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सूरा आले इमरान - Page: 10

Ali 'Imran

(इमरान का घराना)

९१

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ يُّقْبَلَ مِنْ اَحَدِهِمْ مِّلْءُ الْاَرْضِ ذَهَبًا وَّلَوِ افْتَدٰى بِهٖۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ وَّمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ࣖ ۔ ٩١

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wamātū
وَمَاتُوا۟
और मर गए
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kuffārun
كُفَّارٌ
काफ़िर थे
falan
فَلَن
तो हरगिज़ ना
yuq'bala
يُقْبَلَ
क़ुबूल किया जाएगा
min
مِنْ
उनमें से किसी एक से
aḥadihim
أَحَدِهِم
उनमें से किसी एक से
mil'u
مِّلْءُ
ज़मीन भर
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन भर
dhahaban
ذَهَبًا
सोना
walawi
وَلَوِ
और अगरचे
if'tadā
ٱفْتَدَىٰ
वो फ़िदया दे
bihi
بِهِۦٓۗ
उसका
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
wamā
وَمَا
और नहीं
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
मददगारों में से कोई
nāṣirīna
نَّٰصِرِينَ
मददगारों में से कोई
निस्संदेह जिन लोगों ने इनकार किया और इनकार ही की दशा में मरे, तो उनमें किसी से धरती के बराबर सोना भी, यदि उसने प्राण-मुक्ति के लिए दिया हो, कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसे लोगों के लिए दुखद यातना है और उनका कोई सहायक न होगा ([३] आले इमरान: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

لَنْ تَنَالُوا الْبِرَّ حَتّٰى تُنْفِقُوْا مِمَّا تُحِبُّوْنَ ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ شَيْءٍ فَاِنَّ اللّٰهَ بِهٖ عَلِيْمٌ ٩٢

lan
لَن
हरगिज़ नहीं
tanālū
تَنَالُوا۟
तुम पा सकते
l-bira
ٱلْبِرَّ
नेकी को
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करो
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
tuḥibbūna
تُحِبُّونَۚ
तुम पसंद करते हो
wamā
وَمَا
और जो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करोगे
min
مِن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bihi
بِهِۦ
उसे
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
तुम नेकी और वफ़ादारी के दर्जे को नहीं पहुँच सकते, जब तक कि उन चीज़ो को (अल्लाह के मार्ग में) ख़र्च न करो, जो तुम्हें प्रिय है। और जो चीज़ भी तुम ख़र्च करोगे, निश्चय ही अल्लाह को उसका ज्ञान होगा ([३] आले इमरान: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

۞ كُلُّ الطَّعَامِ كَانَ حِلًّا لِّبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اِلَّا مَا حَرَّمَ اِسْرَاۤءِيْلُ عَلٰى نَفْسِهٖ مِنْ قَبْلِ اَنْ تُنَزَّلَ التَّوْرٰىةُ ۗ قُلْ فَأْتُوْا بِالتَّوْرٰىةِ فَاتْلُوْهَآ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٩٣

kullu
كُلُّ
हर
l-ṭaʿāmi
ٱلطَّعَامِ
खाना
kāna
كَانَ
था
ḥillan
حِلًّا
हलाल
libanī
لِّبَنِىٓ
बनी इस्राईल के लिए
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल के लिए
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जो
ḥarrama
حَرَّمَ
हराम किया
is'rāīlu
إِسْرَٰٓءِيلُ
इस्राईल ने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने नफ़्स पर
nafsihi
نَفْسِهِۦ
अपने नफ़्स पर
min
مِن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
tunazzala
تُنَزَّلَ
नाज़िल की जाती
l-tawrātu
ٱلتَّوْرَىٰةُۗ
तौरात
qul
قُلْ
कह दीजिए
fatū
فَأْتُوا۟
पस ले आओ
bil-tawrāti
بِٱلتَّوْرَىٰةِ
तौरात को
fa-it'lūhā
فَٱتْلُوهَآ
फिर पढ़ो उसे
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
खाने की सारी चीज़े इसराईल की संतान के लिए हलाल थी, सिवाय उन चीज़ों के जिन्हें तौरात के उतरने से पहले इसराईल ने स्वयं अपने हराम कर लिया था। कहो, 'यदि तुम सच्चे हो तो तौरात लाओ और उसे पढ़ो।' ([३] आले इमरान: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

فَمَنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٩٤

famani
فَمَنِ
तो जो कोई
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَ
झूठ
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
अब इसके पश्चात भी जो व्यक्ति झूठी बातें अल्लाह से जोड़े, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी है ([३] आले इमरान: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

قُلْ صَدَقَ اللّٰهُ ۗ فَاتَّبِعُوْا مِلَّةَ اِبْرٰهِيْمَ حَنِيْفًاۗ وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ٩٥

qul
قُلْ
कह दीजिए
ṣadaqa
صَدَقَ
सच फ़रमाया
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह ने
fa-ittabiʿū
فَٱتَّبِعُوا۟
तो पैरवी करो
millata
مِلَّةَ
मिल्लते
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम की
ḥanīfan
حَنِيفًا
जो यकसू था
wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
था वो
mina
مِنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
कहो, 'अल्लाह ने सच कहा है; अतः इबराहीम के तरीक़े का अनुसरण करो, जो हर ओर से कटकर एक का हो गया था और मुशरिकों में से न था ([३] आले इमरान: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

اِنَّ اَوَّلَ بَيْتٍ وُّضِعَ لِلنَّاسِ لَلَّذِيْ بِبَكَّةَ مُبٰرَكًا وَّهُدًى لِّلْعٰلَمِيْنَۚ ٩٦

inna
إِنَّ
बेशक
awwala
أَوَّلَ
पहला
baytin
بَيْتٍ
घर
wuḍiʿa
وُضِعَ
जो बनाया गया
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
lalladhī
لَلَّذِى
यकीनन वही है जो
bibakkata
بِبَكَّةَ
मक्का में है
mubārakan
مُبَارَكًا
मुबारक/बाबरकत
wahudan
وَهُدًى
और हिदायत है
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों के लिए
'निस्ंसदेह इबादत के लिए पहला घर जो 'मानव के लिए' बनाया गया वहीं है जो मक्का में है, बरकतवाला और सर्वथा मार्गदर्शन, संसारवालों के लिए ([३] आले इमरान: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

فِيْهِ اٰيٰتٌۢ بَيِّنٰتٌ مَّقَامُ اِبْرٰهِيْمَ ەۚ وَمَنْ دَخَلَهٗ كَانَ اٰمِنًا ۗ وَلِلّٰهِ عَلَى النَّاسِ حِجُّ الْبَيْتِ مَنِ اسْتَطَاعَ اِلَيْهِ سَبِيْلًا ۗ وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ عَنِ الْعٰلَمِيْنَ ٩٧

fīhi
فِيهِ
उसमें
āyātun
ءَايَٰتٌۢ
निशानियाँ हैं
bayyinātun
بَيِّنَٰتٌ
वाज़ेह
maqāmu
مَّقَامُ
मक़ामे
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَۖ
इब्राहीम है
waman
وَمَن
और जो कोई
dakhalahu
دَخَلَهُۥ
दाख़िल हुआ उसमें
kāna
كَانَ
वो हो गया
āminan
ءَامِنًاۗ
अमन वाला
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए
ʿalā
عَلَى
ऊपर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों के
ḥijju
حِجُّ
हज करना है
l-bayti
ٱلْبَيْتِ
बैतुल्लाह का
mani
مَنِ
जो कोई
is'taṭāʿa
ٱسْتَطَاعَ
इस्तिताअत रखता हो
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ इसके
sabīlan
سَبِيلًاۚ
रास्ते की
waman
وَمَن
और जो कोई
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र करे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghaniyyun
غَنِىٌّ
बहुत बेनियाज़ है
ʿani
عَنِ
तमाम जहानों से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों से
'उसमें स्पष्ट निशानियाँ है, वह इबराहीम का स्थल है। और जिसने उसमें प्रवेश किया, वह निश्चिन्त हो गया। लोगों पर अल्लाह का हक़ है कि जिसको वहाँ तक पहुँचने की सामर्थ्य प्राप्त हो, वह इस घर का हज करे, और जिसने इनकार किया तो (इस इनकार से अल्लाह का कुछ नहीं बिगड़ता) अल्लाह तो सारे संसार से निरपेक्ष है।' ([३] आले इमरान: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لِمَ تَكْفُرُوْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَاللّٰهُ شَهِيْدٌ عَلٰى مَا تَعْمَلُوْنَ ٩٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāahla
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
lima
لِمَ
क्यों
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करते हो
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात का
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
shahīdun
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
कहो, 'ऐ किताबवालों! तुम अल्लाह की आयतों का इनकार क्यों करते हो, जबकि जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह की दृष्टिअ में है?' ([३] आले इमरान: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لِمَ تَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ تَبْغُوْنَهَا عِوَجًا وَّاَنْتُمْ شُهَدَاۤءُ ۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ٩٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāahla
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
lima
لِمَ
क्यों
taṣuddūna
تَصُدُّونَ
तुम रोकते /फेरते हो
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
man
مَنْ
उसे जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
tabghūnahā
تَبْغُونَهَا
तुम तलाश करते हो उसमें
ʿiwajan
عِوَجًا
टेढ़ापन/कजी
wa-antum
وَأَنتُمْ
हालाँकि तुम
shuhadāu
شُهَدَآءُۗ
गवाह हो
wamā
وَمَا
और नहीं है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
कहो, 'ऐ किताबवालो! तुम ईमान लानेवालों को अल्लाह के मार्ग से क्यो रोकते हो, तुम्हें उसमें किसी टेढ़ की तलाश रहती है, जबकि तुम भली-भाँति वास्तविकता से अवगत हो और जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है।' ([३] आले इमरान: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تُطِيْعُوْا فَرِيْقًا مِّنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ يَرُدُّوْكُمْ بَعْدَ اِيْمَانِكُمْ كٰفِرِيْنَ ١٠٠

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
जो ईमान लाए हो
in
إِن
अगर
tuṭīʿū
تُطِيعُوا۟
तुम इताअत करोगे
farīqan
فَرِيقًا
एक गिरोह की
mina
مِّنَ
उनमें से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनमें से जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
yaruddūkum
يَرُدُّوكُم
वो फेर देंगे तुम्हें
baʿda
بَعْدَ
बाद
īmānikum
إِيمَٰنِكُمْ
तुम्हारे ईमान के
kāfirīna
كَٰفِرِينَ
काफ़िर (बनाकर)
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुमने उनके किसी गिरोह की बात माल ली, जिन्हें किताब मिली थी, तो वे तुम्हारे ईमान लाने के पश्चात फिर तुम्हें अधर्मी बना देंगे ([३] आले इमरान: 100)
Tafseer (तफ़सीर )