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सूरा अर-रूम - Page: 5

Ar-Rum

(रोम के लोग, उस समय का बिजेंटाइन साम्राज्य)

४१

ظَهَرَ الْفَسَادُ فِى الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ اَيْدِى النَّاسِ لِيُذِيْقَهُمْ بَعْضَ الَّذِيْ عَمِلُوْا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ٤١

ẓahara
ظَهَرَ
ज़ाहिर हो गया
l-fasādu
ٱلْفَسَادُ
फ़साद
فِى
ख़ुश्की में
l-bari
ٱلْبَرِّ
ख़ुश्की में
wal-baḥri
وَٱلْبَحْرِ
और समुन्दर में
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabat
كَسَبَتْ
कमाई की
aydī
أَيْدِى
हाथों ने
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों के
liyudhīqahum
لِيُذِيقَهُم
ताकि वो चखाए उन्हें
baʿḍa
بَعْضَ
बाज़ उसका
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
ʿamilū
عَمِلُوا۟
उन्होंने अमल किए
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yarjiʿūna
يَرْجِعُونَ
वो लौट आऐं
थल और जल में बिगाड़ फैल गया स्वयं लोगों ही के हाथों की कमाई के कारण, ताकि वह उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मज़ा चखाए, कदाचित वे बाज़ आ जाएँ ([३०] अर-रूम: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

قُلْ سِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلُۗ كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّشْرِكِيْنَ ٤٢

qul
قُلْ
कह दीजिए
sīrū
سِيرُوا۟
चलो फिरो
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fa-unẓurū
فَٱنظُرُوا۟
फिर देखो
kayfa
كَيْفَ
कैसा
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
min
مِن
(इनसे) पहले थे
qablu
قَبْلُۚ
(इनसे) पहले थे
kāna
كَانَ
थे
aktharuhum
أَكْثَرُهُم
अक्सर उनके
mush'rikīna
مُّشْرِكِينَ
मुशरिक
कहो, 'धरती में चल-फिरकर देखो कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो पहले गुज़रे है। उनमें अधिकतर बहुदेववादी ही थे।' ([३०] अर-रूम: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّيْنِ الْقَيِّمِ مِنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ يَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهٗ مِنَ اللّٰهِ يَوْمَىِٕذٍ يَّصَّدَّعُوْنَ ٤٣

fa-aqim
فَأَقِمْ
तो क़ायम रखिए
wajhaka
وَجْهَكَ
चेहरा अपना
lilddīni
لِلدِّينِ
दुरुस्त दीन के लिए
l-qayimi
ٱلْقَيِّمِ
दुरुस्त दीन के लिए
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
yatiya
يَأْتِىَ
आ जाए
yawmun
يَوْمٌ
वो दिन
لَّا
नहीं कोई टलना
maradda
مَرَدَّ
नहीं कोई टलना
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की तरफ़ से
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
yaṣṣaddaʿūna
يَصَّدَّعُونَ
वो जुदा-जुदा हो जाऐंगे
अतः तुम अपना रुख़ सीधे व ठीक धर्म की ओर जमा दो, इससे पहले कि अल्लाह की ओर से वह दिन आ जाए जिसके लिए वापसी नहीं। उस दिन लोग अलग-अलग हो जाएँगे ([३०] अर-रूम: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

مَنْ كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهٗۚ وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِاَنْفُسِهِمْ يَمْهَدُوْنَۙ ٤٤

man
مَن
जिसने
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया
faʿalayhi
فَعَلَيْهِ
तोउसी पर है
kuf'ruhu
كُفْرُهُۥۖ
कुफ़्र उसका
waman
وَمَنْ
और जिसने
ʿamila
عَمِلَ
अमल किया
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
fali-anfusihim
فَلِأَنفُسِهِمْ
तो अपने ही नफ़्सों के लिए
yamhadūna
يَمْهَدُونَ
वो राह हमवार कर रहे हैं
जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार उसी के लिए घातक सिद्ध होगा, और जिन लोगों ने अच्छा कर्म किया वे अपने ही लिए आराम का साधन जुटा रहे है ([३०] अर-रूम: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

لِيَجْزِيَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ مِنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْكٰفِرِيْنَ ٤٥

liyajziya
لِيَجْزِىَ
ताकि वो बदला दे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦٓۚ
अपने फ़ज़ल से
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
ताकि वह अपने उदार अनुग्रह से उन लोगों को बदला दे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। निश्चय ही वह इनकार करनेवालों को पसन्द नहीं करता। - ([३०] अर-रूम: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ يُّرْسِلَ الرِّيٰحَ مُبَشِّرٰتٍ وَّلِيُذِيْقَكُمْ مِّنْ رَّحْمَتِهٖ وَلِتَجْرِيَ الْفُلْكُ بِاَمْرِهٖ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٤٦

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦٓ
और उसकी निशानियों में से है
an
أَن
कि
yur'sila
يُرْسِلَ
वो भेजता है
l-riyāḥa
ٱلرِّيَاحَ
हवाऐं
mubashirātin
مُبَشِّرَٰتٍ
ख़ुशख़बरी देने वालियाँ
waliyudhīqakum
وَلِيُذِيقَكُم
और ताकि वो चखाए तुम्हें
min
مِّن
अपनी रहमत से
raḥmatihi
رَّحْمَتِهِۦ
अपनी रहमत से
walitajriya
وَلِتَجْرِىَ
और ताकि चलें
l-ful'ku
ٱلْفُلْكُ
कश्तियाँ
bi-amrihi
بِأَمْرِهِۦ
उसके हुक्म से
walitabtaghū
وَلِتَبْتَغُوا۟
और ताकि तुम तलाश करो
min
مِن
उसके फ़ज़ल में से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
उसके फ़ज़ल में से
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि शुभ सूचना देनेवाली हवाएँ भेजता है (ताकि उनके द्वारा तुम्हें वर्षा की शुभ सूचना मिले) और ताकि वह तुम्हें अपनी दयालुता का रसास्वादन कराए और ताकि उसके आदेश से नौकाएँ चलें और ताकि तुम उसका अनुग्रह (रोज़ी) तलाश करो और कदाचित तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([३०] अर-रूम: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ رُسُلًا اِلٰى قَوْمِهِمْ فَجَاۤءُوْهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَانْتَقَمْنَا مِنَ الَّذِيْنَ اَجْرَمُوْاۗ وَكَانَ حَقًّاۖ عَلَيْنَا نَصْرُ الْمُؤْمِنِيْنَ ٤٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
min
مِن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
rusulan
رُسُلًا
कई रसूलों क
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ उनकी क़ौम के
qawmihim
قَوْمِهِمْ
तरफ़ उनकी क़ौम के
fajāūhum
فَجَآءُوهُم
तो वो लाए उनके पास
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
वाज़ेह निशानियाँ
fa-intaqamnā
فَٱنتَقَمْنَا
तो इन्तिक़ाम लिया हमने
mina
مِنَ
उनसे जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
ajramū
أَجْرَمُوا۟ۖ
जुर्म किया
wakāna
وَكَانَ
और है
ḥaqqan
حَقًّا
हक़
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
naṣru
نَصْرُ
मदद करना
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों की
हम तुमसे पहले कितने ही रसूलों को उनकी क़ौम की ओर भेज चुके है और वे उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए। फिर हम उन लोगों से बदला लेकर रहे जिन्होंने अपराध किया, और ईमानवालों की सहायता करना तो हमपर एक हक़ है ([३०] अर-रूम: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

اَللّٰهُ الَّذِيْ يُرْسِلُ الرِّيٰحَ فَتُثِيْرُ سَحَابًا فَيَبْسُطُهٗ فِى السَّمَاۤءِ كَيْفَ يَشَاۤءُ وَيَجْعَلُهٗ كِسَفًا فَتَرَى الْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلٰلِهٖۚ فَاِذَآ اَصَابَ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖٓ اِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُوْنَۚ ٤٨

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जो
yur'silu
يُرْسِلُ
भेजता है
l-riyāḥa
ٱلرِّيَٰحَ
हवाओं को
fatuthīru
فَتُثِيرُ
तो वो उठाती हैं
saḥāban
سَحَابًا
बादल
fayabsuṭuhu
فَيَبْسُطُهُۥ
फिर वो फैला देता है उसे
فِى
आसमान में
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान में
kayfa
كَيْفَ
जिस तरह
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayajʿaluhu
وَيَجْعَلُهُۥ
और वो कर देता है उसे
kisafan
كِسَفًا
टुकड़ियों में
fatarā
فَتَرَى
तो आप देखते हैं
l-wadqa
ٱلْوَدْقَ
बारिश को
yakhruju
يَخْرُجُ
वो निकलती है
min
مِنْ
उसके अन्दर से
khilālihi
خِلَٰلِهِۦۖ
उसके अन्दर से
fa-idhā
فَإِذَآ
फिर जब
aṣāba
أَصَابَ
वो पहुँचाता है
bihi
بِهِۦ
उसे
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦٓ
अपने बन्दों में से
idhā
إِذَا
यकायक
hum
هُمْ
वो
yastabshirūna
يَسْتَبْشِرُونَ
वो ख़ुश हो जाते हैं
अल्लाह ही है जो हवाओं को भेजता है। फिर वे बादलों को उठाती हैं; फिर जिस तरह चाहता है उन्हें आकाश में फैला देता है और उन्हें परतों और टुकड़ियों का रूप दे देता है। फिर तुम देखते हो कि उनके बीच से वर्षा की बूँदें टपकी चली आती है। फिर जब वह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है, उसे बरसाता है। तो क्या देखते है कि वे हर्षित हो उठे ([३०] अर-रूम: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلِ اَنْ يُّنَزَّلَ عَلَيْهِمْ مِّنْ قَبْلِهٖ لَمُبْلِسِيْنَۚ ٤٩

wa-in
وَإِن
और बेशक
kānū
كَانُوا۟
थे वो
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
yunazzala
يُنَزَّلَ
वो बरसाई जाए
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
min
مِّن
इससे पहले ही
qablihi
قَبْلِهِۦ
इससे पहले ही
lamub'lisīna
لَمُبْلِسِينَ
यक़ीनन मायूस होने वाले
जबकि इससे पूर्व, इससे पहले कि वह उनपर उतरे, वे बिलकुल निराश थे ([३०] अर-रूम: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

فَانْظُرْ اِلٰٓى اٰثٰرِ رَحْمَتِ اللّٰهِ كَيْفَ يُحْيِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ ذٰلِكَ لَمُحْيِ الْمَوْتٰىۚ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٥٠

fa-unẓur
فَٱنظُرْ
तो देखो
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ आसार के
āthāri
ءَاثَٰرِ
तरफ़ आसार के
raḥmati
رَحْمَتِ
अल्लाह की रहमत के
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की रहमत के
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
yuḥ'yī
يُحْىِ
वो ज़िन्दा करता है
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَآۚ
उसकी मौत के
inna
إِنَّ
बेशक
dhālika
ذَٰلِكَ
वो ही
lamuḥ'yī
لَمُحْىِ
अलबत्ता ज़िन्दा करने वाला है
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰۖ
मुर्दों को
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
अतः देखों अल्लाह की दयालुता के चिन्ह! वह किस प्रकार धरती को उसके मृत हो जाने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निश्चय ही वह मुर्दों को जीवत करनेवाला है, और उसे हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्ती है ([३०] अर-रूम: 50)
Tafseer (तफ़सीर )