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सूरा अर-रूम - Page: 4

Ar-Rum

(रोम के लोग, उस समय का बिजेंटाइन साम्राज्य)

३१

۞ مُنِيْبِيْنَ اِلَيْهِ وَاتَّقُوْهُ وَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَلَا تَكُوْنُوْا مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۙ ٣١

munībīna
مُنِيبِينَ
रुजूअ करने वाले (बनो)
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
wa-ittaqūhu
وَٱتَّقُوهُ
और डरो उससे
wa-aqīmū
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
walā
وَلَا
और ना
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम हो जाओ
mina
مِنَ
मुशरिकों में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकों में से
उसकी ओर रुजू करनेवाले (प्रवृत्त होनेवाले) रहो। और उसका डर रखो और नमाज़ का आयोजन करो और (अल्लाह का) साझी ठहरानेवालों में से न होना, ([३०] अर-रूम: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

مِنَ الَّذِيْنَ فَرَّقُوْا دِيْنَهُمْ وَكَانُوْا شِيَعًا ۗ كُلُّ حِزْبٍۢ بِمَا لَدَيْهِمْ فَرِحُوْنَ ٣٢

mina
مِنَ
उन लोगों में से जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में से जिन्होंने
farraqū
فَرَّقُوا۟
फ़िरक़ा-फ़िरक़ा कर दिया
dīnahum
دِينَهُمْ
अपने दीन को
wakānū
وَكَانُوا۟
और हो गए वो
shiyaʿan
شِيَعًاۖ
गिरोह-गिरोह
kullu
كُلُّ
हर
ḥiz'bin
حِزْبٍۭ
गिरोह (के लोग)
bimā
بِمَا
उस पर जो
ladayhim
لَدَيْهِمْ
उनके पास है
fariḥūna
فَرِحُونَ
ख़ुश हैं
उन लोगों में से जिन्होंने अपनी दीन (धर्म) को टुकड़े-टुकड़े कर डाला और गिरोहों में बँट गए। हर गिरोह के पास जो कुछ है, उसी में मग्न है ([३०] अर-रूम: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَاِذَا مَسَّ النَّاسَ ضُرٌّ دَعَوْا رَبَّهُمْ مُّنِيْبِيْنَ اِلَيْهِ ثُمَّ اِذَآ اَذَاقَهُمْ مِّنْهُ رَحْمَةً اِذَا فَرِيْقٌ مِّنْهُمْ بِرَبِّهِمْ يُشْرِكُوْنَۙ ٣٣

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
massa
مَسَّ
पहुँचती है
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
ḍurrun
ضُرٌّ
कोई तक्लीफ़
daʿaw
دَعَوْا۟
वो पुकारते हैं
rabbahum
رَبَّهُم
अपने रब को
munībīna
مُّنِيبِينَ
रुजूअ करने वाले बन कर
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
thumma
ثُمَّ
फिर
idhā
إِذَآ
जब
adhāqahum
أَذَاقَهُم
वो चखाता है उन्हें
min'hu
مِّنْهُ
अपनी तरफ़ से
raḥmatan
رَحْمَةً
रहमत
idhā
إِذَا
यकायक
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह (के लोग)
min'hum
مِّنْهُم
उनमें से
birabbihim
بِرَبِّهِمْ
अपने रब के साथ
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
और जब लोगों को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वे अपने रब को, उसकी ओर रुजू (प्रवृत) होकर पुकारते है। फिर जब वह उन्हें अपनी दयालुता का रसास्वादन करा देता है, तो क्या देखते है कि उनमें से कुछ लोग अपने रब का साझी ठहराने लगे; ([३०] अर-रूम: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

لِيَكْفُرُوْا بِمَآ اٰتَيْنٰهُمْۗ فَتَمَتَّعُوْاۗ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ٣٤

liyakfurū
لِيَكْفُرُوا۟
ताकि वो नाशुक्री करें
bimā
بِمَآ
उसकी जो
ātaynāhum
ءَاتَيْنَٰهُمْۚ
अता किया हमने उन्हें
fatamattaʿū
فَتَمَتَّعُوا۟
तो फ़ायदा उठा लो
fasawfa
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
ताकि इस प्रकार वे उसके प्रति अकृतज्ञता दिखलाएँ जो कुछ हमने उन्हें दिया है। 'अच्छा तो मज़े उड़ा लो, शीघ्र ही तुम जान लोगे।' ([३०] अर-रूम: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اَمْ اَنْزَلْنَا عَلَيْهِمْ سُلْطٰنًا فَهُوَ يَتَكَلَّمُ بِمَا كَانُوْا بِهٖ يُشْرِكُوْنَ ٣٥

am
أَمْ
या
anzalnā
أَنزَلْنَا
उतारी हमने
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
sul'ṭānan
سُلْطَٰنًا
कोई दलील
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
yatakallamu
يَتَكَلَّمُ
वो बताती है
bimā
بِمَا
उनको वो जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
bihi
بِهِۦ
साथ जिसके
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते
(क्या उनके देवताओं ने उनकी सहायता की थी) या हमने उनपर ऐसा कोई प्रमाण उतारा है कि वह उसके हक़ में बोलता हो, जो वे उसके साथ साझी ठहराते है ([३०] अर-रूम: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَاِذَآ اَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً فَرِحُوْا بِهَاۗ وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ ۢبِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْهِمْ اِذَا هُمْ يَقْنَطُوْنَ ٣٦

wa-idhā
وَإِذَآ
और जब
adhaqnā
أَذَقْنَا
चखाते हैं हम
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
raḥmatan
رَحْمَةً
कोई रहमत
fariḥū
فَرِحُوا۟
वो ख़ुश होते हैं
bihā
بِهَاۖ
उस पर
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣib'hum
تُصِبْهُمْ
पहुँचती है उन्हें
sayyi-atun
سَيِّئَةٌۢ
कोई बुराई
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
qaddamat
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
उनके हाथों ने
idhā
إِذَا
यकायक
hum
هُمْ
वो
yaqnaṭūna
يَقْنَطُونَ
वो मायूस हो जाते हैं
और जब हम लोगों को दयालुता का रसास्वादन कराते है तो वे उसपर इतराने लगते है; परन्तु जो कुछ उनके हाथों ने आगे भेजा है यदि उसके कारण उनपर कोई विपत्ति आ जाए, तो क्या देखते है कि वे निराश हो रहे है ([३०] अर-रूम: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّ اللّٰهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ وَيَقْدِرُۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٣٧

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yabsuṭu
يَبْسُطُ
वो फैलाता है
l-riz'qa
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayaqdiru
وَيَقْدِرُۚ
और वो तंग करता है
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
क्या उन्होंने विचार नहीं किया कि अल्लाह जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है? निस्संदेह इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान लाएँ ([३०] अर-रूम: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

فَاٰتِ ذَا الْقُرْبٰى حَقَّهٗ وَالْمِسْكِيْنَ وَابْنَ السَّبِيْلِۗ ذٰلِكَ خَيْرٌ لِّلَّذِيْنَ يُرِيْدُوْنَ وَجْهَ اللّٰهِ ۖوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ٣٨

faāti
فَـَٔاتِ
पस आप दीजिए
dhā
ذَا
क़राबतदार को
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
क़राबतदार को
ḥaqqahu
حَقَّهُۥ
हक़ उसका
wal-mis'kīna
وَٱلْمِسْكِينَ
और मिसकीन
wa-ib'na
وَٱبْنَ
और मुसाफ़िर को
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِۚ
और मुसाफ़िर को
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जो
yurīdūna
يُرِيدُونَ
चाहते हैं
wajha
وَجْهَ
चेहरा
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह का
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muf'liḥūna
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं
अतः नातेदार को उसका हक़ दो और मुहताज और मुसाफ़िर को भी। यह अच्छा है उनके लिए जो अल्लाह की प्रसन्नता के इच्छुक हों और वही सफल है ([३०] अर-रूम: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

وَمَآ اٰتَيْتُمْ مِّنْ رِّبًا لِّيَرْبُوَا۠ فِيْٓ اَمْوَالِ النَّاسِ فَلَا يَرْبُوْا عِنْدَ اللّٰهِ ۚوَمَآ اٰتَيْتُمْ مِّنْ زَكٰوةٍ تُرِيْدُوْنَ وَجْهَ اللّٰهِ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُضْعِفُوْنَ ٣٩

wamā
وَمَآ
और जो कुछ
ātaytum
ءَاتَيْتُم
देते हो तुम
min
مِّن
सूद में से
riban
رِّبًا
सूद में से
liyarbuwā
لِّيَرْبُوَا۟
ताकि वो बढ़ जाए
فِىٓ
मालों में
amwāli
أَمْوَٰلِ
मालों में
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों के
falā
فَلَا
पस नहीं
yarbū
يَرْبُوا۟
वो बढ़ता
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के यहाँ
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के यहाँ
wamā
وَمَآ
और जो कुछ
ātaytum
ءَاتَيْتُم
देते हो तुम
min
مِّن
ज़कात में से
zakatin
زَكَوٰةٍ
ज़कात में से
turīdūna
تُرِيدُونَ
तुम चाहते हो
wajha
وَجْهَ
चेहरा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muḍ'ʿifūna
ٱلْمُضْعِفُونَ
जो दो गुना करने वाले हैं
तुम जो कुछ ब्याज पर देते हो, ताकि वह लोगों के मालों में सम्मिलित होकर बढ़ जाए, तो वह अल्लाह के यहाँ नहीं बढ़ता। किन्तु जो ज़कात तुमने अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए दी, तो ऐसे ही लोग (अल्लाह के यहाँ) अपना माल बढ़ाते है ([३०] अर-रूम: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اَللّٰهُ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ ثُمَّ رَزَقَكُمْ ثُمَّ يُمِيْتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيْكُمْۗ هَلْ مِنْ شُرَكَاۤىِٕكُمْ مَّنْ يَّفْعَلُ مِنْ ذٰلِكُمْ مِّنْ شَيْءٍۗ سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ࣖ ٤٠

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जिसने
khalaqakum
خَلَقَكُمْ
पैदा किया तुम्हें
thumma
ثُمَّ
फिर
razaqakum
رَزَقَكُمْ
उसने रिज़्क़ दिया तुम्हें
thumma
ثُمَّ
फिर
yumītukum
يُمِيتُكُمْ
वो मौत देगा तुम्हें
thumma
ثُمَّ
फिर
yuḥ'yīkum
يُحْيِيكُمْۖ
वो ज़िन्दा करेगा तुम्हें
hal
هَلْ
क्या है
min
مِن
तुम्हारे शरीकों में से कोई
shurakāikum
شُرَكَآئِكُم
तुम्हारे शरीकों में से कोई
man
مَّن
जो
yafʿalu
يَفْعَلُ
करे
min
مِن
इसमें से
dhālikum
ذَٰلِكُم
इसमें से
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍۚ
कोई चीज़
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥ
पाक है वो
wataʿālā
وَتَعَٰلَىٰ
और वो बुलन्दतर है
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
अल्लाह ही है जिसने तुम्हें पैदा किया, फिर तुम्हें रोज़ी दी; फिर वह तुम्हें मृत्यु देता है; फिर तुम्हें जीवित करेगा। क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में भी कोई है, जो इन कामों में से कुछ कर सके? महान और उच्च है वह उसमें जो साझी वे ठहराते है ([३०] अर-रूम: 40)
Tafseer (तफ़सीर )