هُنَالِكَ ابْتُلِيَ الْمُؤْمِنُوْنَ وَزُلْزِلُوْا زِلْزَالًا شَدِيْدًا ١١
- hunālika
- هُنَالِكَ
- उस वक़्त
- ub'tuliya
- ٱبْتُلِىَ
- आज़माए गए
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- सब मोमिन
- wazul'zilū
- وَزُلْزِلُوا۟
- और वो हिला मारे गए
- zil'zālan
- زِلْزَالًا
- हिला मारा जाना
- shadīdan
- شَدِيدًا
- शिद्दत का
उस समय ईमानवाले आज़माए गए और पूरी तरह हिला दिए गए ([३३] अल-अह्जाब: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ يَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ مَّا وَعَدَنَا اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗٓ اِلَّا غُرُوْرًا ١٢
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कह रहे थे
- l-munāfiqūna
- ٱلْمُنَٰفِقُونَ
- मुनाफ़िक़
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो लोग
- fī
- فِى
- जिनके दिलों में
- qulūbihim
- قُلُوبِهِم
- जिनके दिलों में
- maraḍun
- مَّرَضٌ
- मर्ज़ है
- mā
- مَّا
- नहीं
- waʿadanā
- وَعَدَنَا
- वादा किया हमसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥٓ
- और उसके रसूल ने
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ghurūran
- غُرُورًا
- धोके का
और जब कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है कहने लगे, 'अल्लाह और उसके रसूल ने हमसे जो वादा किया था वह तो धोखा मात्र था।' ([३३] अल-अह्जाब: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَتْ طَّاۤىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ يٰٓاَهْلَ يَثْرِبَ لَا مُقَامَ لَكُمْ فَارْجِعُوْا ۚوَيَسْتَأْذِنُ فَرِيْقٌ مِّنْهُمُ النَّبِيَّ يَقُوْلُوْنَ اِنَّ بُيُوْتَنَا عَوْرَةٌ ۗوَمَا هِيَ بِعَوْرَةٍ ۗاِنْ يُّرِيْدُوْنَ اِلَّا فِرَارًا ١٣
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qālat
- قَالَت
- कहा
- ṭāifatun
- طَّآئِفَةٌ
- एक गिरोह ने
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- yāahla
- يَٰٓأَهْلَ
- ऐ अहले
- yathriba
- يَثْرِبَ
- यसरब
- lā
- لَا
- नहीं कोई जगह ठहरने की
- muqāma
- مُقَامَ
- नहीं कोई जगह ठहरने की
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fa-ir'jiʿū
- فَٱرْجِعُوا۟ۚ
- पस लौट चलो
- wayastadhinu
- وَيَسْتَـْٔذِنُ
- और इजाज़त माँग रहा था
- farīqun
- فَرِيقٌ
- एक गिरोह
- min'humu
- مِّنْهُمُ
- उनमें से
- l-nabiya
- ٱلنَّبِىَّ
- नबी से
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कह रहे थे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- buyūtanā
- بُيُوتَنَا
- हमारे घर तो
- ʿawratun
- عَوْرَةٌ
- ग़ैर महफ़ूज़ हैं
- wamā
- وَمَا
- हालाँकि नहीं थे
- hiya
- هِىَ
- वो
- biʿawratin
- بِعَوْرَةٍۖ
- ग़ैर महफ़ूज़
- in
- إِن
- नहीं
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते थे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- firāran
- فِرَارًا
- फ़रार होना
और जबकि उनमें से एक गिरोह ने कहा, 'ऐ यसरिबवालो, तुम्हारे लिए ठहरने का कोई मौक़ा नहीं। अतः लौट चलो।' और उनका एक गिरोह नबी से यह कहकर (वापस जाने की) अनुमति चाह रहा था कि 'हमारे घर असुरक्षित है।' यद्यपि वे असुरक्षित न थे। वे तो बस भागना चाहते थे ([३३] अल-अह्जाब: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ دُخِلَتْ عَلَيْهِمْ مِّنْ اَقْطَارِهَا ثُمَّ سُـِٕلُوا الْفِتْنَةَ لَاٰتَوْهَا وَمَا تَلَبَّثُوْا بِهَآ اِلَّا يَسِيْرًا ١٤
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- dukhilat
- دُخِلَتْ
- दाख़िल किए जाते
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर (लश्कर)
- min
- مِّنْ
- उनके अतराफ़ से
- aqṭārihā
- أَقْطَارِهَا
- उनके अतराफ़ से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- su-ilū
- سُئِلُوا۟
- वो सवाल किए जाते
- l-fit'nata
- ٱلْفِتْنَةَ
- फ़ितना बरपा करने का
- laātawhā
- لَءَاتَوْهَا
- अलबत्ता वो आते उसे
- wamā
- وَمَا
- और ना
- talabbathū
- تَلَبَّثُوا۟
- वो इन्तिज़ार करते
- bihā
- بِهَآ
- उसका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- yasīran
- يَسِيرًا
- बहुत थोड़ा
और यदि उसके चतुर्दिक से उनपर हमला हो जाता, फिर उस समय उनसे उपद्रव के लिए कहा जाता, तो वे ऐसा कर डालते और इसमें विलम्ब थोड़े ही करते! ([३३] अल-अह्जाब: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ كَانُوْا عَاهَدُوا اللّٰهَ مِنْ قَبْلُ لَا يُوَلُّوْنَ الْاَدْبَارَ ۗوَكَانَ عَهْدُ اللّٰهِ مَسْـُٔوْلًا ١٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- ʿāhadū
- عَٰهَدُوا۟
- वो अहद कर चुके
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- lā
- لَا
- कि नहीं वो फेरेंगे
- yuwallūna
- يُوَلُّونَ
- कि नहीं वो फेरेंगे
- l-adbāra
- ٱلْأَدْبَٰرَۚ
- पुश्तें
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- ʿahdu
- عَهْدُ
- अहद
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- masūlan
- مَسْـُٔولًا
- पूछा जाने वाला
यद्यपि वे इससे पहले अल्लाह को वचन दे चुके थे कि वे पीठ न फेरेंगे, और अल्लाह से की गई प्रतिज्ञा के विषय में तो पूछा जाना ही है ([३३] अल-अह्जाब: 15)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّنْ يَّنْفَعَكُمُ الْفِرَارُ اِنْ فَرَرْتُمْ مِّنَ الْمَوْتِ اَوِ الْقَتْلِ وَاِذًا لَّا تُمَتَّعُوْنَ اِلَّا قَلِيْلًا ١٦
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lan
- لَّن
- हरगिज़ नहीं
- yanfaʿakumu
- يَنفَعَكُمُ
- फ़ायदा देगा तुम्हें
- l-firāru
- ٱلْفِرَارُ
- भागना
- in
- إِن
- अगर
- farartum
- فَرَرْتُم
- भागे तुम
- mina
- مِّنَ
- मौत से
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِ
- मौत से
- awi
- أَوِ
- या
- l-qatli
- ٱلْقَتْلِ
- क़त्ल से
- wa-idhan
- وَإِذًا
- और तब
- lā
- لَّا
- ना तुम फ़ायदा दिए जाओगे
- tumattaʿūna
- تُمَتَّعُونَ
- ना तुम फ़ायदा दिए जाओगे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़ा
कह दो, 'यदि तुम मृत्यु और मारे जाने से भागो भी तो यह भागना तुम्हारे लिए कदापि लाभप्रद न होगा। और इस हालत में भी तुम सुख थोड़े ही प्राप्त कर सकोगे।' ([३३] अल-अह्जाब: 16)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ مَنْ ذَا الَّذِيْ يَعْصِمُكُمْ مِّنَ اللّٰهِ اِنْ اَرَادَ بِكُمْ سُوْۤءًا اَوْ اَرَادَ بِكُمْ رَحْمَةً ۗوَلَا يَجِدُوْنَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ١٧
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَن
- कौन है
- dhā
- ذَا
- वो जो
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yaʿṣimukum
- يَعْصِمُكُم
- बचाएगा तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- in
- إِنْ
- अगर
- arāda
- أَرَادَ
- उसने इरादा किया
- bikum
- بِكُمْ
- तुम्हारे साथ
- sūan
- سُوٓءًا
- बुराई का
- aw
- أَوْ
- या
- arāda
- أَرَادَ
- उसने इरादा किया
- bikum
- بِكُمْ
- तुम्हारे साथ
- raḥmatan
- رَحْمَةًۚ
- रहमत का
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- वो पाऐंगे
- lahum
- لَهُم
- अपने लिए
- min
- مِّن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waliyyan
- وَلِيًّا
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīran
- نَصِيرًا
- कोई मददगार
कहो, 'कहो है जो तुम्हें अल्लाह से बचा सकता है, यदि वह तुम्हारी कोई बुराई चाहे या वह तुम्हारे प्रति दयालुता का इरादा करे (तो कौन है जो उसकी दयालुता को रोक सके)?' वे अल्लाह के अल्लाह के अलावा न अपना कोई निकटवर्ती समर्थक पाएँगे और न (दूर का) सहायक ([३३] अल-अह्जाब: 17)Tafseer (तफ़सीर )
۞ قَدْ يَعْلَمُ اللّٰهُ الْمُعَوِّقِيْنَ مِنْكُمْ وَالْقَاۤىِٕلِيْنَ لِاِخْوَانِهِمْ هَلُمَّ اِلَيْنَا ۚوَلَا يَأْتُوْنَ الْبَأْسَ اِلَّا قَلِيْلًاۙ ١٨
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-muʿawiqīna
- ٱلْمُعَوِّقِينَ
- रोकने वालों को
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wal-qāilīna
- وَٱلْقَآئِلِينَ
- और कहने वालों को
- li-ikh'wānihim
- لِإِخْوَٰنِهِمْ
- अपने भाईयों से
- halumma
- هَلُمَّ
- आओ
- ilaynā
- إِلَيْنَاۖ
- तरफ़ हमारे
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yatūna
- يَأْتُونَ
- वो आते
- l-basa
- ٱلْبَأْسَ
- लड़ाई को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़े
अल्लाह तुममें से उन लोगों को भली-भाँति जानता है जो (युद्ध से) रोकते है और अपने भाइयों से कहते है, 'हमारे पास आ जाओ।' और वे लड़ाई में थोड़े ही आते है, (क्योंकि वे) ([३३] अल-अह्जाब: 18)Tafseer (तफ़सीर )
اَشِحَّةً عَلَيْكُمْ ۖ فَاِذَا جَاۤءَ الْخَوْفُ رَاَيْتَهُمْ يَنْظُرُوْنَ اِلَيْكَ تَدُوْرُ اَعْيُنُهُمْ كَالَّذِيْ يُغْشٰى عَلَيْهِ مِنَ الْمَوْتِۚ فَاِذَا ذَهَبَ الْخَوْفُ سَلَقُوْكُمْ بِاَلْسِنَةٍ حِدَادٍ اَشِحَّةً عَلَى الْخَيْرِۗ اُولٰۤىِٕكَ لَمْ يُؤْمِنُوْا فَاَحْبَطَ اللّٰهُ اَعْمَالَهُمْۗ وَكَانَ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرًا ١٩
- ashiḥḥatan
- أَشِحَّةً
- बख़ील हैं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْۖ
- तुम पर
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- jāa
- جَآءَ
- आता है
- l-khawfu
- ٱلْخَوْفُ
- ख़ौफ़
- ra-aytahum
- رَأَيْتَهُمْ
- देखते हैं आप उन्हें
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो देखते हैं
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- tadūru
- تَدُورُ
- घूमती हैं
- aʿyunuhum
- أَعْيُنُهُمْ
- आँखें उनकी
- ka-alladhī
- كَٱلَّذِى
- उस शख़्स की तरह
- yugh'shā
- يُغْشَىٰ
- ग़शी तारी की जा रही हो
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- mina
- مِنَ
- मौत की
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِۖ
- मौत की
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- dhahaba
- ذَهَبَ
- चला जाता है
- l-khawfu
- ٱلْخَوْفُ
- ख़ौफ़
- salaqūkum
- سَلَقُوكُم
- बदज़बानी करते हैं आपसे
- bi-alsinatin
- بِأَلْسِنَةٍ
- साथ ज़बानों के
- ḥidādin
- حِدَادٍ
- तेज़
- ashiḥḥatan
- أَشِحَّةً
- हिर्स/बुख़्ल करते हुए
- ʿalā
- عَلَى
- माल पर
- l-khayri
- ٱلْخَيْرِۚ
- माल पर
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- वो ईमान लाए
- fa-aḥbaṭa
- فَأَحْبَطَ
- तो ज़ाया कर दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْۚ
- उनके अमाल को
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīran
- يَسِيرًا
- बहुत आसान
तुम्हारे साथ कृपणता से काम लेते है। अतः जब भय का समय आ जाता है, तो तुम उन्हें देखते हो कि वे तुम्हारी ओर इस प्रकार ताक रहे कि उनकी आँखें चक्कर खा रही है, जैसे किसी व्यक्ति पर मौत की बेहोशी छा रही हो। किन्तु जब भय जाता रहता है तो वे माल के लोभ में तेज़ ज़बाने तुमपर चलाते है। ऐसे लोग ईमान लाए ही नहीं। अतः अल्लाह ने उनके कर्म उनकी जान को लागू कर दिए। और यह अल्लाह के लिए बहुत सरल है ([३३] अल-अह्जाब: 19)Tafseer (तफ़सीर )
يَحْسَبُوْنَ الْاَحْزَابَ لَمْ يَذْهَبُوْا ۚوَاِنْ يَّأْتِ الْاَحْزَابُ يَوَدُّوْا لَوْ اَنَّهُمْ بَادُوْنَ فِى الْاَعْرَابِ يَسْاَلُوْنَ عَنْ اَنْۢبَاۤىِٕكُمْ ۖوَلَوْ كَانُوْا فِيْكُمْ مَّا قٰتَلُوْٓا اِلَّا قَلِيْلًا ࣖ ٢٠
- yaḥsabūna
- يَحْسَبُونَ
- वो समझते हैं
- l-aḥzāba
- ٱلْأَحْزَابَ
- गिरोहों /लश्करों को
- lam
- لَمْ
- कि नहीं
- yadhhabū
- يَذْهَبُوا۟ۖ
- वो गए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yati
- يَأْتِ
- आ जाऐं
- l-aḥzābu
- ٱلْأَحْزَابُ
- गिरोह/लश्कर
- yawaddū
- يَوَدُّوا۟
- वो चाहेंगे
- law
- لَوْ
- काश
- annahum
- أَنَّهُم
- ये कि वो
- bādūna
- بَادُونَ
- बाहर रहने वाले होते
- fī
- فِى
- बद्दुओं /एराबियों में
- l-aʿrābi
- ٱلْأَعْرَابِ
- बद्दुओं /एराबियों में
- yasalūna
- يَسْـَٔلُونَ
- वो पूछ लिया करते
- ʿan
- عَنْ
- ख़बरें तुम्हारी
- anbāikum
- أَنۢبَآئِكُمْۖ
- ख़बरें तुम्हारी
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- kānū
- كَانُوا۟
- वो होते
- fīkum
- فِيكُم
- तुम में
- mā
- مَّا
- ना
- qātalū
- قَٰتَلُوٓا۟
- वो जंग करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत कम
वे समझ रहे है कि (शत्रु के) सैन्य दल अभी गए नहीं हैं, और यदि वे गिरोह फिर आ जाएँ तो वे चाहेंगे कि किसी प्रकार बाहर (मरुस्थल में) बद्दु ओं के साथ हो रहें और वहीं से तुम्हारे बारे में समाचार पूछते रहे। और यदि वे तुम्हारे साथ होते भी तो लड़ाई में हिस्सा थोड़े ही लेते ([३३] अल-अह्जाब: 20)Tafseer (तफ़सीर )