وَلَىِٕنْ اَرْسَلْنَا رِيْحًا فَرَاَوْهُ مُصْفَرًّا لَّظَلُّوْا مِنْۢ بَعْدِهٖ يَكْفُرُوْنَ ٥١
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजें हम
- rīḥan
- رِيحًا
- हवा को
- fara-awhu
- فَرَأَوْهُ
- फिर वो देखें उस (खेती) को
- muṣ'farran
- مُصْفَرًّا
- ज़र्द पड़ी हुई
- laẓallū
- لَّظَلُّوا۟
- अलबत्ता लगें वो
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦ
- बाद इसके
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- वो नाशुक्री करने
किन्तु यदि हम एक दूसरी हवा भेज दें, जिसके प्रभाव से वे उस (खेती) को पीली पड़ी हुई देखें तो इसके पश्चात वे कुफ़्र करने लग जाएँ ([३०] अर-रूम: 51)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتٰى وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَاۤءَ اِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِيْنَ ٥٢
- fa-innaka
- فَإِنَّكَ
- पस बेशक आप
- lā
- لَا
- नहीं आप सुना सकते
- tus'miʿu
- تُسْمِعُ
- नहीं आप सुना सकते
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰ
- मुर्दों को
- walā
- وَلَا
- और ना
- tus'miʿu
- تُسْمِعُ
- आप सुना सकते हैं
- l-ṣuma
- ٱلصُّمَّ
- बहरों क
- l-duʿāa
- ٱلدُّعَآءَ
- पुकार
- idhā
- إِذَا
- जब
- wallaw
- وَلَّوْا۟
- वो मुँह मोड़ जाऐं
- mud'birīna
- مُدْبِرِينَ
- पीठ फेरते हुए
अतः तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ फेरे चले जो रहे हों ([३०] अर-रूम: 52)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَنْتَ بِهٰدِ الْعُمْيِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْۗ اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ يُّؤْمِنُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ࣖ ٥٣
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- bihādi
- بِهَٰدِ
- हिदायत देने वाले
- l-ʿum'yi
- ٱلْعُمْىِ
- अँधों को
- ʿan
- عَن
- उनकी गुमराही से
- ḍalālatihim
- ضَلَٰلَتِهِمْۖ
- उनकी गुमराही से
- in
- إِن
- नहीं
- tus'miʿu
- تُسْمِعُ
- आप सुन सकते हैं
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- उसे जो
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- ईमान रखता हो
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात पर
- fahum
- فَهُم
- फिर वो
- mus'limūna
- مُّسْلِمُونَ
- फ़रमाबरदार हों
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से फेरकर मार्ग पर ला सकते हो। तुम तो केवल उन्हीं को सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर ईमान लाएँ। तो वही आज्ञाकारी हैं ([३०] अर-रूम: 53)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَللّٰهُ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ ضَعْفٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْۢ بَعْدِ ضَعْفٍ قُوَّةً ثُمَّ جَعَلَ مِنْۢ بَعْدِ قُوَّةٍ ضَعْفًا وَّشَيْبَةً ۗيَخْلُقُ مَا يَشَاۤءُۚ وَهُوَ الْعَلِيْمُ الْقَدِيْرُ ٥٤
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो है जिसने
- khalaqakum
- خَلَقَكُم
- पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- कमज़ोरी से
- ḍaʿfin
- ضَعْفٍ
- कमज़ोरी से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाई
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- ḍaʿfin
- ضَعْفٍ
- कमज़ोरी के
- quwwatan
- قُوَّةً
- क़ुव्वत
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाई
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- quwwatin
- قُوَّةٍ
- क़ुव्वत के
- ḍaʿfan
- ضَعْفًا
- कमज़ोरी
- washaybatan
- وَشَيْبَةًۚ
- और बुढ़ापा
- yakhluqu
- يَخْلُقُ
- वो पैदा करता है
- mā
- مَا
- जो
- yashāu
- يَشَآءُۖ
- वो चाहता है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
- l-qadīru
- ٱلْقَدِيرُ
- बहुत क़ुदरत रखने वाला
अल्लाह ही है जिसनें तुम्हें निर्बल पैदा किया, फिर निर्बलता के पश्चात शक्ति प्रदान की; फिर शक्ति के पश्चात निर्बलता औऱ बुढापा दिया। वह जो कुछ चाहता है पैदा करता है। वह जाननेवाला, सामर्थ्यवान है ([३०] अर-रूम: 54)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ يُقْسِمُ الْمُجْرِمُوْنَ ەۙ مَا لَبِثُوْا غَيْرَ سَاعَةٍ ۗ كَذٰلِكَ كَانُوْا يُؤْفَكُوْنَ ٥٥
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- taqūmu
- تَقُومُ
- क़ायम होगी
- l-sāʿatu
- ٱلسَّاعَةُ
- क़यामत
- yuq'simu
- يُقْسِمُ
- क़समें खाऐंगे
- l-muj'rimūna
- ٱلْمُجْرِمُونَ
- मुजरिम
- mā
- مَا
- नहीं
- labithū
- لَبِثُوا۟
- वो ठहरे
- ghayra
- غَيْرَ
- सिवाए
- sāʿatin
- سَاعَةٍۚ
- एक घड़ी के
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yu'fakūna
- يُؤْفَكُونَ
- वो फेरे जाते
जिस दिन वह घड़ी आ खड़ी होगी अपराधी क़सम खाएँगे कि वे घड़ी भर से अधिक नहीं ठहरें। इसी प्रकार वे उलटे फिरे चले जाते थे ([३०] अर-रूम: 55)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ وَالْاِيْمَانَ لَقَدْ لَبِثْتُمْ فِيْ كِتٰبِ اللّٰهِ اِلٰى يَوْمِ الْبَعْثِۖ فَهٰذَا يَوْمُ الْبَعْثِ وَلٰكِنَّكُمْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ ٥٦
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-ʿil'ma
- ٱلْعِلْمَ
- इल्म
- wal-īmāna
- وَٱلْإِيمَٰنَ
- और ईमान
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- labith'tum
- لَبِثْتُمْ
- ठहरे रहे तुम
- fī
- فِى
- अल्लाह की किताब में
- kitābi
- كِتَٰبِ
- अल्लाह की किताब में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की किताब में
- ilā
- إِلَىٰ
- दोबारा उठने के दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- दोबारा उठने के दिन तक
- l-baʿthi
- ٱلْبَعْثِۖ
- दोबारा उठने के दिन तक
- fahādhā
- فَهَٰذَا
- तो ये है
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन
- l-baʿthi
- ٱلْبَعْثِ
- दोबारा उठने का
- walākinnakum
- وَلَٰكِنَّكُمْ
- और लेकिन तुम
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- lā
- لَا
- ना तुम जानते
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- ना तुम जानते
किन्तु जिन लोगों को ज्ञान और ईमान प्रदान हुआ, वे कहते, 'अल्लाह के लेख में तो तुम जीवित होकर उठने के दिन ठहरे रहे हो। तो यही जीवित हो उठाने का दिन है। किन्तु तुम जानते न थे।' ([३०] अर-रूम: 56)Tafseer (तफ़सीर )
فَيَوْمَىِٕذٍ لَّا يَنْفَعُ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مَعْذِرَتُهُمْ وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُوْنَ ٥٧
- fayawma-idhin
- فَيَوْمَئِذٍ
- तो उस दिन
- lā
- لَّا
- ना नफ़ा देगी
- yanfaʿu
- يَنفَعُ
- ना नफ़ा देगी
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- maʿdhiratuhum
- مَعْذِرَتُهُمْ
- मअज़रत उनकी
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yus'taʿtabūna
- يُسْتَعْتَبُونَ
- वो तौबा तलब किए जाऐंगे
अतः उस दिन ज़ुल्म करनेवालों को उनका कोई उज़्र (सफाई पेश करना) काम न आएगा और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी यत्न से (अल्लाह के) प्रकोप को टाल सकें ([३०] अर-रूम: 57)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍۗ وَلَىِٕنْ جِئْتَهُمْ بِاٰيَةٍ لَّيَقُوْلَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا مُبْطِلُوْنَ ٥٨
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ḍarabnā
- ضَرَبْنَا
- बयान की हमने
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- fī
- فِى
- इल क़ुरआन में
- hādhā
- هَٰذَا
- इल क़ुरआन में
- l-qur'āni
- ٱلْقُرْءَانِ
- इल क़ुरआन में
- min
- مِن
- हर तरह की
- kulli
- كُلِّ
- हर तरह की
- mathalin
- مَثَلٍۚ
- मिसाल
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- ji'tahum
- جِئْتَهُم
- लाऐं आप उनके पास
- biāyatin
- بِـَٔايَةٍ
- कोई निशानी
- layaqūlanna
- لَّيَقُولَنَّ
- अलबत्ता ज़रूर कहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- in
- إِنْ
- नहीं
- antum
- أَنتُمْ
- हो तुम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mub'ṭilūna
- مُبْطِلُونَ
- बातिल परस्त
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए प्रत्येक मिसाल पेश कर दी है। यदि तुम कोई भी निशानी उनके पास ले आओ, जिन लोगों ने इनकार किया है, वे तो यही कहेंगे, 'तुम तो बस झूठ घड़ते हो।' ([३०] अर-रूम: 58)Tafseer (तफ़सीर )
كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ٥٩
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaṭbaʿu
- يَطْبَعُ
- मोहर लगा देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- दिलों पर
- qulūbi
- قُلُوبِ
- दिलों पर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों के जो
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
इस प्रकार अल्लाह उन लोगों के दिलों पर ठप्पा लगा देता है जो अज्ञानी है ([३०] अर-रूम: 59)Tafseer (तफ़सीर )
فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلَا يَسْتَخِفَّنَّكَ الَّذِيْنَ لَا يُوْقِنُوْنَ ࣖ ٦٠
- fa-iṣ'bir
- فَٱصْبِرْ
- पस सब्र कीजिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqun
- حَقٌّۖ
- सच्चा है
- walā
- وَلَا
- और हरगिज़ ना हल्का पाऐं आपको
- yastakhiffannaka
- يَسْتَخِفَّنَّكَ
- और हरगिज़ ना हल्का पाऐं आपको
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- lā
- لَا
- नहीं वो यक़ीन रखते
- yūqinūna
- يُوقِنُونَ
- नहीं वो यक़ीन रखते
अतः धैर्य से काम लो निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और जिन्हें विश्वास नहीं, वे तुम्हें कदापि हल्का न पाएँ ([३०] अर-रूम: 60)Tafseer (तफ़सीर )