ظَهَرَ الْفَسَادُ فِى الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ اَيْدِى النَّاسِ لِيُذِيْقَهُمْ بَعْضَ الَّذِيْ عَمِلُوْا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ٤١
- ẓahara
- ظَهَرَ
- ज़ाहिर हो गया
- l-fasādu
- ٱلْفَسَادُ
- फ़साद
- fī
- فِى
- ख़ुश्की में
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- ख़ुश्की में
- wal-baḥri
- وَٱلْبَحْرِ
- और समुन्दर में
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kasabat
- كَسَبَتْ
- कमाई की
- aydī
- أَيْدِى
- हाथों ने
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों के
- liyudhīqahum
- لِيُذِيقَهُم
- ताकि वो चखाए उन्हें
- baʿḍa
- بَعْضَ
- बाज़ उसका
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yarjiʿūna
- يَرْجِعُونَ
- वो लौट आऐं
थल और जल में बिगाड़ फैल गया स्वयं लोगों ही के हाथों की कमाई के कारण, ताकि वह उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मज़ा चखाए, कदाचित वे बाज़ आ जाएँ ([३०] अर-रूम: 41)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ سِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلُۗ كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّشْرِكِيْنَ ٤٢
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- sīrū
- سِيرُوا۟
- चलो फिरो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fa-unẓurū
- فَٱنظُرُوا۟
- फिर देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसा
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनका जो
- min
- مِن
- (इनसे) पहले थे
- qablu
- قَبْلُۚ
- (इनसे) पहले थे
- kāna
- كَانَ
- थे
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُم
- अक्सर उनके
- mush'rikīna
- مُّشْرِكِينَ
- मुशरिक
कहो, 'धरती में चल-फिरकर देखो कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो पहले गुज़रे है। उनमें अधिकतर बहुदेववादी ही थे।' ([३०] अर-रूम: 42)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّيْنِ الْقَيِّمِ مِنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ يَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهٗ مِنَ اللّٰهِ يَوْمَىِٕذٍ يَّصَّدَّعُوْنَ ٤٣
- fa-aqim
- فَأَقِمْ
- तो क़ायम रखिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- चेहरा अपना
- lilddīni
- لِلدِّينِ
- दुरुस्त दीन के लिए
- l-qayimi
- ٱلْقَيِّمِ
- दुरुस्त दीन के लिए
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- yatiya
- يَأْتِىَ
- आ जाए
- yawmun
- يَوْمٌ
- वो दिन
- lā
- لَّا
- नहीं कोई टलना
- maradda
- مَرَدَّ
- नहीं कोई टलना
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह की तरफ़ से
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- yaṣṣaddaʿūna
- يَصَّدَّعُونَ
- वो जुदा-जुदा हो जाऐंगे
अतः तुम अपना रुख़ सीधे व ठीक धर्म की ओर जमा दो, इससे पहले कि अल्लाह की ओर से वह दिन आ जाए जिसके लिए वापसी नहीं। उस दिन लोग अलग-अलग हो जाएँगे ([३०] अर-रूम: 43)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهٗۚ وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِاَنْفُسِهِمْ يَمْهَدُوْنَۙ ٤٤
- man
- مَن
- जिसने
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- faʿalayhi
- فَعَلَيْهِ
- तोउसी पर है
- kuf'ruhu
- كُفْرُهُۥۖ
- कुफ़्र उसका
- waman
- وَمَنْ
- और जिसने
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल किया
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- fali-anfusihim
- فَلِأَنفُسِهِمْ
- तो अपने ही नफ़्सों के लिए
- yamhadūna
- يَمْهَدُونَ
- वो राह हमवार कर रहे हैं
जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार उसी के लिए घातक सिद्ध होगा, और जिन लोगों ने अच्छा कर्म किया वे अपने ही लिए आराम का साधन जुटा रहे है ([३०] अर-रूम: 44)Tafseer (तफ़सीर )
لِيَجْزِيَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ مِنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْكٰفِرِيْنَ ٤٥
- liyajziya
- لِيَجْزِىَ
- ताकि वो बदला दे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦٓۚ
- अपने फ़ज़ल से
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
ताकि वह अपने उदार अनुग्रह से उन लोगों को बदला दे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। निश्चय ही वह इनकार करनेवालों को पसन्द नहीं करता। - ([३०] अर-रूम: 45)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ يُّرْسِلَ الرِّيٰحَ مُبَشِّرٰتٍ وَّلِيُذِيْقَكُمْ مِّنْ رَّحْمَتِهٖ وَلِتَجْرِيَ الْفُلْكُ بِاَمْرِهٖ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٤٦
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦٓ
- और उसकी निशानियों में से है
- an
- أَن
- कि
- yur'sila
- يُرْسِلَ
- वो भेजता है
- l-riyāḥa
- ٱلرِّيَاحَ
- हवाऐं
- mubashirātin
- مُبَشِّرَٰتٍ
- ख़ुशख़बरी देने वालियाँ
- waliyudhīqakum
- وَلِيُذِيقَكُم
- और ताकि वो चखाए तुम्हें
- min
- مِّن
- अपनी रहमत से
- raḥmatihi
- رَّحْمَتِهِۦ
- अपनी रहमत से
- walitajriya
- وَلِتَجْرِىَ
- और ताकि चलें
- l-ful'ku
- ٱلْفُلْكُ
- कश्तियाँ
- bi-amrihi
- بِأَمْرِهِۦ
- उसके हुक्म से
- walitabtaghū
- وَلِتَبْتَغُوا۟
- और ताकि तुम तलाश करो
- min
- مِن
- उसके फ़ज़ल में से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- उसके फ़ज़ल में से
- walaʿallakum
- وَلَعَلَّكُمْ
- और ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र अदा करो
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि शुभ सूचना देनेवाली हवाएँ भेजता है (ताकि उनके द्वारा तुम्हें वर्षा की शुभ सूचना मिले) और ताकि वह तुम्हें अपनी दयालुता का रसास्वादन कराए और ताकि उसके आदेश से नौकाएँ चलें और ताकि तुम उसका अनुग्रह (रोज़ी) तलाश करो और कदाचित तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([३०] अर-रूम: 46)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ رُسُلًا اِلٰى قَوْمِهِمْ فَجَاۤءُوْهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَانْتَقَمْنَا مِنَ الَّذِيْنَ اَجْرَمُوْاۗ وَكَانَ حَقًّاۖ عَلَيْنَا نَصْرُ الْمُؤْمِنِيْنَ ٤٧
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- min
- مِن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- rusulan
- رُسُلًا
- कई रसूलों क
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उनकी क़ौम के
- qawmihim
- قَوْمِهِمْ
- तरफ़ उनकी क़ौम के
- fajāūhum
- فَجَآءُوهُم
- तो वो लाए उनके पास
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह निशानियाँ
- fa-intaqamnā
- فَٱنتَقَمْنَا
- तो इन्तिक़ाम लिया हमने
- mina
- مِنَ
- उनसे जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- ajramū
- أَجْرَمُوا۟ۖ
- जुर्म किया
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- ḥaqqan
- حَقًّا
- हक़
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- naṣru
- نَصْرُ
- मदद करना
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों की
हम तुमसे पहले कितने ही रसूलों को उनकी क़ौम की ओर भेज चुके है और वे उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए। फिर हम उन लोगों से बदला लेकर रहे जिन्होंने अपराध किया, और ईमानवालों की सहायता करना तो हमपर एक हक़ है ([३०] अर-रूम: 47)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ الَّذِيْ يُرْسِلُ الرِّيٰحَ فَتُثِيْرُ سَحَابًا فَيَبْسُطُهٗ فِى السَّمَاۤءِ كَيْفَ يَشَاۤءُ وَيَجْعَلُهٗ كِسَفًا فَتَرَى الْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلٰلِهٖۚ فَاِذَآ اَصَابَ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖٓ اِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُوْنَۚ ٤٨
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो है जो
- yur'silu
- يُرْسِلُ
- भेजता है
- l-riyāḥa
- ٱلرِّيَٰحَ
- हवाओं को
- fatuthīru
- فَتُثِيرُ
- तो वो उठाती हैं
- saḥāban
- سَحَابًا
- बादल
- fayabsuṭuhu
- فَيَبْسُطُهُۥ
- फिर वो फैला देता है उसे
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान में
- kayfa
- كَيْفَ
- जिस तरह
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wayajʿaluhu
- وَيَجْعَلُهُۥ
- और वो कर देता है उसे
- kisafan
- كِسَفًا
- टुकड़ियों में
- fatarā
- فَتَرَى
- तो आप देखते हैं
- l-wadqa
- ٱلْوَدْقَ
- बारिश को
- yakhruju
- يَخْرُجُ
- वो निकलती है
- min
- مِنْ
- उसके अन्दर से
- khilālihi
- خِلَٰلِهِۦۖ
- उसके अन्दर से
- fa-idhā
- فَإِذَآ
- फिर जब
- aṣāba
- أَصَابَ
- वो पहुँचाता है
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦٓ
- अपने बन्दों में से
- idhā
- إِذَا
- यकायक
- hum
- هُمْ
- वो
- yastabshirūna
- يَسْتَبْشِرُونَ
- वो ख़ुश हो जाते हैं
अल्लाह ही है जो हवाओं को भेजता है। फिर वे बादलों को उठाती हैं; फिर जिस तरह चाहता है उन्हें आकाश में फैला देता है और उन्हें परतों और टुकड़ियों का रूप दे देता है। फिर तुम देखते हो कि उनके बीच से वर्षा की बूँदें टपकी चली आती है। फिर जब वह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है, उसे बरसाता है। तो क्या देखते है कि वे हर्षित हो उठे ([३०] अर-रूम: 48)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ كَانُوْا مِنْ قَبْلِ اَنْ يُّنَزَّلَ عَلَيْهِمْ مِّنْ قَبْلِهٖ لَمُبْلِسِيْنَۚ ٤٩
- wa-in
- وَإِن
- और बेशक
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- yunazzala
- يُنَزَّلَ
- वो बरसाई जाए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- min
- مِّن
- इससे पहले ही
- qablihi
- قَبْلِهِۦ
- इससे पहले ही
- lamub'lisīna
- لَمُبْلِسِينَ
- यक़ीनन मायूस होने वाले
जबकि इससे पूर्व, इससे पहले कि वह उनपर उतरे, वे बिलकुल निराश थे ([३०] अर-रूम: 49)Tafseer (तफ़सीर )
فَانْظُرْ اِلٰٓى اٰثٰرِ رَحْمَتِ اللّٰهِ كَيْفَ يُحْيِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ ذٰلِكَ لَمُحْيِ الْمَوْتٰىۚ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٥٠
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- तो देखो
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ आसार के
- āthāri
- ءَاثَٰرِ
- तरफ़ आसार के
- raḥmati
- رَحْمَتِ
- अल्लाह की रहमत के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की रहमत के
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- yuḥ'yī
- يُحْىِ
- वो ज़िन्दा करता है
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَآۚ
- उसकी मौत के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- वो ही
- lamuḥ'yī
- لَمُحْىِ
- अलबत्ता ज़िन्दा करने वाला है
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰۖ
- मुर्दों को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
अतः देखों अल्लाह की दयालुता के चिन्ह! वह किस प्रकार धरती को उसके मृत हो जाने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निश्चय ही वह मुर्दों को जीवत करनेवाला है, और उसे हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्ती है ([३०] अर-रूम: 50)Tafseer (तफ़सीर )