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सूरा आले इमरान - Page: 9

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

८१

وَاِذْ اَخَذَ اللّٰهُ مِيْثَاقَ النَّبِيّٖنَ لَمَآ اٰتَيْتُكُمْ مِّنْ كِتٰبٍ وَّحِكْمَةٍ ثُمَّ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌ مُّصَدِّقٌ لِّمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهٖ وَلَتَنْصُرُنَّهٗ ۗ قَالَ ءَاَقْرَرْتُمْ وَاَخَذْتُمْ عَلٰى ذٰلِكُمْ اِصْرِيْ ۗ قَالُوْٓا اَقْرَرْنَا ۗ قَالَ فَاشْهَدُوْا وَاَنَا۠ مَعَكُمْ مِّنَ الشّٰهِدِيْنَ ٨١

wa-idh
وَإِذْ
और जब
akhadha
أَخَذَ
लिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mīthāqa
مِيثَٰقَ
पुख़्ता अहद
l-nabiyīna
ٱلنَّبِيِّۦنَ
नबियों से
lamā
لَمَآ
अलबत्ता जो
ātaytukum
ءَاتَيْتُكُم
दूँ मैं तुम्हें
min
مِّن
किताब में से
kitābin
كِتَٰبٍ
किताब में से
waḥik'matin
وَحِكْمَةٍ
और हिकमत में से
thumma
ثُمَّ
फिर
jāakum
جَآءَكُمْ
आ जाए तुम्हारे पास
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
muṣaddiqun
مُّصَدِّقٌ
तसदीक़ करने वाला
limā
لِّمَا
उसकी जो
maʿakum
مَعَكُمْ
तुम्हारे पास है
latu'minunna
لَتُؤْمِنُنَّ
अल्बत्ता तुम ज़रूर ईमान लाओगे
bihi
بِهِۦ
उस पर
walatanṣurunnahu
وَلَتَنصُرُنَّهُۥۚ
और अलबत्ता तुम ज़रूर मदद करोगे उसकी
qāla
قَالَ
फ़रमाया
a-aqrartum
ءَأَقْرَرْتُمْ
क्या तुम इक़रार किया तुमने
wa-akhadhtum
وَأَخَذْتُمْ
और लिया तुमने
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
उस पर
iṣ'rī
إِصْرِىۖ
अहद मेरा
qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
aqrarnā
أَقْرَرْنَاۚ
इक़रार किया हमने
qāla
قَالَ
फ़रमाया
fa-ish'hadū
فَٱشْهَدُوا۟
पस गवाह रहो
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं हूँ
maʿakum
مَعَكُم
साथ तुम्हारे
mina
مِّنَ
गवाहों में से
l-shāhidīna
ٱلشَّٰهِدِينَ
गवाहों में से
और याद करो जब अल्लाह ने नबियों के सम्बन्ध में वचन लिया था, 'मैंने तुम्हें जो कुछ किताब और हिकमत प्रदान की, इसके पश्चात तुम्हारे पास कोई रसूल उसकी पुष्टि करता हुआ आए जो तुम्हारे पास मौजूद है, तो तुम अवश्य उस पर ईमान लाओगे और निश्चय ही उसकी सहायता करोगे।' कहा, 'क्या तुमने इक़रार किया? और इसपर मेरी ओर से डाली हुई जिम्मेदारी को बोझ उठाया?' उन्होंने कहा, 'हमने इक़रार किया।' कहा, 'अच्छा तो गवाह किया और मैं भी तुम्हारे साथ गवाह हूँ।' ([३] आले इमरान: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

فَمَنْ تَوَلّٰى بَعْدَ ذٰلِكَ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ٨٢

faman
فَمَن
तो जो कोई
tawallā
تَوَلَّىٰ
मुँह मोड़ जाए
baʿda
بَعْدَ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-fāsiqūna
ٱلْفَٰسِقُونَ
जो फ़ासिक़ हैं
फिर इसके बाद जो फिर गए, तो ऐसे ही लोग अवज्ञाकारी है ([३] आले इमरान: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

اَفَغَيْرَ دِيْنِ اللّٰهِ يَبْغُوْنَ وَلَهٗ ٓ اَسْلَمَ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّاِلَيْهِ يُرْجَعُوْنَ ٨٣

afaghayra
أَفَغَيْرَ
क्या भला अलावा
dīni
دِينِ
अल्लाह के दीन के
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के दीन के
yabghūna
يَبْغُونَ
वो (कुछ और) तलाश करते हैं
walahu
وَلَهُۥٓ
हालाँकि उसी के लिए
aslama
أَسْلَمَ
फ़रमाबरदार हुआ
man
مَن
जो कोई
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
ṭawʿan
طَوْعًا
ख़ुशी से
wakarhan
وَكَرْهًا
और नाख़ुशी से
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
yur'jaʿūna
يُرْجَعُونَ
वो लौटाए जाऐंगे
अब क्या इन लोगों को अल्लाह के दीन (धर्म) के सिवा किसी और दीन की तलब है, हालाँकि आकाशों और धरती में जो कोई भी है, स्वेच्छापूर्वक या विवश होकर उसी के आगे झुका हुआ है। और उसी की ओर सबको लौटना है? ([३] आले इमरान: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

قُلْ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَآ اُنْزِلَ عَلَيْنَا وَمَآ اُنْزِلَ عَلٰٓى اِبْرٰهِيْمَ وَاِسْمٰعِيْلَ وَاِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطِ وَمَآ اُوْتِيَ مُوْسٰى وَعِيْسٰى وَالنَّبِيُّوْنَ مِنْ رَّبِّهِمْۖ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ اَحَدٍ مِّنْهُمْۖ وَنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ٨٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ʿalā
عَلَىٰٓ
इब्राहीम पर
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम पर
wa-is'māʿīla
وَإِسْمَٰعِيلَ
और इस्माईल
wa-is'ḥāqa
وَإِسْحَٰقَ
और इसहाक़
wayaʿqūba
وَيَعْقُوبَ
और याक़ूब
wal-asbāṭi
وَٱلْأَسْبَاطِ
और औलादे याक़ूब पर
wamā
وَمَآ
और जो
ūtiya
أُوتِىَ
दिए गए
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
waʿīsā
وَعِيسَىٰ
और ईसा
wal-nabiyūna
وَٱلنَّبِيُّونَ
और तमाम अम्बिया
min
مِن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihim
رَّبِّهِمْ
अपने रब की तरफ़ से
لَا
नहीं हम फ़र्क़ करते
nufarriqu
نُفَرِّقُ
नहीं हम फ़र्क़ करते
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक के
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
lahu
لَهُۥ
उसी के
mus'limūna
مُسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हैं
कहो, 'हम तो अल्लाह पर और उस चीज़ पर ईमान लाए जो हम पर उतरी है, और जो इबराहीम, इसमाईल, इसहाक़ और याकूब़ और उनकी सन्तान पर उतरी उसपर भी, और जो मूसा और ईसा और दूसरे नबियो को उनके रब की ओर से प्रदान हुई (उसपर भी हम ईमान रखते है) । हम उनमें से किसी को उस ओर से प्रदान हुई (उसपर भी हम ईमान रखते है) । हम उनमें से किसी को उस सम्बन्ध से अलग नहीं करते जो उनके बीच पाया जाता है, और हम उसी के आज्ञाकारी (मुस्लिम) है।' ([३] आले इमरान: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

وَمَنْ يَّبْتَغِ غَيْرَ الْاِسْلَامِ دِيْنًا فَلَنْ يُّقْبَلَ مِنْهُۚ وَهُوَ فِى الْاٰخِرَةِ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ٨٥

waman
وَمَن
और जो कोई
yabtaghi
يَبْتَغِ
चाहेगा
ghayra
غَيْرَ
सिवाय
l-is'lāmi
ٱلْإِسْلَٰمِ
इस्लाम के
dīnan
دِينًا
कोई दीन
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
yuq'bala
يُقْبَلَ
वो क़ुबूल किया जाएगा
min'hu
مِنْهُ
उससे
wahuwa
وَهُوَ
और वो
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
mina
مِنَ
ख़सारा पाने वालों में से होगा
l-khāsirīna
ٱلْخَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वालों में से होगा
जो इस्लाम के अतिरिक्त कोई और दीन (धर्म) तलब करेगा तो उसकी ओर से कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। और आख़िरत में वह घाटा उठानेवालों में से होगा ([३] आले इमरान: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

كَيْفَ يَهْدِى اللّٰهُ قَوْمًا كَفَرُوْا بَعْدَ اِيْمَانِهِمْ وَشَهِدُوْٓا اَنَّ الرَّسُوْلَ حَقٌّ وَّجَاۤءَهُمُ الْبَيِّنٰتُ ۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ٨٦

kayfa
كَيْفَ
किस तरह
yahdī
يَهْدِى
हिदायत देगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
qawman
قَوْمًا
उस क़ौम को
kafarū
كَفَرُوا۟
जिन्होंने कुफ़्र किया
baʿda
بَعْدَ
बाद
īmānihim
إِيمَٰنِهِمْ
अपने ईमान लाने के
washahidū
وَشَهِدُوٓا۟
और उन्होंने गवाही दी
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल
ḥaqqun
حَقٌّ
बरहक़ हैं
wajāahumu
وَجَآءَهُمُ
और आईं उनके पास
l-bayinātu
ٱلْبَيِّنَٰتُۚ
वाज़ेह निशानियाँ
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
अल्लाह उन लोगों को कैसे मार्ग दिखाएगा, जिन्होंने अपने ईमान के पश्चात अधर्म और इनकार की नीति अपनाई, जबकि वे स्वयं इस बात की गवाही दे चुके हैं कि यह रसूल सच्चा है और उनके पास स्पष्ट निशानियाँ भी आ चुकी हैं? अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाया करता ([३] आले इमरान: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

اُولٰۤىِٕكَ جَزَاۤؤُهُمْ اَنَّ عَلَيْهِمْ لَعْنَةَ اللّٰهِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِيْنَۙ ٨٧

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
jazāuhum
جَزَآؤُهُمْ
बदला उनका
anna
أَنَّ
कि बेशक
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
laʿnata
لَعْنَةَ
लानत है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wal-malāikati
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
और फ़रिश्तों की
wal-nāsi
وَٱلنَّاسِ
और लोगों की
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सब के सब की
उन लोगों का बदला यही है कि उनपर अल्लाह और फ़रिश्तों और सारे मनुष्यों की लानत है ([३] आले इमरान: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۚ لَا يُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ يُنْظَرُوْنَۙ ٨٨

khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَا
उसमें
لَا
ना हलका किया जाएगा
yukhaffafu
يُخَفَّفُ
ना हलका किया जाएगा
ʿanhumu
عَنْهُمُ
उनसे
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yunẓarūna
يُنظَرُونَ
वो मोहलत दिए जाऐंगे
इसी दशा में वे सदैव रहेंगे, न उनकी यातना हल्की होगी और न उन्हें मुहलत ही दी जाएगी ([३] आले इमरान: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

اِلَّا الَّذِيْنَ تَابُوْا مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ وَاَصْلَحُوْاۗ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٨٩

illā
إِلَّا
मगर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
tābū
تَابُوا۟
तौबा की
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
dhālika
ذَٰلِكَ
बाद उसके
wa-aṣlaḥū
وَأَصْلَحُوا۟
और इस्लाह की
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
हाँ, जिन लोगों ने इसके पश्चात तौबा कर ली और अपनी नीति को सुधार लिया तो निस्संदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([३] आले इमरान: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بَعْدَ اِيْمَانِهِمْ ثُمَّ ازْدَادُوْا كُفْرًا لَّنْ تُقْبَلَ تَوْبَتُهُمْ ۚ وَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الضَّاۤلُّوْنَ ٩٠

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
baʿda
بَعْدَ
बाद
īmānihim
إِيمَٰنِهِمْ
अपने ईमान के
thumma
ثُمَّ
फिर
iz'dādū
ٱزْدَادُوا۟
वो बढ़ते गए
kuf'ran
كُفْرًا
कुफ़्र में
lan
لَّن
हरगिज़ ना
tuq'bala
تُقْبَلَ
क़ुबूल की जाएगी
tawbatuhum
تَوْبَتُهُمْ
तौबा उनकी
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ḍālūna
ٱلضَّآلُّونَ
जो गुमराह हैं
रहे वे लोग जिन्होंने अपने ईमान के पश्चात इनकार किया और अपने इनकार में बढ़ते ही गए, उनकी तौबा कदापि स्वीकार न होगी। वास्तव में वही पथभ्रष्ट हैं ([३] आले इमरान: 90)
Tafseer (तफ़सीर )