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सूरा आले इमरान - Page: 20

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१९१

الَّذِيْنَ يَذْكُرُوْنَ اللّٰهَ قِيَامًا وَّقُعُوْدًا وَّعَلٰى جُنُوْبِهِمْ وَيَتَفَكَّرُوْنَ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ رَبَّنَا مَا خَلَقْتَ هٰذَا بَاطِلًاۚ سُبْحٰنَكَ فَقِنَا عَذَابَ النَّارِ ١٩١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yadhkurūna
يَذْكُرُونَ
याद करते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
qiyāman
قِيَٰمًا
खड़े
waquʿūdan
وَقُعُودًا
और बैठे
waʿalā
وَعَلَىٰ
और अपने पहलुओं पर
junūbihim
جُنُوبِهِمْ
और अपने पहलुओं पर
wayatafakkarūna
وَيَتَفَكَّرُونَ
और वो ग़ौरो फ़िक्र करते हैं
فِى
तख़्लीक़ में
khalqi
خَلْقِ
तख़्लीक़ में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
مَا
नहीं
khalaqta
خَلَقْتَ
पैदा किया तूने
hādhā
هَٰذَا
ये (सब)
bāṭilan
بَٰطِلًا
बेमक़सद
sub'ḥānaka
سُبْحَٰنَكَ
पाक है तू
faqinā
فَقِنَا
पस बचा हमें
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब से
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
जो खड़े, बैठे और अपने पहलुओं पर लेटे अल्लाह को याद करते है और आकाशों और धरती की रचना में सोच-विचार करते है। (वे पुकार उठते है,) 'हमारे रब! तूने यह सब व्यर्थ नहीं बनाया है। महान है तू, अतः हमें आग की यातना से बचा ले ([३] आले इमरान: 191)
Tafseer (तफ़सीर )
१९२

رَبَّنَآ اِنَّكَ مَنْ تُدْخِلِ النَّارَ فَقَدْ اَخْزَيْتَهٗ ۗ وَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ اَنْصَارٍ ١٩٢

rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
man
مَن
जिसे
tud'khili
تُدْخِلِ
तू दाख़िल करेगा
l-nāra
ٱلنَّارَ
आग में
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
akhzaytahu
أَخْزَيْتَهُۥۖ
रुस्वा कर दिया तूने उसे
wamā
وَمَا
और नहीं
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों के लिए
min
مِنْ
कोई मददगार
anṣārin
أَنصَارٍ
कोई मददगार
'हमारे रब, तूने जिसे आग में डाला, उसे रुसवा कर दिया। और ऐसे ज़ालिमों का कोई सहायक न होगा ([३] आले इमरान: 192)
Tafseer (तफ़सीर )
१९३

رَبَّنَآ اِنَّنَا سَمِعْنَا مُنَادِيًا يُّنَادِيْ لِلْاِيْمَانِ اَنْ اٰمِنُوْا بِرَبِّكُمْ فَاٰمَنَّا ۖرَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّاٰتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الْاَبْرَارِۚ ١٩٣

rabbanā
رَّبَّنَآ
ऐ हमारे रब
innanā
إِنَّنَا
बेशक हम
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
munādiyan
مُنَادِيًا
एक पुकारने वाले को
yunādī
يُنَادِى
वो पुकार रहा था
lil'īmāni
لِلْإِيمَٰنِ
ईमान के लिए
an
أَنْ
कि
āminū
ءَامِنُوا۟
ईमान ले आओ
birabbikum
بِرَبِّكُمْ
अपने रब पर
faāmannā
فَـَٔامَنَّاۚ
तो ईमान ले आए हम
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
fa-igh'fir
فَٱغْفِرْ
पस बख़्श दे हमारे लिए
lanā
لَنَا
पस बख़्श दे हमारे लिए
dhunūbanā
ذُنُوبَنَا
हमारे गुनाहों को
wakaffir
وَكَفِّرْ
और दूर कर दे
ʿannā
عَنَّا
हमसे
sayyiātinā
سَيِّـَٔاتِنَا
हमारी बुराइयों को
watawaffanā
وَتَوَفَّنَا
और फ़ौत कर हमें
maʿa
مَعَ
साथ
l-abrāri
ٱلْأَبْرَارِ
नेक लोगों के
'हमारे रब! हमने एक पुकारनेवाले को ईमान की ओर बुलाते सुना कि अपने रब पर ईमान लाओ। तो हम ईमान ले आए। हमारे रब! तो अब तू हमारे गुनाहों को क्षमा कर दे और हमारी बुराइयों को हमसे दूर कर दे और हमें नेक और वफ़़ादार लोगों के साथ (दुनिया से) उठा ([३] आले इमरान: 193)
Tafseer (तफ़सीर )
१९४

رَبَّنَا وَاٰتِنَا مَا وَعَدْتَّنَا عَلٰى رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ اِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيْعَادَ ١٩٤

rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
waātinā
وَءَاتِنَا
और दे हमें
مَا
जो
waʿadttanā
وَعَدتَّنَا
वादा किया तूने हमसे
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूलों के (ज़रिए)
rusulika
رُسُلِكَ
अपने रसूलों के (ज़रिए)
walā
وَلَا
और ना
tukh'zinā
تُخْزِنَا
तू रुस्वा कर हमें
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
क़यामत के
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
لَا
नहीं तू ख़िलाफ़ करेगा
tukh'lifu
تُخْلِفُ
नहीं तू ख़िलाफ़ करेगा
l-mīʿāda
ٱلْمِيعَادَ
वादे के
'हमारे रब! जिस चीज़ का वादा तूने अपने रसूलों के द्वारा किया वह हमें प्रदान कर और क़ियामत के दिन हमें रुसवा न करना। निस्संदेह तू अपने वादे के विरुद्ध जानेवाला नहीं है।' ([३] आले इमरान: 194)
Tafseer (तफ़सीर )
१९५

فَاسْتَجَابَ لَهُمْ رَبُّهُمْ اَنِّيْ لَآ اُضِيْعُ عَمَلَ عَامِلٍ مِّنْكُمْ مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى ۚ بَعْضُكُمْ مِّنْۢ بَعْضٍ ۚ فَالَّذِيْنَ هَاجَرُوْا وَاُخْرِجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ وَاُوْذُوْا فِيْ سَبِيْلِيْ وَقٰتَلُوْا وَقُتِلُوْا لَاُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْ وَلَاُدْخِلَنَّهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُۚ ثَوَابًا مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ عِنْدَهٗ حُسْنُ الثَّوَابِ ١٩٥

fa-is'tajāba
فَٱسْتَجَابَ
तो (दुआ) क़ुबूल कर ली
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
rabbuhum
رَبُّهُمْ
उनके रब ने
annī
أَنِّى
कि बेशक मैं
لَآ
नहीं मैं ज़ाया करुँगा
uḍīʿu
أُضِيعُ
नहीं मैं ज़ाया करुँगा
ʿamala
عَمَلَ
अमल
ʿāmilin
عَٰمِلٍ
किसी अमल करने वाले का
minkum
مِّنكُم
तुम में से
min
مِّن
ख़्वाह मर्द हो
dhakarin
ذَكَرٍ
ख़्वाह मर्द हो
aw
أَوْ
या
unthā
أُنثَىٰۖ
औरत
baʿḍukum
بَعْضُكُم
बाज़ तुम्हारे
min
مِّنۢ
बाज़ से हैं
baʿḍin
بَعْضٍۖ
बाज़ से हैं
fa-alladhīna
فَٱلَّذِينَ
तो वो जिन्होंने
hājarū
هَاجَرُوا۟
हिजरत की
wa-ukh'rijū
وَأُخْرِجُوا۟
और वो निकाले गए
min
مِن
अपने घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
अपने घरों से
waūdhū
وَأُوذُوا۟
और वो अज़ियत दिए गए
فِى
मेरे रास्ते में
sabīlī
سَبِيلِى
मेरे रास्ते में
waqātalū
وَقَٰتَلُوا۟
और उन्होंने जंग की
waqutilū
وَقُتِلُوا۟
और वो मारे गए
la-ukaffiranna
لَأُكَفِّرَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर दूर कर दूँगा
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
sayyiātihim
سَيِّـَٔاتِهِمْ
बुराइयाँ उनकी
wala-ud'khilannahum
وَلَأُدْخِلَنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर दाख़िल करुँगा उन्हें
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
thawāban
ثَوَابًا
सवाब/बदला है
min
مِّنْ
अल्लाह के पास से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह के पास से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के पास से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿindahu
عِندَهُۥ
उसके पास
ḥus'nu
حُسْنُ
अच्छा
l-thawābi
ٱلثَّوَابِ
सवाब/बदला है
तो उनके रब ने उनकी पुकार सुन ली कि 'मैं तुममें से किसी कर्म करनेवाले के कर्म को अकारथ नहीं करूँगा, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री। तुम सब आपस में एक-दूसरे से हो। अतः जिन लोगों ने (अल्लाह के मार्ग में) घरबार छोड़ा और अपने घरों से निकाले गए और मेरे मार्ग में सताए गए, और लड़े और मारे गए, मैं उनसे उनकी बुराइयाँ दूर कर दूँगा और उन्हें ऐसे बाग़ों में प्रवेश कराऊँगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी।' यह अल्लाह के पास से उनका बदला होगा और सबसे अच्छा बदला अल्लाह ही के पास है ([३] आले इमरान: 195)
Tafseer (तफ़सीर )
१९६

لَا يَغُرَّنَّكَ تَقَلُّبُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِى الْبِلَادِۗ ١٩٦

لَا
हरगिज़ ना धोखे में डाले आपको
yaghurrannaka
يَغُرَّنَّكَ
हरगिज़ ना धोखे में डाले आपको
taqallubu
تَقَلُّبُ
चलना फिरना
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
فِى
शहरों में
l-bilādi
ٱلْبِلَٰدِ
शहरों में
बस्तियों में इनकार करनेवालों की चलत-फिरत तुम्हें किसी धोखे में न डाले ([३] आले इमरान: 196)
Tafseer (तफ़सीर )
१९७

مَتَاعٌ قَلِيْلٌ ۗ ثُمَّ مَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗوَبِئْسَ الْمِهَادُ ١٩٧

matāʿun
مَتَٰعٌ
फ़ायदा उठाना है
qalīlun
قَلِيلٌ
थोड़ा सा
thumma
ثُمَّ
फिर
mawāhum
مَأْوَىٰهُمْ
ठिकाना उनका
jahannamu
جَهَنَّمُۚ
जहन्नम है
wabi'sa
وَبِئْسَ
और कितना बुरा है
l-mihādu
ٱلْمِهَادُ
ठिकाना
यह तो थोड़ी सुख-सामग्री है फिर तो उनका ठिकाना जहन्नम है, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है ([३] आले इमरान: 197)
Tafseer (तफ़सीर )
१९८

لٰكِنِ الَّذِيْنَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ لَهُمْ جَنّٰتٌ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا نُزُلًا مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ ۗ وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَيْرٌ لِّلْاَبْرَارِ ١٩٨

lākini
لَٰكِنِ
लेकिन
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ittaqaw
ٱتَّقَوْا۟
डरे
rabbahum
رَبَّهُمْ
अपने रब से
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
jannātun
جَنَّٰتٌ
बाग़ात हैं
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَا
उनमें
nuzulan
نُزُلًا
मेहमानी है
min
مِّنْ
अल्लाह के पास से
ʿindi
عِندِ
अल्लाह के पास से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के पास से
wamā
وَمَا
और जो
ʿinda
عِندَ
पास है अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
पास है अल्लाह के
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lil'abrāri
لِّلْأَبْرَارِ
नेकोकारों के लिए
किन्तु जो लोग अपने रब से डरते रहे उनके लिए ऐसे बाग़ होंगे जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। वे उसमें सदैव रहेंगे। यह अल्लाह की ओर से पहला आतिथ्य-सत्कार होगा और जो कुछ अल्लाह के पास है वह नेक और वफ़ादार लोगों के लिए सबसे अच्छा है ([३] आले इमरान: 198)
Tafseer (तफ़सीर )
१९९

وَاِنَّ مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَمَنْ يُّؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكُمْ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْهِمْ خٰشِعِيْنَ لِلّٰهِ ۙ لَا يَشْتَرُوْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ اَجْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ١٩٩

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
min
مِنْ
अहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
अहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
laman
لَمَن
अलबत्ता जो
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान रखते हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तरफ़ आपके
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
khāshiʿīna
خَٰشِعِينَ
ख़ुशू करने वाले हैं
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
لَا
नहीं वो बेचते
yashtarūna
يَشْتَرُونَ
नहीं वो बेचते
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًاۗ
थोड़ी में
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए है
ajruhum
أَجْرُهُمْ
अजर उनका
ʿinda
عِندَ
पास उनके रब के
rabbihim
رَبِّهِمْۗ
पास उनके रब के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
sarīʿu
سَرِيعُ
जल्द लेने वाला है
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब
और किताबवालों में से कुछ ऐसे भी है, जो इस हाल में कि उनके दिल अल्लाह के आगे झुके हुए होते है, अल्लाह पर ईमान रखते है और उस चीज़ पर भी जो तुम्हारी ओर उतारी गई है, और उस चीज़ पर भी जो स्वयं उनकी ओर उतरी। वे अल्लाह की आयतों का 'तुच्छ मूल्य पर सौदा' नहीं करते, उनके लिए उनके रब के पास उनका प्रतिदान है। अल्लाह हिसाब भी जल्द ही कर देगा ([३] आले इमरान: 199)
Tafseer (तफ़सीर )
२००

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اصْبِرُوْا وَصَابِرُوْا وَرَابِطُوْاۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ࣖ ٢٠٠

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
iṣ'birū
ٱصْبِرُوا۟
सब्र करो
waṣābirū
وَصَابِرُوا۟
और मुक़ाबले में मज़बूत रहो
warābiṭū
وَرَابِطُوا۟
और तैयार रहो
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फ़लाह पा जाओ
ऐ ईमान लानेवालो! धैर्य से काम लो और (मुक़ाबले में) बढ़-चढ़कर धैर्य दिखाओ और जुटे और डटे रहो और अल्लाह से डरते रहो, ताकि तुम सफल हो सको ([३] आले इमरान: 200)
Tafseer (तफ़सीर )