اَللّٰهُ يَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ ثُمَّ اِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ١١
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yabda-u
- يَبْدَؤُا۟
- वो इब्तिदा करता है
- l-khalqa
- ٱلْخَلْقَ
- तख़लीक़ की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuʿīduhu
- يُعِيدُهُۥ
- वो एआदा करेगा उसका
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसीके
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
अल्लाह की सृष्टि का आरम्भ करता है। फिर वही उसकी पुनरावृति करता है। फिर उसी की ओर तुम पलटोगे ([३०] अर-रूम: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ يُبْلِسُ الْمُجْرِمُوْنَ ١٢
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- taqūmu
- تَقُومُ
- क़ायम होगी
- l-sāʿatu
- ٱلسَّاعَةُ
- क़यामत
- yub'lisu
- يُبْلِسُ
- नाउम्मीद हो जाऐंगे
- l-muj'rimūna
- ٱلْمُجْرِمُونَ
- मुजरिम
जिस दिन वह घड़ी आ खड़ी होगी, उस दिन अपराधी एकदम निराश होकर रह जाएँगे ([३०] अर-रूम: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمْ يَكُنْ لَّهُمْ مِّنْ شُرَكَاۤىِٕهِمْ شُفَعٰۤؤُا وَكَانُوْا بِشُرَكَاۤىِٕهِمْ كٰفِرِيْنَ ١٣
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yakun
- يَكُن
- होंगे
- lahum
- لَّهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- उनके शरीकों में से
- shurakāihim
- شُرَكَآئِهِمْ
- उनके शरीकों में से
- shufaʿāu
- شُفَعَٰٓؤُا۟
- कोई सिफ़ारिशी
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और वो हो जाऐंगे
- bishurakāihim
- بِشُرَكَآئِهِمْ
- अपने शरीकों का
- kāfirīna
- كَٰفِرِينَ
- इन्कार करने वाले
उनके ठहराए हुए साझीदारों में से कोई उनका सिफ़ारिश करनेवाला न होगा और वे स्वयं भी अपने साझीदारों का इनकार करेंगे ([३०] अर-रूम: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ تَقُوْمُ السَّاعَةُ يَوْمَىِٕذٍ يَّتَفَرَّقُوْنَ ١٤
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- taqūmu
- تَقُومُ
- क़ायम होगी
- l-sāʿatu
- ٱلسَّاعَةُ
- क़यामत
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- yatafarraqūna
- يَتَفَرَّقُونَ
- वो मुतफ़र्रिक़ हो जाऐंगे
और जिस दिन वह घड़ी आ खड़ी होगी, उस दिन वे सब अलग-अलग हो जाएँगे ([३०] अर-रूम: 14)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَمَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَهُمْ فِيْ رَوْضَةٍ يُّحْبَرُوْنَ ١٥
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- fī
- فِى
- एक बाग़ में
- rawḍatin
- رَوْضَةٍ
- एक बाग़ में
- yuḥ'barūna
- يُحْبَرُونَ
- वो ख़ुश कर दिए जाऐंगे
अतः जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे एक बाग़ में प्रसन्नतापूर्वक रखे जाएँगे ([३०] अर-रूम: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَلِقَاۤئِ الْاٰخِرَةِ فَاُولٰۤىِٕكَ فِى الْعَذَابِ مُحْضَرُوْنَ ١٦
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और झुटलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- waliqāi
- وَلِقَآئِ
- और मुलाक़ात को
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत की
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग
- fī
- فِى
- अज़ाब में
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِ
- अज़ाब में
- muḥ'ḍarūna
- مُحْضَرُونَ
- हाज़िर रखे जाने वाले हैं
किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों और आख़िरत की मुलाक़ात को झुठलाया, वे लाकर यातनाग्रस्त किए जाएँगे ([३०] अर-रूम: 16)Tafseer (तफ़सीर )
فَسُبْحٰنَ اللّٰهِ حِيْنَ تُمْسُوْنَ وَحِيْنَ تُصْبِحُوْنَ ١٧
- fasub'ḥāna
- فَسُبْحَٰنَ
- पस तस्बीह है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ḥīna
- حِينَ
- जब
- tum'sūna
- تُمْسُونَ
- तुम शाम करते हो
- waḥīna
- وَحِينَ
- और जब
- tuṣ'biḥūna
- تُصْبِحُونَ
- तुम सुबह करते हो
अतः अब अल्लाह की तसबीह करो, जबकि तुम शाम करो और जब सुबह करो। ([३०] अर-रूम: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَهُ الْحَمْدُ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَعَشِيًّا وَّحِيْنَ تُظْهِرُوْنَ ١٨
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- waʿashiyyan
- وَعَشِيًّا
- और तीसरे पहर
- waḥīna
- وَحِينَ
- और जिस वक़्त
- tuẓ'hirūna
- تُظْهِرُونَ
- तुम ज़ोहर करते हो
- और उसी के लिए प्रशंसा है आकाशों और धरती में - और पिछले पहर और जब तुमपर दोपहर हो ([३०] अर-रूम: 18)Tafseer (तफ़सीर )
يُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَيُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ وَيُحْيِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ۗوَكَذٰلِكَ تُخْرَجُوْنَ ࣖ ١٩
- yukh'riju
- يُخْرِجُ
- वो निकालता है
- l-ḥaya
- ٱلْحَىَّ
- ज़िन्दा को
- mina
- مِنَ
- मुर्दा से
- l-mayiti
- ٱلْمَيِّتِ
- मुर्दा से
- wayukh'riju
- وَيُخْرِجُ
- और वो निकालता है
- l-mayita
- ٱلْمَيِّتَ
- मुर्दा को
- mina
- مِنَ
- ज़िन्दा से
- l-ḥayi
- ٱلْحَىِّ
- ज़िन्दा से
- wayuḥ'yī
- وَيُحْىِ
- और वो ज़िन्दा करता है
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَاۚ
- उसकी मौत के
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- tukh'rajūna
- تُخْرَجُونَ
- तुम निकाले जाओगे
वह जीवित को मृत से निकालता है और मृत को जीवित से, और धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। इसी प्रकार तुम भी निकाले जाओगे ([३०] अर-रूम: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰيٰتِهٖٓ اَنْ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ اِذَآ اَنْتُمْ بَشَرٌ تَنْتَشِرُوْنَ ٢٠
- wamin
- وَمِنْ
- और उसकी निशानियों में से है
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦٓ
- और उसकी निशानियों में से है
- an
- أَنْ
- कि
- khalaqakum
- خَلَقَكُم
- उसने पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- मिट्टी से
- turābin
- تُرَابٍ
- मिट्टी से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- idhā
- إِذَآ
- यकायक
- antum
- أَنتُم
- तुम
- basharun
- بَشَرٌ
- इन्सान हो
- tantashirūna
- تَنتَشِرُونَ
- तुम फैलते चले जारहे हो
और यह उसकी निशानियों में से है कि उसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया। फिर क्या देखते है कि तुम मानव हो, फैलते जा रहे हो ([३०] अर-रूम: 20)Tafseer (तफ़सीर )