وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ خَلَقَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا لِّتَسْكُنُوْٓا اِلَيْهَا وَجَعَلَ بَيْنَكُمْ مَّوَدَّةً وَّرَحْمَةً ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٢١
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦٓ
- और उसकी निशानियों में से है
- an
- أَنْ
- कि
- khalaqa
- خَلَقَ
- उसने पैदा किए
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّنْ
- तुम्हारे नफ़्सों से
- anfusikum
- أَنفُسِكُمْ
- तुम्हारे नफ़्सों से
- azwājan
- أَزْوَٰجًا
- जोड़े
- litaskunū
- لِّتَسْكُنُوٓا۟
- ताकि तुम सुकून पाओ
- ilayhā
- إِلَيْهَا
- उनकी तरफ़
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने डाल दी
- baynakum
- بَيْنَكُم
- दर्मियान तुम्हारे
- mawaddatan
- مَّوَدَّةً
- मुहब्बत
- waraḥmatan
- وَرَحْمَةًۚ
- और रहमत
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yatafakkarūna
- يَتَفَكَّرُونَ
- जो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
और यह भी उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हारी ही सहजाति से तुम्हारे लिए जोड़े पैदा किए, ताकि तुम उसके पास शान्ति प्राप्त करो। और उसने तुम्हारे बीच प्रेंम और दयालुता पैदा की। और निश्चय ही इसमें बहुत-सी निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो सोच-विचार करते है ([३०] अर-रूम: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافُ اَلْسِنَتِكُمْ وَاَلْوَانِكُمْۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّلْعٰلِمِيْنَ ٢٢
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से हैं
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- और उसकी निशानियों में से हैं
- khalqu
- خَلْقُ
- पैदाइश
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wa-ikh'tilāfu
- وَٱخْتِلَٰفُ
- और इख़्तिलाफ़
- alsinatikum
- أَلْسِنَتِكُمْ
- तुम्हारी ज़बानों का
- wa-alwānikum
- وَأَلْوَٰنِكُمْۚ
- और तुम्हारे रंगों का
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इस में
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इस में
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- lil'ʿālimīna
- لِّلْعَٰلِمِينَ
- इल्म वालों के लिए
और उसकी निशानियों में से आकाशों और धरती का सृजन और तुम्हारी भाषाओं और तुम्हारे रंगों की विविधता भी है। निस्संदेह इसमें ज्ञानवानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है ([३०] अर-रूम: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖ مَنَامُكُمْ بِالَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَابْتِغَاۤؤُكُمْ مِّنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّسْمَعُوْنَ ٢٣
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- और उसकी निशानियों में से है
- manāmukum
- مَنَامُكُم
- सोना तुम्हारा
- bi-al-layli
- بِٱلَّيْلِ
- रात
- wal-nahāri
- وَٱلنَّهَارِ
- और दिन को
- wa-ib'tighāukum
- وَٱبْتِغَآؤُكُم
- और तलाश करना तुम्हारा
- min
- مِّن
- उसके फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦٓۚ
- उसके फ़ज़ल से
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- जो सुनते हैं
और उसकी निशानियों में से तुम्हारा रात और दिन का सोना और तुम्हारा उसके अनुग्रह की तलाश करना भी है। निश्चय ही इसमें निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो सुनते है ([३०] अर-रूम: 23)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖ يُرِيْكُمُ الْبَرْقَ خَوْفًا وَّطَمَعًا وَّيُنَزِّلُ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَيُحْيٖ بِهِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٢٤
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- और उसकी निशानियों में से है
- yurīkumu
- يُرِيكُمُ
- कि वो दिखाता है तुम्हें
- l-barqa
- ٱلْبَرْقَ
- बिजली
- khawfan
- خَوْفًا
- ख़ौफ़
- waṭamaʿan
- وَطَمَعًا
- और उम्मीद से
- wayunazzilu
- وَيُنَزِّلُ
- और वो उतारता है
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fayuḥ'yī
- فَيُحْىِۦ
- फिर वो ज़िन्दा करता है
- bihi
- بِهِ
- साथ इसके
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَآۚ
- उसकी मौत के
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- जो अक़्ल रखते हैं
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि वह तुम्हें बिजली की चमक भय और आशा उत्पन्न करने के लिए दिखाता है। और वह आकाश से पानी बरसाता है। फिर उसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव हो जाने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निस्संदेह इसमें बहुत-सी निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो बुद्धि से काम लेते है ([३०] अर-रूम: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ تَقُوْمَ السَّمَاۤءُ وَالْاَرْضُ بِاَمْرِهٖۗ ثُمَّ اِذَا دَعَاكُمْ دَعْوَةًۖ مِّنَ الْاَرْضِ اِذَآ اَنْتُمْ تَخْرُجُوْنَ ٢٥
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦٓ
- और उसकी निशानियों में से है
- an
- أَن
- कि
- taqūma
- تَقُومَ
- क़ायम हैं
- l-samāu
- ٱلسَّمَآءُ
- आसमान
- wal-arḍu
- وَٱلْأَرْضُ
- और ज़मीन
- bi-amrihi
- بِأَمْرِهِۦۚ
- उसके हुक्म से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- idhā
- إِذَا
- जब
- daʿākum
- دَعَاكُمْ
- वो पुकारेगा तुम्हें
- daʿwatan
- دَعْوَةً
- एक ही बार पुकारना
- mina
- مِّنَ
- ज़मीन से
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन से
- idhā
- إِذَآ
- यकायक
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- takhrujūna
- تَخْرُجُونَ
- तुम निकल आओगे
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि आकाश और धरती उसके आदेश से क़ायम है। फिर जब वह तुम्हे एक बार पुकारकर धरती में से बुलाएगा, तो क्या देखेंगे कि सहसा तुम निकल पड़े ([३०] अर-रूम: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلٌّ لَّهٗ قَانِتُوْنَ ٢٦
- walahu
- وَلَهُۥ
- और उसी के लिए है
- man
- مَن
- जो कोई
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में है
- kullun
- كُلٌّ
- सब
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए
- qānitūna
- قَٰنِتُونَ
- फ़रमाबरदार हैं
आकाशों और धरती में जो कोई भी उसी का है। प्रत्येक उसी के निष्ठावान आज्ञाकारी है ([३०] अर-रूम: 26)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ يَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ وَهُوَ اَهْوَنُ عَلَيْهِۗ وَلَهُ الْمَثَلُ الْاَعْلٰى فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ࣖ ٢٧
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yabda-u
- يَبْدَؤُا۟
- इब्तिदा करता है
- l-khalqa
- ٱلْخَلْقَ
- तख़लीक़ की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuʿīduhu
- يُعِيدُهُۥ
- वो एआदा करेगा उसका
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ahwanu
- أَهْوَنُ
- ज़्यादा आसान है
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۚ
- उस पर
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-mathalu
- ٱلْمَثَلُ
- मिसाल
- l-aʿlā
- ٱلْأَعْلَىٰ
- आला
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
वही है जो सृष्टि का आरम्भ करता है। फिर वही उसकी पुनरावृत्ति करेगा। और यह उसके लिए अधिक सरल है। आकाशों और धरती में उसी मिसाल (गुण) सर्वोच्च है। और वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी हैं ([३०] अर-रूम: 27)Tafseer (तफ़सीर )
ضَرَبَ لَكُمْ مَّثَلًا مِّنْ اَنْفُسِكُمْۗ هَلْ لَّكُمْ مِّنْ مَّا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ مِّنْ شُرَكَاۤءَ فِيْ مَا رَزَقْنٰكُمْ فَاَنْتُمْ فِيْهِ سَوَاۤءٌ تَخَافُوْنَهُمْ كَخِيْفَتِكُمْ اَنْفُسَكُمْۗ كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْقِلُوْنَ ٢٨
- ḍaraba
- ضَرَبَ
- उसने बयान की
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mathalan
- مَّثَلًا
- एक मिसाल
- min
- مِّنْ
- तुम्हारे नफ़्सों में से
- anfusikum
- أَنفُسِكُمْۖ
- तुम्हारे नफ़्सों में से
- hal
- هَل
- क्या हैं
- lakum
- لَّكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- उसमें से जो
- mā
- مَّا
- उसमें से जो
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हैं
- aymānukum
- أَيْمَٰنُكُم
- दाऐं हाथ तुम्हारे
- min
- مِّن
- कुछ शरीक
- shurakāa
- شُرَكَآءَ
- कुछ शरीक
- fī
- فِى
- उसमें जो
- mā
- مَا
- उसमें जो
- razaqnākum
- رَزَقْنَٰكُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
- fa-antum
- فَأَنتُمْ
- तो तुम
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- sawāon
- سَوَآءٌ
- बराबर हो
- takhāfūnahum
- تَخَافُونَهُمْ
- तुम डरते हो उनसे
- kakhīfatikum
- كَخِيفَتِكُمْ
- जैसे डरना तुम्हारा
- anfusakum
- أَنفُسَكُمْۚ
- अपने नफ़्सों (जैसों) से
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- nufaṣṣilu
- نُفَصِّلُ
- हम खोलकर बयान करते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- जो अक़्ल रखते हैं
उसने तुम्हारे लिए स्वयं तुम्हीं में से एक मिसाल पेश की है। क्या जो रोज़ी हमने तुम्हें दी है, उसमें तुम्हारे अधीनस्थों में से, कुछ तुम्हारे साझीदार है कि तुम सब उसमें बराबर के हो, तुम उनका ऐसा डर रखते हो जैसा अपने लोगों का डर रखते हो? - इसप्रकार हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर प्रस्तुत करते है जो बुद्धि से काम लेते है। - ([३०] अर-रूम: 28)Tafseer (तफ़सीर )
بَلِ اتَّبَعَ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْٓا اَهْوَاۤءَهُمْ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ فَمَنْ يَّهْدِيْ مَنْ اَضَلَّ اللّٰهُ ۗوَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ٢٩
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- ittabaʿa
- ٱتَّبَعَ
- पैरवी की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوٓا۟
- ज़ुल्म किया
- ahwāahum
- أَهْوَآءَهُم
- अपनी ख़्वाहिशात की
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍۖ
- इल्म के
- faman
- فَمَن
- तो कौन
- yahdī
- يَهْدِى
- हिदायत दे सकता है
- man
- مَنْ
- उसको जिसे
- aḍalla
- أَضَلَّ
- गुमराह कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- मददगारों में से कोई
- nāṣirīna
- نَّٰصِرِينَ
- मददगारों में से कोई
नहीं, बल्कि ये ज़ालिम तो बिना ज्ञान के अपनी इच्छाओं के पीछे चल पड़े। तो अब कौन उसे मार्ग दिखाएगा जिसे अल्लाह ने भटका दिया हो? ऐसे लोगो का तो कोई सहायक नहीं ([३०] अर-रूम: 29)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّيْنِ حَنِيْفًاۗ فِطْرَتَ اللّٰهِ الَّتِيْ فَطَرَ النَّاسَ عَلَيْهَاۗ لَا تَبْدِيْلَ لِخَلْقِ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ الدِّيْنُ الْقَيِّمُۙ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَۙ ٣٠
- fa-aqim
- فَأَقِمْ
- पस क़ायम रखिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- अपने चेहरे को
- lilddīni
- لِلدِّينِ
- दीन के लिए
- ḥanīfan
- حَنِيفًاۚ
- यक्सू हो कर
- fiṭ'rata
- فِطْرَتَ
- फ़ितरत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- faṭara
- فَطَرَ
- उसने पैदा किया
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- ʿalayhā
- عَلَيْهَاۚ
- उस पर
- lā
- لَا
- नहीं (जाइज़) कोई तब्दीली
- tabdīla
- تَبْدِيلَ
- नहीं (जाइज़) कोई तब्दीली
- likhalqi
- لِخَلْقِ
- ख़ल्क़ के लिए
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह की
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- l-dīnu
- ٱلدِّينُ
- दीन
- l-qayimu
- ٱلْقَيِّمُ
- दुरुस्त
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- akthara
- أَكْثَرَ
- अक्सर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोग
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
अतः एक ओर का होकर अपने रुख़ को 'दीन' (धर्म) की ओर जमा दो, अल्लाह की उस प्रकृति का अनुसरण करो जिसपर उसने लोगों को पैदा किया। अल्लाह की बनाई हुई संरचना बदली नहीं जा सकती। यही सीधा और ठीक धर्म है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं। ([३०] अर-रूम: 30)Tafseer (तफ़सीर )