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सूरा अर-रूम - Page: 3

Ar-Rum

(रोम के लोग, उस समय का बिजेंटाइन साम्राज्य)

२१

وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ خَلَقَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا لِّتَسْكُنُوْٓا اِلَيْهَا وَجَعَلَ بَيْنَكُمْ مَّوَدَّةً وَّرَحْمَةً ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٢١

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦٓ
और उसकी निशानियों में से है
an
أَنْ
कि
khalaqa
خَلَقَ
उसने पैदा किए
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
तुम्हारे नफ़्सों से
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों से
azwājan
أَزْوَٰجًا
जोड़े
litaskunū
لِّتَسْكُنُوٓا۟
ताकि तुम सुकून पाओ
ilayhā
إِلَيْهَا
उनकी तरफ़
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने डाल दी
baynakum
بَيْنَكُم
दर्मियान तुम्हारे
mawaddatan
مَّوَدَّةً
मुहब्बत
waraḥmatan
وَرَحْمَةًۚ
और रहमत
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yatafakkarūna
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
और यह भी उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हारी ही सहजाति से तुम्हारे लिए जोड़े पैदा किए, ताकि तुम उसके पास शान्ति प्राप्त करो। और उसने तुम्हारे बीच प्रेंम और दयालुता पैदा की। और निश्चय ही इसमें बहुत-सी निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो सोच-विचार करते है ([३०] अर-रूम: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَمِنْ اٰيٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافُ اَلْسِنَتِكُمْ وَاَلْوَانِكُمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّلْعٰلِمِيْنَ ٢٢

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से हैं
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
और उसकी निशानियों में से हैं
khalqu
خَلْقُ
पैदाइश
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
wa-ikh'tilāfu
وَٱخْتِلَٰفُ
और इख़्तिलाफ़
alsinatikum
أَلْسِنَتِكُمْ
तुम्हारी ज़बानों का
wa-alwānikum
وَأَلْوَٰنِكُمْۚ
और तुम्हारे रंगों का
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इस में
dhālika
ذَٰلِكَ
इस में
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
lil'ʿālimīna
لِّلْعَٰلِمِينَ
इल्म वालों के लिए
और उसकी निशानियों में से आकाशों और धरती का सृजन और तुम्हारी भाषाओं और तुम्हारे रंगों की विविधता भी है। निस्संदेह इसमें ज्ञानवानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([३०] अर-रूम: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَمِنْ اٰيٰتِهٖ مَنَامُكُمْ بِالَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَابْتِغَاۤؤُكُمْ مِّنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّسْمَعُوْنَ ٢٣

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
और उसकी निशानियों में से है
manāmukum
مَنَامُكُم
सोना तुम्हारा
bi-al-layli
بِٱلَّيْلِ
रात
wal-nahāri
وَٱلنَّهَارِ
और दिन को
wa-ib'tighāukum
وَٱبْتِغَآؤُكُم
और तलाश करना तुम्हारा
min
مِّن
उसके फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦٓۚ
उसके फ़ज़ल से
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
जो सुनते हैं
और उसकी निशानियों में से तुम्हारा रात और दिन का सोना और तुम्हारा उसके अनुग्रह की तलाश करना भी है। निश्चय ही इसमें निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो सुनते है ([३०] अर-रूम: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَمِنْ اٰيٰتِهٖ يُرِيْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّيُنَزِّلُ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَيُحْيٖ بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٢٤

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
और उसकी निशानियों में से है
yurīkumu
يُرِيكُمُ
कि वो दिखाता है तुम्हें
l-barqa
ٱلْبَرْقَ
बिजली
khawfan
خَوْفًا
ख़ौफ़
waṭamaʿan
وَطَمَعًا
और उम्मीद से
wayunazzilu
وَيُنَزِّلُ
और वो उतारता है
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fayuḥ'yī
فَيُحْىِۦ
फिर वो ज़िन्दा करता है
bihi
بِهِ
साथ इसके
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَآۚ
उसकी मौत के
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि वह तुम्हें बिजली की चमक भय और आशा उत्पन्न करने के लिए दिखाता है। और वह आकाश से पानी बरसाता है। फिर उसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव हो जाने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निस्संदेह इसमें बहुत-सी निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो बुद्धि से काम लेते है ([३०] अर-रूम: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ تَقُوْمَ السَّمَاۤءُ وَالْاَرْضُ بِاَمْرِهٖۗ ثُمَّ اِذَا دَعَاكُمْ دَعْوَةًۖ مِّنَ الْاَرْضِ اِذَآ اَنْتُمْ تَخْرُجُوْنَ ٢٥

wamin
وَمِنْ
और उसकी निशानियों में से है
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦٓ
और उसकी निशानियों में से है
an
أَن
कि
taqūma
تَقُومَ
क़ायम हैं
l-samāu
ٱلسَّمَآءُ
आसमान
wal-arḍu
وَٱلْأَرْضُ
और ज़मीन
bi-amrihi
بِأَمْرِهِۦۚ
उसके हुक्म से
thumma
ثُمَّ
फिर
idhā
إِذَا
जब
daʿākum
دَعَاكُمْ
वो पुकारेगा तुम्हें
daʿwatan
دَعْوَةً
एक ही बार पुकारना
mina
مِّنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन से
idhā
إِذَآ
यकायक
antum
أَنتُمْ
तुम
takhrujūna
تَخْرُجُونَ
तुम निकल आओगे
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि आकाश और धरती उसके आदेश से क़ायम है। फिर जब वह तुम्हे एक बार पुकारकर धरती में से बुलाएगा, तो क्या देखेंगे कि सहसा तुम निकल पड़े ([३०] अर-रूम: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَلَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلٌّ لَّهٗ قَانِتُوْنَ ٢٦

walahu
وَلَهُۥ
और उसी के लिए है
man
مَن
जो कोई
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन में है
kullun
كُلٌّ
सब
lahu
لَّهُۥ
उसी के लिए
qānitūna
قَٰنِتُونَ
फ़रमाबरदार हैं
आकाशों और धरती में जो कोई भी उसी का है। प्रत्येक उसी के निष्ठावान आज्ञाकारी है ([३०] अर-रूम: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَهُوَ الَّذِيْ يَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ وَهُوَ اَهْوَنُ عَلَيْهِۗ وَلَهُ الْمَثَلُ الْاَعْلٰى فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ٢٧

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yabda-u
يَبْدَؤُا۟
इब्तिदा करता है
l-khalqa
ٱلْخَلْقَ
तख़लीक़ की
thumma
ثُمَّ
फिर
yuʿīduhu
يُعِيدُهُۥ
वो एआदा करेगा उसका
wahuwa
وَهُوَ
और वो
ahwanu
أَهْوَنُ
ज़्यादा आसान है
ʿalayhi
عَلَيْهِۚ
उस पर
walahu
وَلَهُ
और उसी के लिए है
l-mathalu
ٱلْمَثَلُ
मिसाल
l-aʿlā
ٱلْأَعْلَىٰ
आला
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन में
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त है
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला है
वही है जो सृष्टि का आरम्भ करता है। फिर वही उसकी पुनरावृत्ति करेगा। और यह उसके लिए अधिक सरल है। आकाशों और धरती में उसी मिसाल (गुण) सर्वोच्च है। और वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी हैं ([३०] अर-रूम: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

ضَرَبَ لَكُمْ مَّثَلًا مِّنْ اَنْفُسِكُمْۗ هَلْ لَّكُمْ مِّنْ مَّا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ مِّنْ شُرَكَاۤءَ فِيْ مَا رَزَقْنٰكُمْ فَاَنْتُمْ فِيْهِ سَوَاۤءٌ تَخَافُوْنَهُمْ كَخِيْفَتِكُمْ اَنْفُسَكُمْۗ كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٢٨

ḍaraba
ضَرَبَ
उसने बयान की
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mathalan
مَّثَلًا
एक मिसाल
min
مِّنْ
तुम्हारे नफ़्सों में से
anfusikum
أَنفُسِكُمْۖ
तुम्हारे नफ़्सों में से
hal
هَل
क्या हैं
lakum
لَّكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
उसमें से जो
مَّا
उसमें से जो
malakat
مَلَكَتْ
मालिक हैं
aymānukum
أَيْمَٰنُكُم
दाऐं हाथ तुम्हारे
min
مِّن
कुछ शरीक
shurakāa
شُرَكَآءَ
कुछ शरीक
فِى
उसमें जो
مَا
उसमें जो
razaqnākum
رَزَقْنَٰكُمْ
रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
fa-antum
فَأَنتُمْ
तो तुम
fīhi
فِيهِ
उसमें
sawāon
سَوَآءٌ
बराबर हो
takhāfūnahum
تَخَافُونَهُمْ
तुम डरते हो उनसे
kakhīfatikum
كَخِيفَتِكُمْ
जैसे डरना तुम्हारा
anfusakum
أَنفُسَكُمْۚ
अपने नफ़्सों (जैसों) से
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
nufaṣṣilu
نُفَصِّلُ
हम खोलकर बयान करते हैं
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
जो अक़्ल रखते हैं
उसने तुम्हारे लिए स्वयं तुम्हीं में से एक मिसाल पेश की है। क्या जो रोज़ी हमने तुम्हें दी है, उसमें तुम्हारे अधीनस्थों में से, कुछ तुम्हारे साझीदार है कि तुम सब उसमें बराबर के हो, तुम उनका ऐसा डर रखते हो जैसा अपने लोगों का डर रखते हो? - इसप्रकार हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर प्रस्तुत करते है जो बुद्धि से काम लेते है। - ([३०] अर-रूम: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

بَلِ اتَّبَعَ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْٓا اَهْوَاۤءَهُمْ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ فَمَنْ يَّهْدِيْ مَنْ اَضَلَّ اللّٰهُ ۗوَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ٢٩

bali
بَلِ
बल्कि
ittabaʿa
ٱتَّبَعَ
पैरवी की
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوٓا۟
ज़ुल्म किया
ahwāahum
أَهْوَآءَهُم
अपनी ख़्वाहिशात की
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍۖ
इल्म के
faman
فَمَن
तो कौन
yahdī
يَهْدِى
हिदायत दे सकता है
man
مَنْ
उसको जिसे
aḍalla
أَضَلَّ
गुमराह कर दे
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
wamā
وَمَا
और नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
मददगारों में से कोई
nāṣirīna
نَّٰصِرِينَ
मददगारों में से कोई
नहीं, बल्कि ये ज़ालिम तो बिना ज्ञान के अपनी इच्छाओं के पीछे चल पड़े। तो अब कौन उसे मार्ग दिखाएगा जिसे अल्लाह ने भटका दिया हो? ऐसे लोगो का तो कोई सहायक नहीं ([३०] अर-रूम: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّيْنِ حَنِيْفًاۗ فِطْرَتَ اللّٰهِ الَّتِيْ فَطَرَ النَّاسَ عَلَيْهَاۗ لَا تَبْدِيْلَ لِخَلْقِ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ الدِّيْنُ الْقَيِّمُۙ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَۙ ٣٠

fa-aqim
فَأَقِمْ
पस क़ायम रखिए
wajhaka
وَجْهَكَ
अपने चेहरे को
lilddīni
لِلدِّينِ
दीन के लिए
ḥanīfan
حَنِيفًاۚ
यक्सू हो कर
fiṭ'rata
فِطْرَتَ
फ़ितरत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
faṭara
فَطَرَ
उसने पैदा किया
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
ʿalayhā
عَلَيْهَاۚ
उस पर
لَا
नहीं (जाइज़) कोई तब्दीली
tabdīla
تَبْدِيلَ
नहीं (जाइज़) कोई तब्दीली
likhalqi
لِخَلْقِ
ख़ल्क़ के लिए
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की
dhālika
ذَٰلِكَ
यही है
l-dīnu
ٱلدِّينُ
दीन
l-qayimu
ٱلْقَيِّمُ
दुरुस्त
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
अतः एक ओर का होकर अपने रुख़ को 'दीन' (धर्म) की ओर जमा दो, अल्लाह की उस प्रकृति का अनुसरण करो जिसपर उसने लोगों को पैदा किया। अल्लाह की बनाई हुई संरचना बदली नहीं जा सकती। यही सीधा और ठीक धर्म है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं। ([३०] अर-रूम: 30)
Tafseer (तफ़सीर )