اِنَّ اللّٰهَ رَبِّيْ وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْهُ ۗهٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِيْمٌ ٥١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- rabbī
- رَبِّى
- रब है मेरा
- warabbukum
- وَرَبُّكُمْ
- और रब तुम्हारा
- fa-uʿ'budūhu
- فَٱعْبُدُوهُۗ
- पस इबादत करो उसकी
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- ṣirāṭun
- صِرَٰطٌ
- रास्ता है
- mus'taqīmun
- مُّسْتَقِيمٌ
- सीधा
'निस्संदेह अल्लाह मेरी भी रब है और तुम्हारा रब भी, अतः तुम उसी की बन्दगी करो। यही सीधा मार्ग है।' ([३] आले इमरान: 51)Tafseer (तफ़सीर )
۞ فَلَمَّآ اَحَسَّ عِيْسٰى مِنْهُمُ الْكُفْرَ قَالَ مَنْ اَنْصَارِيْٓ اِلَى اللّٰهِ ۗ قَالَ الْحَوَارِيُّوْنَ نَحْنُ اَنْصَارُ اللّٰهِ ۚ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ ۚ وَاشْهَدْ بِاَنَّا مُسْلِمُوْنَ ٥٢
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- aḥassa
- أَحَسَّ
- महसूस किया
- ʿīsā
- عِيسَىٰ
- ईसा ने
- min'humu
- مِنْهُمُ
- उनसे
- l-kuf'ra
- ٱلْكُفْرَ
- कुफ़्र को
- qāla
- قَالَ
- कहा
- man
- مَنْ
- कौन हैं
- anṣārī
- أَنصَارِىٓ
- मददगार मेरे
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- तरफ़ अल्लाह के
- qāla
- قَالَ
- कहा
- l-ḥawāriyūna
- ٱلْحَوَارِيُّونَ
- हवारियों ने
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम हैं
- anṣāru
- أَنصَارُ
- मददगार
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- āmannā
- ءَامَنَّا
- हम ईमान लाए
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wa-ish'had
- وَٱشْهَدْ
- और गवाह रह
- bi-annā
- بِأَنَّا
- बेशक हम
- mus'limūna
- مُسْلِمُونَ
- मुसलमान हैं
फिर जब ईसा को उनके अविश्वास और इनकार का आभास हुआ तो उसने कहा, 'कौन अल्लाह की ओर बढ़ने में मेरा सहायक होता है?' हवारियों (साथियों) ने कहा, 'हम अल्लाह के सहायक हैं। हम अल्लाह पर ईमान लाए और गवाह रहिए कि हम मुस्लिम है ([३] आले इमरान: 52)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَآ اٰمَنَّا بِمَآ اَنْزَلْتَ وَاتَّبَعْنَا الرَّسُوْلَ فَاكْتُبْنَا مَعَ الشّٰهِدِيْنَ ٥٣
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- anzalta
- أَنزَلْتَ
- नाज़िल किया तूने
- wa-ittabaʿnā
- وَٱتَّبَعْنَا
- और पैरवी की हमने
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- fa-uk'tub'nā
- فَٱكْتُبْنَا
- पस लिख ले हमें
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-shāhidīna
- ٱلشَّٰهِدِينَ
- गवाहों के
'हमारे रब! तूने जो कुछ उतारा है, हम उसपर ईमान लाए और इस रसूल का अनुसरण स्वीकार किया। अतः तू हमें गवाही देनेवालों में लिख ले।' ([३] आले इमरान: 53)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَكَرُوْا وَمَكَرَ اللّٰهُ ۗوَاللّٰهُ خَيْرُ الْمَاكِرِيْنَ ࣖ ٥٤
- wamakarū
- وَمَكَرُوا۟
- और उन्होंने चाल चली
- wamakara
- وَمَكَرَ
- और ख़ुफ़िया तदबीर की
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतरीन है
- l-mākirīna
- ٱلْمَٰكِرِينَ
- ख़ुफ़िया तदबीर करने वालों में
और वे चाल चले तो अल्लाह ने भी उसका तोड़ किया और अल्लाह उत्तम तोड़ करनेवाला है ([३] आले इमरान: 54)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ قَالَ اللّٰهُ يٰعِيْسٰٓى اِنِّيْ مُتَوَفِّيْكَ وَرَافِعُكَ اِلَيَّ وَمُطَهِّرُكَ مِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَجَاعِلُ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْكَ فَوْقَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ ۚ ثُمَّ اِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاَحْكُمُ بَيْنَكُمْ فِيْمَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ٥٥
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- yāʿīsā
- يَٰعِيسَىٰٓ
- ऐ ईसा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- mutawaffīka
- مُتَوَفِّيكَ
- पूरा पूरा लेने वाला हूँ तुझे
- warāfiʿuka
- وَرَافِعُكَ
- और उठा लेने वाला हूँ तुझे
- ilayya
- إِلَىَّ
- तरफ़ अपने
- wamuṭahhiruka
- وَمُطَهِّرُكَ
- और पाक करने वाला हूँ तुझे
- mina
- مِنَ
- उनसे जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wajāʿilu
- وَجَاعِلُ
- और बनाने वाला हूँ
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ittabaʿūka
- ٱتَّبَعُوكَ
- पैरवी की तेरी
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- ilā
- إِلَىٰ
- क़यामत के दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- क़यामत के दिन तक
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۖ
- क़यामत के दिन तक
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ilayya
- إِلَىَّ
- तरफ़ मेरे ही
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْ
- लौटना है तुम्हारा
- fa-aḥkumu
- فَأَحْكُمُ
- तो मैं फ़ैसला करुँगा
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- fīmā
- فِيمَا
- उसमें जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- fīhi
- فِيهِ
- जिसमें
- takhtalifūna
- تَخْتَلِفُونَ
- तुम इख़्तिलाफ़ करते
जब अल्लाह ने कहा, 'ऐ ईसा! मैं तुझे अपने क़ब्जे में ले लूँगा और तुझे अपनी ओर उठा लूँगा और अविश्वासियों (की कुचेष्टाओं) से तुझे पाक कर दूँगा और तेरे अनुयायियों को क़ियामत के दिन तक लोगों के ऊपर रखूँगा, जिन्होंने इनकार किया। फिर मेरी ओर तुम्हें लौटना है। फिर मैं तुम्हारे बीच उन चीज़ों का फ़ैसला कर दूँगा, जिनके विषय में तुम विभेद करते रहे हो ([३] आले इमरान: 55)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَاُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيْدًا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۖ وَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ٥٦
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- fa-uʿadhibuhum
- فَأُعَذِّبُهُمْ
- तो मैं अज़ाब दूँगा उन्हें
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- shadīdan
- شَدِيدًا
- सख़्त
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- wal-ākhirati
- وَٱلْءَاخِرَةِ
- और आख़िरत में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं होगा
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- मददगारों में से कोई
- nāṣirīna
- نَّٰصِرِينَ
- मददगारों में से कोई
'तो जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, उन्हें दुनिया और आख़िरत में कड़ी यातना दूँगा। उनका कोई सहायक न होगा।' ([३] आले इमरान: 56)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَمَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَيُوَفِّيْهِمْ اُجُوْرَهُمْ ۗ وَاللّٰهُ لَا يُحِبُّ الظّٰلِمِيْنَ ٥٧
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- fayuwaffīhim
- فَيُوَفِّيهِمْ
- तो वो पूरे पूरे देगा उन्हें
- ujūrahum
- أُجُورَهُمْۗ
- अजर उनके
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो मोहब्बत रखता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो मोहब्बत रखता
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों से
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें वह उनका पूरा-पूरा बदला देगा। अल्लाह अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता ([३] आले इमरान: 57)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ نَتْلُوْهُ عَلَيْكَ مِنَ الْاٰيٰتِ وَالذِّكْرِ الْحَكِيْمِ ٥٨
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- natlūhu
- نَتْلُوهُ
- हम तिलावत कर रहे हैं उसे
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- mina
- مِنَ
- आयात में से
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात में से
- wal-dhik'ri
- وَٱلذِّكْرِ
- और ज़िक्र
- l-ḥakīmi
- ٱلْحَكِيمِ
- बहुत हिकमत वाले से
ये आयतें है और हिकमत (तत्वज्ञान) से परिपूर्ण अनुस्मारक, जो हम तुम्हें सुना रहे हैं ([३] आले इमरान: 58)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ مَثَلَ عِيْسٰى عِنْدَ اللّٰهِ كَمَثَلِ اٰدَمَ ۗ خَلَقَهٗ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ٥٩
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- mathala
- مَثَلَ
- मिसाल
- ʿīsā
- عِيسَىٰ
- ईसा की
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- kamathali
- كَمَثَلِ
- मानिन्द मिसाल
- ādama
- ءَادَمَۖ
- आदम के है
- khalaqahu
- خَلَقَهُۥ
- उसने पैदा किया उसे
- min
- مِن
- मिट्टी से
- turābin
- تُرَابٍ
- मिट्टी से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- kun
- كُن
- हो जा
- fayakūnu
- فَيَكُونُ
- तो वो हो गया
निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में ईसा की मिसाल आदम जैसी है कि उसे मिट्टी से बनाया, फिर उससे कहा, 'हो जा', तो वह हो जाता है ([३] आले इमरान: 59)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُنْ مِّنَ الْمُمْتَرِيْنَ ٦٠
- al-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से है
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से है
- falā
- فَلَا
- तो ना
- takun
- تَكُن
- आप हों
- mina
- مِّنَ
- शक करने वालों में से
- l-mum'tarīna
- ٱلْمُمْتَرِينَ
- शक करने वालों में से
यह हक़ तुम्हारे रब की ओर से हैं, तो तुम संदेह में न पड़ना ([३] आले इमरान: 60)Tafseer (तफ़सीर )