يُعَذِّبُ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَرْحَمُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَاِلَيْهِ تُقْلَبُوْنَ ٢١
- yuʿadhibu
- يُعَذِّبُ
- वो अज़ाब देता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- wayarḥamu
- وَيَرْحَمُ
- और वो रहम करता है
- man
- مَن
- जिस पर
- yashāu
- يَشَآءُۖ
- वो चाहता है
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और उसी की तरफ़
- tuq'labūna
- تُقْلَبُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
वह जिसे चाहे यातना दे और जिसपर चाहे दया करे। और उसी की ओर तुम्हें पलटकर जाना है।' ([२९] अल-अनकबूत: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِى السَّمَاۤءِ ۖوَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ࣖ ٢٢
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- antum
- أَنتُم
- तुम
- bimuʿ'jizīna
- بِمُعْجِزِينَ
- आजिज़ करने वाले
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- walā
- وَلَا
- और ना
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِۖ
- आसमान में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- min
- مِن
- कोई दोस्त
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
तुम न तो धरती में क़ाबू से बाहर निकल सकते हो और न आकाश में। और अल्लाह से हटकर न तो तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक ([२९] अल-अनकबूत: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَلِقَاۤىِٕهٖٓ اُولٰۤىِٕكَ يَىِٕسُوْا مِنْ رَّحْمَتِيْ وَاُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٢٣
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- अल्लाह की आयात का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की आयात का
- waliqāihi
- وَلِقَآئِهِۦٓ
- और उसकी मुलाक़ात का
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- ya-isū
- يَئِسُوا۟
- जो मायूस हो गए
- min
- مِن
- मेरी रहमत से
- raḥmatī
- رَّحْمَتِى
- मेरी रहमत से
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लग हैं
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
और जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों और उससे मिलने का इनकार किया, वही लोग है जो मेरी दयालुता से निराश हुए और वही है जिनके लिए दुखद यातना है। - ([२९] अल-अनकबूत: 23)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖٓ اِلَّآ اَنْ قَالُوا اقْتُلُوْهُ اَوْ حَرِّقُوْهُ فَاَنْجٰىهُ اللّٰهُ مِنَ النَّارِۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٢٤
- famā
- فَمَا
- तो ना
- kāna
- كَانَ
- था
- jawāba
- جَوَابَ
- जवाब
- qawmihi
- قَوْمِهِۦٓ
- उसकी क़ौम का
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- uq'tulūhu
- ٱقْتُلُوهُ
- क़त्ल कर दो उसे
- aw
- أَوْ
- या
- ḥarriqūhu
- حَرِّقُوهُ
- जला डालो उसे
- fa-anjāhu
- فَأَنجَىٰهُ
- तो निजात दी उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mina
- مِنَ
- आग से
- l-nāri
- ٱلنَّارِۚ
- आग से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान लाते हैं
फिर उनकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके सिवा और कुछ न था कि उन्होंने कहा, 'मार डालो उसे या जला दो उसे!' अंततः अल्लाह ने उसको आग से बचा लिया। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान लाएँ ([२९] अल-अनकबूत: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ اِنَّمَا اتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَوْثَانًاۙ مَّوَدَّةَ بَيْنِكُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚ ثُمَّ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ يَكْفُرُ بَعْضُكُمْ بِبَعْضٍ وَّيَلْعَنُ بَعْضُكُمْ بَعْضًا ۖوَّمَأْوٰىكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَۖ ٢٥
- waqāla
- وَقَالَ
- और उसने कहा
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- ittakhadhtum
- ٱتَّخَذْتُم
- बना लिया तुमने
- min
- مِّن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- awthānan
- أَوْثَٰنًا
- बुतों को
- mawaddata
- مَّوَدَّةَ
- मोहब्बत का ज़रिया
- baynikum
- بَيْنِكُمْ
- आपस में
- fī
- فِى
- ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- yakfuru
- يَكْفُرُ
- इन्कार करेगा
- baʿḍukum
- بَعْضُكُم
- बाज़ तुम्हारा
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- बाज़ का
- wayalʿanu
- وَيَلْعَنُ
- और लानत करेगा
- baʿḍukum
- بَعْضُكُم
- बाज़ तुम्हारा
- baʿḍan
- بَعْضًا
- बाज़ को
- wamawākumu
- وَمَأْوَىٰكُمُ
- और ठिकाना तुम्हारा
- l-nāru
- ٱلنَّارُ
- आग है
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- कोई मददगार
- nāṣirīna
- نَّٰصِرِينَ
- कोई मददगार
और उसने कहा, 'अल्लाह से हटकर तुमने कुछ मूर्तियों को केवल सांसारिक जीवन में अपने पारस्परिक प्रेम के कारण पकड़ रखा है। फिर क़ियामत के दिन तुममें से एक-दूसरे का इनकार करेगा और तुममें से एक-दूसरे पर लानत करेगा। तुम्हारा ठौर-ठिकाना आग है और तुम्हारा कोई सहायक न होगा।' ([२९] अल-अनकबूत: 25)Tafseer (तफ़सीर )
۞ فَاٰمَنَ لَهٗ لُوْطٌۘ وَقَالَ اِنِّيْ مُهَاجِرٌ اِلٰى رَبِّيْ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٢٦
- faāmana
- فَـَٔامَنَ
- तो ईमान लाया
- lahu
- لَهُۥ
- उस पर
- lūṭun
- لُوطٌۘ
- लूत
- waqāla
- وَقَالَ
- और उसने कहा
- innī
- إِنِّى
- बेशक
- muhājirun
- مُهَاجِرٌ
- हिजरत करने वाला हूँ
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbī
- رَبِّىٓۖ
- तरफ़ अपने रब के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
फिर लूत ने उसकी बात मानी औऱ उसने कहा, 'निस्संदेह मैं अपने रब की ओर हिजरत करता हूँ। निस्संदेह वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।' ([२९] अल-अनकबूत: 26)Tafseer (तफ़सीर )
وَوَهَبْنَا لَهٗٓ اِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَ وَجَعَلْنَا فِيْ ذُرِّيَّتِهِ النُّبُوَّةَ وَالْكِتٰبَ وَاٰتَيْنٰهُ اَجْرَهٗ فِى الدُّنْيَا ۚوَاِنَّهٗ فِى الْاٰخِرَةِ لَمِنَ الصّٰلِحِيْنَ ٢٧
- wawahabnā
- وَوَهَبْنَا
- और अता कर दिया हमने
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- is'ḥāqa
- إِسْحَٰقَ
- इस्हाक़
- wayaʿqūba
- وَيَعْقُوبَ
- और याक़ूब
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और रख दी हमने
- fī
- فِى
- उसकी औलाद में
- dhurriyyatihi
- ذُرِّيَّتِهِ
- उसकी औलाद में
- l-nubuwata
- ٱلنُّبُوَّةَ
- नुबूव्वत
- wal-kitāba
- وَٱلْكِتَٰبَ
- और किताब
- waātaynāhu
- وَءَاتَيْنَٰهُ
- और अता किया हमने उसे
- ajrahu
- أَجْرَهُۥ
- अजर उसका
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया में
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता सालेह लोगों में से है
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- अलबत्ता सालेह लोगों में से है
और हमने उसे इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए और उसकी संतति में नुबूवत (पैग़म्बरी) और किताब का सिलसिला जारी किया और हमने उसे संसार में भी उसका अच्छा प्रतिदान प्रदान किया। और निश्चय ही वह आख़िरत में अच्छे लोगों में से होगा ([२९] अल-अनकबूत: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اِنَّكُمْ لَتَأْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ ۖمَا سَبَقَكُمْ بِهَا مِنْ اَحَدٍ مِّنَ الْعٰلَمِيْنَ ٢٨
- walūṭan
- وَلُوطًا
- और लूत को
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِۦٓ
- अपनी क़ौम से
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- latatūna
- لَتَأْتُونَ
- अलबत्ता तुम आते हो
- l-fāḥishata
- ٱلْفَٰحِشَةَ
- बेहयाई को
- mā
- مَا
- नहीं
- sabaqakum
- سَبَقَكُم
- सबक़त की तुम पर
- bihā
- بِهَا
- साथ इसके
- min
- مِنْ
- किसी एक ने
- aḥadin
- أَحَدٍ
- किसी एक ने
- mina
- مِّنَ
- तमाम जहान वालों में से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों में से
और हमने लूत को भेजा, जबकि उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'तुम जो वह अश्लील कर्म करते हो, जिसे तुमसे पहले सारे संसार में किसी ने नहीं किया ([२९] अल-अनकबूत: 28)Tafseer (तफ़सीर )
اَىِٕنَّكُمْ لَتَأْتُوْنَ الرِّجَالَ وَتَقْطَعُوْنَ السَّبِيْلَ ەۙ وَتَأْتُوْنَ فِيْ نَادِيْكُمُ الْمُنْكَرَ ۗفَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖٓ اِلَّآ اَنْ قَالُوا ائْتِنَا بِعَذَابِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ٢٩
- a-innakum
- أَئِنَّكُمْ
- क्या बेशक तुम
- latatūna
- لَتَأْتُونَ
- अलबत्ता तुम आते हो
- l-rijāla
- ٱلرِّجَالَ
- मर्दों को
- wataqṭaʿūna
- وَتَقْطَعُونَ
- और तुम काटते हो
- l-sabīla
- ٱلسَّبِيلَ
- रास्ते
- watatūna
- وَتَأْتُونَ
- और तुम आते हो
- fī
- فِى
- अपनी मजलिसों में
- nādīkumu
- نَادِيكُمُ
- अपनी मजलिसों में
- l-munkara
- ٱلْمُنكَرَۖ
- बुरे कामों को
- famā
- فَمَا
- तो ना
- kāna
- كَانَ
- था
- jawāba
- جَوَابَ
- जवाब
- qawmihi
- قَوْمِهِۦٓ
- उसकी क़ौम का
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- i'tinā
- ٱئْتِنَا
- ले आ हम पर
- biʿadhābi
- بِعَذَابِ
- अज़ाब
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- in
- إِن
- अगर
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- mina
- مِنَ
- सच्चों में से
- l-ṣādiqīna
- ٱلصَّٰدِقِينَ
- सच्चों में से
क्या तुम पुरुषों के पास जाते हो और बटमारी करते हो औऱ अपनी मजलिस में बुरा कर्म करते हो?' फिर उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर बस यही था कि उन्होंने कहा, 'ले आ हमपर अल्लाह की यातना, यदि तू सच्चा है।' ([२९] अल-अनकबूत: 29)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ انْصُرْنِيْ عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِيْنَ ࣖ ٣٠
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- unṣur'nī
- ٱنصُرْنِى
- मदद फ़रमा मेरी
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- इन लोगों के
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- जो मुफ़सिद हैं
उसने कहास 'ऐ मेरे रब! बिगाड़ पैदा करनेवाले लोगों के मुक़ावले में मेरी सहायता कर।' ([२९] अल-अनकबूत: 30)Tafseer (तफ़सीर )