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सूरा आले इमरान - Page: 18

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१७१

۞ يَسْتَبْشِرُوْنَ بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَفَضْلٍۗ وَاَنَّ اللّٰهَ لَا يُضِيْعُ اَجْرَ الْمُؤْمِنِيْنَ ࣖ ١٧١

yastabshirūna
يَسْتَبْشِرُونَ
वो ख़ुश होते हैं
biniʿ'matin
بِنِعْمَةٍ
नेअमत पर
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wafaḍlin
وَفَضْلٍ
और फ़ज़ल पर
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो ज़ाया करता
yuḍīʿu
يُضِيعُ
नहीं वो ज़ाया करता
ajra
أَجْرَ
अजर
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान वालों का
वे अल्लाह के अनुग्रह और उसकी उदार कृपा से प्रसन्न हो रहे है और इससे कि अल्लाह ईमानवालों का बदला नष्ट नहीं करता ([३] आले इमरान: 171)
Tafseer (तफ़सीर )
१७२

اَلَّذِيْنَ اسْتَجَابُوْا لِلّٰهِ وَالرَّسُوْلِ مِنْۢ بَعْدِ مَآ اَصَابَهُمُ الْقَرْحُ ۖ لِلَّذِيْنَ اَحْسَنُوْا مِنْهُمْ وَاتَّقَوْا اَجْرٌ عَظِيْمٌۚ ١٧٢

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
is'tajābū
ٱسْتَجَابُوا۟
हुक्म माना
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह का
wal-rasūli
وَٱلرَّسُولِ
और रसूल का
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
مَآ
जो
aṣābahumu
أَصَابَهُمُ
पहुँचा उन्हें
l-qarḥu
ٱلْقَرْحُۚ
ज़ख़्म
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
aḥsanū
أَحْسَنُوا۟
एहसान किया
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
wa-ittaqaw
وَٱتَّقَوْا۟
और तक़वा किया
ajrun
أَجْرٌ
अजर है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
जिन लोगों ने अल्लाह और रसूल की पुकार को स्वीकार किया, इसके पश्चात कि उन्हें आघात पहुँच चुका था। इन सत्कर्मी और (अल्लाह का) डर रखनेवालों के लिए बड़ा प्रतिदान है ([३] आले इमरान: 172)
Tafseer (तफ़सीर )
१७३

اَلَّذِيْنَ قَالَ لَهُمُ النَّاسُ اِنَّ النَّاسَ قَدْ جَمَعُوْا لَكُمْ فَاخْشَوْهُمْ فَزَادَهُمْ اِيْمَانًاۖ وَّقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ وَنِعْمَ الْوَكِيْلُ ١٧٣

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
qāla
قَالَ
कहा
lahumu
لَهُمُ
उन्हें
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोगों ने
inna
إِنَّ
बेशक
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोग
qad
قَدْ
तहक़ीक़
jamaʿū
جَمَعُوا۟
जमा हो गए हैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fa-ikh'shawhum
فَٱخْشَوْهُمْ
पस डरो उनसे
fazādahum
فَزَادَهُمْ
पस उसने बढ़ा दिया उन्हें
īmānan
إِيمَٰنًا
ईमान में
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
ḥasbunā
حَسْبُنَا
काफ़ी है हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
waniʿ'ma
وَنِعْمَ
और कितना अच्छा है
l-wakīlu
ٱلْوَكِيلُ
कारसाज़
ये वही लोग है जिनसे लोगों ने कहा, 'तुम्हारे विरुद्ध लोग इकट्ठा हो गए है, अतः उनसे डरो।' तो इस चीज़ ने उनके ईमान को और बढ़ा दिया। और उन्होंने कहा, 'हमारे लिए तो बस अल्लाह काफ़ी है और वही सबसे अच्छा कार्य-साधक है।' ([३] आले इमरान: 173)
Tafseer (तफ़सीर )
१७४

فَانْقَلَبُوْا بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَفَضْلٍ لَّمْ يَمْسَسْهُمْ سُوْۤءٌۙ وَّاتَّبَعُوْا رِضْوَانَ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ ذُوْ فَضْلٍ عَظِيْمٍ ١٧٤

fa-inqalabū
فَٱنقَلَبُوا۟
पस वो पलट आए
biniʿ'matin
بِنِعْمَةٍ
साथ नेअमत के
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wafaḍlin
وَفَضْلٍ
और फ़ज़ल के
lam
لَّمْ
नहीं
yamsashum
يَمْسَسْهُمْ
छुआ उन्हें
sūon
سُوٓءٌ
किसी बुराई (तकलीफ़) ने
wa-ittabaʿū
وَٱتَّبَعُوا۟
और उन्होंने पैरवी की
riḍ'wāna
رِضْوَٰنَ
अल्लाह की रज़ा की
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की रज़ा की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
dhū
ذُو
फ़ज़ल वाला है
faḍlin
فَضْلٍ
फ़ज़ल वाला है
ʿaẓīmin
عَظِيمٍ
बहुत बड़े
तो वे अल्लाह को ओर से प्राप्त होनेवाली नेमत और उदार कृपा के साथ लौटे। उन्हें कोई तकलीफ़ छू भी नहीं सकी और वे अल्लाह की इच्छा पर चले भी, और अल्लाह बड़ी ही उदार कृपावाला है ([३] आले इमरान: 174)
Tafseer (तफ़सीर )
१७५

اِنَّمَا ذٰلِكُمُ الشَّيْطٰنُ يُخَوِّفُ اَوْلِيَاۤءَهٗۖ فَلَا تَخَافُوْهُمْ وَخَافُوْنِ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٧٥

innamā
إِنَّمَا
बेशक
dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान है
yukhawwifu
يُخَوِّفُ
जो डराता है
awliyāahu
أَوْلِيَآءَهُۥ
अपने दोस्तों को
falā
فَلَا
तो ना
takhāfūhum
تَخَافُوهُمْ
तुम डरो उनसे
wakhāfūni
وَخَافُونِ
और डरो मुझसे
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
mu'minīna
مُّؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
वह तो शैतान है जो अपने मित्रों को डराता है। अतः तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझी से डरो, यदि तुम ईमानवाले हो ([३] आले इमरान: 175)
Tafseer (तफ़सीर )
१७६

وَلَا يَحْزُنْكَ الَّذِيْنَ يُسَارِعُوْنَ فِى الْكُفْرِۚ اِنَّهُمْ لَنْ يَّضُرُّوا اللّٰهَ شَيْـًٔا ۗ يُرِيْدُ اللّٰهُ اَلَّا يَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِى الْاٰخِرَةِ وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌۚ ١٧٦

walā
وَلَا
और ना
yaḥzunka
يَحْزُنكَ
ग़मगीन करें आपको
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yusāriʿūna
يُسَٰرِعُونَ
जल्दी करते हैं
فِى
कुफ़्र में
l-kuf'ri
ٱلْكُفْرِۚ
कुफ़्र में
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yaḍurrū
يَضُرُّوا۟
वो नुक़सान दे सकते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
shayan
شَيْـًٔاۗ
कुछ भी
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
allā
أَلَّا
कि ना
yajʿala
يَجْعَلَ
वो रखे
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ḥaẓẓan
حَظًّا
कोई हिस्सा
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِۖ
आख़िरत में
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
जो लोग अधर्म और इनकार में जल्दी दिखाते है, उनके कारण तुम दुखी न हो। वे अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। अल्लाह चाहता है कि उनके लिए आख़िरत में कोई हिस्सा न रखे, उनके लिए तो बड़ी यातना है ([३] आले इमरान: 176)
Tafseer (तफ़सीर )
१७७

اِنَّ الَّذِيْنَ اشْتَرَوُا الْكُفْرَ بِالْاِيْمَانِ لَنْ يَّضُرُّوا اللّٰهَ شَيْـًٔاۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ١٧٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ish'tarawū
ٱشْتَرَوُا۟
ख़रीद लिया
l-kuf'ra
ٱلْكُفْرَ
कुफ़्र को
bil-īmāni
بِٱلْإِيمَٰنِ
बदले ईमान के
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yaḍurrū
يَضُرُّوا۟
वो नुक़सान दे सकते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
जो लोग ईमान की क़ीमत पर इनकार और अधर्म के ग्राहक हुए, वे अल्लाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते, उनके लिए तो दुखद यातना है ([३] आले इमरान: 177)
Tafseer (तफ़सीर )
१७८

وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنَّمَا نُمْلِيْ لَهُمْ خَيْرٌ لِّاَنْفُسِهِمْ ۗ اِنَّمَا نُمْلِيْ لَهُمْ لِيَزْدَادُوْٓا اِثْمًا ۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ١٧٨

walā
وَلَا
और ना
yaḥsabanna
يَحْسَبَنَّ
हरगिज़ गुमान करें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
annamā
أَنَّمَا
बेशक जो
num'lī
نُمْلِى
हम ढील दे रहे हैं
lahum
لَهُمْ
उन्हें
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
li-anfusihim
لِّأَنفُسِهِمْۚ
उनके नफ़्सों के लिए
innamā
إِنَّمَا
बेशक
num'lī
نُمْلِى
हम ढील दे रहे हैं
lahum
لَهُمْ
उन्हें
liyazdādū
لِيَزْدَادُوٓا۟
ताकि वो बढ़ जाऐं
ith'man
إِثْمًاۚ
गुनाह में
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
muhīnun
مُّهِينٌ
रुस्वा करने वाला
और यह ढ़ील जो हम उन्हें दिए जाते है, इसे अधर्मी लोग अपने लिए अच्छा न समझे। यह ढील तो हम उन्हें सिर्फ़ इसलिए दे रहे है कि वे गुनाहों में और अधिक बढ़ जाएँ, और उनके लिए तो अत्यन्त अपमानजनक यातना है ([३] आले इमरान: 178)
Tafseer (तफ़सीर )
१७९

مَا كَانَ اللّٰهُ لِيَذَرَ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلٰى مَآ اَنْتُمْ عَلَيْهِ حَتّٰى يَمِيْزَ الْخَبِيْثَ مِنَ الطَّيِّبِ ۗ وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيُطْلِعَكُمْ عَلَى الْغَيْبِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَجْتَبِيْ مِنْ رُّسُلِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۖ فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ ۚ وَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَلَكُمْ اَجْرٌ عَظِيْمٌ ١٧٩

مَّا
नहीं
kāna
كَانَ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyadhara
لِيَذَرَ
कि वो छोड़ दे
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर उसके
مَآ
जो हो
antum
أَنتُمْ
तुम
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yamīza
يَمِيزَ
वो छाँट दे
l-khabītha
ٱلْخَبِيثَ
नापाक को
mina
مِنَ
पाक से
l-ṭayibi
ٱلطَّيِّبِۗ
पाक से
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyuṭ'liʿakum
لِيُطْلِعَكُمْ
कि वो आगाह करे तुम्हें
ʿalā
عَلَى
ग़ैब पर
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब पर
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yajtabī
يَجْتَبِى
चुन लेता है
min
مِن
अपने रसूलों में से
rusulihi
رُّسُلِهِۦ
अपने रसूलों में से
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
faāminū
فَـَٔامِنُوا۟
पस ईमान लाओ
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warusulihi
وَرُسُلِهِۦۚ
और उसके रसूलों पर
wa-in
وَإِن
और अगर
tu'minū
تُؤْمِنُوا۟
तुम ईमान लाओगे
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़वा करोगे
falakum
فَلَكُمْ
तो तुम्हारे लिए
ajrun
أَجْرٌ
अजर है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
अल्लाह ईमानवालों को इस दशा में नहीं रहने देगा, जिसमें तुम हो। यह तो उस समय तक की बात है जबतक कि वह अपवित्र को पवित्र से पृथक नहीं कर देता। और अल्लाह ऐसा नहीं है कि वह तुम्हें परोक्ष की सूचना दे दे। किन्तु अल्लाह इस काम के लिए जिसको चाहता है चुन लेता है, और वे उसके रसूल होते है। अतः अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ। और यदि तुम ईमान लाओगे और (अल्लाह का) डर रखोगे तो तुमको बड़ा प्रतिदान मिलेगा ([३] आले इमरान: 179)
Tafseer (तफ़सीर )
१८०

وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ يَبْخَلُوْنَ بِمَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ هُوَ خَيْرًا لَّهُمْ ۗ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْ ۗ سَيُطَوَّقُوْنَ مَا بَخِلُوْا بِهٖ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ وَلِلّٰهِ مِيْرَاثُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ࣖ ١٨٠

walā
وَلَا
और ना
yaḥsabanna
يَحْسَبَنَّ
हरगिज़ गुमान करें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yabkhalūna
يَبْخَلُونَ
बुख़्ल करते हैं
bimā
بِمَآ
साथ उसके जो
ātāhumu
ءَاتَىٰهُمُ
अता किया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
अपने फ़ज़ल से
huwa
هُوَ
वो
khayran
خَيْرًا
बेहतर है
lahum
لَّهُمۖ
उनके लिए
bal
بَلْ
बल्कि
huwa
هُوَ
वो
sharrun
شَرٌّ
बुरा है
lahum
لَّهُمْۖ
उनके लिए
sayuṭawwaqūna
سَيُطَوَّقُونَ
अनक़रीब वो तौक़ पहनाए जाऐंगे
مَا
उसका जो
bakhilū
بَخِلُوا۟
उन्होंने बुख़्ल किया
bihi
بِهِۦ
जिसका
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
क़यामत के
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
mīrāthu
مِيرَٰثُ
मीरास
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों की
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۗ
और ज़मीन की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है
जो लोग उस चीज़ में कृपणता से काम लेते है, जो अल्लाह ने अपनी उदार कृपा से उन्हें प्रदान की है, वे यह न समझे कि यह उनके हित में अच्छा है, बल्कि यह उनके लिए बुरा है। जिस चीज़ में उन्होंने कृपणता से काम लिया होगा, वही आगे कियामत के दिन उनके गले का तौक़ बन जाएगा। और ये आकाश और धरती अंत में अल्लाह ही के लिए रह जाएँगे। तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है ([३] आले इमरान: 180)
Tafseer (तफ़सीर )