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सूरा आले इमरान - Page: 12

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१११

لَنْ يَّضُرُّوْكُمْ اِلَّآ اَذًىۗ وَاِنْ يُّقَاتِلُوْكُمْ يُوَلُّوْكُمُ الْاَدْبَارَۗ ثُمَّ لَا يُنْصَرُوْنَ ١١١

lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yaḍurrūkum
يَضُرُّوكُمْ
वो नुक़सान देंगे तुम्हें
illā
إِلَّآ
सिवाय
adhan
أَذًىۖ
अज़ियत के
wa-in
وَإِن
और अगर
yuqātilūkum
يُقَٰتِلُوكُمْ
वो जंग करेंगे तुमसे
yuwallūkumu
يُوَلُّوكُمُ
वो फेर दें तुमसे
l-adbāra
ٱلْأَدْبَارَ
पुश्तें
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना वो मदद किए जाऐंगे
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
ना वो मदद किए जाऐंगे
थोड़ा दुख पहुँचाने के अतिरिक्त वे तुम्हारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। और यदि वे तुमसे लड़ेंगे, तो तुम्हें पीठ दिखा जाएँगे, फिर उन्हें कोई सहायता भी न मिलेगी ([३] आले इमरान: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

ضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ الذِّلَّةُ اَيْنَ مَا ثُقِفُوْٓا اِلَّا بِحَبْلٍ مِّنَ اللّٰهِ وَحَبْلٍ مِّنَ النَّاسِ وَبَاۤءُوْ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ الْمَسْكَنَةُ ۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانُوْا يَكْفُرُوْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَيَقْتُلُوْنَ الْاَنْبِۢيَاۤءَ بِغَيْرِ حَقٍّۗ ذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا يَعْتَدُوْنَ ١١٢

ḍuribat
ضُرِبَتْ
मार दी गई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-dhilatu
ٱلذِّلَّةُ
ज़िल्लत
ayna
أَيْنَ
जहाँ कहीं
مَا
जहाँ कहीं
thuqifū
ثُقِفُوٓا۟
वो पाए गए
illā
إِلَّا
मगर
biḥablin
بِحَبْلٍ
साथ रस्सी (ताल्लुक़) के
mina
مِّنَ
अल्लाह की
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
waḥablin
وَحَبْلٍ
और रस्सी (ताल्लुक़) के
mina
مِّنَ
लोगों की
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों की
wabāū
وَبَآءُو
और वो लौटे
bighaḍabin
بِغَضَبٍ
साथ ग़ज़ब के
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
waḍuribat
وَضُرِبَتْ
और मार दी गई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-maskanatu
ٱلْمَسْكَنَةُۚ
मोहताजी
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
वो कुफ़्र करते
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात का
wayaqtulūna
وَيَقْتُلُونَ
और वो क़त्ल करते
l-anbiyāa
ٱلْأَنۢبِيَآءَ
नबियों को
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ḥaqqin
حَقٍّۚ
हक़ के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ʿaṣaw
عَصَوا۟
उन्होंने नाफ़रमानी की
wakānū
وَّكَانُوا۟
और थे वो
yaʿtadūna
يَعْتَدُونَ
वो हद से बढ़ जाते
वे जहाँ कहीं भी पाए गए उनपर ज़िल्लत (अपमान) थोप दी गई। किन्तु अल्लाह की रस्सी थामें या लोगों का रस्सी, तो और बात है। वे ल्लाह के प्रकोप के पात्र हुए और उनपर दशाहीनता थोप दी गई। यह इसलिए कि वे अल्लाह की आयतों का इनकार और नबियों को नाहक़ क़त्ल करते रहे है। और यह इसलिए कि उन्होंने अवज्ञा की और सीमोल्लंघन करते रहे ([३] आले इमरान: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

۞ لَيْسُوْا سَوَاۤءً ۗ مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ اُمَّةٌ قَاۤىِٕمَةٌ يَّتْلُوْنَ اٰيٰتِ اللّٰهِ اٰنَاۤءَ الَّيْلِ وَهُمْ يَسْجُدُوْنَ ١١٣

laysū
لَيْسُوا۟
नहीं हैं वो सब
sawāan
سَوَآءًۗ
यकसाँ/बराबर
min
مِّنْ
अहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
अहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
ummatun
أُمَّةٌ
एक जमाअत है
qāimatun
قَآئِمَةٌ
जो क़ायम (हक़ पर)
yatlūna
يَتْلُونَ
वो तिलावत करते हैं
āyāti
ءَايَٰتِ
अल्लाह की आयात की
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात की
ānāa
ءَانَآءَ
घड़ियों में
al-layli
ٱلَّيْلِ
रात की
wahum
وَهُمْ
और वो
yasjudūna
يَسْجُدُونَ
वो सजदा करते हैं
ये सब एक जैसे नहीं है। किताबवालों में से कुछ ऐसे लोग भी है जो सीधे मार्ग पर है और रात की घड़ियों में अल्लाह की आयतें पढ़ते है और वे सजदा करते रहनेवाले है ([३] आले इमरान: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَيَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَيُسَارِعُوْنَ فِى الْخَيْرٰتِۗ وَاُولٰۤىِٕكَ مِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١١٤

yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान रखते हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
wayamurūna
وَيَأْمُرُونَ
और वो हुक्म देते हैं
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
नेकी का
wayanhawna
وَيَنْهَوْنَ
और वो रोकते हैं
ʿani
عَنِ
बुराई से
l-munkari
ٱلْمُنكَرِ
बुराई से
wayusāriʿūna
وَيُسَٰرِعُونَ
और वो एक दूसरे से जल्दी करते हैं
فِى
नेकियों में
l-khayrāti
ٱلْخَيْرَٰتِ
नेकियों में
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
mina
مِنَ
सालेहीन में से
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
सालेहीन में से
वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते है और नेकी का हुक्म देते और बुराई से रोकते है और नेक कामों में अग्रसर रहते है, और वे अच्छे लोगों में से है ([३] आले इमरान: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَمَا يَفْعَلُوْا مِنْ خَيْرٍ فَلَنْ يُّكْفَرُوْهُ ۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ ۢبِالْمُتَّقِيْنَ ١١٥

wamā
وَمَا
और जो भी
yafʿalū
يَفْعَلُوا۟
वो करेंगे
min
مِنْ
भलाई में से
khayrin
خَيْرٍ
भलाई में से
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
yuk'farūhu
يُكْفَرُوهُۗ
वो नाक़द्री किए जाऐंगे उसकी
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bil-mutaqīna
بِٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों को
जो नेकी भी वे करेंगे, उसकी अवमानना न होगी। अल्लाह का डर रखनेवालो से भली-भाँति परिचित है ([३] आले इमरान: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَنْ تُغْنِيَ عَنْهُمْ اَمْوَالُهُمْ وَلَآ اَوْلَادُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗ وَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ١١٦

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
tugh'niya
تُغْنِىَ
काम आऐंगे
ʿanhum
عَنْهُمْ
उन्हें
amwāluhum
أَمْوَٰلُهُمْ
माल उनके
walā
وَلَآ
और ना
awlāduhum
أَوْلَٰدُهُم
औलाद उनकी
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
shayan
شَيْـًٔاۖ
कुछ भी
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-nāri
ٱلنَّارِۚ
आग के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, तो अल्लाह के मुक़ाबले में न उनके माल कुछ काम आ सकेंगे और न उनकी सन्तान ही। वे तो आग में जानेवाले लोग है, उसी में वे सदैव रहेंगे ([३] आले इमरान: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

مَثَلُ مَا يُنْفِقُوْنَ فِيْ هٰذِهِ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا كَمَثَلِ رِيْحٍ فِيْهَا صِرٌّ اَصَابَتْ حَرْثَ قَوْمٍ ظَلَمُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَاَهْلَكَتْهُ ۗ وَمَا ظَلَمَهُمُ اللّٰهُ وَلٰكِنْ اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ١١٧

mathalu
مَثَلُ
मिसाल
مَا
उसकी जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते हैं
فِى
इस ज़िन्दगी में
hādhihi
هَٰذِهِ
इस ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
इस ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
rīḥin
رِيحٍ
हवा के है
fīhā
فِيهَا
जिस में
ṣirrun
صِرٌّ
सख़्त सर्दी हो
aṣābat
أَصَابَتْ
वो पहुँचे
ḥartha
حَرْثَ
खेती को
qawmin
قَوْمٍ
एक क़ौम की
ẓalamū
ظَلَمُوٓا۟
जिन्होंने ज़ुल्म किया
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों पर
fa-ahlakathu
فَأَهْلَكَتْهُۚ
तो उसने हलाक कर दिया उसे
wamā
وَمَا
और नहीं
ẓalamahumu
ظَلَمَهُمُ
ज़ुल्म किया उन पर
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
walākin
وَلَٰكِنْ
और लेकिन
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने ही नफ़्सों पर
yaẓlimūna
يَظْلِمُونَ
वो ज़ुल्म करते थे
इस सांसारिक जीवन के लिए जो कुछ भी वे ख़र्च करते है, उसकी मिसाल उस वायु जैसी है जिसमें पाला हो और वह उन लोगों की खेती पर चल जाए, जिन्होंने अपने ऊपर अत्याचार नहीं किया, अपितु वे तो स्वयं अपने ऊपर अत्याचार कर रहे है ([३] आले इमरान: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا بِطَانَةً مِّنْ دُوْنِكُمْ لَا يَأْلُوْنَكُمْ خَبَالًاۗ وَدُّوْا مَا عَنِتُّمْۚ قَدْ بَدَتِ الْبَغْضَاۤءُ مِنْ اَفْوَاهِهِمْۖ وَمَا تُخْفِيْ صُدُوْرُهُمْ اَكْبَرُ ۗ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ الْاٰيٰتِ اِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُوْنَ ١١٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
ना तुम बनाओ
biṭānatan
بِطَانَةً
दिली दोस्त/राज़दान
min
مِّن
अपने इलावा को
dūnikum
دُونِكُمْ
अपने इलावा को
لَا
ना वो कमी करेंगे तुमसे
yalūnakum
يَأْلُونَكُمْ
ना वो कमी करेंगे तुमसे
khabālan
خَبَالًا
किसी ख़राबी की
waddū
وَدُّوا۟
वो दिल से चाहते हैं
مَا
कि मुश्किल में पड़ो तुम
ʿanittum
عَنِتُّمْ
कि मुश्किल में पड़ो तुम
qad
قَدْ
तहक़ीक़
badati
بَدَتِ
ज़ाहिर हो गया
l-baghḍāu
ٱلْبَغْضَآءُ
बुग़्ज़
min
مِنْ
उनके मुँहों से
afwāhihim
أَفْوَٰهِهِمْ
उनके मुँहों से
wamā
وَمَا
और जो
tukh'fī
تُخْفِى
छुपाते है
ṣudūruhum
صُدُورُهُمْ
सीने उनके
akbaru
أَكْبَرُۚ
ज़्यादा बड़ा है
qad
قَدْ
तहक़ीक़
bayyannā
بَيَّنَّا
वाज़ेह कर दीं हमने
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِۖ
निशानियाँ
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल रखते
ऐ ईमान लानेवालो! अपनों को छोड़कर दूसरों को अपना अंतरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुक़सान पहुँचाने में कोई कमी नहीं करते। जितनी भी तुम कठिनाई में पड़ो, वही उनको प्रिय है। उनका द्वेष तो उनके मुँह से व्यक्त हो चुका है और जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है, वह तो इससे भी बढ़कर है। यदि तुम बुद्धि से काम लो, तो हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं ([३] आले इमरान: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

هٰٓاَنْتُمْ اُولَاۤءِ تُحِبُّوْنَهُمْ وَلَا يُحِبُّوْنَكُمْ وَتُؤْمِنُوْنَ بِالْكِتٰبِ كُلِّهٖۚ وَاِذَا لَقُوْكُمْ قَالُوْٓا اٰمَنَّاۖ وَاِذَا خَلَوْا عَضُّوْا عَلَيْكُمُ الْاَنَامِلَ مِنَ الْغَيْظِ ۗ قُلْ مُوْتُوْا بِغَيْظِكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ١١٩

hāantum
هَٰٓأَنتُمْ
ख़बरदार तुम
ulāi
أُو۟لَآءِ
वो लोग हो
tuḥibbūnahum
تُحِبُّونَهُمْ
तुम मोहब्बत रखते हो उनसे
walā
وَلَا
और नहीं
yuḥibbūnakum
يُحِبُّونَكُمْ
वो मोहब्बत रखते तुम से
watu'minūna
وَتُؤْمِنُونَ
और तुम ईमान रखते हो
bil-kitābi
بِٱلْكِتَٰبِ
किताब पर
kullihi
كُلِّهِۦ
सारी की सारी
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
laqūkum
لَقُوكُمْ
वो मुलाक़ात करते हैं तुमसे
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
khalaw
خَلَوْا۟
वो तन्हा होते हैं
ʿaḍḍū
عَضُّوا۟
वो काटते हैं
ʿalaykumu
عَلَيْكُمُ
तुम पर
l-anāmila
ٱلْأَنَامِلَ
उँगलियाँ
mina
مِنَ
ग़ुस्से से
l-ghayẓi
ٱلْغَيْظِۚ
ग़ुस्से से
qul
قُلْ
कह दीजिए
mūtū
مُوتُوا۟
मर जाओ
bighayẓikum
بِغَيْظِكُمْۗ
साथ अपने ग़ुस्से के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bidhāti
بِذَاتِ
सीनों वाले (भेद)
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले (भेद)
ये चो तुम हो जो उनसे प्रेम करते हो और वे तुमसे प्रेम नहीं करते, जबकि तुम समस्त किताबों पर ईमान रखते हो। और वे जब तुमसे मिलते है तो कहने को तो कहते है कि 'हम ईमान लाए है।' किन्तु जब वे अलग होते है तो तुमपर क्रोध के मारे दाँतों से उँगलियाँ काटने लगते है। कह दो, 'तुम अपने क्रोध में आप मरो। निस्संदेह अल्लाह दिलों के भेद को जानता है।' ([३] आले इमरान: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

اِنْ تَمْسَسْكُمْ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْۖ وَاِنْ تُصِبْكُمْ سَيِّئَةٌ يَّفْرَحُوْا بِهَا ۗ وَاِنْ تَصْبِرُوْا وَتَتَّقُوْا لَا يَضُرُّكُمْ كَيْدُهُمْ شَيْـًٔا ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا يَعْمَلُوْنَ مُحِيْطٌ ࣖ ١٢٠

in
إِن
अगर
tamsaskum
تَمْسَسْكُمْ
पहुँचे तुम्हें
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
कोई भलाई
tasu'hum
تَسُؤْهُمْ
वो बुरी लगती है उन्हें
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣib'kum
تُصِبْكُمْ
पहुँचती है तुम्हें
sayyi-atun
سَيِّئَةٌ
कोई बुराई
yafraḥū
يَفْرَحُوا۟
वो ख़ुश होते हैं
bihā
بِهَاۖ
उस पर
wa-in
وَإِن
और अगर
taṣbirū
تَصْبِرُوا۟
तुम सब्र करो
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़वा करो
لَا
ना नुक़सान देगी तुम्हें
yaḍurrukum
يَضُرُّكُمْ
ना नुक़सान देगी तुम्हें
kayduhum
كَيْدُهُمْ
चाल उनकी
shayan
شَيْـًٔاۗ
कुछ भी
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bimā
بِمَا
उसको जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
muḥīṭun
مُحِيطٌ
घेरने वाला है
यदि तुम्हारा कोई भला होता है तो उन्हें बुरा लगता है। परन्तु यदि तुम्हें कोई अप्रिय बात पेश आती है तो उससे वे प्रसन्न हो जाते है। यदि तुमने धैर्य से काम लिया और (अल्लाह का) डर रखा, तो उनकी कोई चाल तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। जो कुछ वे कर रहे है, अल्लाह ने उसे अपने धेरे में ले रखा है ([३] आले इमरान: 120)
Tafseer (तफ़सीर )