Skip to content

पवित्र कुरान सूरा आले इमरान आयत १६०

Qur'an Surah Ali 'Imran Verse 160

आले इमरान [३]: १६० ~ कुरान अनुवाद शब्द द्वारा शब्द - तफ़सीर

اِنْ يَّنْصُرْكُمُ اللّٰهُ فَلَا غَالِبَ لَكُمْ ۚ وَاِنْ يَّخْذُلْكُمْ فَمَنْ ذَا الَّذِيْ يَنْصُرُكُمْ مِّنْۢ بَعْدِهٖ ۗ وَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ (آل عمران : ٣)

in
إِن
If
अगर
yanṣur'kumu
يَنصُرْكُمُ
helps you
मदद करे तुम्हारी
l-lahu
ٱللَّهُ
Allah
अल्लाह
falā
فَلَا
then not
तो नहीं
ghāliba
غَالِبَ
(can) overcome
कोई ग़ालिब आने वाला
lakum
لَكُمْۖ
[for] you
तुम पर
wa-in
وَإِن
and if
और अगर
yakhdhul'kum
يَخْذُلْكُمْ
He forsakes you
वो छोड़ दे तुम्हें
faman
فَمَن
then who
तो कौन है
dhā
ذَا
(is)
वो जो
alladhī
ٱلَّذِى
the one who
वो जो
yanṣurukum
يَنصُرُكُم
can help you
मदद करेगा तुम्हारी
min
مِّنۢ
from?
बाद उसके
baʿdihi
بَعْدِهِۦۗ
after Him?
बाद उसके
waʿalā
وَعَلَى
And on
और अल्लाह ही पर
l-lahi
ٱللَّهِ
Allah
और अल्लाह ही पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
let put (their) trust
पस चाहिए कि तवक्कल किया करें
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
the believers
ईमान वाले

Transliteration:

Iny-yansurkumul laahu falaa ghaaliba lakum wa iny-yakhzulkum faman zal lazee yansurukum mim ba'dih; wa 'alal laahi falyatawakkalil mu'minoon (QS. ʾĀl ʿImrān:160)

English Sahih International:

If Allah should aid you, no one can overcome you; but if He should forsake you, who is there that can aid you after Him? And upon Allah let the believers rely. (QS. Ali 'Imran, Ayah १६०)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि अल्लाह तुम्हारी सहायता करे, तो कोई तुमपर प्रभावी नहीं हो सकता। और यदि वह तुम्हें छोड़ दे, तो फिर कौन हो जो उसके पश्चात तुम्हारी सहायता कर सके। अतः ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए (आले इमरान, आयत १६०)

Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(मुसलमानों याद रखो) अगर ख़ुदा ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुमपर ग़ालिब नहीं आ सकता और अगर ख़ुदा तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि ख़ुदा ही पर भरोसा रखें

Azizul-Haqq Al-Umary

यदि अल्लाह तुम्हारी सहायता करे, तो तुमपर कोई प्रभुत्व नहीं पा सकता तथा यदि तुम्हारी सहायता न करे, तो फिर कौन है, जो उसके पश्चात तुम्हारी सहायता कर सके? अतः ईमान वालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिये।