وَلَنُذِيْقَنَّهُمْ مِّنَ الْعَذَابِ الْاَدْنٰى دُوْنَ الْعَذَابِ الْاَكْبَرِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ٢١
- walanudhīqannahum
- وَلَنُذِيقَنَّهُم
- और अलबत्ता हम ज़रूर चखाऐंगे उन्हें
- mina
- مِّنَ
- अज़ाब में से
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब में से
- l-adnā
- ٱلْأَدْنَىٰ
- कमतर/हल्का
- dūna
- دُونَ
- अलावा
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब
- l-akbari
- ٱلْأَكْبَرِ
- बड़े के
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- शायद कि वो
- yarjiʿūna
- يَرْجِعُونَ
- वो लौट आऐं
हम बड़ी यातना से इतर उन्हें छोटी यातना का मज़ा चखाएँगे, कदाचित वे पलट आएँ ([३२] अस-सजदा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ ذُكِّرَ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖ ثُمَّ اَعْرَضَ عَنْهَا ۗاِنَّا مِنَ الْمُجْرِمِيْنَ مُنْتَقِمُوْنَ ࣖ ٢٢
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimman
- مِمَّن
- उससे जो
- dhukkira
- ذُكِّرَ
- नसीहत किया गया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- साथ आयात के
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- अपने रब की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- aʿraḍa
- أَعْرَضَ
- उसने मुँह मोड़ लिया
- ʿanhā
- عَنْهَآۚ
- उनसे
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- mina
- مِنَ
- मुजरिमों से
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों से
- muntaqimūna
- مُنتَقِمُونَ
- इन्तिक़ाम लेने वाले हैं
और उस व्यक्ति से बढकर अत्याचारी कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा याद दिलाया जाए,फिर वह उनसे मुँह फेर ले? निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेकर रहेंगे ([३२] अस-सजदा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ فَلَا تَكُنْ فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْ لِّقَاۤىِٕهٖ وَجَعَلْنٰهُ هُدًى لِّبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَۚ ٢٣
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ātaynā
- ءَاتَيْنَا
- दी हमने
- mūsā
- مُوسَى
- मूसा को
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- falā
- فَلَا
- पस ना
- takun
- تَكُن
- आप हों
- fī
- فِى
- शक में
- mir'yatin
- مِرْيَةٍ
- शक में
- min
- مِّن
- उसकी मुलाक़ात से
- liqāihi
- لِّقَآئِهِۦۖ
- उसकी मुलाक़ात से
- wajaʿalnāhu
- وَجَعَلْنَٰهُ
- और बनाया हमने उसे
- hudan
- هُدًى
- हिदायत
- libanī
- لِّبَنِىٓ
- बनी इस्राईल के लिए
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल के लिए
हमने मूसा को किताब प्रदान की थी - अतः उसके मिलने के प्रति तुम किसी सन्देह में न रहना और हमने इसराईल की सन्तान के लिए उस (किताब) को मार्गदर्शन बनाया था ([३२] अस-सजदा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَعَلْنَا مِنْهُمْ اَىِٕمَّةً يَّهْدُوْنَ بِاَمْرِنَا لَمَّا صَبَرُوْاۗ وَكَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يُوْقِنُوْنَ ٢٤
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाए हमने
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें
- a-immatan
- أَئِمَّةً
- इमाम
- yahdūna
- يَهْدُونَ
- जो रहनुमाई करते थे
- bi-amrinā
- بِأَمْرِنَا
- हमारे हुक्म से
- lammā
- لَمَّا
- जब
- ṣabarū
- صَبَرُوا۟ۖ
- उन्होंने सब्र किया
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात पर
- yūqinūna
- يُوقِنُونَ
- वो यक़ीन रखते
और जब वे जमे रहे और उन्हें हमारी आयतों पर विश्वास था, तो हमने उनमें ऐसे नायक बनाए जो हमारे आदेश से मार्ग दिखाते थे ([३२] अस-सजदा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَفْصِلُ بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فِيْمَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ٢٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- yafṣilu
- يَفْصِلُ
- वो फ़ैसला करेगा
- baynahum
- بَيْنَهُمْ
- दर्मियान उनके
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- fīmā
- فِيمَا
- उसमें जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- fīhi
- فِيهِ
- जिसमें
- yakhtalifūna
- يَخْتَلِفُونَ
- वो इख़्तिलाफ़ करते
निश्चय ही तेरा रब ही क़ियामत के दिन उनके बीच उन बातों का फ़ैसला करेगा, जिनमें वे मतभेद करते रहे है ([३२] अस-सजदा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ يَمْشُوْنَ فِيْ مَسٰكِنِهِمْ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍۗ اَفَلَا يَسْمَعُوْنَ ٢٦
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yahdi
- يَهْدِ
- रहनुमाई की
- lahum
- لَهُمْ
- उनकी कि
- kam
- كَمْ
- कितनी ही
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक कीं हमने
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले
- mina
- مِّنَ
- उम्मतें
- l-qurūni
- ٱلْقُرُونِ
- उम्मतें
- yamshūna
- يَمْشُونَ
- वो चलते फिरते हैं
- fī
- فِى
- उनके घरों में
- masākinihim
- مَسَٰكِنِهِمْۚ
- उनके घरों में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍۖ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- वो सुनते हैं
क्या उनके लिए यह चीज़ भी मार्गदर्शक सिद्ध नहीं हुई कि उनसे पहले कितनी ही नस्लों को हम विनष्ट कर चुके है, जिनके रहने-बसने की जगहों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह इसमें बहुत-सी निशानियाँ है। फिर क्या वे सुनने नहीं? ([३२] अस-सजदा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّا نَسُوْقُ الْمَاۤءَ اِلَى الْاَرْضِ الْجُرُزِ فَنُخْرِجُ بِهٖ زَرْعًا تَأْكُلُ مِنْهُ اَنْعَامُهُمْ وَاَنْفُسُهُمْۗ اَفَلَا يُبْصِرُوْنَ ٢٧
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- nasūqu
- نَسُوقُ
- चलाते हैं हम
- l-māa
- ٱلْمَآءَ
- पानी को
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ज़मीन
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- तरफ़ ज़मीन
- l-juruzi
- ٱلْجُرُزِ
- बंजर के
- fanukh'riju
- فَنُخْرِجُ
- फिर हम निकालते हैं
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- zarʿan
- زَرْعًا
- खेती को
- takulu
- تَأْكُلُ
- खाते हैं
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- anʿāmuhum
- أَنْعَٰمُهُمْ
- उनके मवेशी
- wa-anfusuhum
- وَأَنفُسُهُمْۖ
- और वो ख़ुद भी
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- yub'ṣirūna
- يُبْصِرُونَ
- वो देखते
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम सूखी पड़ी भूमि की ओर पानी ले जाते है। फिर उससे खेती उगाते है, जिसमें से उनके चौपाए भी खाते है और वे स्वयं भी? तो क्या उन्हें सूझता नहीं? ([३२] अस-सजदा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَقُوْلُوْنَ مَتٰى هٰذَا الْفَتْحُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٢٨
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- matā
- مَتَىٰ
- कब होगा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-fatḥu
- ٱلْفَتْحُ
- फ़ैसला
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
वे कहते है कि 'यह फ़ैसला कब होगा, यदि तुम सच्चे हो?' ([३२] अस-सजदा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يَوْمَ الْفَتْحِ لَا يَنْفَعُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِيْمَانُهُمْ وَلَا هُمْ يُنْظَرُوْنَ ٢٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-fatḥi
- ٱلْفَتْحِ
- फ़ैसले के
- lā
- لَا
- ना नफ़ा देगा
- yanfaʿu
- يَنفَعُ
- ना नफ़ा देगा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- īmānuhum
- إِيمَٰنُهُمْ
- ईमान लाना उनका
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yunẓarūna
- يُنظَرُونَ
- वो मोहलत दिए जाऐंगे
कह दो कि 'फ़ैसले के दिन इनकार करनेवालों का ईमान उनके लिए कुछ लाभदायक न होगा और न उन्हें ठील ही दी जाएगी।' ([३२] अस-सजदा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَانْتَظِرْ اِنَّهُمْ مُّنْتَظِرُوْنَ ࣖ ٣٠
- fa-aʿriḍ
- فَأَعْرِضْ
- पस ऐराज़ कीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- wa-intaẓir
- وَٱنتَظِرْ
- और इन्तिज़ार कीजिए
- innahum
- إِنَّهُم
- बेशक वो (भी)
- muntaẓirūna
- مُّنتَظِرُونَ
- इन्तिज़ार करने वाले हैं
अच्छा, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो और प्रतीक्षा करो। वे भी परीक्षारत है ([३२] अस-सजदा: 30)Tafseer (तफ़सीर )