لَقَدْ سَمِعَ اللّٰهُ قَوْلَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ فَقِيْرٌ وَّنَحْنُ اَغْنِيَاۤءُ ۘ سَنَكْتُبُ مَا قَالُوْا وَقَتْلَهُمُ الْاَنْۢبِيَاۤءَ بِغَيْرِ حَقٍّۙ وَّنَقُوْلُ ذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِيْقِ ١٨١
- laqad
- لَّقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- samiʿa
- سَمِعَ
- सुन ली
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- qawla
- قَوْلَ
- बात
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- faqīrun
- فَقِيرٌ
- फ़क़ीर है
- wanaḥnu
- وَنَحْنُ
- और हम
- aghniyāu
- أَغْنِيَآءُۘ
- ग़नी हैं
- sanaktubu
- سَنَكْتُبُ
- ज़रूर हम लिख लेंगे
- mā
- مَا
- जो
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- waqatlahumu
- وَقَتْلَهُمُ
- और क़त्ल करना उनका
- l-anbiyāa
- ٱلْأَنۢبِيَآءَ
- अम्बिया को
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ḥaqqin
- حَقٍّ
- हक़ के
- wanaqūlu
- وَنَقُولُ
- और हम कहेंगे
- dhūqū
- ذُوقُوا۟
- चखो
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब
- l-ḥarīqi
- ٱلْحَرِيقِ
- जलने का
अल्लाह उन लोगों की बात सुन चुका है जिनका कहना है कि 'अल्लाह तो निर्धन है और हम धनवान है।' उनकी बात हम लिख लेंगे और नबियों को जो वे नाहक क़त्ल करते रहे है उसे भी। और हम कहेंगे, 'लो, (अब) जलने की यातना का मज़ा चखो।' ([३] आले इमरान: 181)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ لَيْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِۚ ١٨٢
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- qaddamat
- قَدَّمَتْ
- आगे भेजा
- aydīkum
- أَيْدِيكُمْ
- तुम्हारे हाथों ने
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं
- biẓallāmin
- بِظَلَّامٍ
- ज़ुल्म करने वाला
- lil'ʿabīdi
- لِّلْعَبِيدِ
- बन्दों पर
यह उसका बदला है जो तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा। अल्लाह अपने बन्दों पर तनिक भी ज़ुल्म नहीं करता ([३] आले इमरान: 182)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ عَهِدَ اِلَيْنَآ اَلَّا نُؤْمِنَ لِرَسُوْلٍ حَتّٰى يَأْتِيَنَا بِقُرْبَانٍ تَأْكُلُهُ النَّارُ ۗ قُلْ قَدْ جَاۤءَكُمْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِيْ بِالْبَيِّنٰتِ وَبِالَّذِيْ قُلْتُمْ فَلِمَ قَتَلْتُمُوْهُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٨٣
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- qālū
- قَالُوٓا۟
- कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- ʿahida
- عَهِدَ
- अहद ले रखा है
- ilaynā
- إِلَيْنَآ
- हम से
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- nu'mina
- نُؤْمِنَ
- हम मानें
- lirasūlin
- لِرَسُولٍ
- किसी रसूल को
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yatiyanā
- يَأْتِيَنَا
- वो लाए हमारे पास
- biqur'bānin
- بِقُرْبَانٍ
- एक क़ुर्बानी
- takuluhu
- تَأْكُلُهُ
- खा जाए उसे
- l-nāru
- ٱلنَّارُۗ
- आग
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आए थे तुम्हारे पास
- rusulun
- رُسُلٌ
- कई रसूल
- min
- مِّن
- मुझसे पहले
- qablī
- قَبْلِى
- मुझसे पहले
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल के
- wabi-alladhī
- وَبِٱلَّذِى
- और साथ उस चीज़ के जो
- qul'tum
- قُلْتُمْ
- कही तुमने
- falima
- فَلِمَ
- तो क्यों
- qataltumūhum
- قَتَلْتُمُوهُمْ
- क़त्ल किया तुमने उन्हें
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
ये वही लोग है जिनका कहना है कि 'अल्लाह ने हमें ताकीद की है कि हम किसी रसूल पर ईमान न लाएँ, जबतक कि वह हमारे सामने ऐसी क़ुरबानी न पेश करे जिसे आग खा जाए।' कहो, 'तुम्हारे पास मुझसे पहले कितने ही रसूल खुली निशानियाँ लेकर आ चुके है, और वे वह चीज़ भी लाए थे जिसके लिए तुम कह रहे हो। फिर यदि तुम सच्चे हो तो तुमने उन्हें क़त्ल क्यों किया?' ([३] आले इमरान: 183)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقَدْ كُذِّبَ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ جَاۤءُوْ بِالْبَيِّنٰتِ وَالزُّبُرِ وَالْكِتٰبِ الْمُنِيْرِ ١٨٤
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kadhabūka
- كَذَّبُوكَ
- वो झुठलाऐं आपको
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- kudhiba
- كُذِّبَ
- झुठलाए गए
- rusulun
- رُسُلٌ
- कई रसूल
- min
- مِّن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आपसे पहले
- jāū
- جَآءُو
- वो लाए
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह दलाइल
- wal-zuburi
- وَٱلزُّبُرِ
- और सहीफ़े
- wal-kitābi
- وَٱلْكِتَٰبِ
- और किताबे
- l-munīri
- ٱلْمُنِيرِ
- रोशन
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाते ही रहें, तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है, जो खुली निशानियाँ, 'ज़बूरें' और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे ([३] आले इमरान: 184)Tafseer (तफ़सीर )
كُلُّ نَفْسٍ ذَاۤىِٕقَةُ الْمَوْتِۗ وَاِنَّمَا تُوَفَّوْنَ اُجُوْرَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَاُدْخِلَ الْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَ ۗ وَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا مَتَاعُ الْغُرُوْرِ ١٨٥
- kullu
- كُلُّ
- हर
- nafsin
- نَفْسٍ
- नफ़्स
- dhāiqatu
- ذَآئِقَةُ
- चखने वाला है
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِۗ
- मौत को
- wa-innamā
- وَإِنَّمَا
- और बेशक
- tuwaffawna
- تُوَفَّوْنَ
- तुम पूरे-पूरे दिए जाओगे
- ujūrakum
- أُجُورَكُمْ
- अजर अपने
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۖ
- क़यामत के
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- zuḥ'ziḥa
- زُحْزِحَ
- दूर किया गया
- ʿani
- عَنِ
- आग से
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग से
- wa-ud'khila
- وَأُدْخِلَ
- और वो दाख़िल कर दिया गया
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- fāza
- فَازَۗ
- वो कामयाब हुआ
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَآ
- दुनिया की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- matāʿu
- مَتَٰعُ
- सामान
- l-ghurūri
- ٱلْغُرُورِ
- धोखे का
प्रत्येक जीव मृत्यु का मज़ा चखनेवाला है, और तुम्हें तो क़ियामत के दिन पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएगा। अतः जिसे आग (जहन्नम) से हटाकर जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, वह सफल रहा। रहा सांसारिक जीवन, तो वह माया-सामग्री के सिवा कुछ भी नहीं ([३] आले इमरान: 185)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَتُبْلَوُنَّ فِيْٓ اَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْۗ وَلَتَسْمَعُنَّ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَمِنَ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْٓا اَذًى كَثِيْرًا ۗ وَاِنْ تَصْبِرُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ ذٰلِكَ مِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ١٨٦
- latub'lawunna
- لَتُبْلَوُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर आज़माए जाओगे
- fī
- فِىٓ
- अपने मालों में
- amwālikum
- أَمْوَٰلِكُمْ
- अपने मालों में
- wa-anfusikum
- وَأَنفُسِكُمْ
- और अपने नफ़्सों में
- walatasmaʿunna
- وَلَتَسْمَعُنَّ
- और अलबत्ता तुम ज़रूर सुनोगे
- mina
- مِنَ
- उनसे जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- min
- مِن
- तुमसे पहले
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- तुमसे पहले
- wamina
- وَمِنَ
- और उनसे जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- और उनसे जिन्होंने
- ashrakū
- أَشْرَكُوٓا۟
- शिर्क किया
- adhan
- أَذًى
- अज़ियत
- kathīran
- كَثِيرًاۚ
- बहुत सी
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taṣbirū
- تَصْبِرُوا۟
- तुम सब्र करो
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और तुम तक़वा करो
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- min
- مِنْ
- हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
- ʿazmi
- عَزْمِ
- हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
- l-umūri
- ٱلْأُمُورِ
- हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
तुम्हारें माल और तुम्हारे प्राण में तुम्हारी परीक्षा होकर रहेगी और तुम्हें उन लोगों से जिन्हें तुमसे पहले किताब प्रदान की गई थी और उन लोगों से जिन्होंने 'शिर्क' किया, बहुत-सी कष्टप्रद बातें सुननी पड़ेगी। परन्तु यदि तुम जमें रहे और (अल्लाह का) डर रखा, तो यह उन कर्मों में से है जो आवश्यक ठहरा दिया गया है ([३] आले इमरान: 186)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ اَخَذَ اللّٰهُ مِيْثَاقَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَتُبَيِّنُنَّهٗ لِلنَّاسِ وَلَا تَكْتُمُوْنَهٗۖ فَنَبَذُوْهُ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِهِمْ وَاشْتَرَوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗ فَبِئْسَ مَا يَشْتَرُوْنَ ١٨٧
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- akhadha
- أَخَذَ
- लिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mīthāqa
- مِيثَٰقَ
- पुख़्ता अहद
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- latubayyinunnahu
- لَتُبَيِّنُنَّهُۥ
- अलबत्ता तुम ज़रूर बयान करोगे उसे
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- walā
- وَلَا
- और ना
- taktumūnahu
- تَكْتُمُونَهُۥ
- तुम छुपाओगे उसे
- fanabadhūhu
- فَنَبَذُوهُ
- फिर उन्होंने फेंक दिया उसे
- warāa
- وَرَآءَ
- पीछे
- ẓuhūrihim
- ظُهُورِهِمْ
- अपनी पुश्तों के
- wa-ish'taraw
- وَٱشْتَرَوْا۟
- और उन्होंने बेच डाला
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- thamanan
- ثَمَنًا
- क़ीमत
- qalīlan
- قَلِيلًاۖ
- थोड़ी में
- fabi'sa
- فَبِئْسَ
- तो कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- yashtarūna
- يَشْتَرُونَ
- वो ख़रीदो फ़रोख़्त करते हैं
याद करो जब अल्लाह ने उन लोगों से, जिन्हें किताब प्रदान की गई थी, वचन लिया था कि 'उसे लोगों के सामने भली-भाँति स्पट् करोगे, उसे छिपाओगे नहीं।' किन्तु उन्होंने उसे पीठ पीछे डाल दिया और तुच्छ मूल्य पर उसका सौदा किया। कितना बुरा सौदा है जो ये कर रहे है ([३] आले इमरान: 187)Tafseer (तफ़सीर )
لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ يَفْرَحُوْنَ بِمَآ اَتَوْا وَّيُحِبُّوْنَ اَنْ يُّحْمَدُوْا بِمَا لَمْ يَفْعَلُوْا فَلَا تَحْسَبَنَّهُمْ بِمَفَازَةٍ مِّنَ الْعَذَابِۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٨٨
- lā
- لَا
- ना आप हरगिज़ समझें
- taḥsabanna
- تَحْسَبَنَّ
- ना आप हरगिज़ समझें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- yafraḥūna
- يَفْرَحُونَ
- ख़ुश हो रहे हैं
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- ataw
- أَتَوا۟
- उन्होंने किया
- wayuḥibbūna
- وَّيُحِبُّونَ
- और वो पसंद करते हैं
- an
- أَن
- कि
- yuḥ'madū
- يُحْمَدُوا۟
- वो तारीफ़ किए जाऐं
- bimā
- بِمَا
- उस पर जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yafʿalū
- يَفْعَلُوا۟
- उन्होंने किया
- falā
- فَلَا
- तो ना
- taḥsabannahum
- تَحْسَبَنَّهُم
- आप हरगिज़ समझें उन्हें
- bimafāzatin
- بِمَفَازَةٍ
- निजात (पाने वाला)
- mina
- مِّنَ
- अज़ाब से
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِۖ
- अज़ाब से
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
तुम उन्हें कदापि यह न समझना, जो अपने किए पर ख़ुश हो रहे है और जो काम उन्होंने नहीं किए, चाहते है कि उनपर भी उनकी प्रशंसा की जाए - तो तुम उन्हें यह न समझाना कि वे यातना से बच जाएँगे, उनके लिए तो दुखद यातना है ([३] आले इमरान: 188)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ࣖ ١٨٩
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन की
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- बहुत क़ादिर है
आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है, और अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([३] आले इमरान: 189)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى الْاَلْبَابِۙ ١٩٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- तख़्लीक़ में
- khalqi
- خَلْقِ
- तख़्लीक़ में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wa-ikh'tilāfi
- وَٱخْتِلَٰفِ
- और इख़्तिलाफ़ में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात
- wal-nahāri
- وَٱلنَّهَارِ
- और दिन के
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- li-ulī
- لِّأُو۟لِى
- अक़्ल वालों के लिए
- l-albābi
- ٱلْأَلْبَٰبِ
- अक़्ल वालों के लिए
निस्सदेह आकाशों और धरती की रचना में और रात और दिन के आगे पीछे बारी-बारी आने में उन बुद्धिमानों के लिए निशानियाँ है ([३] आले इमरान: 190)Tafseer (तफ़सीर )