هٰذَا خَلْقُ اللّٰهِ فَاَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقَ الَّذِيْنَ مِنْ دُوْنِهٖۗ بَلِ الظّٰلِمُوْنَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ࣖ ١١
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- khalqu
- خَلْقُ
- तख़लीक़
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- fa-arūnī
- فَأَرُونِى
- तो दिखाओ मुझे
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जो
- min
- مِن
- उसके सिवा हैं
- dūnihi
- دُونِهِۦۚ
- उसके सिवा हैं
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़ालिम लोग
- fī
- فِى
- गुमराही में हैं
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में हैं
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली-खुली
यह तो अल्लाह की संरचना है। अब तनिक मुझे दिखाओं कि उससे हटकर जो दूसरे हैं (तुम्हारे ठहराए हुए प्रुभ) उन्होंने क्या पैदा किया हैं! नहीं, बल्कि ज़ालिम तो एक खुली गुमराही में पड़े हुए है ([३१] लुकमान: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اٰتَيْنَا لُقْمٰنَ الْحِكْمَةَ اَنِ اشْكُرْ لِلّٰهِ ۗوَمَنْ يَّشْكُرْ فَاِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ حَمِيْدٌ ١٢
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ātaynā
- ءَاتَيْنَا
- दी हमने
- luq'māna
- لُقْمَٰنَ
- लुक़्मान को
- l-ḥik'mata
- ٱلْحِكْمَةَ
- हिकमत
- ani
- أَنِ
- ये कि
- ush'kur
- ٱشْكُرْ
- शुक्र करो
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह का
- waman
- وَمَن
- और जो
- yashkur
- يَشْكُرْ
- शुक्र करे
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yashkuru
- يَشْكُرُ
- वो शुक्र करता है
- linafsihi
- لِنَفْسِهِۦۖ
- अपने ही नफ़्स के लिए
- waman
- وَمَن
- और जो
- kafara
- كَفَرَ
- नाशुक्री करे
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghaniyyun
- غَنِىٌّ
- बहुत बेनियाज़ है
- ḥamīdun
- حَمِيدٌ
- ख़ूब तारीफ़ वाला है
निश्चय ही हमने लुकमान को तत्वदर्शिता प्रदान की थी कि अल्लाह के प्रति कृतज्ञता दिखलाओ और जो कोई कृतज्ञता दिखलाए, वह अपने ही भले के लिए कृतज्ञता दिखलाता है। और जिसने अकृतज्ञता दिखलाई तो अल्लाह वास्तव में निस्पृह, प्रशंसनीय है ([३१] लुकमान: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ لُقْمٰنُ لِابْنِهٖ وَهُوَ يَعِظُهٗ يٰبُنَيَّ لَا تُشْرِكْ بِاللّٰهِ ۗاِنَّ الشِّرْكَ لَظُلْمٌ عَظِيْمٌ ١٣
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- luq'mānu
- لُقْمَٰنُ
- लुक़्मान ने
- li-ib'nihi
- لِٱبْنِهِۦ
- अपने बेटे से
- wahuwa
- وَهُوَ
- जबकि वो
- yaʿiẓuhu
- يَعِظُهُۥ
- वो नसीहत कर रहा था उसे
- yābunayya
- يَٰبُنَىَّ
- ऐ मेरे बेटे
- lā
- لَا
- ना तू शरीक ठहरा
- tush'rik
- تُشْرِكْ
- ना तू शरीक ठहरा
- bil-lahi
- بِٱللَّهِۖ
- साथ अल्लाह के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-shir'ka
- ٱلشِّرْكَ
- शिर्क
- laẓul'mun
- لَظُلْمٌ
- यक़ीनन ज़ुल्म है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
याद करो जब लुकमान ने अपने बेटे से, उसे नसीहत करते हुए कहा, 'ऐ मेरे बेटे! अल्लाह का साझी न ठहराना। निश्चय ही शिर्क (बहुदेववाद) बहुत बड़ा ज़ुल्म है।' ([३१] लुकमान: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَوَصَّيْنَا الْاِنْسَانَ بِوَالِدَيْهِۚ حَمَلَتْهُ اُمُّهٗ وَهْنًا عَلٰى وَهْنٍ وَّفِصَالُهٗ فِيْ عَامَيْنِ اَنِ اشْكُرْ لِيْ وَلِوَالِدَيْكَۗ اِلَيَّ الْمَصِيْرُ ١٤
- wawaṣṣaynā
- وَوَصَّيْنَا
- और ताकीद की हमने
- l-insāna
- ٱلْإِنسَٰنَ
- इन्सान को
- biwālidayhi
- بِوَٰلِدَيْهِ
- साथ अपने वालिदैन के(एहसान की)
- ḥamalathu
- حَمَلَتْهُ
- उठाया उसको
- ummuhu
- أُمُّهُۥ
- उसकी माँ ने
- wahnan
- وَهْنًا
- कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
- ʿalā
- عَلَىٰ
- कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
- wahnin
- وَهْنٍ
- कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
- wafiṣāluhu
- وَفِصَٰلُهُۥ
- और दूध छुड़ाना हुआ उसका
- fī
- فِى
- दो साल में
- ʿāmayni
- عَامَيْنِ
- दो साल में
- ani
- أَنِ
- कि
- ush'kur
- ٱشْكُرْ
- शुक्र करो
- lī
- لِى
- मेरा
- waliwālidayka
- وَلِوَٰلِدَيْكَ
- और अपने वालिदैन का
- ilayya
- إِلَىَّ
- तरफ़ मेरे ही
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है - उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे - कि 'मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है ([३१] लुकमान: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ جَاهَدٰكَ عَلٰٓى اَنْ تُشْرِكَ بِيْ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا وَصَاحِبْهُمَا فِى الدُّنْيَا مَعْرُوْفًا ۖوَّاتَّبِعْ سَبِيْلَ مَنْ اَنَابَ اِلَيَّۚ ثُمَّ اِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ١٥
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- jāhadāka
- جَٰهَدَاكَ
- दोनों कोशिश करें तुम्हारे साथ
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- an
- أَن
- कि
- tush'rika
- تُشْرِكَ
- तुम शरीक करो
- bī
- بِى
- मेरे साथ
- mā
- مَا
- उसे जो
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं
- laka
- لَكَ
- तुम्हें
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- ʿil'mun
- عِلْمٌ
- कोई इल्म
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tuṭiʿ'humā
- تُطِعْهُمَاۖ
- तुम इताअत करो उन दोनों की
- waṣāḥib'humā
- وَصَاحِبْهُمَا
- और साथ रहो उन दोनों के
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- maʿrūfan
- مَعْرُوفًاۖ
- भले तरीक़े से
- wa-ittabiʿ
- وَٱتَّبِعْ
- और पैरवी करो
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ते की
- man
- مَنْ
- उसके जो
- anāba
- أَنَابَ
- रुजूअ करे
- ilayya
- إِلَىَّۚ
- मेरी तरफ़
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ilayya
- إِلَىَّ
- तरफ़ मेरे ही
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْ
- लौटना है तुम्हारा
- fa-unabbi-ukum
- فَأُنَبِّئُكُم
- फिर मैं बताऊँगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।'- ([३१] लुकमान: 15)Tafseer (तफ़सीर )
يٰبُنَيَّ اِنَّهَآ اِنْ تَكُ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِّنْ خَرْدَلٍ فَتَكُنْ فِيْ صَخْرَةٍ اَوْ فِى السَّمٰوٰتِ اَوْ فِى الْاَرْضِ يَأْتِ بِهَا اللّٰهُ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَطِيْفٌ خَبِيْرٌ ١٦
- yābunayya
- يَٰبُنَىَّ
- ऐ मेरे बेटे
- innahā
- إِنَّهَآ
- बेशक वो
- in
- إِن
- अगर
- taku
- تَكُ
- हो वो(शै)
- mith'qāla
- مِثْقَالَ
- वज़न बराबर
- ḥabbatin
- حَبَّةٍ
- दाने
- min
- مِّنْ
- राई के
- khardalin
- خَرْدَلٍ
- राई के
- fatakun
- فَتَكُن
- फिर वो हो
- fī
- فِى
- किसी चट्टान में
- ṣakhratin
- صَخْرَةٍ
- किसी चट्टान में
- aw
- أَوْ
- या
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- aw
- أَوْ
- या
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- yati
- يَأْتِ
- ले आएगा
- bihā
- بِهَا
- उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laṭīfun
- لَطِيفٌ
- बहुत बारीकबीन है
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब बाख़बर है
'ऐ मेरे बेटे! इसमें सन्देह नहीं कि यदि वह राई के दाने के बराबर भी हो, फिर वह किसी चट्टान के बीच हो या आकाशों में हो या धरती में हो, अल्लाह उसे ला उपस्थित करेगा। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है। ([३१] लुकमान: 16)Tafseer (तफ़सीर )
يٰبُنَيَّ اَقِمِ الصَّلٰوةَ وَأْمُرْ بِالْمَعْرُوْفِ وَانْهَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَاصْبِرْ عَلٰى مَآ اَصَابَكَۗ اِنَّ ذٰلِكَ مِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ١٧
- yābunayya
- يَٰبُنَىَّ
- ऐ मेरे बेटे
- aqimi
- أَقِمِ
- क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wamur
- وَأْمُرْ
- और हुक्म दो
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِ
- नेकी का
- wa-in'ha
- وَٱنْهَ
- और रोको
- ʿani
- عَنِ
- बुराई से
- l-munkari
- ٱلْمُنكَرِ
- बुराई से
- wa-iṣ'bir
- وَٱصْبِرْ
- और सब्र करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर
- mā
- مَآ
- जो
- aṣābaka
- أَصَابَكَۖ
- पहुँचे तुझे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है
- min
- مِنْ
- हिम्मत के कामों में से
- ʿazmi
- عَزْمِ
- हिम्मत के कामों में से
- l-umūri
- ٱلْأُمُورِ
- हिम्मत के कामों में से
'ऐ मेरे बेटे! नमाज़ का आयोजन कर और भलाई का हुक्म दे और बुराई से रोक और जो मुसीबत भी तुझपर पड़े उसपर धैर्य से काम ले। निस्संदेह ये उन कामों में से है जो अनिवार्य और ढृढसंकल्प के काम है ([३१] लुकमान: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تُصَعِّرْ خَدَّكَ لِلنَّاسِ وَلَا تَمْشِ فِى الْاَرْضِ مَرَحًاۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُوْرٍۚ ١٨
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuṣaʿʿir
- تُصَعِّرْ
- तुम मोड़ो
- khaddaka
- خَدَّكَ
- अपना गाल
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों से
- walā
- وَلَا
- और ना
- tamshi
- تَمْشِ
- तुम चलो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- maraḥan
- مَرَحًاۖ
- अकड़ कर/इतरा कर
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- kulla
- كُلَّ
- हर
- mukh'tālin
- مُخْتَالٍ
- ख़ुद पसंद
- fakhūrin
- فَخُورٍ
- फ़ख़्र जताने वाले को
'और लोगों से अपना रूख़ न फेर और न धरती में इतराकर चल। निश्चय ही अल्लाह किसी अहंकारी, डींग मारनेवाले को पसन्द नहीं करता ([३१] लुकमान: 18)Tafseer (तफ़सीर )
وَاقْصِدْ فِيْ مَشْيِكَ وَاغْضُضْ مِنْ صَوْتِكَۗ اِنَّ اَنْكَرَ الْاَصْوَاتِ لَصَوْتُ الْحَمِيْرِ ࣖ ١٩
- wa-iq'ṣid
- وَٱقْصِدْ
- और मयाना रवी इख़्तियार करो
- fī
- فِى
- अपनी चाल में
- mashyika
- مَشْيِكَ
- अपनी चाल में
- wa-ugh'ḍuḍ
- وَٱغْضُضْ
- और पस्त रखो
- min
- مِن
- अपनी आवाज़ को
- ṣawtika
- صَوْتِكَۚ
- अपनी आवाज़ को
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ankara
- أَنكَرَ
- सबसे ज़्यादा नापसंदीदा
- l-aṣwāti
- ٱلْأَصْوَٰتِ
- आवाज़ों में से
- laṣawtu
- لَصَوْتُ
- अलबत्ता आवाज़ है
- l-ḥamīri
- ٱلْحَمِيرِ
- गधे की
'और अपनी चाल में सहजता और संतुलन बनाए रख और अपनी आवाज़ धीमी रख। निस्संदेह आवाज़ों में सबसे बुरी आवाज़ गधों की आवाज़ होती है।' ([३१] लुकमान: 19)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ وَاَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهٗ ظَاهِرَةً وَّبَاطِنَةً ۗوَمِنَ النَّاسِ مَنْ يُّجَادِلُ فِى اللّٰهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَّلَا هُدًى وَّلَا كِتٰبٍ مُّنِيْرٍ ٢٠
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taraw
- تَرَوْا۟
- तुमने देखा
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- sakhara
- سَخَّرَ
- मुसख़्खर किया
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- wa-asbagha
- وَأَسْبَغَ
- और उसने तमाम कर दीं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- niʿamahu
- نِعَمَهُۥ
- नेअमतें अपनी
- ẓāhiratan
- ظَٰهِرَةً
- ज़ाहिरी
- wabāṭinatan
- وَبَاطِنَةًۗ
- और बातिनी
- wamina
- وَمِنَ
- और लोगों में से कोई है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और लोगों में से कोई है
- man
- مَن
- जो
- yujādilu
- يُجَٰدِلُ
- झगड़ता है
- fī
- فِى
- अल्लाह के बारे में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के बारे में
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- इल्म के
- walā
- وَلَا
- और बग़ैर
- hudan
- هُدًى
- हिदायत के
- walā
- وَلَا
- और बग़ैर
- kitābin
- كِتَٰبٍ
- किताबे
- munīrin
- مُّنِيرٍ
- रौशन के
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे काम में लगा रखा है और उसने तुमपर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकम्पाएँ पूर्ण कर दी है? इसपर भी कुछ लोग ऐसे है जो अल्लाह के विषय में बिना किसी ज्ञान, बिना किसी मार्गदर्शन और बिना किसी प्रकाशमान किताब के झगड़ते है ([३१] लुकमान: 20)Tafseer (तफ़सीर )