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सूरा अल-अह्जाब - Page: 3

Al-Ahzab

(The Clans, The Coalition, The Combined Forces)

२१

لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِيْ رَسُوْلِ اللّٰهِ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِّمَنْ كَانَ يَرْجُوا اللّٰهَ وَالْيَوْمَ الْاٰخِرَ وَذَكَرَ اللّٰهَ كَثِيْرًاۗ ٢١

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kāna
كَانَ
है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
فِى
अल्लाह के रसूल में
rasūli
رَسُولِ
अल्लाह के रसूल में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रसूल में
us'watun
أُسْوَةٌ
नमूना
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
अच्छा
liman
لِّمَن
उसके लिए जो
kāna
كَانَ
हो
yarjū
يَرْجُوا۟
उम्मीद रखता
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wal-yawma
وَٱلْيَوْمَ
और आख़िरी दिन की
l-ākhira
ٱلْءَاخِرَ
और आख़िरी दिन की
wadhakara
وَذَكَرَ
और वो याद करे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
kathīran
كَثِيرًا
कसरत से
निस्संदेह तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में एक उत्तम आदर्श है अर्थात उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह और अन्तिम दिन की आशा रखता हो और अल्लाह को अधिक याद करे ([३३] अल-अह्जाब: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَلَمَّا رَاَ الْمُؤْمِنُوْنَ الْاَحْزَابَۙ قَالُوْا هٰذَا مَا وَعَدَنَا اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَصَدَقَ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ ۖوَمَا زَادَهُمْ اِلَّآ اِيْمَانًا وَّتَسْلِيْمًاۗ ٢٢

walammā
وَلَمَّا
और जब
raā
رَءَا
देखा
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
मोमिनों ने
l-aḥzāba
ٱلْأَحْزَابَ
गिरोहों को
qālū
قَالُوا۟
वो कहने लगे
hādhā
هَٰذَا
ये है
مَا
वो ही जो
waʿadanā
وَعَدَنَا
वादा किया हमसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥ
और उसके रसूल ने
waṣadaqa
وَصَدَقَ
और सच फ़रमाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥۚ
और उसके रसूल ने
wamā
وَمَا
और नहीं
zādahum
زَادَهُمْ
उसने ज़्यादा किया उन्हें
illā
إِلَّآ
मगर
īmānan
إِيمَٰنًا
ईमान
wataslīman
وَتَسْلِيمًا
और सुपुर्दगी में
और जब ईमानवालों ने सैन्य दलों को देखा तो वे पुकार उठे, 'यह तो वही चीज़ है, जिसका अल्लाह और उसके रसूल ने हमसे वादा किया था। और अल्लाह और उसके रसूल ने सच कहा था।' इस चीज़ ने उनके ईमान और आज्ञाकारिता ही को बढ़ाया ([३३] अल-अह्जाब: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ رِجَالٌ صَدَقُوْا مَا عَاهَدُوا اللّٰهَ عَلَيْهِ ۚ فَمِنْهُمْ مَّنْ قَضٰى نَحْبَهٗۙ وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّنْتَظِرُ ۖوَمَا بَدَّلُوْا تَبْدِيْلًاۙ ٢٣

mina
مِّنَ
मोमिनों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
rijālun
رِجَالٌ
कुछ मर्द हैं
ṣadaqū
صَدَقُوا۟
जिन्होंने सच्चा कर दिया
مَا
जो
ʿāhadū
عَٰهَدُوا۟
उन्होंने अहद किया था
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
ʿalayhi
عَلَيْهِۖ
जिस पर
famin'hum
فَمِنْهُم
तो उनमें से वो है
man
مَّن
जो
qaḍā
قَضَىٰ
पूरी कर चुका
naḥbahu
نَحْبَهُۥ
नज़र अपनी
wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yantaẓiru
يَنتَظِرُۖ
मुन्तज़िर है
wamā
وَمَا
और नहीं
baddalū
بَدَّلُوا۟
उन्होंने तब्दीली की
tabdīlan
تَبْدِيلًا
तब्दीली करना
ईमानवालों के रूप में ऐसे पुरुष मौजूद है कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने अल्लाह से की थी उसे उन्होंने सच्चा कर दिखाया। फिर उनमें से कुछ तो अपना प्रण पूरा कर चुके और उनमें से कुछ प्रतीक्षा में है। और उन्होंने अपनी बात तनिक भी नहीं बदली ([३३] अल-अह्जाब: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

لِيَجْزِيَ اللّٰهُ الصّٰدِقِيْنَ بِصِدْقِهِمْ وَيُعَذِّبَ الْمُنٰفِقِيْنَ اِنْ شَاۤءَ اَوْ يَتُوْبَ عَلَيْهِمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِيْمًاۚ ٢٤

liyajziya
لِّيَجْزِىَ
ताकि बदला दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-ṣādiqīna
ٱلصَّٰدِقِينَ
सच्चों को
biṣid'qihim
بِصِدْقِهِمْ
उनकी सच्चाई का
wayuʿadhiba
وَيُعَذِّبَ
और वो अज़ाब दे
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ों को
in
إِن
अगर
shāa
شَآءَ
वो चाहे
aw
أَوْ
या
yatūba
يَتُوبَ
वो मेहरबान होजाए
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
ताकि इसके परिणामस्वरूप अल्लाह सच्चों को उनकी सच्चाई का बदला दे और कपटाचारियों को चाहे तो यातना दे या उनकी तौबा क़बूल करे। निश्चय ही अल्लाह बड़ी क्षमाशील, दयावान है ([३३] अल-अह्जाब: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَرَدَّ اللّٰهُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِغَيْظِهِمْ لَمْ يَنَالُوْا خَيْرًا ۗوَكَفَى اللّٰهُ الْمُؤْمِنِيْنَ الْقِتَالَ ۗوَكَانَ اللّٰهُ قَوِيًّا عَزِيْزًاۚ ٢٥

waradda
وَرَدَّ
और फेर दिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
bighayẓihim
بِغَيْظِهِمْ
साथ उनके ग़ुस्से के
lam
لَمْ
नहीं
yanālū
يَنَالُوا۟
उन्होंने पाई
khayran
خَيْرًاۚ
कोई भलाई
wakafā
وَكَفَى
और काफ़ी हो गया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
l-qitāla
ٱلْقِتَالَۚ
जंग में
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
qawiyyan
قَوِيًّا
बहुत क़ुव्वत वाला
ʿazīzan
عَزِيزًا
बहुत ज़बरदस्त
अल्लाह ने इनकार करनेवालों को उनके अपने क्रोध के साथ फेर दिया। वे कोई भलाई प्राप्त न कर सके। अल्लाह ने मोमिनों को युद्ध करने से बचा लिया। अल्लाह तो है ही बड़ा शक्तिवान, प्रभुत्वशाली ([३३] अल-अह्जाब: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَاَنْزَلَ الَّذِيْنَ ظَاهَرُوْهُمْ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مِنْ صَيَاصِيْهِمْ وَقَذَفَ فِيْ قُلُوْبِهِمُ الرُّعْبَ فَرِيْقًا تَقْتُلُوْنَ وَتَأْسِرُوْنَ فَرِيْقًاۚ ٢٦

wa-anzala
وَأَنزَلَ
और उसने उतारा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ẓāharūhum
ظَٰهَرُوهُم
मदद की उनकी
min
مِّنْ
अहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
अहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
min
مِن
उनके क़िलों से
ṣayāṣīhim
صَيَاصِيهِمْ
उनके क़िलों से
waqadhafa
وَقَذَفَ
और उसने डाल दिया
فِى
उनके दिलों में
qulūbihimu
قُلُوبِهِمُ
उनके दिलों में
l-ruʿ'ba
ٱلرُّعْبَ
रोब
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह को
taqtulūna
تَقْتُلُونَ
तुम क़त्ल कर रहे थे
watasirūna
وَتَأْسِرُونَ
और तुम क़ैद कर रहे थे
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह को
और किताबवालों में सो जिन लोगों ने उसकी सहायता की थी, उन्हें उनकी गढ़ियों से उतार लाया। और उनके दिलों में धाक बिठा दी कि तुम एक गिरोह को जान से मारने लगे और एक गिरोह को बन्दी बनाने लगे ([३३] अल-अह्जाब: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَاَوْرَثَكُمْ اَرْضَهُمْ وَدِيَارَهُمْ وَاَمْوَالَهُمْ وَاَرْضًا لَّمْ تَطَـُٔوْهَا ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرًا ࣖ ٢٧

wa-awrathakum
وَأَوْرَثَكُمْ
और उसने वारिस बनादिया तुम्हें
arḍahum
أَرْضَهُمْ
उनकी ज़मीन का
wadiyārahum
وَدِيَٰرَهُمْ
और उनके घरों का
wa-amwālahum
وَأَمْوَٰلَهُمْ
और उनके मालों का
wa-arḍan
وَأَرْضًا
और ज़मीन का
lam
لَّمْ
नहीं
taṭaūhā
تَطَـُٔوهَاۚ
तुम ने पामाला किया जिसे
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīran
قَدِيرًا
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला
और उसने तुम्हें उनके भू-भाग और उनके घरों और उनके मालों का वारिस बना दिया और उस भू-भाग का भी जिसे तुमने पददलित नहीं किया। वास्तव में अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([३३] अल-अह्जाब: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِّاَزْوَاجِكَ اِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا وَزِيْنَتَهَا فَتَعَالَيْنَ اُمَتِّعْكُنَّ وَاُسَرِّحْكُنَّ سَرَاحًا جَمِيْلًا ٢٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ नबी
l-nabiyu
ٱلنَّبِىُّ
ऐ नबी
qul
قُل
कह दीजिए
li-azwājika
لِّأَزْوَٰجِكَ
अपनी बीवियों से
in
إِن
अगर
kuntunna
كُنتُنَّ
हो तुम
turid'na
تُرِدْنَ
तुम चाहती
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
wazīnatahā
وَزِينَتَهَا
और ज़ीनत उसकी
fataʿālayna
فَتَعَالَيْنَ
तो आओ
umattiʿ'kunna
أُمَتِّعْكُنَّ
मैं कुछ सामान दे दूँ तुम्हें
wa-usarriḥ'kunna
وَأُسَرِّحْكُنَّ
और मैं रुख़्सत कर दूँ तुम्हें
sarāḥan
سَرَاحًا
रुख़्सत करना
jamīlan
جَمِيلًا
अच्छे तरीक़े से
ऐ नबी! अपनी पत्नि यों से कह दो कि 'यदि तुम सांसारिक जीवन और उसकी शोभा चाहती हो तो आओ, मैं तुम्हें कुछ दे-दिलाकर भली रीति से विदा कर दूँ ([३३] अल-अह्जाब: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَاِنْ كُنْتُنَّ تُرِدْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَالدَّارَ الْاٰخِرَةَ فَاِنَّ اللّٰهَ اَعَدَّ لِلْمُحْسِنٰتِ مِنْكُنَّ اَجْرًا عَظِيْمًا ٢٩

wa-in
وَإِن
और अगर
kuntunna
كُنتُنَّ
हो तुम
turid'na
تُرِدْنَ
तुम चाहती
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल को
wal-dāra
وَٱلدَّارَ
और घर को
l-ākhirata
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत के
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
aʿadda
أَعَدَّ
तैयार कर रखा है
lil'muḥ'sināti
لِلْمُحْسِنَٰتِ
नेकी करने वालों के लिए
minkunna
مِنكُنَّ
तुम में से
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
'किन्तु यदि तुम अल्लाह और उसके रसूल और आख़िरत के घर को चाहती हो तो निश्चय ही अल्लाह ने तुममे से उत्तमकार स्त्रियों के लिए बड़ा प्रतिदान रख छोड़ा है।' ([३३] अल-अह्जाब: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

يٰنِسَاۤءَ النَّبِيِّ مَنْ يَّأْتِ مِنْكُنَّ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ يُّضٰعَفْ لَهَا الْعَذَابُ ضِعْفَيْنِۗ وَكَانَ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرًا ۔ ٣٠

yānisāa
يَٰنِسَآءَ
ऐ नबी की बीवियो
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّ
ऐ नबी की बीवियो
man
مَن
जो कोई
yati
يَأْتِ
आएगी
minkunna
مِنكُنَّ
तुम में से
bifāḥishatin
بِفَٰحِشَةٍ
बेहयाई को
mubayyinatin
مُّبَيِّنَةٍ
खुली
yuḍāʿaf
يُضَٰعَفْ
बढ़ा दिया जाएगा
lahā
لَهَا
उसके लिए
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
ḍiʿ'fayni
ضِعْفَيْنِۚ
दोगुना
wakāna
وَكَانَ
और है
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
yasīran
يَسِيرًا
बहुत आसान
ऐ नबी की स्त्रियों! तुममें से जो कोई प्रत्यक्ष अनुचित कर्म करे तो उसके लिए दोहरी यातना होगी। और यह अल्लाह के लिए बहुत सरल है ([३३] अल-अह्जाब: 30)
Tafseer (तफ़सीर )