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सूरा आले इमरान - Page: 15

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१४१

وَلِيُمَحِّصَ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَيَمْحَقَ الْكٰفِرِيْنَ ١٤١

waliyumaḥḥiṣa
وَلِيُمَحِّصَ
और ताकि ख़ालिस कर ले
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
wayamḥaqa
وَيَمْحَقَ
और मिटा दे
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
और ताकि अल्लाह ईमानवालों को निखार दे और इनकार करनेवालों को मिटा दे ([३] आले इमरान: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

اَمْ حَسِبْتُمْ اَنْ تَدْخُلُوا الْجَنَّةَ وَلَمَّا يَعْلَمِ اللّٰهُ الَّذِيْنَ جَاهَدُوْا مِنْكُمْ وَيَعْلَمَ الصّٰبِرِيْنَ ١٤٢

am
أَمْ
क्या
ḥasib'tum
حَسِبْتُمْ
गुमान किया तुमने
an
أَن
कि
tadkhulū
تَدْخُلُوا۟
तुम दाख़िल हो जाओगे
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
walammā
وَلَمَّا
हालाँकि अभी तक नहीं
yaʿlami
يَعْلَمِ
जाना
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जिन्होंने
jāhadū
جَٰهَدُوا۟
जिहाद किया
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
wayaʿlama
وَيَعْلَمَ
और (ताकि) वो जान ले
l-ṣābirīna
ٱلصَّٰبِرِينَ
सब्र करने वालों को
क्या तुमने यह समझ रखा है कि जन्नत में यूँ ही प्रवेश करोगे, जबकि अल्लाह ने अभी उन्हें परखा ही नहीं जो तुममें जिहाद (सत्य-मार्ग में जानतोड़ कोशिश) करनेवाले है। - और दृढ़तापूर्वक जमें रहनेवाले है ([३] आले इमरान: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

وَلَقَدْ كُنْتُمْ تَمَنَّوْنَ الْمَوْتَ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَلْقَوْهُۖ فَقَدْ رَاَيْتُمُوْهُ وَاَنْتُمْ تَنْظُرُوْنَ ࣖ ١٤٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
tamannawna
تَمَنَّوْنَ
तुम तमन्ना करते
l-mawta
ٱلْمَوْتَ
मौत की
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
talqawhu
تَلْقَوْهُ
तुम मिलो उसे
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
ra-aytumūhu
رَأَيْتُمُوهُ
देख लिया तुमने उसे
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
tanẓurūna
تَنظُرُونَ
तुम देख रहे थे
और तुम तो मृत्यु की कामनाएँ कर रहे थे, जब तक कि वह तुम्हारे सामने नहीं आई थी। लो, अब तो वह तुम्हारे सामने आ गई और तुमने उसे अपनी आँखों से देख लिया ([३] आले इमरान: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

وَمَا مُحَمَّدٌ اِلَّا رَسُوْلٌۚ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِ الرُّسُلُ ۗ اَفَا۟ىِٕنْ مَّاتَ اَوْ قُتِلَ انْقَلَبْتُمْ عَلٰٓى اَعْقَابِكُمْ ۗ وَمَنْ يَّنْقَلِبْ عَلٰى عَقِبَيْهِ فَلَنْ يَّضُرَّ اللّٰهَ شَيْـًٔا ۗوَسَيَجْزِى اللّٰهُ الشّٰكِرِيْنَ ١٤٤

wamā
وَمَا
और नहीं हैं
muḥammadun
مُحَمَّدٌ
मोहम्मद
illā
إِلَّا
मगर
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْ
गुज़र चुके
min
مِن
उनसे पहले
qablihi
قَبْلِهِ
उनसे पहले
l-rusulu
ٱلرُّسُلُۚ
कई रसूल
afa-in
أَفَإِي۟ن
क्या फिर अगर
māta
مَّاتَ
वो मर जाऐं
aw
أَوْ
या वो क़त्ल कर दिए जाऐं
qutila
قُتِلَ
या वो क़त्ल कर दिए जाऐं
inqalabtum
ٱنقَلَبْتُمْ
पलट जाओगे तुम
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपनी एड़ियों पर
aʿqābikum
أَعْقَٰبِكُمْۚ
अपनी एड़ियों पर
waman
وَمَن
और जो कोई
yanqalib
يَنقَلِبْ
पलट जाएगा
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी दोनों एड़ियों पर
ʿaqibayhi
عَقِبَيْهِ
अपनी दोनों एड़ियों पर
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
yaḍurra
يَضُرَّ
वो नुक़सान देगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
shayan
شَيْـًٔاۗ
कुछ भी
wasayajzī
وَسَيَجْزِى
और अनक़रीब बदला देगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-shākirīna
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों को
मुहम्मद तो बस एक रसूल है। उनसे पहले भी रसूल गुज़र चुके है। तो क्या यदि उनकी मृत्यु हो जाए या उनकी हत्या कर दी जाए तो तुम उल्टे पाँव फिर जाओगे? जो कोई उल्टे पाँव फिरेगा, वह अल्लाह का कुछ नहीं बिगाडेगा। और कृतज्ञ लोगों को अल्लाह बदला देगा ([३] आले इमरान: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ اَنْ تَمُوْتَ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ كِتٰبًا مُّؤَجَّلًا ۗ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الدُّنْيَا نُؤْتِهٖ مِنْهَاۚ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الْاٰخِرَةِ نُؤْتِهٖ مِنْهَا ۗ وَسَنَجْزِى الشّٰكِرِيْنَ ١٤٥

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
linafsin
لِنَفْسٍ
किसी नफ़्स के लिए
an
أَن
कि
tamūta
تَمُوتَ
वो मरे
illā
إِلَّا
मगर
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के इज़्न से
kitāban
كِتَٰبًا
लिखा हुआ है
mu-ajjalan
مُّؤَجَّلًاۗ
मुक़र्रर वक़्त
waman
وَمَن
और जो कोई
yurid
يُرِدْ
चाहता है
thawāba
ثَوَابَ
बदला
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
nu'tihi
نُؤْتِهِۦ
हम दे देते हैं उसे
min'hā
مِنْهَا
उसमें से
waman
وَمَن
और जो कोई
yurid
يُرِدْ
चाहता है
thawāba
ثَوَابَ
सवाब
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
nu'tihi
نُؤْتِهِۦ
हम दे देंगे उसे
min'hā
مِنْهَاۚ
उसमें से
wasanajzī
وَسَنَجْزِى
और अनक़रीब हम बदला देंगे
l-shākirīna
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों को
और अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई व्यक्ति मर नहीं सकता। हर व्यक्ति एक लिखित निश्चित समय का अनुपालन कर रहा है। और जो कोई दुनिया का बदला चाहेगा, उसे हम इस दुनिया में से देंगे, जो आख़िरत का बदला चाहेगा, उसे हम उसमें से देंगे और जो कृतज्ञता दिखलाएँगे, उन्हें तो हम बदला देंगे ही ([३] आले इमरान: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

وَكَاَيِّنْ مِّنْ نَّبِيٍّ قَاتَلَۙ مَعَهٗ رِبِّيُّوْنَ كَثِيْرٌۚ فَمَا وَهَنُوْا لِمَآ اَصَابَهُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَمَا ضَعُفُوْا وَمَا اسْتَكَانُوْا ۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الصّٰبِرِيْنَ ١٤٦

waka-ayyin
وَكَأَيِّن
और कितने ही
min
مِّن
नबियों में से
nabiyyin
نَّبِىٍّ
नबियों में से
qātala
قَٰتَلَ
जंग की
maʿahu
مَعَهُۥ
उनके हमराह
ribbiyyūna
رِبِّيُّونَ
रब वालों ने
kathīrun
كَثِيرٌ
बहुत से
famā
فَمَا
तो ना
wahanū
وَهَنُوا۟
उन्होंने सुस्ती दिखाई
limā
لِمَآ
उसके लिए जो
aṣābahum
أَصَابَهُمْ
पहुँचा उन्हें
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
wamā
وَمَا
और ना
ḍaʿufū
ضَعُفُوا۟
वो कमज़ोर पड़े
wamā
وَمَا
और ना
is'takānū
ٱسْتَكَانُوا۟ۗ
वो दबे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
मोहब्बत रखता है
l-ṣābirīna
ٱلصَّٰبِرِينَ
सब्र करने वालों से
कितने ही नबी ऐसे गुज़रे है जिनके साथ होकर बहुत-से ईशभक्तों ने युद्ध किया, तो अल्लाह के मार्ग में जो मुसीबत उन्हें पहुँची उससे वे न तो हताश हुए और न उन्होंने कमज़ोरी दिखाई और न ऐसा हुआ कि वे दबे हो। और अल्लाह दृढ़तापूर्वक जमे रहनेवालों से प्रेम करता है ([३] आले इमरान: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

وَمَا كَانَ قَوْلَهُمْ اِلَّآ اَنْ قَالُوْا رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوْبَنَا وَاِسْرَافَنَا فِيْٓ اَمْرِنَا وَثَبِّتْ اَقْدَامَنَا وَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ١٤٧

wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
थी
qawlahum
قَوْلَهُمْ
बात उनकी
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
igh'fir
ٱغْفِرْ
बख़्श दे हमारे लिए
lanā
لَنَا
बख़्श दे हमारे लिए
dhunūbanā
ذُنُوبَنَا
गुनाह हमारे
wa-is'rāfanā
وَإِسْرَافَنَا
और ज़्यादतियाँ हमारी
فِىٓ
हमारे मामले में
amrinā
أَمْرِنَا
हमारे मामले में
wathabbit
وَثَبِّتْ
और जमा दे
aqdāmanā
أَقْدَامَنَا
हमारे क़दमों को
wa-unṣur'nā
وَٱنصُرْنَا
और मदद फ़रमा हमारी
ʿalā
عَلَى
ऊपर उन लोगों के
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
ऊपर उन लोगों के
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
जो काफ़िर हैं
उन्होंने कुछ नहीं कहा सिवाय इसके कि 'ऐ हमारे रब! तू हमारे गुनाहों को और हमारे अपने मामले में जो ज़्यादती हमसे हो गई हो, उसे क्षमा कर दे और हमारे क़दम जमाए रख, और इनकार करनेवाले लोगों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।' ([३] आले इमरान: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

فَاٰتٰىهُمُ اللّٰهُ ثَوَابَ الدُّنْيَا وَحُسْنَ ثَوَابِ الْاٰخِرَةِ ۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ ࣖ ١٤٨

faātāhumu
فَـَٔاتَىٰهُمُ
तो अता किया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
thawāba
ثَوَابَ
सवाब
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
waḥus'na
وَحُسْنَ
और अच्छा
thawābi
ثَوَابِ
सवाब
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِۗ
आख़िरत का
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
मोहब्बत रखता है
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों से
अतः अल्लाह ने उन्हें दुनिया का भी बदला दिया और आख़िरत का अच्छा बदला भी। और सत्कर्मी लोगों से अल्लाह प्रेम करता है ([३] आले इमरान: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تُطِيْعُوا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يَرُدُّوْكُمْ عَلٰٓى اَعْقَابِكُمْ فَتَنْقَلِبُوْا خٰسِرِيْنَ ١٤٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
in
إِن
अगर
tuṭīʿū
تُطِيعُوا۟
तुम इताअत करोगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yaruddūkum
يَرُدُّوكُمْ
वो फेर देंगे तुम्हें
ʿalā
عَلَىٰٓ
तुम्हारी एड़ियों पर
aʿqābikum
أَعْقَٰبِكُمْ
तुम्हारी एड़ियों पर
fatanqalibū
فَتَنقَلِبُوا۟
वरना पलट जाओगे तुम
khāsirīna
خَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वाले (होकर)
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुम उन लोगों के कहने पर चलोगे जिन्होंने इनकार का मार्ग अपनाया है, तो वे तुम्हें उल्टे पाँव फेर ले जाएँगे। फिर तुम घाटे में पड़ जाओगे ([३] आले इमरान: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

بَلِ اللّٰهُ مَوْلٰىكُمْ ۚ وَهُوَ خَيْرُ النّٰصِرِيْنَ ١٥٠

bali
بَلِ
बल्कि
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
mawlākum
مَوْلَىٰكُمْۖ
मददगार है तुम्हारा
wahuwa
وَهُوَ
और वो
khayru
خَيْرُ
बेहतरीन है
l-nāṣirīna
ٱلنَّٰصِرِينَ
मदद करने वालों में
बल्कि अल्लाह ही तुम्हारा संरक्षक है; और वह सबसे अच्छा सहायक है ([३] आले इमरान: 150)
Tafseer (तफ़सीर )