وَلِيُمَحِّصَ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَيَمْحَقَ الْكٰفِرِيْنَ ١٤١
- waliyumaḥḥiṣa
- وَلِيُمَحِّصَ
- और ताकि ख़ालिस कर ले
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wayamḥaqa
- وَيَمْحَقَ
- और मिटा दे
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
और ताकि अल्लाह ईमानवालों को निखार दे और इनकार करनेवालों को मिटा दे ([३] आले इमरान: 141)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ حَسِبْتُمْ اَنْ تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ وَلَمَّا يَعْلَمِ اللّٰهُ الَّذِيْنَ جَاهَدُوْا مِنْكُمْ وَيَعْلَمَ الصّٰبِرِيْنَ ١٤٢
- am
- أَمْ
- क्या
- ḥasib'tum
- حَسِبْتُمْ
- गुमान किया तुमने
- an
- أَن
- कि
- tadkhulū
- تَدْخُلُوا۟
- तुम दाख़िल हो जाओगे
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- walammā
- وَلَمَّا
- हालाँकि अभी तक नहीं
- yaʿlami
- يَعْلَمِ
- जाना
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जिन्होंने
- jāhadū
- جَٰهَدُوا۟
- जिहाद किया
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wayaʿlama
- وَيَعْلَمَ
- और (ताकि) वो जान ले
- l-ṣābirīna
- ٱلصَّٰبِرِينَ
- सब्र करने वालों को
क्या तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में यूँ ही प्रवेश करोगे, जबकि अल्लाह ने अभी उन्हें परखा ही नहीं जो तुममें जिहाद (सत्य-मार्ग में जानतोड़ कोशिश) करनेवाले है। - और दृढ़तापूर्वक जमें रहनेवाले है ([३] आले इमरान: 142)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ كُنْتُمْ تَمَنَّوْنَ الْمَوْتَ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَلْقَوْهُۖ فَقَدْ رَاَيْتُمُوْهُ وَاَنْتُمْ تَنْظُرُوْنَ ࣖ ١٤٣
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tamannawna
- تَمَنَّوْنَ
- तुम तमन्ना करते
- l-mawta
- ٱلْمَوْتَ
- मौत की
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- talqawhu
- تَلْقَوْهُ
- तुम मिलो उसे
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- ra-aytumūhu
- رَأَيْتُمُوهُ
- देख लिया तुमने उसे
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- और तुम
- tanẓurūna
- تَنظُرُونَ
- तुम देख रहे थे
और तुम तो मृत्यु की कामनाएँ कर रहे थे, जब तक कि वह तुम्हारे सामने नहीं आई थी। लो, अब तो वह तुम्हारे सामने आ गई और तुमने उसे अपनी आँखों से देख लिया ([३] आले इमरान: 143)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا مُحَمَّدٌ اِلَّا رَسُوْلٌۚ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِ الرُّسُلُ ۗ اَفَا۟ىِٕنْ مَّاتَ اَوْ قُتِلَ انْقَلَبْتُمْ عَلٰٓى اَعْقَابِكُمْ ۗ وَمَنْ يَّنْقَلِبْ عَلٰى عَقِبَيْهِ فَلَنْ يَّضُرَّ اللّٰهَ شَيْـًٔا ۗوَسَيَجْزِى اللّٰهُ الشّٰكِرِيْنَ ١٤٤
- wamā
- وَمَا
- और नहीं हैं
- muḥammadun
- مُحَمَّدٌ
- मोहम्मद
- illā
- إِلَّا
- मगर
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْ
- गुज़र चुके
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihi
- قَبْلِهِ
- उनसे पहले
- l-rusulu
- ٱلرُّسُلُۚ
- कई रसूल
- afa-in
- أَفَإِي۟ن
- क्या फिर अगर
- māta
- مَّاتَ
- वो मर जाऐं
- aw
- أَوْ
- या वो क़त्ल कर दिए जाऐं
- qutila
- قُتِلَ
- या वो क़त्ल कर दिए जाऐं
- inqalabtum
- ٱنقَلَبْتُمْ
- पलट जाओगे तुम
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपनी एड़ियों पर
- aʿqābikum
- أَعْقَٰبِكُمْۚ
- अपनी एड़ियों पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yanqalib
- يَنقَلِبْ
- पलट जाएगा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी दोनों एड़ियों पर
- ʿaqibayhi
- عَقِبَيْهِ
- अपनी दोनों एड़ियों पर
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- yaḍurra
- يَضُرَّ
- वो नुक़सान देगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- shayan
- شَيْـًٔاۗ
- कुछ भी
- wasayajzī
- وَسَيَجْزِى
- और अनक़रीब बदला देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों को
मुहम्मद तो बस एक रसूल है। उनसे पहले भी रसूल गुज़र चुके है। तो क्या यदि उनकी मृत्यु हो जाए या उनकी हत्या कर दी जाए तो तुम उल्टे पाँव फिर जाओगे? जो कोई उल्टे पाँव फिरेगा, वह अल्लाह का कुछ नहीं बिगाडेगा। और कृतज्ञ लोगों को अल्लाह बदला देगा ([३] आले इमरान: 144)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ اَنْ تَمُوْتَ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ كِتٰبًا مُّؤَجَّلًا ۗ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الدُّنْيَا نُؤْتِهٖ مِنْهَاۚ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الْاٰخِرَةِ نُؤْتِهٖ مِنْهَا ۗ وَسَنَجْزِى الشّٰكِرِيْنَ ١٤٥
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- linafsin
- لِنَفْسٍ
- किसी नफ़्स के लिए
- an
- أَن
- कि
- tamūta
- تَمُوتَ
- वो मरे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के इज़्न से
- kitāban
- كِتَٰبًا
- लिखा हुआ है
- mu-ajjalan
- مُّؤَجَّلًاۗ
- मुक़र्रर वक़्त
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yurid
- يُرِدْ
- चाहता है
- thawāba
- ثَوَابَ
- बदला
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया का
- nu'tihi
- نُؤْتِهِۦ
- हम दे देते हैं उसे
- min'hā
- مِنْهَا
- उसमें से
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yurid
- يُرِدْ
- चाहता है
- thawāba
- ثَوَابَ
- सवाब
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत का
- nu'tihi
- نُؤْتِهِۦ
- हम दे देंगे उसे
- min'hā
- مِنْهَاۚ
- उसमें से
- wasanajzī
- وَسَنَجْزِى
- और अनक़रीब हम बदला देंगे
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों को
और अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई व्यक्ति मर नहीं सकता। हर व्यक्ति एक लिखित निश्चित समय का अनुपालन कर रहा है। और जो कोई दुनिया का बदला चाहेगा, उसे हम इस दुनिया में से देंगे, जो आख़िरत का बदला चाहेगा, उसे हम उसमें से देंगे और जो कृतज्ञता दिखलाएँगे, उन्हें तो हम बदला देंगे ही ([३] आले इमरान: 145)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَاَيِّنْ مِّنْ نَّبِيٍّ قَاتَلَۙ مَعَهٗ رِبِّيُّوْنَ كَثِيْرٌۚ فَمَا وَهَنُوْا لِمَآ اَصَابَهُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَمَا ضَعُفُوْا وَمَا اسْتَكَانُوْا ۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الصّٰبِرِيْنَ ١٤٦
- waka-ayyin
- وَكَأَيِّن
- और कितने ही
- min
- مِّن
- नबियों में से
- nabiyyin
- نَّبِىٍّ
- नबियों में से
- qātala
- قَٰتَلَ
- जंग की
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- उनके हमराह
- ribbiyyūna
- رِبِّيُّونَ
- रब वालों ने
- kathīrun
- كَثِيرٌ
- बहुत से
- famā
- فَمَا
- तो ना
- wahanū
- وَهَنُوا۟
- उन्होंने सुस्ती दिखाई
- limā
- لِمَآ
- उसके लिए जो
- aṣābahum
- أَصَابَهُمْ
- पहुँचा उन्हें
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- wamā
- وَمَا
- और ना
- ḍaʿufū
- ضَعُفُوا۟
- वो कमज़ोर पड़े
- wamā
- وَمَا
- और ना
- is'takānū
- ٱسْتَكَانُوا۟ۗ
- वो दबे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- मोहब्बत रखता है
- l-ṣābirīna
- ٱلصَّٰبِرِينَ
- सब्र करने वालों से
कितने ही नबी ऐसे गुज़रे है जिनके साथ होकर बहुत-से ईशभक्तों ने युद्ध किया, तो अल्लाह के मार्ग में जो मुसीबत उन्हें पहुँची उससे वे न तो हताश हुए और न उन्होंने कमज़ोरी दिखाई और न ऐसा हुआ कि वे दबे हो। और अल्लाह दृढ़तापूर्वक जमे रहनेवालों से प्रेम करता है ([३] आले इमरान: 146)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ قَوْلَهُمْ اِلَّآ اَنْ قَالُوْا رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَا وَاِسْرَافَنَا فِيْٓ اَمْرِنَا وَثَبِّتْ اَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ١٤٧
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- थी
- qawlahum
- قَوْلَهُمْ
- बात उनकी
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- igh'fir
- ٱغْفِرْ
- बख़्श दे हमारे लिए
- lanā
- لَنَا
- बख़्श दे हमारे लिए
- dhunūbanā
- ذُنُوبَنَا
- गुनाह हमारे
- wa-is'rāfanā
- وَإِسْرَافَنَا
- और ज़्यादतियाँ हमारी
- fī
- فِىٓ
- हमारे मामले में
- amrinā
- أَمْرِنَا
- हमारे मामले में
- wathabbit
- وَثَبِّتْ
- और जमा दे
- aqdāmanā
- أَقْدَامَنَا
- हमारे क़दमों को
- wa-unṣur'nā
- وَٱنصُرْنَا
- और मदद फ़रमा हमारी
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर उन लोगों के
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- ऊपर उन लोगों के
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- जो काफ़िर हैं
उन्होंने कुछ नहीं कहा सिवाय इसके कि 'ऐ हमारे रब! तू हमारे गुनाहों को और हमारे अपने मामले में जो ज़्यादती हमसे हो गई हो, उसे क्षमा कर दे और हमारे क़दम जमाए रख, और इनकार करनेवाले लोगों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।' ([३] आले इमरान: 147)Tafseer (तफ़सीर )
فَاٰتٰىهُمُ اللّٰهُ ثَوَابَ الدُّنْيَا وَحُسْنَ ثَوَابِ الْاٰخِرَةِ ۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ ࣖ ١٤٨
- faātāhumu
- فَـَٔاتَىٰهُمُ
- तो अता किया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- thawāba
- ثَوَابَ
- सवाब
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया का
- waḥus'na
- وَحُسْنَ
- और अच्छा
- thawābi
- ثَوَابِ
- सवाब
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِۗ
- आख़िरत का
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- मोहब्बत रखता है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों से
अतः अल्लाह ने उन्हें दुनिया का भी बदला दिया और आख़िरत का अच्छा बदला भी। और सत्कर्मी लोगों से अल्लाह प्रेम करता है ([३] आले इमरान: 148)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تُطِيْعُوا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَرُدُّوْكُمْ عَلٰٓى اَعْقَابِكُمْ فَتَنْقَلِبُوْا خٰسِرِيْنَ ١٤٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- in
- إِن
- अगर
- tuṭīʿū
- تُطِيعُوا۟
- तुम इताअत करोगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yaruddūkum
- يَرُدُّوكُمْ
- वो फेर देंगे तुम्हें
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- तुम्हारी एड़ियों पर
- aʿqābikum
- أَعْقَٰبِكُمْ
- तुम्हारी एड़ियों पर
- fatanqalibū
- فَتَنقَلِبُوا۟
- वरना पलट जाओगे तुम
- khāsirīna
- خَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वाले (होकर)
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुम उन लोगों के कहने पर चलोगे जिन्होंने इनकार का मार्ग अपनाया है, तो वे तुम्हें उल्टे पाँव फेर ले जाएँगे। फिर तुम घाटे में पड़ जाओगे ([३] आले इमरान: 149)Tafseer (तफ़सीर )
بَلِ اللّٰهُ مَوْلٰىكُمْ ۚ وَهُوَ خَيْرُ النّٰصِرِيْنَ ١٥٠
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mawlākum
- مَوْلَىٰكُمْۖ
- मददगार है तुम्हारा
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतरीन है
- l-nāṣirīna
- ٱلنَّٰصِرِينَ
- मदद करने वालों में
बल्कि अल्लाह ही तुम्हारा संरक्षक है; और वह सबसे अच्छा सहायक है ([३] आले इमरान: 150)Tafseer (तफ़सीर )