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सूरा लुकमान - Page: 2

Luqman

(लुक़मान)

११

هٰذَا خَلْقُ اللّٰهِ فَاَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقَ الَّذِيْنَ مِنْ دُوْنِهٖۗ بَلِ الظّٰلِمُوْنَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ࣖ ١١

hādhā
هَٰذَا
ये है
khalqu
خَلْقُ
तख़लीक़
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
fa-arūnī
فَأَرُونِى
तो दिखाओ मुझे
mādhā
مَاذَا
क्या कुछ
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उसके सिवा हैं
dūnihi
دُونِهِۦۚ
उसके सिवा हैं
bali
بَلِ
बल्कि
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
ज़ालिम लोग
فِى
गुमराही में हैं
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में हैं
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली-खुली
यह तो अल्लाह की संरचना है। अब तनिक मुझे दिखाओं कि उससे हटकर जो दूसरे हैं (तुम्हारे ठहराए हुए प्रुभ) उन्होंने क्या पैदा किया हैं! नहीं, बल्कि ज़ालिम तो एक खुली गुमराही में पड़े हुए है ([३१] लुकमान: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَلَقَدْ اٰتَيْنَا لُقْمٰنَ الْحِكْمَةَ اَنِ اشْكُرْ لِلّٰهِ ۗوَمَنْ يَّشْكُرْ فَاِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ حَمِيْدٌ ١٢

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ātaynā
ءَاتَيْنَا
दी हमने
luq'māna
لُقْمَٰنَ
लुक़्मान को
l-ḥik'mata
ٱلْحِكْمَةَ
हिकमत
ani
أَنِ
ये कि
ush'kur
ٱشْكُرْ
शुक्र करो
lillahi
لِلَّهِۚ
अल्लाह का
waman
وَمَن
और जो
yashkur
يَشْكُرْ
शुक्र करे
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yashkuru
يَشْكُرُ
वो शुक्र करता है
linafsihi
لِنَفْسِهِۦۖ
अपने ही नफ़्स के लिए
waman
وَمَن
और जो
kafara
كَفَرَ
नाशुक्री करे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghaniyyun
غَنِىٌّ
बहुत बेनियाज़ है
ḥamīdun
حَمِيدٌ
ख़ूब तारीफ़ वाला है
निश्चय ही हमने लुकमान को तत्वदर्शिता प्रदान की थी कि अल्लाह के प्रति कृतज्ञता दिखलाओ और जो कोई कृतज्ञता दिखलाए, वह अपने ही भले के लिए कृतज्ञता दिखलाता है। और जिसने अकृतज्ञता दिखलाई तो अल्लाह वास्तव में निस्पृह, प्रशंसनीय है ([३१] लुकमान: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَاِذْ قَالَ لُقْمٰنُ لِابْنِهٖ وَهُوَ يَعِظُهٗ يٰبُنَيَّ لَا تُشْرِكْ بِاللّٰهِ ۗاِنَّ الشِّرْكَ لَظُلْمٌ عَظِيْمٌ ١٣

wa-idh
وَإِذْ
और जब
qāla
قَالَ
कहा
luq'mānu
لُقْمَٰنُ
लुक़्मान ने
li-ib'nihi
لِٱبْنِهِۦ
अपने बेटे से
wahuwa
وَهُوَ
जबकि वो
yaʿiẓuhu
يَعِظُهُۥ
वो नसीहत कर रहा था उसे
yābunayya
يَٰبُنَىَّ
ऐ मेरे बेटे
لَا
ना तू शरीक ठहरा
tush'rik
تُشْرِكْ
ना तू शरीक ठहरा
bil-lahi
بِٱللَّهِۖ
साथ अल्लाह के
inna
إِنَّ
बेशक
l-shir'ka
ٱلشِّرْكَ
शिर्क
laẓul'mun
لَظُلْمٌ
यक़ीनन ज़ुल्म है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
याद करो जब लुकमान ने अपने बेटे से, उसे नसीहत करते हुए कहा, 'ऐ मेरे बेटे! अल्लाह का साझी न ठहराना। निश्चय ही शिर्क (बहुदेववाद) बहुत बड़ा ज़ुल्म है।' ([३१] लुकमान: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَوَصَّيْنَا الْاِنْسَانَ بِوَالِدَيْهِۚ حَمَلَتْهُ اُمُّهٗ وَهْنًا عَلٰى وَهْنٍ وَّفِصَالُهٗ فِيْ عَامَيْنِ اَنِ اشْكُرْ لِيْ وَلِوَالِدَيْكَۗ اِلَيَّ الْمَصِيْرُ ١٤

wawaṣṣaynā
وَوَصَّيْنَا
और ताकीद की हमने
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
biwālidayhi
بِوَٰلِدَيْهِ
साथ अपने वालिदैन के(एहसान की)
ḥamalathu
حَمَلَتْهُ
उठाया उसको
ummuhu
أُمُّهُۥ
उसकी माँ ने
wahnan
وَهْنًا
कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
ʿalā
عَلَىٰ
कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
wahnin
وَهْنٍ
कमज़ोरी पर कमज़ोरी(सहते हुए)
wafiṣāluhu
وَفِصَٰلُهُۥ
और दूध छुड़ाना हुआ उसका
فِى
दो साल में
ʿāmayni
عَامَيْنِ
दो साल में
ani
أَنِ
कि
ush'kur
ٱشْكُرْ
शुक्र करो
لِى
मेरा
waliwālidayka
وَلِوَٰلِدَيْكَ
और अपने वालिदैन का
ilayya
إِلَىَّ
तरफ़ मेरे ही
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है - उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे - कि 'मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है ([३१] लुकमान: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَاِنْ جَاهَدٰكَ عَلٰٓى اَنْ تُشْرِكَ بِيْ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا وَصَاحِبْهُمَا فِى الدُّنْيَا مَعْرُوْفًا ۖوَّاتَّبِعْ سَبِيْلَ مَنْ اَنَابَ اِلَيَّۚ ثُمَّ اِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ١٥

wa-in
وَإِن
और अगर
jāhadāka
جَٰهَدَاكَ
दोनों कोशिश करें तुम्हारे साथ
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
an
أَن
कि
tush'rika
تُشْرِكَ
तुम शरीक करो
بِى
मेरे साथ
مَا
उसे जो
laysa
لَيْسَ
नहीं
laka
لَكَ
तुम्हें
bihi
بِهِۦ
जिसका
ʿil'mun
عِلْمٌ
कोई इल्म
falā
فَلَا
तो ना
tuṭiʿ'humā
تُطِعْهُمَاۖ
तुम इताअत करो उन दोनों की
waṣāḥib'humā
وَصَاحِبْهُمَا
और साथ रहो उन दोनों के
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
maʿrūfan
مَعْرُوفًاۖ
भले तरीक़े से
wa-ittabiʿ
وَٱتَّبِعْ
और पैरवी करो
sabīla
سَبِيلَ
रास्ते की
man
مَنْ
उसके जो
anāba
أَنَابَ
रुजूअ करे
ilayya
إِلَىَّۚ
मेरी तरफ़
thumma
ثُمَّ
फिर
ilayya
إِلَىَّ
तरफ़ मेरे ही
marjiʿukum
مَرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
fa-unabbi-ukum
فَأُنَبِّئُكُم
फिर मैं बताऊँगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।'- ([३१] लुकमान: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

يٰبُنَيَّ اِنَّهَآ اِنْ تَكُ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِّنْ خَرْدَلٍ فَتَكُنْ فِيْ صَخْرَةٍ اَوْ فِى السَّمٰوٰتِ اَوْ فِى الْاَرْضِ يَأْتِ بِهَا اللّٰهُ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَطِيْفٌ خَبِيْرٌ ١٦

yābunayya
يَٰبُنَىَّ
ऐ मेरे बेटे
innahā
إِنَّهَآ
बेशक वो
in
إِن
अगर
taku
تَكُ
हो वो(शै)
mith'qāla
مِثْقَالَ
वज़न बराबर
ḥabbatin
حَبَّةٍ
दाने
min
مِّنْ
राई के
khardalin
خَرْدَلٍ
राई के
fatakun
فَتَكُن
फिर वो हो
فِى
किसी चट्टान में
ṣakhratin
صَخْرَةٍ
किसी चट्टान में
aw
أَوْ
या
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
aw
أَوْ
या
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
yati
يَأْتِ
ले आएगा
bihā
بِهَا
उसे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laṭīfun
لَطِيفٌ
बहुत बारीकबीन है
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है
'ऐ मेरे बेटे! इसमें सन्देह नहीं कि यदि वह राई के दाने के बराबर भी हो, फिर वह किसी चट्टान के बीच हो या आकाशों में हो या धरती में हो, अल्लाह उसे ला उपस्थित करेगा। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है। ([३१] लुकमान: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

يٰبُنَيَّ اَقِمِ الصَّلٰوةَ وَأْمُرْ بِالْمَعْرُوْفِ وَانْهَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَاصْبِرْ عَلٰى مَآ اَصَابَكَۗ اِنَّ ذٰلِكَ مِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ١٧

yābunayya
يَٰبُنَىَّ
ऐ मेरे बेटे
aqimi
أَقِمِ
क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
wamur
وَأْمُرْ
और हुक्म दो
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
नेकी का
wa-in'ha
وَٱنْهَ
और रोको
ʿani
عَنِ
बुराई से
l-munkari
ٱلْمُنكَرِ
बुराई से
wa-iṣ'bir
وَٱصْبِرْ
और सब्र करो
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَآ
जो
aṣābaka
أَصَابَكَۖ
पहुँचे तुझे
inna
إِنَّ
बेशक
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है
min
مِنْ
हिम्मत के कामों में से
ʿazmi
عَزْمِ
हिम्मत के कामों में से
l-umūri
ٱلْأُمُورِ
हिम्मत के कामों में से
'ऐ मेरे बेटे! नमाज़ का आयोजन कर और भलाई का हुक्म दे और बुराई से रोक और जो मुसीबत भी तुझपर पड़े उसपर धैर्य से काम ले। निस्संदेह ये उन कामों में से है जो अनिवार्य और ढृढसंकल्प के काम है ([३१] लुकमान: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَا تُصَعِّرْ خَدَّكَ لِلنَّاسِ وَلَا تَمْشِ فِى الْاَرْضِ مَرَحًاۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُوْرٍۚ ١٨

walā
وَلَا
और ना
tuṣaʿʿir
تُصَعِّرْ
तुम मोड़ो
khaddaka
خَدَّكَ
अपना गाल
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों से
walā
وَلَا
और ना
tamshi
تَمْشِ
तुम चलो
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
maraḥan
مَرَحًاۖ
अकड़ कर/इतरा कर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
kulla
كُلَّ
हर
mukh'tālin
مُخْتَالٍ
ख़ुद पसंद
fakhūrin
فَخُورٍ
फ़ख़्र जताने वाले को
'और लोगों से अपना रूख़ न फेर और न धरती में इतराकर चल। निश्चय ही अल्लाह किसी अहंकारी, डींग मारनेवाले को पसन्द नहीं करता ([३१] लुकमान: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَاقْصِدْ فِيْ مَشْيِكَ وَاغْضُضْ مِنْ صَوْتِكَۗ اِنَّ اَنْكَرَ الْاَصْوَاتِ لَصَوْتُ الْحَمِيْرِ ࣖ ١٩

wa-iq'ṣid
وَٱقْصِدْ
और मयाना रवी इख़्तियार करो
فِى
अपनी चाल में
mashyika
مَشْيِكَ
अपनी चाल में
wa-ugh'ḍuḍ
وَٱغْضُضْ
और पस्त रखो
min
مِن
अपनी आवाज़ को
ṣawtika
صَوْتِكَۚ
अपनी आवाज़ को
inna
إِنَّ
बेशक
ankara
أَنكَرَ
सबसे ज़्यादा नापसंदीदा
l-aṣwāti
ٱلْأَصْوَٰتِ
आवाज़ों में से
laṣawtu
لَصَوْتُ
अलबत्ता आवाज़ है
l-ḥamīri
ٱلْحَمِيرِ
गधे की
'और अपनी चाल में सहजता और संतुलन बनाए रख और अपनी आवाज़ धीमी रख। निस्संदेह आवाज़ों में सबसे बुरी आवाज़ गधों की आवाज़ होती है।' ([३१] लुकमान: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

اَلَمْ تَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ سَخَّرَ لَكُمْ مَّا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ وَاَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهٗ ظَاهِرَةً وَّبَاطِنَةً ۗوَمِنَ النَّاسِ مَنْ يُّجَادِلُ فِى اللّٰهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَّلَا هُدًى وَّلَا كِتٰبٍ مُّنِيْرٍ ٢٠

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
taraw
تَرَوْا۟
तुमने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
sakhara
سَخَّرَ
मुसख़्खर किया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
مَّا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
wa-asbagha
وَأَسْبَغَ
और उसने तमाम कर दीं
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
niʿamahu
نِعَمَهُۥ
नेअमतें अपनी
ẓāhiratan
ظَٰهِرَةً
ज़ाहिरी
wabāṭinatan
وَبَاطِنَةًۗ
और बातिनी
wamina
وَمِنَ
और लोगों में से कोई है
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
और लोगों में से कोई है
man
مَن
जो
yujādilu
يُجَٰدِلُ
झगड़ता है
فِى
अल्लाह के बारे में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍ
इल्म के
walā
وَلَا
और बग़ैर
hudan
هُدًى
हिदायत के
walā
وَلَا
और बग़ैर
kitābin
كِتَٰبٍ
किताबे
munīrin
مُّنِيرٍ
रौशन के
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे काम में लगा रखा है और उसने तुमपर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकम्पाएँ पूर्ण कर दी है? इसपर भी कुछ लोग ऐसे है जो अल्लाह के विषय में बिना किसी ज्ञान, बिना किसी मार्गदर्शन और बिना किसी प्रकाशमान किताब के झगड़ते है ([३१] लुकमान: 20)
Tafseer (तफ़सीर )