وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ مَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ لَيَقُوْلُنَّ اللّٰهُ ۗفَاَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٦١
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- sa-altahum
- سَأَلْتَهُم
- पूछें आप उनसे
- man
- مَّنْ
- किस ने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wasakhara
- وَسَخَّرَ
- और उसने मुसख़्ख़र किया
- l-shamsa
- ٱلشَّمْسَ
- सूरज
- wal-qamara
- وَٱلْقَمَرَ
- और चाँद को
- layaqūlunna
- لَيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- fa-annā
- فَأَنَّىٰ
- तो कहाँ से
- yu'fakūna
- يُؤْفَكُونَ
- वो फेरे जाते हैं
और यदि तुम उनसे पूछो कि 'किसने आकाशों और धरती को पैदा किया और सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगाया?' तो वे बोल पड़ेगे, 'अल्लाह ने!' फिर वे किधर उलटे फिरे जाते है? ([२९] अल-अनकबूत: 61)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَيَقْدِرُ لَهٗ ۗاِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٦٢
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yabsuṭu
- يَبْسُطُ
- वो फैलाता देता है
- l-riz'qa
- ٱلرِّزْقَ
- रिज़्क़ को
- liman
- لِمَن
- जिसके लिए
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों में से
- wayaqdiru
- وَيَقْدِرُ
- और वो तंग कर देता है
- lahu
- لَهُۥٓۚ
- उसके लिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है आजीविका विस्तीर्ण कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है। निस्संदेह अल्लाह हरेक चीज़ को भली-भाँति जानता है ([२९] अल-अनकबूत: 62)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ مَّنْ نَّزَّلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَحْيَا بِهِ الْاَرْضَ مِنْۢ بَعْدِ مَوْتِهَا لَيَقُوْلُنَّ اللّٰهُ ۙقُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ ۗبَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ ࣖ ٦٣
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- sa-altahum
- سَأَلْتَهُم
- पूछें आप उनसे
- man
- مَّن
- किसने
- nazzala
- نَّزَّلَ
- नाज़िल किया
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-aḥyā
- فَأَحْيَا
- फिर उसने ज़िन्दा किया
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- mawtihā
- مَوْتِهَا
- उसकी मौत के
- layaqūlunna
- لَيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह के लिए है
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो अक़्ल रखते
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- नहीं वो अक़्ल रखते
और यदि तुम उनसे पूछो कि 'किसने आकाश से पानी बरसाया; फिर उसके द्वारा धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया?' तो वे बोल पड़ेंगे, 'अल्लाह ने!' कहो, 'सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है।' किन्तु उनमें से अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते ([२९] अल-अनकबूत: 63)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا هٰذِهِ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا لَهْوٌ وَّلَعِبٌۗ وَاِنَّ الدَّارَ الْاٰخِرَةَ لَهِيَ الْحَيَوَانُۘ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ٦٤
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- ये
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَآ
- दुनिया की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- lahwun
- لَهْوٌ
- शुग़ल
- walaʿibun
- وَلَعِبٌۚ
- और खेल
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-dāra
- ٱلدَّارَ
- घर
- l-ākhirata
- ٱلْءَاخِرَةَ
- आख़िरत का
- lahiya
- لَهِىَ
- अलबत्ता वो ही
- l-ḥayawānu
- ٱلْحَيَوَانُۚ
- ज़िन्दगी है
- law
- لَوْ
- काश
- kānū
- كَانُوا۟
- होते वो
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो इल्म रखते
और यह सांसारिक जीवन तो केवल दिल का बहलावा और खेल है। निस्संदेह पश्चात्वर्ती घर (का जीवन) ही वास्तविक जीवन है। क्या ही अच्छा होता कि वे जानते! ([२९] अल-अनकबूत: 64)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِذَا رَكِبُوْا فِى الْفُلْكِ دَعَوُا اللّٰهَ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ ەۚ فَلَمَّا نَجّٰىهُمْ اِلَى الْبَرِّ اِذَا هُمْ يُشْرِكُوْنَۙ ٦٥
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- rakibū
- رَكِبُوا۟
- वो सवार होते हैं
- fī
- فِى
- कश्ती में
- l-ful'ki
- ٱلْفُلْكِ
- कश्ती में
- daʿawū
- دَعَوُا۟
- वो पुकारते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- mukh'liṣīna
- مُخْلِصِينَ
- ख़ालिस करने वाले हो कर
- lahu
- لَهُ
- उसके लिए
- l-dīna
- ٱلدِّينَ
- दीन को
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- najjāhum
- نَجَّىٰهُمْ
- वो निजात देता है उन्हें
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ख़ुश्की के
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- तरफ़ ख़ुश्की के
- idhā
- إِذَا
- यकायक
- hum
- هُمْ
- वो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शिर्क करने लगते हैं
जब वे नौका में सवार होते है तो वे अल्लाह को उसके दीन (आज्ञापालन) के लिए निष्ठा वान होकर पुकारते है। किन्तु जब वह उन्हें बचाकर शु्ष्क भूमि तक ले आता है तो क्या देखते है कि वे लगे (अल्लाह का साथ) साझी ठहराने ([२९] अल-अनकबूत: 65)Tafseer (तफ़सीर )
لِيَكْفُرُوْا بِمَآ اٰتَيْنٰهُمْۙ وَلِيَتَمَتَّعُوْاۗ فَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَ ٦٦
- liyakfurū
- لِيَكْفُرُوا۟
- ताकि वो नाशुक्री करें
- bimā
- بِمَآ
- उसकी जो
- ātaynāhum
- ءَاتَيْنَٰهُمْ
- दिया हमने उन्हें
- waliyatamattaʿū
- وَلِيَتَمَتَّعُوا۟ۖ
- और ताकि वो फ़ायदा उठा लें
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जान लेंगे
ताकि जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसके प्रति वे इस तरह कृतघ्नता दिखाएँ, और ताकि इस तरह से मज़े उड़ा ले। अच्छा तो वे शीघ्र ही जान लेंगे ([२९] अल-अनकबूत: 66)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّا جَعَلْنَا حَرَمًا اٰمِنًا وَّيُتَخَطَّفُ النَّاسُ مِنْ حَوْلِهِمْۗ اَفَبِالْبَاطِلِ يُؤْمِنُوْنَ وَبِنِعْمَةِ اللّٰهِ يَكْفُرُوْنَ ٦٧
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- ḥaraman
- حَرَمًا
- हरम को
- āminan
- ءَامِنًا
- अमन वाला
- wayutakhaṭṭafu
- وَيُتَخَطَّفُ
- और उचक लिए जाते हैं
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोग
- min
- مِنْ
- उनके इर्द-गिर्द से
- ḥawlihim
- حَوْلِهِمْۚ
- उनके इर्द-गिर्द से
- afabil-bāṭili
- أَفَبِٱلْبَٰطِلِ
- क्या फिर बातिल पर
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते हैं
- wabiniʿ'mati
- وَبِنِعْمَةِ
- और नेअमत का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- वो इन्कार करते हैं
क्या उन्होंने देखा नही कि हमने एक शान्तिमय हरम बनाया, हालाँकि उनके आसपास से लोग उचक लिए जाते है, तो क्या फिर भी वे असत्य पर ईमान रखते है और अल्लाह की अनुकम्पा के प्रति कृतघ्नता दिखलाते है? ([२९] अल-अनकबूत: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِالْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهٗ ۗ اَلَيْسَ فِيْ جَهَنَّمَ مَثْوًى لِّلْكٰفِرِيْنَ ٦٨
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimmani
- مِمَّنِ
- उससे जो
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- गढ़ ले
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
- aw
- أَوْ
- या
- kadhaba
- كَذَّبَ
- वो झुठलाए
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- हक़ को
- lammā
- لَمَّا
- जब कि
- jāahu
- جَآءَهُۥٓۚ
- वो आ जाए उसके पास
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- fī
- فِى
- जहन्नम में
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम में
- mathwan
- مَثْوًى
- ठिकाना
- lil'kāfirīna
- لِّلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
उस व्यक्ति से बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर थोपकर झूठ घड़े या सत्य को झुठलाए, जबकि वह उसके पास आ चुका हो? क्या इनकार करनेवालों का ठौर-ठिकाना जहन्नम नें नहीं होगा? ([२९] अल-अनकबूत: 68)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ جَاهَدُوْا فِيْنَا لَنَهْدِيَنَّهُمْ سُبُلَنَاۗ وَاِنَّ اللّٰهَ لَمَعَ الْمُحْسِنِيْنَ ࣖ ٦٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- jāhadū
- جَٰهَدُوا۟
- जद्दो जहद की
- fīnā
- فِينَا
- हमारी (राह) में
- lanahdiyannahum
- لَنَهْدِيَنَّهُمْ
- अलबत्ता हम ज़रूर हिदायत देंगे उन्हें
- subulanā
- سُبُلَنَاۚ
- अपने रास्तों की
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lamaʿa
- لَمَعَ
- अलबत्ता साथ है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों के
रहे वे लोग जिन्होंने हमारे मार्ग में मिलकर प्रयास किया, हम उन्हें अवश्य अपने मार्ग दिखाएँगे। निस्संदेह अल्लाह सुकर्मियों के साथ है ([२९] अल-अनकबूत: 69)Tafseer (तफ़सीर )