Skip to content

सूरा आले इमरान - Page: 4

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

३१

قُلْ اِنْ كُنْتُمْ تُحِبُّوْنَ اللّٰهَ فَاتَّبِعُوْنِيْ يُحْبِبْكُمُ اللّٰهُ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوْبَكُمْ ۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٣١

qul
قُلْ
कह दीजिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
tuḥibbūna
تُحِبُّونَ
तुम मोहब्बत करते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
fa-ittabiʿūnī
فَٱتَّبِعُونِى
तो पैरवी करो मेरी
yuḥ'bib'kumu
يُحْبِبْكُمُ
मोहब्बत करेगा तुम से
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
wayaghfir
وَيَغْفِرْ
और वो बख़्श देगा
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
dhunūbakum
ذُنُوبَكُمْۗ
तुम्हारे गुनाहों को
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
कह दो, 'यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो तो मेरा अनुसरण करो, अल्लाह भी तुमसे प्रेम करेगा और तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।' ([३] आले इमरान: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

قُلْ اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ ۚ فَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ الْكٰفِرِيْنَ ٣٢

qul
قُلْ
कह दीजिए
aṭīʿū
أَطِيعُوا۟
इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wal-rasūla
وَٱلرَّسُولَۖ
और रसूल की
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह फेर जाऐं
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो मोहब्बत करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो मोहब्बत करता
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों से
कह दो, 'अल्लाह और रसूल का आज्ञापालन करो।' फिर यदि वे मुँह मोड़े तो अल्लाह भी इनकार करनेवालों से प्रेम नहीं करता ([३] आले इमरान: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

۞ اِنَّ اللّٰهَ اصْطَفٰىٓ اٰدَمَ وَنُوْحًا وَّاٰلَ اِبْرٰهِيْمَ وَاٰلَ عِمْرَانَ عَلَى الْعٰلَمِيْنَۙ ٣٣

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
iṣ'ṭafā
ٱصْطَفَىٰٓ
चुन लिया
ādama
ءَادَمَ
आदम
wanūḥan
وَنُوحًا
और नूह
waāla
وَءَالَ
और आले इब्राहीम
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
और आले इब्राहीम
waāla
وَءَالَ
और आले इमरान को
ʿim'rāna
عِمْرَٰنَ
और आले इमरान को
ʿalā
عَلَى
तमाम जहान वालों पर
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों पर
अल्लाह ने आदम, नूह, इबराहीम की सन्तान और इमरान की सन्तान को सारे संसार की अपेक्षा प्राथमिकता देकर चुना ([३] आले इमरान: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

ذُرِّيَّةً ۢ بَعْضُهَا مِنْۢ بَعْضٍۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌۚ ٣٤

dhurriyyatan
ذُرِّيَّةًۢ
औलाद हैं
baʿḍuhā
بَعْضُهَا
बाज़ उनके
min
مِنۢ
बाज़ की
baʿḍin
بَعْضٍۗ
बाज़ की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
एक नस्त के रूप में, उसमें से एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी से पैदा हुई। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([३] आले इमरान: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اِذْ قَالَتِ امْرَاَتُ عِمْرَانَ رَبِّ اِنِّيْ نَذَرْتُ لَكَ مَا فِيْ بَطْنِيْ مُحَرَّرًا فَتَقَبَّلْ مِنِّيْ ۚ اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٣٥

idh
إِذْ
जब
qālati
قَالَتِ
कहने लगी
im'ra-atu
ٱمْرَأَتُ
बीवी
ʿim'rāna
عِمْرَٰنَ
इमरान की
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
innī
إِنِّى
बेशक मैं
nadhartu
نَذَرْتُ
नज़र किया मैंने
laka
لَكَ
तेरे लिए
مَا
जो
فِى
मेरे पेट में है
baṭnī
بَطْنِى
मेरे पेट में है
muḥarraran
مُحَرَّرًا
आज़ाद
fataqabbal
فَتَقَبَّلْ
पस तू क़ुबूल कर ले
minnī
مِنِّىٓۖ
मुझ से
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है
याद करो जब इमरान की स्त्री ने कहा, 'मेरे रब! जो बच्चा मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज़ से छुड़ाकर भेट स्वरूप तुझे अर्पित किया। अतः तू उसे मेरी ओर से स्वीकार कर। निस्संदेह तू सब कुछ सुनता, जानता है।' ([३] आले इमरान: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

فَلَمَّا وَضَعَتْهَا قَالَتْ رَبِّ اِنِّيْ وَضَعْتُهَآ اُنْثٰىۗ وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا وَضَعَتْۗ وَلَيْسَ الذَّكَرُ كَالْاُنْثٰى ۚ وَاِنِّيْ سَمَّيْتُهَا مَرْيَمَ وَاِنِّيْٓ اُعِيْذُهَا بِكَ وَذُرِّيَّتَهَا مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ ٣٦

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
waḍaʿathā
وَضَعَتْهَا
उसने जन्म दिया उसे
qālat
قَالَتْ
कहने लगी
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
innī
إِنِّى
बेशक मैं
waḍaʿtuhā
وَضَعْتُهَآ
जन्म दिया है मैंने इसे
unthā
أُنثَىٰ
लड़की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
bimā
بِمَا
उसे जो
waḍaʿat
وَضَعَتْ
उसने जन्म दिया
walaysa
وَلَيْسَ
और नहीं है
l-dhakaru
ٱلذَّكَرُ
लड़का
kal-unthā
كَٱلْأُنثَىٰۖ
लड़की की तरह
wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
sammaytuhā
سَمَّيْتُهَا
नाम रखा है मैंने उसका
maryama
مَرْيَمَ
मरियम
wa-innī
وَإِنِّىٓ
और बेशक मैं
uʿīdhuhā
أُعِيذُهَا
मैं पनाह में देती हूँ उसे
bika
بِكَ
तेरी
wadhurriyyatahā
وَذُرِّيَّتَهَا
और उसकी औलाद को
mina
مِنَ
शैतान से
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान से
l-rajīmi
ٱلرَّجِيمِ
जो मरदूद है
फिर जब उसके यहाँ बच्ची पैदा हुई तो उसने कहा, 'मेरे रब! मेरे यहाँ तो लड़की पैदा हुई है।' - अल्लाह तो जानता ही था जो कुछ उसके यहाँ पैदा हुआ था। और वह लड़का उस लडकी की तरह नहीं हो सकता - 'और मैंने उसका नाम मरयम रखा है और मैं उसे और उसकी सन्तान को तिरस्कृत शैतान (के उपद्रव) से सुरक्षित रखने के लिए तेरी शरण में देती हूँ।' ([३] आले इमरान: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

فَتَقَبَّلَهَا رَبُّهَا بِقَبُوْلٍ حَسَنٍ وَّاَنْۢبَتَهَا نَبَاتًا حَسَنًاۖ وَّكَفَّلَهَا زَكَرِيَّا ۗ كُلَّمَا دَخَلَ عَلَيْهَا زَكَرِيَّا الْمِحْرَابَۙ وَجَدَ عِنْدَهَا رِزْقًا ۚ قَالَ يٰمَرْيَمُ اَنّٰى لَكِ هٰذَا ۗ قَالَتْ هُوَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ يَرْزُقُ مَنْ يَّشَاۤءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ ٣٧

fataqabbalahā
فَتَقَبَّلَهَا
तो क़ुबूल कर लिया उसे
rabbuhā
رَبُّهَا
उसके रब ने
biqabūlin
بِقَبُولٍ
क़ुबूल करना
ḥasanin
حَسَنٍ
अच्छा
wa-anbatahā
وَأَنۢبَتَهَا
और परवरिश की उसकी
nabātan
نَبَاتًا
परवरिश
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छी
wakaffalahā
وَكَفَّلَهَا
और कफ़ील बनाया उसका
zakariyyā
زَكَرِيَّاۖ
ज़करिया को
kullamā
كُلَّمَا
जब कभी
dakhala
دَخَلَ
दाख़िल होता
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उस पर
zakariyyā
زَكَرِيَّا
ज़करिया
l-miḥ'rāba
ٱلْمِحْرَابَ
मेहराब में
wajada
وَجَدَ
वो पाता
ʿindahā
عِندَهَا
पास उसके
riz'qan
رِزْقًاۖ
कोई रिज़्क़
qāla
قَالَ
वो कहता
yāmaryamu
يَٰمَرْيَمُ
ऐ मरियम
annā
أَنَّىٰ
कहाँ से है
laki
لَكِ
तेरे लिए
hādhā
هَٰذَاۖ
ये
qālat
قَالَتْ
वो कहती
huwa
هُوَ
वो
min
مِنْ
अल्लाह के पास से है
ʿindi
عِندِ
अल्लाह के पास से है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के पास से है
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yarzuqu
يَرْزُقُ
रिज़्क़ देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ḥisābin
حِسَابٍ
हिसाब के
अतः उसके रब ने उसका अच्छी स्वीकृति के साथ स्वागत किया और उत्तम रूप में उसे परवान चढ़ाया; और ज़करिया को उसका संरक्षक बनाया। जब कभी ज़करिया उसके पास मेहराब (इबादतगाह) में जाता, तो उसके पास कुछ रोज़ी पाता। उसने कहा, 'ऐ मरयम! ये चीज़े तुझे कहाँ से मिलती है?' उसने कहा, 'यह अल्लाह के पास से है।' निस्संदेह अल्लाह जिसे चाहता है, बेहिसाब देता है ([३] आले इमरान: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

هُنَالِكَ دَعَا زَكَرِيَّا رَبَّهٗ ۚ قَالَ رَبِّ هَبْ لِيْ مِنْ لَّدُنْكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۚ اِنَّكَ سَمِيْعُ الدُّعَاۤءِ ٣٨

hunālika
هُنَالِكَ
उसी जगह/वक़्त
daʿā
دَعَا
दुआ माँगी
zakariyyā
زَكَرِيَّا
ज़करिया ने
rabbahu
رَبَّهُۥۖ
अपने रब से
qāla
قَالَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
hab
هَبْ
अता कर
لِى
मुझे
min
مِن
अपने पास से
ladunka
لَّدُنكَ
अपने पास से
dhurriyyatan
ذُرِّيَّةً
औलाद
ṭayyibatan
طَيِّبَةًۖ
पाकीज़ा
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
samīʿu
سَمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-duʿāi
ٱلدُّعَآءِ
दुआ का
वही ज़करिया ने अपने रब को पुकारा, कहा, 'मेरे रब! मुझे तू अपने पास से अच्छी सन्तान (अनुयायी) प्रदान कर। तू ही प्रार्थना का सुननेवाला है।' ([३] आले इमरान: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

فَنَادَتْهُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ وَهُوَ قَاۤىِٕمٌ يُّصَلِّيْ فِى الْمِحْرَابِۙ اَنَّ اللّٰهَ يُبَشِّرُكَ بِيَحْيٰى مُصَدِّقًاۢ بِكَلِمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَسَيِّدًا وَّحَصُوْرًا وَّنَبِيًّا مِّنَ الصّٰلِحِيْنَ ٣٩

fanādathu
فَنَادَتْهُ
पस पुकारा उसे
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्तों ने
wahuwa
وَهُوَ
जब कि वो
qāimun
قَآئِمٌ
खड़ा
yuṣallī
يُصَلِّى
नमाज़ पढ़ रहा था
فِى
मेहराब में
l-miḥ'rābi
ٱلْمِحْرَابِ
मेहराब में
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yubashiruka
يُبَشِّرُكَ
ख़ुशख़बरी देता है तुझे
biyaḥyā
بِيَحْيَىٰ
यहया की
muṣaddiqan
مُصَدِّقًۢا
तसदीक़ करने वाला है
bikalimatin
بِكَلِمَةٍ
एक कलमे की
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wasayyidan
وَسَيِّدًا
और सरदार
waḥaṣūran
وَحَصُورًا
और पाक बाज़
wanabiyyan
وَنَبِيًّا
और नबी होगा
mina
مِّنَ
नेक लोगों में से
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
नेक लोगों में से
तो फ़रिश्तों ने उसे आवाज़ दी, जबकि वह मेहराब में खड़ा नमाज़ पढ़ रहा था, 'अल्लाह, तुझे यह्याि की शुभ-सूचना देता है, जो अल्लाह के एक कलिमें की पुष्टि करनेवाला, सरदार, अत्यन्त संयमी और अच्छे लोगो में से एक नबी होगा।' ([३] आले इमरान: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

قَالَ رَبِّ اَنّٰى يَكُوْنُ لِيْ غُلٰمٌ وَّقَدْ بَلَغَنِيَ الْكِبَرُ وَامْرَاَتِيْ عَاقِرٌ ۗ قَالَ كَذٰلِكَ اللّٰهُ يَفْعَلُ مَا يَشَاۤءُ ٤٠

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
annā
أَنَّىٰ
कैसे
yakūnu
يَكُونُ
होगा
لِى
मेरे लिए
ghulāmun
غُلَٰمٌ
लड़का
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
balaghaniya
بَلَغَنِىَ
पहुँचा मुझे
l-kibaru
ٱلْكِبَرُ
बुढ़ापा
wa-im'ra-atī
وَٱمْرَأَتِى
और बीवी मेरी
ʿāqirun
عَاقِرٌۖ
बाँझ है
qāla
قَالَ
उसने कहा
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yafʿalu
يَفْعَلُ
करता है
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
उसने कहा, 'मेरे रब! मेरे यहाँ लड़का कैसे पैदा होगा, जबकि मुझे बुढापा आ गया है और मेरी पत्ऩी बाँझ है?' कहा, 'इसी प्रकार अल्लाह जो चाहता है, करता है।' ([३] आले इमरान: 40)
Tafseer (तफ़सीर )