اَحَسِبَ النَّاسُ اَنْ يُّتْرَكُوْٓا اَنْ يَّقُوْلُوْٓا اٰمَنَّا وَهُمْ لَا يُفْتَنُوْنَ ٢
- aḥasiba
- أَحَسِبَ
- क्या समझ लिया है
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोगों ने
- an
- أَن
- कि
- yut'rakū
- يُتْرَكُوٓا۟
- वो छोड़ दिए जाऐंगे
- an
- أَن
- ये कि
- yaqūlū
- يَقُولُوٓا۟
- वो कह दें
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- ना वो आज़माए जाऐंगे
- yuf'tanūna
- يُفْتَنُونَ
- ना वो आज़माए जाऐंगे
क्या लोगों ने यह समझ रखा है कि वे इतना कह देने मात्र से छोड़ दिए जाएँगे कि 'हम ईमान लाए' और उनकी परीक्षा न की जाएगी? ([२९] अल-अनकबूत: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ فَتَنَّا الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلَيَعْلَمَنَّ اللّٰهُ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا وَلَيَعْلَمَنَّ الْكٰذِبِيْنَ ٣
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- fatannā
- فَتَنَّا
- आज़माया हमने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِمْۖ
- उनसे पहले थे
- falayaʿlamanna
- فَلَيَعْلَمَنَّ
- पस अलबत्ता ज़रूर जान लेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को जिन्होंने
- ṣadaqū
- صَدَقُوا۟
- सच कहा
- walayaʿlamanna
- وَلَيَعْلَمَنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर जान लेगा
- l-kādhibīna
- ٱلْكَٰذِبِينَ
- झूठों को
हालाँकि हम उन लोगों की परीक्षा कर चुके है जो इनसे पहले गुज़र चुके है। अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा, जो सच्चे है। और वह झूठों को भी मालूम करके रहेगा ([२९] अल-अनकबूत: 3)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ حَسِبَ الَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السَّيِّاٰتِ اَنْ يَّسْبِقُوْنَا ۗسَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ٤
- am
- أَمْ
- या
- ḥasiba
- حَسِبَ
- समझ लिया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- अमल करते हैं
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुरे
- an
- أَن
- कि
- yasbiqūnā
- يَسْبِقُونَاۚ
- वो सबक़त ले जाऐंगे हमसे
- sāa
- سَآءَ
- कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- yaḥkumūna
- يَحْكُمُونَ
- वो फ़ैसला कर रहे हैं
या उन लोगों ने, जो बुरे कर्म करते है, यह समझ रखा है कि वे हमारे क़ाबू से बाहर निकल जाएँगे? बहुत बुरा है जो फ़ैसला वे कर रहे है ([२९] अल-अनकबूत: 4)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ كَانَ يَرْجُوْا لِقَاۤءَ اللّٰهِ فَاِنَّ اَجَلَ اللّٰهِ لَاٰتٍ ۗوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٥
- man
- مَن
- जो कोई
- kāna
- كَانَ
- हो
- yarjū
- يَرْجُوا۟
- उम्मीद रखता
- liqāa
- لِقَآءَ
- अल्लाह से मुलाक़ात की
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से मुलाक़ात की
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- ajala
- أَجَلَ
- मुक़र्ररह वक़्त
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- laātin
- لَءَاتٍۚ
- अलबत्ता आने वाला है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला है
जो व्यक्ति अल्लाह से मिलने का आशा रखता है तो अल्लाह का नियत समय तो आने ही वाला है। और वह सब कुछ सुनता, जानता है ([२९] अल-अनकबूत: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ جَاهَدَ فَاِنَّمَا يُجَاهِدُ لِنَفْسِهٖ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِيٌّ عَنِ الْعٰلَمِيْنَ ٦
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- jāhada
- جَٰهَدَ
- जिहाद करे
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yujāhidu
- يُجَٰهِدُ
- वो जिहाद करता है
- linafsihi
- لِنَفْسِهِۦٓۚ
- अपने नफ़्स के लिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- laghaniyyun
- لَغَنِىٌّ
- अलबत्ता बहुत बेनियाज़ है
- ʿani
- عَنِ
- तमाम जहान वालों से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों से
और जो व्यक्ति (अल्लाह के मार्ग में) संघर्ष करता है वह तो स्वयं अपने ही लिए संघर्ष करता है। निश्चय ही अल्लाह सारे संसार से निस्पृह है ([२९] अल-अनकबूत: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْ وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَحْسَنَ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- lanukaffiranna
- لَنُكَفِّرَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर दूर कर देंगे
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- sayyiātihim
- سَيِّـَٔاتِهِمْ
- बुराइयाँ उनकी
- walanajziyannahum
- وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
- और अलबत्ता हम ज़रूर बदला देंगे उन्हें
- aḥsana
- أَحْسَنَ
- बेहतरीन
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छा कर्म किए हम उनसे उनकी बुराइयों को दूर कर देंगे और उन्हें अवश्य ही उसका प्रतिदान प्रदान करेंगे, जो कुछ अच्छे कर्म वे करते रहे होंगे ([२९] अल-अनकबूत: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَوَصَّيْنَا الْاِنْسَانَ بِوَالِدَيْهِ حُسْنًا ۗوَاِنْ جَاهَدٰكَ لِتُشْرِكَ بِيْ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا ۗاِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٨
- wawaṣṣaynā
- وَوَصَّيْنَا
- और ताकीद की हमने
- l-insāna
- ٱلْإِنسَٰنَ
- इन्सान को
- biwālidayhi
- بِوَٰلِدَيْهِ
- अपने वालिदैन के साथ
- ḥus'nan
- حُسْنًاۖ
- भलाई (करने) की
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- jāhadāka
- جَٰهَدَاكَ
- वो दोनों ज़ोर डालें तुम पर
- litush'rika
- لِتُشْرِكَ
- ताकि तुम शरीक करो
- bī
- بِى
- मेरे साथ
- mā
- مَا
- उसको जो
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- laka
- لَكَ
- तुम्हें
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- ʿil'mun
- عِلْمٌ
- कोई इल्म
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tuṭiʿ'humā
- تُطِعْهُمَآۚ
- तुम इताअत करो उन दोनों की
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी ही तरफ़
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْ
- लौटना है तुम्हारा
- fa-unabbi-ukum
- فَأُنَبِّئُكُم
- तो मैं बताऊँगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल किया करते
और हमने मनुष्यों को अपने माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करने की ताकीद की है। किन्तु यदि वे तुमपर ज़ोर डालें कि तू किसी ऐसी चीज़ को मेरा साक्षी ठहराए, जिसका तुझे कोई ज्ञान नहीं, तो उनकी बात न मान। मेरी ही ओर तुम सबको पलटकर आना है, फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ कुम करते रहे होगे ([२९] अल-अनकबूत: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُدْخِلَنَّهُمْ فِى الصّٰلِحِيْنَ ٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- lanud'khilannahum
- لَنُدْخِلَنَّهُمْ
- अलबत्ता हम ज़रूर दाख़िल करेंगे उन्हें
- fī
- فِى
- नेक लोगों में
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- नेक लोगों में
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए हम उन्हें अवश्य अच्छे लोगों में सम्मिलित करेंगे ([२९] अल-अनकबूत: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّقُوْلُ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ فَاِذَآ اُوْذِيَ فِى اللّٰهِ جَعَلَ فِتْنَةَ النَّاسِ كَعَذَابِ اللّٰهِ ۗوَلَىِٕنْ جَاۤءَ نَصْرٌ مِّنْ رَّبِّكَ لَيَقُوْلُنَّ اِنَّا كُنَّا مَعَكُمْۗ اَوَلَيْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِمَا فِيْ صُدُوْرِ الْعٰلَمِيْنَ ١٠
- wamina
- وَمِنَ
- और लोगों में से कोई है
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और लोगों में से कोई है
- man
- مَن
- जो
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहता है
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- fa-idhā
- فَإِذَآ
- फिर जब
- ūdhiya
- أُوذِىَ
- वो अज़ियत दिया जाता है
- fī
- فِى
- अल्लाह (की राह) में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह (की राह) में
- jaʿala
- جَعَلَ
- वो बना लेता है
- fit'nata
- فِتْنَةَ
- आज़माइश को
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों की
- kaʿadhābi
- كَعَذَابِ
- अल्लाह के आज़ाब की तरह
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के आज़ाब की तरह
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- jāa
- جَآءَ
- आ गई
- naṣrun
- نَصْرٌ
- मदद
- min
- مِّن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से
- layaqūlunna
- لَيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- maʿakum
- مَعَكُمْۚ
- साथ तुम्हारे
- awalaysa
- أَوَلَيْسَ
- क्या भला नहीं
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bi-aʿlama
- بِأَعْلَمَ
- ख़ूब जानता
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- fī
- فِى
- सीनों में है
- ṣudūri
- صُدُورِ
- सीनों में है
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के
लोगों में ऐसे भी है जो कहते है कि 'हम अल्लाह पर ईमान लाए,' किन्तु जब अल्लाह के मामले में वे सताए गए तो उन्होंने लोगों की ओर से आई हुई आज़माइश को अल्लाह की यातना समझ लिया। अब यदि तेरे रब की ओर से सहायता पहुँच गई तो कहेंगे, 'हम तो तुम्हारे साथ थे।' क्या जो कुछ दुनियावालों के सीनों में है उसे अल्लाह भली-भाँति नहीं जानता? ([२९] अल-अनकबूत: 10)Tafseer (तफ़सीर )