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सूरा आले इमरान - Page: 19

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१८१

لَقَدْ سَمِعَ اللّٰهُ قَوْلَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ فَقِيْرٌ وَّنَحْنُ اَغْنِيَاۤءُ ۘ سَنَكْتُبُ مَا قَالُوْا وَقَتْلَهُمُ الْاَنْۢبِيَاۤءَ بِغَيْرِ حَقٍّۙ وَّنَقُوْلُ ذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِيْقِ ١٨١

laqad
لَّقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
samiʿa
سَمِعَ
सुन ली
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
qawla
قَوْلَ
बात
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
qālū
قَالُوٓا۟
कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
faqīrun
فَقِيرٌ
फ़क़ीर है
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
aghniyāu
أَغْنِيَآءُۘ
ग़नी हैं
sanaktubu
سَنَكْتُبُ
ज़रूर हम लिख लेंगे
مَا
जो
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
waqatlahumu
وَقَتْلَهُمُ
और क़त्ल करना उनका
l-anbiyāa
ٱلْأَنۢبِيَآءَ
अम्बिया को
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ḥaqqin
حَقٍّ
हक़ के
wanaqūlu
وَنَقُولُ
और हम कहेंगे
dhūqū
ذُوقُوا۟
चखो
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब
l-ḥarīqi
ٱلْحَرِيقِ
जलने का
अल्लाह उन लोगों की बात सुन चुका है जिनका कहना है कि 'अल्लाह तो निर्धन है और हम धनवान है।' उनकी बात हम लिख लेंगे और नबियों को जो वे नाहक क़त्ल करते रहे है उसे भी। और हम कहेंगे, 'लो, (अब) जलने की यातना का मज़ा चखो।' ([३] आले इमरान: 181)
Tafseer (तफ़सीर )
१८२

ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ لَيْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِۚ ١٨٢

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
qaddamat
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
aydīkum
أَيْدِيكُمْ
तुम्हारे हाथों ने
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laysa
لَيْسَ
नहीं
biẓallāmin
بِظَلَّامٍ
ज़ुल्म करने वाला
lil'ʿabīdi
لِّلْعَبِيدِ
बन्दों पर
यह उसका बदला है जो तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा। अल्लाह अपने बन्दों पर तनिक भी ज़ुल्म नहीं करता ([३] आले इमरान: 182)
Tafseer (तफ़सीर )
१८३

اَلَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ عَهِدَ اِلَيْنَآ اَلَّا نُؤْمِنَ لِرَسُوْلٍ حَتّٰى يَأْتِيَنَا بِقُرْبَانٍ تَأْكُلُهُ النَّارُ ۗ قُلْ قَدْ جَاۤءَكُمْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِيْ بِالْبَيِّنٰتِ وَبِالَّذِيْ قُلْتُمْ فَلِمَ قَتَلْتُمُوْهُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٨٣

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
qālū
قَالُوٓا۟
कहा
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
ʿahida
عَهِدَ
अहद ले रखा है
ilaynā
إِلَيْنَآ
हम से
allā
أَلَّا
कि ना
nu'mina
نُؤْمِنَ
हम मानें
lirasūlin
لِرَسُولٍ
किसी रसूल को
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatiyanā
يَأْتِيَنَا
वो लाए हमारे पास
biqur'bānin
بِقُرْبَانٍ
एक क़ुर्बानी
takuluhu
تَأْكُلُهُ
खा जाए उसे
l-nāru
ٱلنَّارُۗ
आग
qul
قُلْ
कह दीजिए
qad
قَدْ
तहक़ीक़
jāakum
جَآءَكُمْ
आए थे तुम्हारे पास
rusulun
رُسُلٌ
कई रसूल
min
مِّن
मुझसे पहले
qablī
قَبْلِى
मुझसे पहले
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह दलाइल के
wabi-alladhī
وَبِٱلَّذِى
और साथ उस चीज़ के जो
qul'tum
قُلْتُمْ
कही तुमने
falima
فَلِمَ
तो क्यों
qataltumūhum
قَتَلْتُمُوهُمْ
क़त्ल किया तुमने उन्हें
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
ये वही लोग है जिनका कहना है कि 'अल्लाह ने हमें ताकीद की है कि हम किसी रसूल पर ईमान न लाएँ, जबतक कि वह हमारे सामने ऐसी क़ुरबानी न पेश करे जिसे आग खा जाए।' कहो, 'तुम्हारे पास मुझसे पहले कितने ही रसूल खुली निशानियाँ लेकर आ चुके है, और वे वह चीज़ भी लाए थे जिसके लिए तुम कह रहे हो। फिर यदि तुम सच्चे हो तो तुमने उन्हें क़त्ल क्यों किया?' ([३] आले इमरान: 183)
Tafseer (तफ़सीर )
१८४

فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقَدْ كُذِّبَ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ جَاۤءُوْ بِالْبَيِّنٰتِ وَالزُّبُرِ وَالْكِتٰبِ الْمُنِيْرِ ١٨٤

fa-in
فَإِن
फिर अगर
kadhabūka
كَذَّبُوكَ
वो झुठलाऐं आपको
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
kudhiba
كُذِّبَ
झुठलाए गए
rusulun
رُسُلٌ
कई रसूल
min
مِّن
आपसे पहले
qablika
قَبْلِكَ
आपसे पहले
jāū
جَآءُو
वो लाए
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
वाज़ेह दलाइल
wal-zuburi
وَٱلزُّبُرِ
और सहीफ़े
wal-kitābi
وَٱلْكِتَٰبِ
और किताबे
l-munīri
ٱلْمُنِيرِ
रोशन
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाते ही रहें, तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है, जो खुली निशानियाँ, 'ज़बूरें' और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे ([३] आले इमरान: 184)
Tafseer (तफ़सीर )
१८५

كُلُّ نَفْسٍ ذَاۤىِٕقَةُ الْمَوْتِۗ وَاِنَّمَا تُوَفَّوْنَ اُجُوْرَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَاُدْخِلَ الْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَ ۗ وَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا مَتَاعُ الْغُرُوْرِ ١٨٥

kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍ
नफ़्स
dhāiqatu
ذَآئِقَةُ
चखने वाला है
l-mawti
ٱلْمَوْتِۗ
मौत को
wa-innamā
وَإِنَّمَا
और बेशक
tuwaffawna
تُوَفَّوْنَ
तुम पूरे-पूरे दिए जाओगे
ujūrakum
أُجُورَكُمْ
अजर अपने
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۖ
क़यामत के
faman
فَمَن
तो जो कोई
zuḥ'ziḥa
زُحْزِحَ
दूर किया गया
ʿani
عَنِ
आग से
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग से
wa-ud'khila
وَأُدْخِلَ
और वो दाख़िल कर दिया गया
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
fāza
فَازَۗ
वो कामयाब हुआ
wamā
وَمَا
और नहीं
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَآ
दुनिया की
illā
إِلَّا
मगर
matāʿu
مَتَٰعُ
सामान
l-ghurūri
ٱلْغُرُورِ
धोखे का
प्रत्येक जीव मृत्यु का मज़ा चखनेवाला है, और तुम्हें तो क़ियामत के दिन पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएगा। अतः जिसे आग (जहन्नम) से हटाकर जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, वह सफल रहा। रहा सांसारिक जीवन, तो वह माया-सामग्री के सिवा कुछ भी नहीं ([३] आले इमरान: 185)
Tafseer (तफ़सीर )
१८६

۞ لَتُبْلَوُنَّ فِيْٓ اَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْۗ وَلَتَسْمَعُنَّ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَمِنَ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْٓا اَذًى كَثِيْرًا ۗ وَاِنْ تَصْبِرُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ ذٰلِكَ مِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ١٨٦

latub'lawunna
لَتُبْلَوُنَّ
अलबत्ता तुम ज़रूर आज़माए जाओगे
فِىٓ
अपने मालों में
amwālikum
أَمْوَٰلِكُمْ
अपने मालों में
wa-anfusikum
وَأَنفُسِكُمْ
और अपने नफ़्सों में
walatasmaʿunna
وَلَتَسْمَعُنَّ
और अलबत्ता तुम ज़रूर सुनोगे
mina
مِنَ
उनसे जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
min
مِن
तुमसे पहले
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुमसे पहले
wamina
وَمِنَ
और उनसे जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
और उनसे जिन्होंने
ashrakū
أَشْرَكُوٓا۟
शिर्क किया
adhan
أَذًى
अज़ियत
kathīran
كَثِيرًاۚ
बहुत सी
wa-in
وَإِن
और अगर
taṣbirū
تَصْبِرُوا۟
तुम सब्र करो
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़वा करो
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
min
مِنْ
हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
ʿazmi
عَزْمِ
हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
l-umūri
ٱلْأُمُورِ
हिम्मत/अज़्म के कामों में से है
तुम्हारें माल और तुम्हारे प्राण में तुम्हारी परीक्षा होकर रहेगी और तुम्हें उन लोगों से जिन्हें तुमसे पहले किताब प्रदान की गई थी और उन लोगों से जिन्होंने 'शिर्क' किया, बहुत-सी कष्टप्रद बातें सुननी पड़ेगी। परन्तु यदि तुम जमें रहे और (अल्लाह का) डर रखा, तो यह उन कर्मों में से है जो आवश्यक ठहरा दिया गया है ([३] आले इमरान: 186)
Tafseer (तफ़सीर )
१८७

وَاِذْ اَخَذَ اللّٰهُ مِيْثَاقَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ لَتُبَيِّنُنَّهٗ لِلنَّاسِ وَلَا تَكْتُمُوْنَهٗۖ فَنَبَذُوْهُ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِهِمْ وَاشْتَرَوْا بِهٖ ثَمَنًا قَلِيْلًا ۗ فَبِئْسَ مَا يَشْتَرُوْنَ ١٨٧

wa-idh
وَإِذْ
और जब
akhadha
أَخَذَ
लिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mīthāqa
مِيثَٰقَ
पुख़्ता अहद
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
latubayyinunnahu
لَتُبَيِّنُنَّهُۥ
अलबत्ता तुम ज़रूर बयान करोगे उसे
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
walā
وَلَا
और ना
taktumūnahu
تَكْتُمُونَهُۥ
तुम छुपाओगे उसे
fanabadhūhu
فَنَبَذُوهُ
फिर उन्होंने फेंक दिया उसे
warāa
وَرَآءَ
पीछे
ẓuhūrihim
ظُهُورِهِمْ
अपनी पुश्तों के
wa-ish'taraw
وَٱشْتَرَوْا۟
और उन्होंने बेच डाला
bihi
بِهِۦ
उसे
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًاۖ
थोड़ी में
fabi'sa
فَبِئْسَ
तो कितना बुरा है
مَا
जो
yashtarūna
يَشْتَرُونَ
वो ख़रीदो फ़रोख़्त करते हैं
याद करो जब अल्लाह ने उन लोगों से, जिन्हें किताब प्रदान की गई थी, वचन लिया था कि 'उसे लोगों के सामने भली-भाँति स्पट् करोगे, उसे छिपाओगे नहीं।' किन्तु उन्होंने उसे पीठ पीछे डाल दिया और तुच्छ मूल्य पर उसका सौदा किया। कितना बुरा सौदा है जो ये कर रहे है ([३] आले इमरान: 187)
Tafseer (तफ़सीर )
१८८

لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ يَفْرَحُوْنَ بِمَآ اَتَوْا وَّيُحِبُّوْنَ اَنْ يُّحْمَدُوْا بِمَا لَمْ يَفْعَلُوْا فَلَا تَحْسَبَنَّهُمْ بِمَفَازَةٍ مِّنَ الْعَذَابِۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٨٨

لَا
ना आप हरगिज़ समझें
taḥsabanna
تَحْسَبَنَّ
ना आप हरगिज़ समझें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
yafraḥūna
يَفْرَحُونَ
ख़ुश हो रहे हैं
bimā
بِمَآ
उस पर जो
ataw
أَتَوا۟
उन्होंने किया
wayuḥibbūna
وَّيُحِبُّونَ
और वो पसंद करते हैं
an
أَن
कि
yuḥ'madū
يُحْمَدُوا۟
वो तारीफ़ किए जाऐं
bimā
بِمَا
उस पर जो
lam
لَمْ
नहीं
yafʿalū
يَفْعَلُوا۟
उन्होंने किया
falā
فَلَا
तो ना
taḥsabannahum
تَحْسَبَنَّهُم
आप हरगिज़ समझें उन्हें
bimafāzatin
بِمَفَازَةٍ
निजात (पाने वाला)
mina
مِّنَ
अज़ाब से
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِۖ
अज़ाब से
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
तुम उन्हें कदापि यह न समझना, जो अपने किए पर ख़ुश हो रहे है और जो काम उन्होंने नहीं किए, चाहते है कि उनपर भी उनकी प्रशंसा की जाए - तो तुम उन्हें यह न समझाना कि वे यातना से बच जाएँगे, उनके लिए तो दुखद यातना है ([३] आले इमरान: 188)
Tafseer (तफ़सीर )
१८९

وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ࣖ ١٨٩

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۗ
और ज़मीन की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
बहुत क़ादिर है
आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है, और अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([३] आले इमरान: 189)
Tafseer (तफ़सीर )
१९०

اِنَّ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاخْتِلَافِ الَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَاٰيٰتٍ لِّاُولِى الْاَلْبَابِۙ ١٩٠

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
तख़्लीक़ में
khalqi
خَلْقِ
तख़्लीक़ में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
wa-ikh'tilāfi
وَٱخْتِلَٰفِ
और इख़्तिलाफ़ में
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात
wal-nahāri
وَٱلنَّهَارِ
और दिन के
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
li-ulī
لِّأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वालों के लिए
निस्सदेह आकाशों और धरती की रचना में और रात और दिन के आगे पीछे बारी-बारी आने में उन बुद्धिमानों के लिए निशानियाँ है ([३] आले इमरान: 190)
Tafseer (तफ़सीर )