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सूरा अर-रूम - Page: 6

Ar-Rum

(रोम के लोग, उस समय का बिजेंटाइन साम्राज्य)

५१

وَلَىِٕنْ اَرْسَلْنَا رِيْحًا فَرَاَوْهُ مُصْفَرًّا لَّظَلُّوْا مِنْۢ بَعْدِهٖ يَكْفُرُوْنَ ٥١

wala-in
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजें हम
rīḥan
رِيحًا
हवा को
fara-awhu
فَرَأَوْهُ
फिर वो देखें उस (खेती) को
muṣ'farran
مُصْفَرًّا
ज़र्द पड़ी हुई
laẓallū
لَّظَلُّوا۟
अलबत्ता लगें वो
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdihi
بَعْدِهِۦ
बाद इसके
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
वो नाशुक्री करने
किन्तु यदि हम एक दूसरी हवा भेज दें, जिसके प्रभाव से वे उस (खेती) को पीली पड़ी हुई देखें तो इसके पश्चात वे कुफ़्र करने लग जाएँ ([३०] अर-रूम: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

فَاِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتٰى وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَاۤءَ اِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِيْنَ ٥٢

fa-innaka
فَإِنَّكَ
पस बेशक आप
لَا
नहीं आप सुना सकते
tus'miʿu
تُسْمِعُ
नहीं आप सुना सकते
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दों को
walā
وَلَا
और ना
tus'miʿu
تُسْمِعُ
आप सुना सकते हैं
l-ṣuma
ٱلصُّمَّ
बहरों क
l-duʿāa
ٱلدُّعَآءَ
पुकार
idhā
إِذَا
जब
wallaw
وَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ जाऐं
mud'birīna
مُدْبِرِينَ
पीठ फेरते हुए
अतः तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ फेरे चले जो रहे हों ([३०] अर-रूम: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَمَآ اَنْتَ بِهٰدِ الْعُمْيِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْۗ اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ يُّؤْمِنُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ࣖ ٥٣

wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
bihādi
بِهَٰدِ
हिदायत देने वाले
l-ʿum'yi
ٱلْعُمْىِ
अँधों को
ʿan
عَن
उनकी गुमराही से
ḍalālatihim
ضَلَٰلَتِهِمْۖ
उनकी गुमराही से
in
إِن
नहीं
tus'miʿu
تُسْمِعُ
आप सुन सकते हैं
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
उसे जो
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान रखता हो
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
fahum
فَهُم
फिर वो
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हों
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से फेरकर मार्ग पर ला सकते हो। तुम तो केवल उन्हीं को सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर ईमान लाएँ। तो वही आज्ञाकारी हैं ([३०] अर-रूम: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

۞ اَللّٰهُ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ ضَعْفٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْۢ بَعْدِ ضَعْفٍ قُوَّةً ثُمَّ جَعَلَ مِنْۢ بَعْدِ قُوَّةٍ ضَعْفًا وَّشَيْبَةً ۗيَخْلُقُ مَا يَشَاۤءُۚ وَهُوَ الْعَلِيْمُ الْقَدِيْرُ ٥٤

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जिसने
khalaqakum
خَلَقَكُم
पैदा किया तुम्हें
min
مِّن
कमज़ोरी से
ḍaʿfin
ضَعْفٍ
कमज़ोरी से
thumma
ثُمَّ
फिर
jaʿala
جَعَلَ
उसने बनाई
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
ḍaʿfin
ضَعْفٍ
कमज़ोरी के
quwwatan
قُوَّةً
क़ुव्वत
thumma
ثُمَّ
फिर
jaʿala
جَعَلَ
उसने बनाई
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
quwwatin
قُوَّةٍ
क़ुव्वत के
ḍaʿfan
ضَعْفًا
कमज़ोरी
washaybatan
وَشَيْبَةًۚ
और बुढ़ापा
yakhluqu
يَخْلُقُ
वो पैदा करता है
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
l-qadīru
ٱلْقَدِيرُ
बहुत क़ुदरत रखने वाला
अल्लाह ही है जिसनें तुम्हें निर्बल पैदा किया, फिर निर्बलता के पश्चात शक्ति प्रदान की; फिर शक्ति के पश्चात निर्बलता औऱ बुढापा दिया। वह जो कुछ चाहता है पैदा करता है। वह जाननेवाला, सामर्थ्यवान है ([३०] अर-रूम: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

وَيَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ يُقْسِمُ الْمُجْرِمُوْنَ ەۙ مَا لَبِثُوْا غَيْرَ سَاعَةٍ ۗ كَذٰلِكَ كَانُوْا يُؤْفَكُوْنَ ٥٥

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
taqūmu
تَقُومُ
क़ायम होगी
l-sāʿatu
ٱلسَّاعَةُ
क़यामत
yuq'simu
يُقْسِمُ
क़समें खाऐंगे
l-muj'rimūna
ٱلْمُجْرِمُونَ
मुजरिम
مَا
नहीं
labithū
لَبِثُوا۟
वो ठहरे
ghayra
غَيْرَ
सिवाए
sāʿatin
سَاعَةٍۚ
एक घड़ी के
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yu'fakūna
يُؤْفَكُونَ
वो फेरे जाते
जिस दिन वह घड़ी आ खड़ी होगी अपराधी क़सम खाएँगे कि वे घड़ी भर से अधिक नहीं ठहरें। इसी प्रकार वे उलटे फिरे चले जाते थे ([३०] अर-रूम: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَقَالَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ وَالْاِيْمَانَ لَقَدْ لَبِثْتُمْ فِيْ كِتٰبِ اللّٰهِ اِلٰى يَوْمِ الْبَعْثِۖ فَهٰذَا يَوْمُ الْبَعْثِ وَلٰكِنَّكُمْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ٥٦

waqāla
وَقَالَ
और कहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-ʿil'ma
ٱلْعِلْمَ
इल्म
wal-īmāna
وَٱلْإِيمَٰنَ
और ईमान
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
labith'tum
لَبِثْتُمْ
ठहरे रहे तुम
فِى
अल्लाह की किताब में
kitābi
كِتَٰبِ
अल्लाह की किताब में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की किताब में
ilā
إِلَىٰ
दोबारा उठने के दिन तक
yawmi
يَوْمِ
दोबारा उठने के दिन तक
l-baʿthi
ٱلْبَعْثِۖ
दोबारा उठने के दिन तक
fahādhā
فَهَٰذَا
तो ये है
yawmu
يَوْمُ
दिन
l-baʿthi
ٱلْبَعْثِ
दोबारा उठने का
walākinnakum
وَلَٰكِنَّكُمْ
और लेकिन तुम
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
لَا
ना तुम जानते
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
ना तुम जानते
किन्तु जिन लोगों को ज्ञान और ईमान प्रदान हुआ, वे कहते, 'अल्लाह के लेख में तो तुम जीवित होकर उठने के दिन ठहरे रहे हो। तो यही जीवित हो उठाने का दिन है। किन्तु तुम जानते न थे।' ([३०] अर-रूम: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

فَيَوْمَىِٕذٍ لَّا يَنْفَعُ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مَعْذِرَتُهُمْ وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُوْنَ ٥٧

fayawma-idhin
فَيَوْمَئِذٍ
तो उस दिन
لَّا
ना नफ़ा देगी
yanfaʿu
يَنفَعُ
ना नफ़ा देगी
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
maʿdhiratuhum
مَعْذِرَتُهُمْ
मअज़रत उनकी
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yus'taʿtabūna
يُسْتَعْتَبُونَ
वो तौबा तलब किए जाऐंगे
अतः उस दिन ज़ुल्म करनेवालों को उनका कोई उज़्र (सफाई पेश करना) काम न आएगा और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी यत्न से (अल्लाह के) प्रकोप को टाल सकें ([३०] अर-रूम: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍۗ وَلَىِٕنْ جِئْتَهُمْ بِاٰيَةٍ لَّيَقُوْلَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا مُبْطِلُوْنَ ٥٨

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ḍarabnā
ضَرَبْنَا
बयान की हमने
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
فِى
इल क़ुरआन में
hādhā
هَٰذَا
इल क़ुरआन में
l-qur'āni
ٱلْقُرْءَانِ
इल क़ुरआन में
min
مِن
हर तरह की
kulli
كُلِّ
हर तरह की
mathalin
مَثَلٍۚ
मिसाल
wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
ji'tahum
جِئْتَهُم
लाऐं आप उनके पास
biāyatin
بِـَٔايَةٍ
कोई निशानी
layaqūlanna
لَّيَقُولَنَّ
अलबत्ता ज़रूर कहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
in
إِنْ
नहीं
antum
أَنتُمْ
हो तुम
illā
إِلَّا
मगर
mub'ṭilūna
مُبْطِلُونَ
बातिल परस्त
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए प्रत्येक मिसाल पेश कर दी है। यदि तुम कोई भी निशानी उनके पास ले आओ, जिन लोगों ने इनकार किया है, वे तो यही कहेंगे, 'तुम तो बस झूठ घड़ते हो।' ([३०] अर-रूम: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ٥٩

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaṭbaʿu
يَطْبَعُ
मोहर लगा देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
दिलों पर
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों पर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
इस प्रकार अल्लाह उन लोगों के दिलों पर ठप्पा लगा देता है जो अज्ञानी है ([३०] अर-रूम: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلَا يَسْتَخِفَّنَّكَ الَّذِيْنَ لَا يُوْقِنُوْنَ ࣖ ٦٠

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
waʿda
وَعْدَ
वादा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ḥaqqun
حَقٌّۖ
सच्चा है
walā
وَلَا
और हरगिज़ ना हल्का पाऐं आपको
yastakhiffannaka
يَسْتَخِفَّنَّكَ
और हरगिज़ ना हल्का पाऐं आपको
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
لَا
नहीं वो यक़ीन रखते
yūqinūna
يُوقِنُونَ
नहीं वो यक़ीन रखते
अतः धैर्य से काम लो निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और जिन्हें विश्वास नहीं, वे तुम्हें कदापि हल्का न पाएँ ([३०] अर-रूम: 60)
Tafseer (तफ़सीर )