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सूरा अल-अनकबूत - शब्द द्वारा शब्द

Al-'Ankabut

(मकड़ी)

bismillaahirrahmaanirrahiim

الۤمّۤ ۗ ١

alif-lam-meem
الٓمٓ
ا ل م
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ ([२९] अल-अनकबूत: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

اَحَسِبَ النَّاسُ اَنْ يُّتْرَكُوْٓا اَنْ يَّقُوْلُوْٓا اٰمَنَّا وَهُمْ لَا يُفْتَنُوْنَ ٢

aḥasiba
أَحَسِبَ
क्या समझ लिया है
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोगों ने
an
أَن
कि
yut'rakū
يُتْرَكُوٓا۟
वो छोड़ दिए जाऐंगे
an
أَن
ये कि
yaqūlū
يَقُولُوٓا۟
वो कह दें
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
ना वो आज़माए जाऐंगे
yuf'tanūna
يُفْتَنُونَ
ना वो आज़माए जाऐंगे
क्या लोगों ने यह समझ रखा है कि वे इतना कह देने मात्र से छोड़ दिए जाएँगे कि 'हम ईमान लाए' और उनकी परीक्षा न की जाएगी? ([२९] अल-अनकबूत: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَقَدْ فَتَنَّا الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلَيَعْلَمَنَّ اللّٰهُ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا وَلَيَعْلَمَنَّ الْكٰذِبِيْنَ ٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
fatannā
فَتَنَّا
आज़माया हमने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۖ
उनसे पहले थे
falayaʿlamanna
فَلَيَعْلَمَنَّ
पस अलबत्ता ज़रूर जान लेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को जिन्होंने
ṣadaqū
صَدَقُوا۟
सच कहा
walayaʿlamanna
وَلَيَعْلَمَنَّ
और अलबत्ता वो ज़रूर जान लेगा
l-kādhibīna
ٱلْكَٰذِبِينَ
झूठों को
हालाँकि हम उन लोगों की परीक्षा कर चुके है जो इनसे पहले गुज़र चुके है। अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा, जो सच्चे है। और वह झूठों को भी मालूम करके रहेगा ([२९] अल-अनकबूत: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

اَمْ حَسِبَ الَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السَّيِّاٰتِ اَنْ يَّسْبِقُوْنَا ۗسَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ٤

am
أَمْ
या
ḥasiba
حَسِبَ
समझ लिया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
अमल करते हैं
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुरे
an
أَن
कि
yasbiqūnā
يَسْبِقُونَاۚ
वो सबक़त ले जाऐंगे हमसे
sāa
سَآءَ
कितना बुरा है
مَا
जो
yaḥkumūna
يَحْكُمُونَ
वो फ़ैसला कर रहे हैं
या उन लोगों ने, जो बुरे कर्म करते है, यह समझ रखा है कि वे हमारे क़ाबू से बाहर निकल जाएँगे? बहुत बुरा है जो फ़ैसला वे कर रहे है ([२९] अल-अनकबूत: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

مَنْ كَانَ يَرْجُوْا لِقَاۤءَ اللّٰهِ فَاِنَّ اَجَلَ اللّٰهِ لَاٰتٍ ۗوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٥

man
مَن
जो कोई
kāna
كَانَ
हो
yarjū
يَرْجُوا۟
उम्मीद रखता
liqāa
لِقَآءَ
अल्लाह से मुलाक़ात की
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से मुलाक़ात की
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
ajala
أَجَلَ
मुक़र्ररह वक़्त
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
laātin
لَءَاتٍۚ
अलबत्ता आने वाला है
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है
जो व्यक्ति अल्लाह से मिलने का आशा रखता है तो अल्लाह का नियत समय तो आने ही वाला है। और वह सब कुछ सुनता, जानता है ([२९] अल-अनकबूत: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَمَنْ جَاهَدَ فَاِنَّمَا يُجَاهِدُ لِنَفْسِهٖ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِيٌّ عَنِ الْعٰلَمِيْنَ ٦

waman
وَمَن
और जो कोई
jāhada
جَٰهَدَ
जिहाद करे
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yujāhidu
يُجَٰهِدُ
वो जिहाद करता है
linafsihi
لِنَفْسِهِۦٓۚ
अपने नफ़्स के लिए
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laghaniyyun
لَغَنِىٌّ
अलबत्ता बहुत बेनियाज़ है
ʿani
عَنِ
तमाम जहान वालों से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों से
और जो व्यक्ति (अल्लाह के मार्ग में) संघर्ष करता है वह तो स्वयं अपने ही लिए संघर्ष करता है। निश्चय ही अल्लाह सारे संसार से निस्पृह है ([२९] अल-अनकबूत: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّاٰتِهِمْ وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَحْسَنَ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٧

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
lanukaffiranna
لَنُكَفِّرَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर दूर कर देंगे
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
sayyiātihim
سَيِّـَٔاتِهِمْ
बुराइयाँ उनकी
walanajziyannahum
وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
और अलबत्ता हम ज़रूर बदला देंगे उन्हें
aḥsana
أَحْسَنَ
बेहतरीन
alladhī
ٱلَّذِى
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छा कर्म किए हम उनसे उनकी बुराइयों को दूर कर देंगे और उन्हें अवश्य ही उसका प्रतिदान प्रदान करेंगे, जो कुछ अच्छे कर्म वे करते रहे होंगे ([२९] अल-अनकबूत: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَوَصَّيْنَا الْاِنْسَانَ بِوَالِدَيْهِ حُسْنًا ۗوَاِنْ جَاهَدٰكَ لِتُشْرِكَ بِيْ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا ۗاِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٨

wawaṣṣaynā
وَوَصَّيْنَا
और ताकीद की हमने
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
biwālidayhi
بِوَٰلِدَيْهِ
अपने वालिदैन के साथ
ḥus'nan
حُسْنًاۖ
भलाई (करने) की
wa-in
وَإِن
और अगर
jāhadāka
جَٰهَدَاكَ
वो दोनों ज़ोर डालें तुम पर
litush'rika
لِتُشْرِكَ
ताकि तुम शरीक करो
بِى
मेरे साथ
مَا
उसको जो
laysa
لَيْسَ
नहीं है
laka
لَكَ
तुम्हें
bihi
بِهِۦ
जिसका
ʿil'mun
عِلْمٌ
कोई इल्म
falā
فَلَا
तो ना
tuṭiʿ'humā
تُطِعْهُمَآۚ
तुम इताअत करो उन दोनों की
ilayya
إِلَىَّ
मेरी ही तरफ़
marjiʿukum
مَرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
fa-unabbi-ukum
فَأُنَبِّئُكُم
तो मैं बताऊँगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल किया करते
और हमने मनुष्यों को अपने माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करने की ताकीद की है। किन्तु यदि वे तुमपर ज़ोर डालें कि तू किसी ऐसी चीज़ को मेरा साक्षी ठहराए, जिसका तुझे कोई ज्ञान नहीं, तो उनकी बात न मान। मेरी ही ओर तुम सबको पलटकर आना है, फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ कुम करते रहे होगे ([२९] अल-अनकबूत: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَنُدْخِلَنَّهُمْ فِى الصّٰلِحِيْنَ ٩

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
lanud'khilannahum
لَنُدْخِلَنَّهُمْ
अलबत्ता हम ज़रूर दाख़िल करेंगे उन्हें
فِى
नेक लोगों में
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
नेक लोगों में
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए हम उन्हें अवश्य अच्छे लोगों में सम्मिलित करेंगे ([२९] अल-अनकबूत: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَّقُوْلُ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ فَاِذَآ اُوْذِيَ فِى اللّٰهِ جَعَلَ فِتْنَةَ النَّاسِ كَعَذَابِ اللّٰهِ ۗوَلَىِٕنْ جَاۤءَ نَصْرٌ مِّنْ رَّبِّكَ لَيَقُوْلُنَّ اِنَّا كُنَّا مَعَكُمْۗ اَوَلَيْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِمَا فِيْ صُدُوْرِ الْعٰلَمِيْنَ ١٠

wamina
وَمِنَ
और लोगों में से कोई है
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
और लोगों में से कोई है
man
مَن
जो
yaqūlu
يَقُولُ
कहता है
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
fa-idhā
فَإِذَآ
फिर जब
ūdhiya
أُوذِىَ
वो अज़ियत दिया जाता है
فِى
अल्लाह (की राह) में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह (की राह) में
jaʿala
جَعَلَ
वो बना लेता है
fit'nata
فِتْنَةَ
आज़माइश को
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों की
kaʿadhābi
كَعَذَابِ
अल्लाह के आज़ाब की तरह
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के आज़ाब की तरह
wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
jāa
جَآءَ
आ गई
naṣrun
نَصْرٌ
मदद
min
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
layaqūlunna
لَيَقُولُنَّ
अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
innā
إِنَّا
बेशक हम
kunnā
كُنَّا
थे हम
maʿakum
مَعَكُمْۚ
साथ तुम्हारे
awalaysa
أَوَلَيْسَ
क्या भला नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bi-aʿlama
بِأَعْلَمَ
ख़ूब जानता
bimā
بِمَا
उसे जो
فِى
सीनों में है
ṣudūri
صُدُورِ
सीनों में है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों के
लोगों में ऐसे भी है जो कहते है कि 'हम अल्लाह पर ईमान लाए,' किन्तु जब अल्लाह के मामले में वे सताए गए तो उन्होंने लोगों की ओर से आई हुई आज़माइश को अल्लाह की यातना समझ लिया। अब यदि तेरे रब की ओर से सहायता पहुँच गई तो कहेंगे, 'हम तो तुम्हारे साथ थे।' क्या जो कुछ दुनियावालों के सीनों में है उसे अल्लाह भली-भाँति नहीं जानता? ([२९] अल-अनकबूत: 10)
Tafseer (तफ़सीर )