لَنْ يَّضُرُّوْكُمْ اِلَّآ اَذًىۗ وَاِنْ يُّقَاتِلُوْكُمْ يُوَلُّوْكُمُ الْاَدْبَارَۗ ثُمَّ لَا يُنْصَرُوْنَ ١١١
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yaḍurrūkum
- يَضُرُّوكُمْ
- वो नुक़सान देंगे तुम्हें
- illā
- إِلَّآ
- सिवाय
- adhan
- أَذًىۖ
- अज़ियत के
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yuqātilūkum
- يُقَٰتِلُوكُمْ
- वो जंग करेंगे तुमसे
- yuwallūkumu
- يُوَلُّوكُمُ
- वो फेर दें तुमसे
- l-adbāra
- ٱلْأَدْبَارَ
- पुश्तें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना वो मदद किए जाऐंगे
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- ना वो मदद किए जाऐंगे
थोड़ा दुख पहुँचाने के अतिरिक्त वे तुम्हारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। और यदि वे तुमसे लड़ेंगे, तो तुम्हें पीठ दिखा जाएँगे, फिर उन्हें कोई सहायता भी न मिलेगी ([३] आले इमरान: 111)Tafseer (तफ़सीर )
ضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ الذِّلَّةُ اَيْنَ مَا ثُقِفُوْٓا اِلَّا بِحَبْلٍ مِّنَ اللّٰهِ وَحَبْلٍ مِّنَ النَّاسِ وَبَاۤءُوْ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَضُرِبَتْ عَلَيْهِمُ الْمَسْكَنَةُ ۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانُوْا يَكْفُرُوْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَيَقْتُلُوْنَ الْاَنْبِۢيَاۤءَ بِغَيْرِ حَقٍّۗ ذٰلِكَ بِمَا عَصَوْا وَّكَانُوْا يَعْتَدُوْنَ ١١٢
- ḍuribat
- ضُرِبَتْ
- मार दी गई
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-dhilatu
- ٱلذِّلَّةُ
- ज़िल्लत
- ayna
- أَيْنَ
- जहाँ कहीं
- mā
- مَا
- जहाँ कहीं
- thuqifū
- ثُقِفُوٓا۟
- वो पाए गए
- illā
- إِلَّا
- मगर
- biḥablin
- بِحَبْلٍ
- साथ रस्सी (ताल्लुक़) के
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- waḥablin
- وَحَبْلٍ
- और रस्सी (ताल्लुक़) के
- mina
- مِّنَ
- लोगों की
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों की
- wabāū
- وَبَآءُو
- और वो लौटे
- bighaḍabin
- بِغَضَبٍ
- साथ ग़ज़ब के
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- waḍuribat
- وَضُرِبَتْ
- और मार दी गई
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-maskanatu
- ٱلْمَسْكَنَةُۚ
- मोहताजी
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- वो कुफ़्र करते
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- अल्लाह की आयात का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की आयात का
- wayaqtulūna
- وَيَقْتُلُونَ
- और वो क़त्ल करते
- l-anbiyāa
- ٱلْأَنۢبِيَآءَ
- नबियों को
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ḥaqqin
- حَقٍّۚ
- हक़ के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- ʿaṣaw
- عَصَوا۟
- उन्होंने नाफ़रमानी की
- wakānū
- وَّكَانُوا۟
- और थे वो
- yaʿtadūna
- يَعْتَدُونَ
- वो हद से बढ़ जाते
वे जहाँ कहीं भी पाए गए उनपर ज़िल्लत (अपमान) थोप दी गई। किन्तु अल्लाह की रस्सी थामें या लोगों का रस्सी, तो और बात है। वे ल्लाह के प्रकोप के पात्र हुए और उनपर दशाहीनता थोप दी गई। यह इसलिए कि वे अल्लाह की आयतों का इनकार और नबियों को नाहक़ क़त्ल करते रहे है। और यह इसलिए कि उन्होंने अवज्ञा की और सीमोल्लंघन करते रहे ([३] आले इमरान: 112)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَيْسُوْا سَوَاۤءً ۗ مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ اُمَّةٌ قَاۤىِٕمَةٌ يَّتْلُوْنَ اٰيٰتِ اللّٰهِ اٰنَاۤءَ الَّيْلِ وَهُمْ يَسْجُدُوْنَ ١١٣
- laysū
- لَيْسُوا۟
- नहीं हैं वो सब
- sawāan
- سَوَآءًۗ
- यकसाँ/बराबर
- min
- مِّنْ
- अहले किताब में से
- ahli
- أَهْلِ
- अहले किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- अहले किताब में से
- ummatun
- أُمَّةٌ
- एक जमाअत है
- qāimatun
- قَآئِمَةٌ
- जो क़ायम (हक़ पर)
- yatlūna
- يَتْلُونَ
- वो तिलावत करते हैं
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- अल्लाह की आयात की
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की आयात की
- ānāa
- ءَانَآءَ
- घड़ियों में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात की
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- yasjudūna
- يَسْجُدُونَ
- वो सजदा करते हैं
ये सब एक जैसे नहीं है। किताबवालों में से कुछ ऐसे लोग भी है जो सीधे मार्ग पर है और रात की घड़ियों में अल्लाह की आयतें पढ़ते है और वे सजदा करते रहनेवाले है ([३] आले इमरान: 113)Tafseer (तफ़सीर )
يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَيَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَيُسَارِعُوْنَ فِى الْخَيْرٰتِۗ وَاُولٰۤىِٕكَ مِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١١٤
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान रखते हैं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wayamurūna
- وَيَأْمُرُونَ
- और वो हुक्म देते हैं
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِ
- नेकी का
- wayanhawna
- وَيَنْهَوْنَ
- और वो रोकते हैं
- ʿani
- عَنِ
- बुराई से
- l-munkari
- ٱلْمُنكَرِ
- बुराई से
- wayusāriʿūna
- وَيُسَٰرِعُونَ
- और वो एक दूसरे से जल्दी करते हैं
- fī
- فِى
- नेकियों में
- l-khayrāti
- ٱلْخَيْرَٰتِ
- नेकियों में
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- mina
- مِنَ
- सालेहीन में से
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- सालेहीन में से
वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते है और नेकी का हुक्म देते और बुराई से रोकते है और नेक कामों में अग्रसर रहते है, और वे अच्छे लोगों में से है ([३] आले इमरान: 114)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا يَفْعَلُوْا مِنْ خَيْرٍ فَلَنْ يُّكْفَرُوْهُ ۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ ۢبِالْمُتَّقِيْنَ ١١٥
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- yafʿalū
- يَفْعَلُوا۟
- वो करेंगे
- min
- مِنْ
- भलाई में से
- khayrin
- خَيْرٍ
- भलाई में से
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- yuk'farūhu
- يُكْفَرُوهُۗ
- वो नाक़द्री किए जाऐंगे उसकी
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bil-mutaqīna
- بِٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों को
जो नेकी भी वे करेंगे, उसकी अवमानना न होगी। अल्लाह का डर रखनेवालो से भली-भाँति परिचित है ([३] आले इमरान: 115)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَنْ تُغْنِيَ عَنْهُمْ اَمْوَالُهُمْ وَلَآ اَوْلَادُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗ وَاُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ١١٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- tugh'niya
- تُغْنِىَ
- काम आऐंगे
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उन्हें
- amwāluhum
- أَمْوَٰلُهُمْ
- माल उनके
- walā
- وَلَآ
- और ना
- awlāduhum
- أَوْلَٰدُهُم
- औलाद उनकी
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- shayan
- شَيْـًٔاۖ
- कुछ भी
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِۚ
- आग के
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, तो अल्लाह के मुक़ाबले में न उनके माल कुछ काम आ सकेंगे और न उनकी सन्तान ही। वे तो आग में जानेवाले लोग है, उसी में वे सदैव रहेंगे ([३] आले इमरान: 116)Tafseer (तफ़सीर )
مَثَلُ مَا يُنْفِقُوْنَ فِيْ هٰذِهِ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا كَمَثَلِ رِيْحٍ فِيْهَا صِرٌّ اَصَابَتْ حَرْثَ قَوْمٍ ظَلَمُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَاَهْلَكَتْهُ ۗ وَمَا ظَلَمَهُمُ اللّٰهُ وَلٰكِنْ اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ١١٧
- mathalu
- مَثَلُ
- मिसाल
- mā
- مَا
- उसकी जो
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करते हैं
- fī
- فِى
- इस ज़िन्दगी में
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इस ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- इस ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- kamathali
- كَمَثَلِ
- मानिन्द मिसाल
- rīḥin
- رِيحٍ
- हवा के है
- fīhā
- فِيهَا
- जिस में
- ṣirrun
- صِرٌّ
- सख़्त सर्दी हो
- aṣābat
- أَصَابَتْ
- वो पहुँचे
- ḥartha
- حَرْثَ
- खेती को
- qawmin
- قَوْمٍ
- एक क़ौम की
- ẓalamū
- ظَلَمُوٓا۟
- जिन्होंने ज़ुल्म किया
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों पर
- fa-ahlakathu
- فَأَهْلَكَتْهُۚ
- तो उसने हलाक कर दिया उसे
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- ẓalamahumu
- ظَلَمَهُمُ
- ज़ुल्म किया उन पर
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- walākin
- وَلَٰكِنْ
- और लेकिन
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने ही नफ़्सों पर
- yaẓlimūna
- يَظْلِمُونَ
- वो ज़ुल्म करते थे
इस सांसारिक जीवन के लिए जो कुछ भी वे ख़र्च करते है, उसकी मिसाल उस वायु जैसी है जिसमें पाला हो और वह उन लोगों की खेती पर चल जाए, जिन्होंने अपने ऊपर अत्याचार नहीं किया, अपितु वे तो स्वयं अपने ऊपर अत्याचार कर रहे है ([३] आले इमरान: 117)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا بِطَانَةً مِّنْ دُوْنِكُمْ لَا يَأْلُوْنَكُمْ خَبَالًاۗ وَدُّوْا مَا عَنِتُّمْۚ قَدْ بَدَتِ الْبَغْضَاۤءُ مِنْ اَفْوَاهِهِمْۖ وَمَا تُخْفِيْ صُدُوْرُهُمْ اَكْبَرُ ۗ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ الْاٰيٰتِ اِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُوْنَ ١١٨
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम बनाओ
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوا۟
- ना तुम बनाओ
- biṭānatan
- بِطَانَةً
- दिली दोस्त/राज़दान
- min
- مِّن
- अपने इलावा को
- dūnikum
- دُونِكُمْ
- अपने इलावा को
- lā
- لَا
- ना वो कमी करेंगे तुमसे
- yalūnakum
- يَأْلُونَكُمْ
- ना वो कमी करेंगे तुमसे
- khabālan
- خَبَالًا
- किसी ख़राबी की
- waddū
- وَدُّوا۟
- वो दिल से चाहते हैं
- mā
- مَا
- कि मुश्किल में पड़ो तुम
- ʿanittum
- عَنِتُّمْ
- कि मुश्किल में पड़ो तुम
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- badati
- بَدَتِ
- ज़ाहिर हो गया
- l-baghḍāu
- ٱلْبَغْضَآءُ
- बुग़्ज़
- min
- مِنْ
- उनके मुँहों से
- afwāhihim
- أَفْوَٰهِهِمْ
- उनके मुँहों से
- wamā
- وَمَا
- और जो
- tukh'fī
- تُخْفِى
- छुपाते है
- ṣudūruhum
- صُدُورُهُمْ
- सीने उनके
- akbaru
- أَكْبَرُۚ
- ज़्यादा बड़ा है
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- bayyannā
- بَيَّنَّا
- वाज़ेह कर दीं हमने
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِۖ
- निशानियाँ
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम अक़्ल रखते
ऐ ईमान लानेवालो! अपनों को छोड़कर दूसरों को अपना अंतरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुक़सान पहुँचाने में कोई कमी नहीं करते। जितनी भी तुम कठिनाई में पड़ो, वही उनको प्रिय है। उनका द्वेष तो उनके मुँह से व्यक्त हो चुका है और जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है, वह तो इससे भी बढ़कर है। यदि तुम बुद्धि से काम लो, तो हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं ([३] आले इमरान: 118)Tafseer (तफ़सीर )
هٰٓاَنْتُمْ اُولَاۤءِ تُحِبُّوْنَهُمْ وَلَا يُحِبُّوْنَكُمْ وَتُؤْمِنُوْنَ بِالْكِتٰبِ كُلِّهٖۚ وَاِذَا لَقُوْكُمْ قَالُوْٓا اٰمَنَّاۖ وَاِذَا خَلَوْا عَضُّوْا عَلَيْكُمُ الْاَنَامِلَ مِنَ الْغَيْظِ ۗ قُلْ مُوْتُوْا بِغَيْظِكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ١١٩
- hāantum
- هَٰٓأَنتُمْ
- ख़बरदार तुम
- ulāi
- أُو۟لَآءِ
- वो लोग हो
- tuḥibbūnahum
- تُحِبُّونَهُمْ
- तुम मोहब्बत रखते हो उनसे
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuḥibbūnakum
- يُحِبُّونَكُمْ
- वो मोहब्बत रखते तुम से
- watu'minūna
- وَتُؤْمِنُونَ
- और तुम ईमान रखते हो
- bil-kitābi
- بِٱلْكِتَٰبِ
- किताब पर
- kullihi
- كُلِّهِۦ
- सारी की सारी
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- laqūkum
- لَقُوكُمْ
- वो मुलाक़ात करते हैं तुमसे
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहते हैं
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- khalaw
- خَلَوْا۟
- वो तन्हा होते हैं
- ʿaḍḍū
- عَضُّوا۟
- वो काटते हैं
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-anāmila
- ٱلْأَنَامِلَ
- उँगलियाँ
- mina
- مِنَ
- ग़ुस्से से
- l-ghayẓi
- ٱلْغَيْظِۚ
- ग़ुस्से से
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- mūtū
- مُوتُوا۟
- मर जाओ
- bighayẓikum
- بِغَيْظِكُمْۗ
- साथ अपने ग़ुस्से के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
ये चो तुम हो जो उनसे प्रेम करते हो और वे तुमसे प्रेम नहीं करते, जबकि तुम समस्त किताबों पर ईमान रखते हो। और वे जब तुमसे मिलते है तो कहने को तो कहते है कि 'हम ईमान लाए है।' किन्तु जब वे अलग होते है तो तुमपर क्रोध के मारे दाँतों से उँगलियाँ काटने लगते है। कह दो, 'तुम अपने क्रोध में आप मरो। निस्संदेह अल्लाह दिलों के भेद को जानता है।' ([३] आले इमरान: 119)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تَمْسَسْكُمْ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْۖ وَاِنْ تُصِبْكُمْ سَيِّئَةٌ يَّفْرَحُوْا بِهَا ۗ وَاِنْ تَصْبِرُوْا وَتَتَّقُوْا لَا يَضُرُّكُمْ كَيْدُهُمْ شَيْـًٔا ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا يَعْمَلُوْنَ مُحِيْطٌ ࣖ ١٢٠
- in
- إِن
- अगर
- tamsaskum
- تَمْسَسْكُمْ
- पहुँचे तुम्हें
- ḥasanatun
- حَسَنَةٌ
- कोई भलाई
- tasu'hum
- تَسُؤْهُمْ
- वो बुरी लगती है उन्हें
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tuṣib'kum
- تُصِبْكُمْ
- पहुँचती है तुम्हें
- sayyi-atun
- سَيِّئَةٌ
- कोई बुराई
- yafraḥū
- يَفْرَحُوا۟
- वो ख़ुश होते हैं
- bihā
- بِهَاۖ
- उस पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taṣbirū
- تَصْبِرُوا۟
- तुम सब्र करो
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और तुम तक़वा करो
- lā
- لَا
- ना नुक़सान देगी तुम्हें
- yaḍurrukum
- يَضُرُّكُمْ
- ना नुक़सान देगी तुम्हें
- kayduhum
- كَيْدُهُمْ
- चाल उनकी
- shayan
- شَيْـًٔاۗ
- कुछ भी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसको जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
- muḥīṭun
- مُحِيطٌ
- घेरने वाला है
यदि तुम्हारा कोई भला होता है तो उन्हें बुरा लगता है। परन्तु यदि तुम्हें कोई अप्रिय बात पेश आती है तो उससे वे प्रसन्न हो जाते है। यदि तुमने धैर्य से काम लिया और (अल्लाह का) डर रखा, तो उनकी कोई चाल तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। जो कुछ वे कर रहे है, अल्लाह ने उसे अपने धेरे में ले रखा है ([३] आले इमरान: 120)Tafseer (तफ़सीर )