وَلَيَعْلَمَنَّ اللّٰهُ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَلَيَعْلَمَنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ ١١
- walayaʿlamanna
- وَلَيَعْلَمَنَّ
- और अलबत्ता ज़रूर जान लेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- walayaʿlamanna
- وَلَيَعْلَمَنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर जान लेगा
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफ़िक़ों को
और अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा जो ईमान लाए, और वह कपटाचारियों को भी मालूम करके रहेगा ([२९] अल-अनकबूत: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّبِعُوْا سَبِيْلَنَا وَلْنَحْمِلْ خَطٰيٰكُمْۗ وَمَا هُمْ بِحَامِلِيْنَ مِنْ خَطٰيٰهُمْ مِّنْ شَيْءٍۗ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ١٢
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उन लोगों से जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- ittabiʿū
- ٱتَّبِعُوا۟
- पैरवी कर
- sabīlanā
- سَبِيلَنَا
- हमारे रास्ते की
- walnaḥmil
- وَلْنَحْمِلْ
- और हम ज़रूर उठा लेंगे
- khaṭāyākum
- خَطَٰيَٰكُمْ
- ख़ताऐं तुम्हारी
- wamā
- وَمَا
- हालाँकि नहीं
- hum
- هُم
- वो
- biḥāmilīna
- بِحَٰمِلِينَ
- उठाने वाले
- min
- مِنْ
- उनकी ख़ताओं में से
- khaṭāyāhum
- خَطَٰيَٰهُم
- उनकी ख़ताओं में से
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍۖ
- कोई चीज़
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
और इनकार करनेवाले ईमान लानेवालों से कहते है, 'तुम हमारे मार्ग पर चलो, हम तुम्हारी ख़ताओं का बोझ उठा लेंगे।' हालाँकि वे उनकी ख़ताओं में से कुछ भी उठानेवाले नहीं है। वे निश्चय ही झूठे है ([२९] अल-अनकबूत: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَيَحْمِلُنَّ اَثْقَالَهُمْ وَاَثْقَالًا مَّعَ اَثْقَالِهِمْ وَلَيُسْـَٔلُنَّ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ عَمَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ࣖ ١٣
- walayaḥmilunna
- وَلَيَحْمِلُنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर उठाऐंगे
- athqālahum
- أَثْقَالَهُمْ
- बोझ अपने
- wa-athqālan
- وَأَثْقَالًا
- और कई बोझ
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- athqālihim
- أَثْقَالِهِمْۖ
- अपने बोझों के
- walayus'alunna
- وَلَيُسْـَٔلُنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर पूछे जाऐंगे
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- ʿammā
- عَمَّا
- उस चीज़ के बारे में जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- वो गढ़ा करते
हाँ, अवश्य ही वे अपने बोझ भी उठाएँगे और अपने बोझों के साथ और बहुत-से बोझ भी। और क़ियामत के दिन अवश्य उनसे उसके विषय में पूछा जाएगा जो कुछ झूठ वे घड़ते रहे होंगे ([२९] अल-अनकबूत: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰى قَوْمِهٖ فَلَبِثَ فِيْهِمْ اَلْفَ سَنَةٍ اِلَّا خَمْسِيْنَ عَامًا ۗفَاَخَذَهُمُ الطُّوْفَانُ وَهُمْ ظٰلِمُوْنَ ١٤
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- nūḥan
- نُوحًا
- नूह को
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उसकी क़ौम के
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- तरफ़ उसकी क़ौम के
- falabitha
- فَلَبِثَ
- तो वो रहा
- fīhim
- فِيهِمْ
- उनमें
- alfa
- أَلْفَ
- एक हज़ार
- sanatin
- سَنَةٍ
- साल
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khamsīna
- خَمْسِينَ
- पचास
- ʿāman
- عَامًا
- साल (कम)
- fa-akhadhahumu
- فَأَخَذَهُمُ
- तो पकड़ लिया उन्हें
- l-ṭūfānu
- ٱلطُّوفَانُ
- तूफ़ान ने
- wahum
- وَهُمْ
- जबकि वे
- ẓālimūna
- ظَٰلِمُونَ
- ज़ालिम थे
हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा। और वह पचास साल कम एक हजार वर्ष उनके बीच रहा। अन्ततः उनको तूफ़ान ने इस दशा में आ पकड़ा कि वे अत्याचारी था ([२९] अल-अनकबूत: 14)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَنْجَيْنٰهُ وَاَصْحٰبَ السَّفِيْنَةِ وَجَعَلْنٰهَآ اٰيَةً لِّلْعٰلَمِيْنَ ١٥
- fa-anjaynāhu
- فَأَنجَيْنَٰهُ
- तो निजात दी हमने उसे
- wa-aṣḥāba
- وَأَصْحَٰبَ
- और कश्ती वालों को
- l-safīnati
- ٱلسَّفِينَةِ
- और कश्ती वालों को
- wajaʿalnāhā
- وَجَعَلْنَٰهَآ
- और बना दिया हमने उसे
- āyatan
- ءَايَةً
- एक निशानी
- lil'ʿālamīna
- لِّلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के लिए
फिर उसको और नौकावालों को हमने बचा लिया और उसे सारे संसार के लिए एक निशानी बना दिया ([२९] अल-अनकबूत: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِبْرٰهِيْمَ اِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ اعْبُدُوا اللّٰهَ وَاتَّقُوْهُ ۗذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ١٦
- wa-ib'rāhīma
- وَإِبْرَٰهِيمَ
- और इब्राहीम को
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِ
- अपनी क़ौम से
- uʿ'budū
- ٱعْبُدُوا۟
- इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wa-ittaqūhu
- وَٱتَّقُوهُۖ
- और डरो उससे
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते
और इबराहीम को भी भेजा, जबकि उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'अल्लाह की बन्दगी करो और उसका डर रखो। यह तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम जानो ([२९] अल-अनकबूत: 16)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَوْثَانًا وَّتَخْلُقُوْنَ اِفْكًا ۗاِنَّ الَّذِيْنَ تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَا يَمْلِكُوْنَ لَكُمْ رِزْقًا فَابْتَغُوْا عِنْدَ اللّٰهِ الرِّزْقَ وَاعْبُدُوْهُ وَاشْكُرُوْا لَهٗ ۗاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ١٧
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- awthānan
- أَوْثَٰنًا
- कुछ बुतों की
- watakhluqūna
- وَتَخْلُقُونَ
- और तुम गढ़ते हो
- if'kan
- إِفْكًاۚ
- झूट
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिनकी
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- lā
- لَا
- नहीं वो मालिक हो सकते
- yamlikūna
- يَمْلِكُونَ
- नहीं वो मालिक हो सकते
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- riz'qan
- رِزْقًا
- रिज़्क़ के
- fa-ib'taghū
- فَٱبْتَغُوا۟
- पस तलाश करो
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के पास
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के पास
- l-riz'qa
- ٱلرِّزْقَ
- रिज़्क़
- wa-uʿ'budūhu
- وَٱعْبُدُوهُ
- और इबादत करो उसकी
- wa-ush'kurū
- وَٱشْكُرُوا۟
- और शुक्र अदा करो
- lahu
- لَهُۥٓۖ
- उसका
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
तुम तो अल्लाह से हटकर बस मूर्तियों को पूज रहे हो और झूठ घड़ रहे हो। तुम अल्लाह से हटकर जिनको पूजते हो वे तुम्हारे लिए रोज़ी का भी अधिकार नहीं रखते। अतः तुम अल्लाह ही के यहाँ रोज़ी तलाश करो और उसी की बन्दगी करो और उसके आभारी बनो। तुम्हें उसी की ओर लौटकर जाना है ([२९] अल-अनकबूत: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ تُكَذِّبُوْا فَقَدْ كَذَّبَ اُمَمٌ مِّنْ قَبْلِكُمْ ۗوَمَا عَلَى الرَّسُوْلِ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِيْنُ ١٨
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tukadhibū
- تُكَذِّبُوا۟
- तुम झुठलाते हो
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- kadhaba
- كَذَّبَ
- झुठलाया
- umamun
- أُمَمٌ
- उम्मतों ने
- min
- مِّن
- जो तुम से पहले थीं
- qablikum
- قَبْلِكُمْۖ
- जो तुम से पहले थीं
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- ʿalā
- عَلَى
- रसूल पर
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- रसूल पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-balāghu
- ٱلْبَلَٰغُ
- पहुँचा देना
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- वाज़ेह तौर पर
और यदि तुम झुठलाते हो तो तुमसे पहले कितने ही समुदाय झुठला चुके है। रसूल पर तो बस केवल स्पष्ट रूप से (सत्य संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है।' ([२९] अल-अनकबूत: 18)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَوْا كَيْفَ يُبْدِئُ اللّٰهُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ ۗاِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌ ١٩
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- yub'di-u
- يُبْدِئُ
- इब्तिदा करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-khalqa
- ٱلْخَلْقَ
- मख़लूक़ की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuʿīduhu
- يُعِيدُهُۥٓۚ
- वो एआदा करेगा उसका
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīrun
- يَسِيرٌ
- बहुत आसान है
क्या उन्होंने देखा नहीं कि अल्लाह किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ करता है और फिर उसकी पुनरावृत्ति करता है? निस्संदेह यह अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है ([२९] अल-अनकबूत: 19)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ سِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَيْفَ بَدَاَ الْخَلْقَ ثُمَّ اللّٰهُ يُنْشِئُ النَّشْاَةَ الْاٰخِرَةَ ۗاِنَّ اللّٰهَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ۚ ٢٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- sīrū
- سِيرُوا۟
- चलो-फिरो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fa-unẓurū
- فَٱنظُرُوا۟
- फिर देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- bada-a
- بَدَأَ
- उसने इब्तिदा की
- l-khalqa
- ٱلْخَلْقَۚ
- मख़लूक़ की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yunshi-u
- يُنشِئُ
- वो उठाएगा
- l-nashata
- ٱلنَّشْأَةَ
- उठाना
- l-ākhirata
- ٱلْءَاخِرَةَۚ
- आख़िरी बार
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखना वाला है
कहो कि, 'धरती में चलो-फिरो और देखो कि उसने किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ किया। फिर अल्लाह पश्चात्वर्ती उठान उठाएगा। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([२९] अल-अनकबूत: 20)Tafseer (तफ़सीर )