tafseer (तफ़सीर )
مَا كَانَ عَلَى النَّبِيِّ مِنْ حَرَجٍ فِيْمَا فَرَضَ اللّٰهُ لَهٗ ۗسُنَّةَ اللّٰهِ فِى الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۗوَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ قَدَرًا مَّقْدُوْرًاۙ ٣٨
- mā
- مَّا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalā
- عَلَى
- नबी पर
- l-nabiyi
- ٱلنَّبِىِّ
- नबी पर
- min
- مِنْ
- कोई तंगी
- ḥarajin
- حَرَجٍ
- कोई तंगी
- fīmā
- فِيمَا
- उसमें जो
- faraḍa
- فَرَضَ
- मुक़र्रर किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lahu
- لَهُۥۖ
- उसके लिए
- sunnata
- سُنَّةَ
- तरीक़ा है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- fī
- فِى
- उन लोगों में जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों में जो
- khalaw
- خَلَوْا۟
- गुज़र चुके
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُۚ
- इससे पहले
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- amru
- أَمْرُ
- हुक्म
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- qadaran
- قَدَرًا
- एक अंदाज़ा
- maqdūran
- مَّقْدُورًا
- मुक़र्रर किया हुआ
नबी पर उस काम में कोई तंगी नहीं जो अल्लाह ने उसके लिए ठहराया हो। यही अल्लाह का दस्तूर उन लोगों के मामले में भी रहा है जो पहले गुज़र चुके है - और अल्लाह का काम तो जँचा-तुला होता है। - ([३३] अल-अह्जाब: 38)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْنَ يُبَلِّغُوْنَ رِسٰلٰتِ اللّٰهِ وَيَخْشَوْنَهٗ وَلَا يَخْشَوْنَ اَحَدًا اِلَّا اللّٰهَ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ حَسِيْبًا ٣٩
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yuballighūna
- يُبَلِّغُونَ
- पहुँचाते हैं
- risālāti
- رِسَٰلَٰتِ
- पैग़ामात
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wayakhshawnahu
- وَيَخْشَوْنَهُۥ
- और वो डरते हैं उससे
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yakhshawna
- يَخْشَوْنَ
- वो डरते
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक से भी
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- l-laha
- ٱللَّهَۗ
- अल्लाह के
- wakafā
- وَكَفَىٰ
- और काफ़ी है
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह
- ḥasīban
- حَسِيبًا
- हिसाब लेने वाला
जो अल्लाह के सन्देश पहुँचाते थे और उसी से डरते थे और अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरते थे। और हिसाब लेने के लिए अल्लाह काफ़ी है। - ([३३] अल-अह्जाब: 39)Tafseer (तफ़सीर )
مَا كَانَ مُحَمَّدٌ اَبَآ اَحَدٍ مِّنْ رِّجَالِكُمْ وَلٰكِنْ رَّسُوْلَ اللّٰهِ وَخَاتَمَ النَّبِيّٖنَۗ وَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ࣖ ٤٠
- mā
- مَّا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- हैं
- muḥammadun
- مُحَمَّدٌ
- मुहम्मद
- abā
- أَبَآ
- बाप
- aḥadin
- أَحَدٍ
- किसी एक के
- min
- مِّن
- तुम्हारे मर्दों में से
- rijālikum
- رِّجَالِكُمْ
- तुम्हारे मर्दों में से
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- rasūla
- رَّسُولَ
- रसूल हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wakhātama
- وَخَاتَمَ
- और ख़ात्म अन नबिय्यीन हैं
- l-nabiyīna
- ٱلنَّبِيِّۦنَۗ
- और ख़ात्म अन नबिय्यीन हैं
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
मुहम्मद तुम्हारे पुरुषों में से किसी के बाप नहीं है, बल्कि वे अल्लाह के रसूल और नबियों के समापक है। अल्लाह को हर चीज़ का पूरा ज्ञान है ([३३] अल-अह्जाब: 40)Tafseer (तफ़सीर )