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सूरा आले इमरान - Page: 11

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

१०१

وَكَيْفَ تَكْفُرُوْنَ وَاَنْتُمْ تُتْلٰى عَلَيْكُمْ اٰيٰتُ اللّٰهِ وَفِيْكُمْ رَسُوْلُهٗ ۗ وَمَنْ يَّعْتَصِمْ بِاللّٰهِ فَقَدْ هُدِيَ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ࣖ ١٠١

wakayfa
وَكَيْفَ
और कैसे
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करते हो
wa-antum
وَأَنتُمْ
हालाँकि तुम
tut'lā
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
āyātu
ءَايَٰتُ
आयात
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wafīkum
وَفِيكُمْ
और तुम में है
rasūluhu
رَسُولُهُۥۗ
रसूल उसका
waman
وَمَن
और जो
yaʿtaṣim
يَعْتَصِم
थाम ले
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह को
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
hudiya
هُدِىَ
वो हिदायत दे दिया गया
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
तरफ़ रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
अब तुम इनकार कैसे कर सकते हो, जबकि तुम्हें अल्लाह की आयतें पढ़कर सुनाई जा रही है और उसका रसूल तुम्हारे बीच मौजूद है? जो कोई अल्लाह को मज़बूती से पकड़ ले, वह सीधे मार्ग पर आ गया ([३] आले इमरान: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ حَقَّ تُقٰىتِهٖ وَلَا تَمُوْتُنَّ اِلَّا وَاَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ١٠٢

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
ḥaqqa
حَقَّ
हक़ है (जैसे)
tuqātihi
تُقَاتِهِۦ
उससे डरने का
walā
وَلَا
और हरगिज़ ना तुम मरना
tamūtunna
تَمُوتُنَّ
और हरगिज़ ना तुम मरना
illā
إِلَّا
मगर
wa-antum
وَأَنتُم
इस हाल में कि तुम
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
मुसलमान हो
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो, जैसाकि उसका डर रखने का हक़ है। और तुम्हारी मृत्यु बस इस दशा में आए कि तुम मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो ([३] आले इमरान: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

وَاعْتَصِمُوْا بِحَبْلِ اللّٰهِ جَمِيْعًا وَّلَا تَفَرَّقُوْا ۖوَاذْكُرُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ اِذْ كُنْتُمْ اَعْدَاۤءً فَاَلَّفَ بَيْنَ قُلُوْبِكُمْ فَاَصْبَحْتُمْ بِنِعْمَتِهٖٓ اِخْوَانًاۚ وَكُنْتُمْ عَلٰى شَفَا حُفْرَةٍ مِّنَ النَّارِ فَاَنْقَذَكُمْ مِّنْهَا ۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللّٰهُ لَكُمْ اٰيٰتِهٖ لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُوْنَ ١٠٣

wa-iʿ'taṣimū
وَٱعْتَصِمُوا۟
और मज़बूती से पकड़ लो
biḥabli
بِحَبْلِ
अल्लाह की रस्सी को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की रस्सी को
jamīʿan
جَمِيعًا
सबके सब
walā
وَلَا
और ना
tafarraqū
تَفَرَّقُوا۟ۚ
तुम फ़िरक़ा-फ़िरका बनो
wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوا۟
और याद करो
niʿ'mata
نِعْمَتَ
नेअमत को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
अपने ऊपर
idh
إِذْ
जब
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
aʿdāan
أَعْدَآءً
दुश्मन
fa-allafa
فَأَلَّفَ
तो उसने उल्फ़त डाल दी
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
qulūbikum
قُلُوبِكُمْ
तुम्हारे दिलों के
fa-aṣbaḥtum
فَأَصْبَحْتُم
तो हो गए तुम
biniʿ'matihi
بِنِعْمَتِهِۦٓ
उसकी नेअमत से
ikh'wānan
إِخْوَٰنًا
भाई-भाई
wakuntum
وَكُنتُمْ
और थे तुम
ʿalā
عَلَىٰ
किनारे पर
shafā
شَفَا
किनारे पर
ḥuf'ratin
حُفْرَةٍ
गढ़े के
mina
مِّنَ
आग के
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
fa-anqadhakum
فَأَنقَذَكُم
तो उसने बचा लिया तुम्हें
min'hā
مِّنْهَاۗ
उससे
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yubayyinu
يُبَيِّنُ
वाज़ेह करता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
आयात अपनी
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tahtadūna
تَهْتَدُونَ
तुम हिदायत पाओ
और सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो और विभेद में न पड़ो। और अल्लाह की उस कृपा को याद करो जो तुमपर हुई। जब तुम आपस में एक-दूसरे के शत्रु थे तो उसने तुम्हारे दिलों को परस्पर जोड़ दिया और तुम उसकी कृपा से भाई-भाई बन गए। तुम आग के एक गड्ढे के किनारे खड़े थे, तो अल्लाह ने उससे तुम्हें बचा लिया। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयते खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम मार्ग पा लो ([३] आले इमरान: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

وَلْتَكُنْ مِّنْكُمْ اُمَّةٌ يَّدْعُوْنَ اِلَى الْخَيْرِ وَيَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ ۗ وَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ١٠٤

waltakun
وَلْتَكُن
और ज़रूर हो
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
ummatun
أُمَّةٌ
एक गिरोह (के लोग)
yadʿūna
يَدْعُونَ
जो दावत दें
ilā
إِلَى
तरफ़ ख़ैर के
l-khayri
ٱلْخَيْرِ
तरफ़ ख़ैर के
wayamurūna
وَيَأْمُرُونَ
और जो हुक्म दें
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
नेकी का
wayanhawna
وَيَنْهَوْنَ
और जो रोकें
ʿani
عَنِ
बुराई से
l-munkari
ٱلْمُنكَرِۚ
बुराई से
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muf'liḥūna
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं
और तुम्हें एक ऐसे समुदाय का रूप धारण कर लेना चाहिए जो नेकी की ओर बुलाए और भलाई का आदेश दे और बुराई से रोके। यही सफलता प्राप्त करनेवाले लोग है ([३] आले इमरान: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ تَفَرَّقُوْا وَاخْتَلَفُوْا مِنْۢ بَعْدِ مَا جَاۤءَهُمُ الْبَيِّنٰتُ ۗ وَاُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ۙ ١٠٥

walā
وَلَا
और ना
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम हो जाना
ka-alladhīna
كَٱلَّذِينَ
उनकी तरह जो
tafarraqū
تَفَرَّقُوا۟
फ़िरक़ा-फ़िरक़ा बन गए
wa-ikh'talafū
وَٱخْتَلَفُوا۟
और उन्होंने इख़्तिलाफ़ किया
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
مَا
जो
jāahumu
جَآءَهُمُ
आ गईं उनके पास
l-bayinātu
ٱلْبَيِّنَٰتُۚ
वाज़ेह निशानियाँ
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
तुम उन लोगों की तरह न हो जाना जो विभेद में पड़ गए, और इसके पश्चात कि उनके पास खुली निशानियाँ आ चुकी थी, वे विभेद में पड़ गए। ये वही लोग है, जिनके लिए बड़ी (घोर) यातना है। (यह यातना उस दिन होगी) ([३] आले इमरान: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

يَّوْمَ تَبْيَضُّ وُجُوْهٌ وَّتَسْوَدُّ وُجُوْهٌ ۚ فَاَمَّا الَّذِيْنَ اسْوَدَّتْ وُجُوْهُهُمْۗ اَ كَفَرْتُمْ بَعْدَ اِيْمَانِكُمْ فَذُوْقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ١٠٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tabyaḍḍu
تَبْيَضُّ
रोशन होंगे
wujūhun
وُجُوهٌ
कुछ चेहरे
wataswaddu
وَتَسْوَدُّ
और स्याह होंगे
wujūhun
وُجُوهٌۚ
कुछ चेहरे
fa-ammā
فَأَمَّا
तो रहे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
is'waddat
ٱسْوَدَّتْ
स्याह होंगे
wujūhuhum
وُجُوهُهُمْ
चेहरे जिनके
akafartum
أَكَفَرْتُم
क्या कुफ़्र किया तुमने
baʿda
بَعْدَ
बाद
īmānikum
إِيمَٰنِكُمْ
अपने ईमान के
fadhūqū
فَذُوقُوا۟
पस चखो
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَ
अज़ाब को
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करते
जिस दिन कितने ही चेहरे उज्ज्वल होंगे और कितने ही चेहरे काले पड़ जाएँगे, तो जिनके चेहेर काले पड़ गए होंगे (वे सदा यातना में ग्रस्त रहेंगे। खुली निशानियाँ आने का बाद जिन्होंने विभेद किया) उनसे कहा जाएगा, 'क्या तुमने ईमान के पश्चात इनकार की नीति अपनाई? तो लो अब उस इनकार के बदले में जो तुम करते रहे हो, यातना का मज़ा चखो।' ([३] आले इमरान: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

وَاَمَّا الَّذِيْنَ ابْيَضَّتْ وُجُوْهُهُمْ فَفِيْ رَحْمَةِ اللّٰهِ ۗ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ١٠٧

wa-ammā
وَأَمَّا
और रहे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ib'yaḍḍat
ٱبْيَضَّتْ
सफ़ेद होंगे
wujūhuhum
وُجُوهُهُمْ
चेहरे जिनके
fafī
فَفِى
तो रहमत में होंगे
raḥmati
رَحْمَةِ
तो रहमत में होंगे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे, वे अल्लाह की दयालुता की छाया में होंगे। वे उसी में सदैव रहेंगे ([३] आले इमरान: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

تِلْكَ اٰيٰتُ اللّٰهِ نَتْلُوْهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّ ۗ وَمَا اللّٰهُ يُرِيْدُ ظُلْمًا لِّلْعٰلَمِيْنَ ١٠٨

til'ka
تِلْكَ
ये
āyātu
ءَايَٰتُ
आयात हैं
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
natlūhā
نَتْلُوهَا
हम पढ़ रहे हैं उन्हें
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۗ
साथ हक़ के
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yurīdu
يُرِيدُ
इरादा रखता
ẓul'man
ظُلْمًا
किसी ज़ुल्म का
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
जहान वालों के लिए
ये अल्लाह की आयतें है, जिन्हें हम हक़ के साथ तुम्हें सुना रहे है। अल्लाह संसारवालों पर किसी प्रकार का अत्याचार नहीं करना चाहता ([३] आले इमरान: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

وَلِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ ۗوَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ࣖ ١٠٩

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में है
wa-ilā
وَإِلَى
और तरफ़ अल्लाह ही के
l-lahi
ٱللَّهِ
और तरफ़ अल्लाह ही के
tur'jaʿu
تُرْجَعُ
लौटाए जाते हैं
l-umūru
ٱلْأُمُورُ
सब काम
आकाशों और धरती मे जो कुछ है अल्लाह ही का है, और सारे मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते है ([३] आले इमरान: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

كُنْتُمْ خَيْرَ اُمَّةٍ اُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَتُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ ۗ وَلَوْ اٰمَنَ اَهْلُ الْكِتٰبِ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ ۗ مِنْهُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ وَاَكْثَرُهُمُ الْفٰسِقُوْنَ ١١٠

kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
khayra
خَيْرَ
बेहतरीन
ummatin
أُمَّةٍ
उम्मत
ukh'rijat
أُخْرِجَتْ
निकाली गई हो
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
tamurūna
تَأْمُرُونَ
तुम हुक्म देते हो
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
मारूफ़/अच्छाई का
watanhawna
وَتَنْهَوْنَ
और तुम रोकते हो
ʿani
عَنِ
मुन्कर/बुराई से
l-munkari
ٱلْمُنكَرِ
मुन्कर/बुराई से
watu'minūna
وَتُؤْمِنُونَ
और तुम ईमान लाते हो
bil-lahi
بِٱللَّهِۗ
अल्लाह पर
walaw
وَلَوْ
और अगर
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाते
ahlu
أَهْلُ
अहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब
lakāna
لَكَانَ
अलबत्ता होता
khayran
خَيْرًا
बेहतर
lahum
لَّهُمۚ
उनके लिए
min'humu
مِّنْهُمُ
बाज़ उनके
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
मोमिन हैं
wa-aktharuhumu
وَأَكْثَرُهُمُ
और अक्सर उनके
l-fāsiqūna
ٱلْفَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ है
तुम एक उत्तम समुदाय हो, जो लोगों के समक्ष लाया गया है। तुम नेकी का हुक्म देते हो और बुराई से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो। और यदि किताबवाले भी ईमान लाते तो उनके लिए यह अच्छा होता। उनमें ईमानवाले भी हैं, किन्तु उनमें अधिकतर लोग अवज्ञाकारी ही हैं ([३] आले इमरान: 110)
Tafseer (तफ़सीर )