اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّوْمُۗ ٢
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ḥayu
- ٱلْحَىُّ
- ज़िन्दा है
- l-qayūmu
- ٱلْقَيُّومُ
- क़ायम रखने वाला है
अल्लाह ही पूज्य हैं, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वह जीवन्त हैं, सबको सँम्भालने और क़ायम रखनेवाला ([३] आले इमरान: 2)Tafseer (तफ़सीर )
نَزَّلَ عَلَيْكَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَاَنْزَلَ التَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِيْلَۙ ٣
- nazzala
- نَزَّلَ
- उसने नाज़िल की
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- muṣaddiqan
- مُصَدِّقًا
- तसदीक़ करने वाली है
- limā
- لِّمَا
- उनकी जो
- bayna
- بَيْنَ
- इससे पहले थीं
- yadayhi
- يَدَيْهِ
- इससे पहले थीं
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और उसने नाज़िल की
- l-tawrāta
- ٱلتَّوْرَىٰةَ
- तौरात
- wal-injīla
- وَٱلْإِنجِيلَ
- और इन्जील
उसने तुमपर हक़ के साथ किताब उतारी जो पहले की (किताबों की) पुष्टि करती हैं, और उसने तौरात और इंजील उतारी ([३] आले इमरान: 3)Tafseer (तफ़सीर )
مِنْ قَبْلُ هُدًى لِّلنَّاسِ وَاَنْزَلَ الْفُرْقَانَ ەۗ اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيْدٌ ۗوَاللّٰهُ عَزِيْزٌ ذُو انْتِقَامٍۗ ٤
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- hudan
- هُدًى
- हिदायत
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और उसने नाज़िल किया
- l-fur'qāna
- ٱلْفُرْقَانَۗ
- फ़ुरक़ान
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- जिन्होंने कुफ़्र किया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- साथ आयात के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- shadīdun
- شَدِيدٌۗ
- सख़्त
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- dhū
- ذُو
- इन्तिक़ाम लेने वाला है
- intiqāmin
- ٱنتِقَامٍ
- इन्तिक़ाम लेने वाला है
इससे पहले लोगों के मार्गदर्शन के लिए और उसने कसौटी भी उतारी। निस्संदेह जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इनकार किया उनके लिए कठोर यातना हैं और अल्लाह प्रभुत्वशाली भी हैं और (बुराई का) बदला लेनेवाला भी ([३] आले इमरान: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ لَا يَخْفٰى عَلَيْهِ شَيْءٌ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِى السَّمَاۤءِ ٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं छुपती
- yakhfā
- يَخْفَىٰ
- नहीं छुपती
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- shayon
- شَىْءٌ
- कोई चीज़
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- walā
- وَلَا
- और ना
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान में
निस्संदेह अल्लाह से कोई चीज़ न धरती में छिपी हैं और न आकाश में ([३] आले इमरान: 5)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ يُصَوِّرُكُمْ فِى الْاَرْحَامِ كَيْفَ يَشَاۤءُ ۗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٦
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yuṣawwirukum
- يُصَوِّرُكُمْ
- सूरत बनाता है तुम्हारी
- fī
- فِى
- रहमों में
- l-arḥāmi
- ٱلْأَرْحَامِ
- रहमों में
- kayfa
- كَيْفَ
- जिस तरह
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- lā
- لَآ
- नहीं है
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
वही हैं जो गर्भाशयों में, जैसा चाहता हैं, तुम्हारा रूप देता हैं। उस प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी के अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं ([३] आले इमरान: 6)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ عَلَيْكَ الْكِتٰبَ مِنْهُ اٰيٰتٌ مُّحْكَمٰتٌ هُنَّ اُمُّ الْكِتٰبِ وَاُخَرُ مُتَشٰبِهٰتٌ ۗ فَاَمَّا الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ زَيْغٌ فَيَتَّبِعُوْنَ مَا تَشَابَهَ مِنْهُ ابْتِغَاۤءَ الْفِتْنَةِ وَابْتِغَاۤءَ تَأْوِيْلِهٖۚ وَمَا يَعْلَمُ تَأْوِيْلَهٗٓ اِلَّا اللّٰهُ ۘوَالرَّاسِخُوْنَ فِى الْعِلْمِ يَقُوْلُوْنَ اٰمَنَّا بِهٖۙ كُلٌّ مِّنْ عِنْدِ رَبِّنَا ۚ وَمَا يَذَّكَّرُ اِلَّآ اُولُوا الْاَلْبَابِ ٧
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल की
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- min'hu
- مِنْهُ
- उसमें से
- āyātun
- ءَايَٰتٌ
- कुछ आयात
- muḥ'kamātun
- مُّحْكَمَٰتٌ
- मोहकम हैं
- hunna
- هُنَّ
- वो
- ummu
- أُمُّ
- असल हैं
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब की
- wa-ukharu
- وَأُخَرُ
- और दूसरी
- mutashābihātun
- مُتَشَٰبِهَٰتٌۖ
- मुताशाबह/बाहम मिलती जुलती हैं
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग
- fī
- فِى
- दिलों में जिनके
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- दिलों में जिनके
- zayghun
- زَيْغٌ
- टेढ़ है
- fayattabiʿūna
- فَيَتَّبِعُونَ
- पस वो पैरवी करते हैं
- mā
- مَا
- उसकी जो
- tashābaha
- تَشَٰبَهَ
- मुताशाबह है
- min'hu
- مِنْهُ
- उसमें से
- ib'tighāa
- ٱبْتِغَآءَ
- चाहने को
- l-fit'nati
- ٱلْفِتْنَةِ
- फ़ितना
- wa-ib'tighāa
- وَٱبْتِغَآءَ
- और चाहने को
- tawīlihi
- تَأْوِيلِهِۦۗ
- मतलब उसका
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता
- tawīlahu
- تَأْوِيلَهُۥٓ
- मतलब उसका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह
- wal-rāsikhūna
- وَٱلرَّٰسِخُونَ
- और जो पुख़्ताकार हैं
- fī
- فِى
- इल्म में
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِ
- इल्म में
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- kullun
- كُلٌّ
- सब कुछ
- min
- مِّنْ
- पास से
- ʿindi
- عِندِ
- पास से
- rabbinā
- رَبِّنَاۗ
- हमारे रब के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yadhakkaru
- يَذَّكَّرُ
- नसीहत पकड़ते
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- ulū
- أُو۟لُوا۟
- अक़्ल वाले
- l-albābi
- ٱلْأَلْبَٰبِ
- अक़्ल वाले
वही हैं जिसने तुमपर अपनी ओर से किताब उतारी, वे सुदृढ़ आयतें हैं जो किताब का मूल और सारगर्भित रूप हैं और दूसरी उपलक्षित, तो जिन लोगों के दिलों में टेढ़ हैं वे फ़ितना (गुमराही) का तलाश और उसके आशय और परिणाम की चाह में उसका अनुसरण करते हैं जो उपलक्षित हैं। जबकि उनका परिणाम बस अल्लाह ही जानता हैं, और वे जो ज्ञान में पक्के हैं, वे कहते हैं, 'हम उसपर ईमान लाए, जो हर एक हमारे रब ही की ओर से हैं।' और चेतते तो केवल वही हैं जो बुद्धि और समझ रखते हैं ([३] आले इमरान: 7)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوْبَنَا بَعْدَ اِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِنْ لَّدُنْكَ رَحْمَةً ۚاِنَّكَ اَنْتَ الْوَهَّابُ ٨
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- lā
- لَا
- ना तू टेढ़ा कर
- tuzigh
- تُزِغْ
- ना तू टेढ़ा कर
- qulūbanā
- قُلُوبَنَا
- हमारे दिलों को
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद उसके
- idh
- إِذْ
- जब
- hadaytanā
- هَدَيْتَنَا
- हिदायत दी तूने हमें
- wahab
- وَهَبْ
- और अता कर
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- min
- مِن
- अपने पास से
- ladunka
- لَّدُنكَ
- अपने पास से
- raḥmatan
- رَحْمَةًۚ
- रहमत
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-wahābu
- ٱلْوَهَّابُ
- बहुत अता करने वाला
हमारे रब! जब तू हमें सीधे मार्ग पर लगा चुका है तो इसके पश्चात हमारे दिलों में टेढ़ न पैदा कर और हमें अपने पास से दयालुता प्रदान कर। निश्चय ही तू बड़ा दाता है ([३] आले इमरान: 8)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَآ اِنَّكَ جَامِعُ النَّاسِ لِيَوْمٍ لَّا رَيْبَ فِيْهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُخْلِفُ الْمِيْعَادَ ࣖ ٩
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- jāmiʿu
- جَامِعُ
- जमा करने वाला है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों को
- liyawmin
- لِيَوْمٍ
- एक दिन के लिए
- lā
- لَّا
- नहीं कोई शक
- rayba
- رَيْبَ
- नहीं कोई शक
- fīhi
- فِيهِۚ
- जिसमें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं ख़िलाफ़ करता
- yukh'lifu
- يُخْلِفُ
- नहीं ख़िलाफ़ करता
- l-mīʿāda
- ٱلْمِيعَادَ
- वादे के
हमारे रब! तू लोगों को एक दिन इकट्ठा करने वाला है, जिसमें कोई संदेह नही। निस्सन्देह अल्लाह अपने वचन के विरुद्ध जाने वाला नही है ([३] आले इमरान: 9)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَنْ تُغْنِيَ عَنْهُمْ اَمْوَالُهُمْ وَلَآ اَوْلَادُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمْ وَقُوْدُ النَّارِۗ ١٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lan
- لَن
- हरगिज़ ना
- tugh'niya
- تُغْنِىَ
- काम आऐंगे
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उन्हें
- amwāluhum
- أَمْوَٰلُهُمْ
- माल उनके
- walā
- وَلَآ
- और ना
- awlāduhum
- أَوْلَٰدُهُم
- औलाद उनकी
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- shayan
- شَيْـًٔاۖ
- कुछ भी
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग
- hum
- هُمْ
- वो
- waqūdu
- وَقُودُ
- ईंधन हैं
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग का
जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई है अल्लाह के मुकाबले में तो न उसके माल उनके कुछ काम आएँगे और न उनकी संतान ही। और वही हैं जो आग (जहन्नम) का ईधन बनकर रहेंगे ([३] आले इमरान: 10)Tafseer (तफ़सीर )