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सूरा अल-क़सस - Page: 9

Al-Qasas

(कहानियाँ)

८१

فَخَسَفْنَا بِهٖ وَبِدَارِهِ الْاَرْضَ ۗفَمَا كَانَ لَهٗ مِنْ فِئَةٍ يَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۖوَمَا كَانَ مِنَ الْمُنْتَصِرِيْنَ ٨١

fakhasafnā
فَخَسَفْنَا
पस धँसा दिया हमने
bihi
بِهِۦ
उसे
wabidārihi
وَبِدَارِهِ
और उसके घर को
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन में
famā
فَمَا
तो ना
kāna
كَانَ
था
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِن
कोई गिरोह
fi-atin
فِئَةٍ
कोई गिरोह
yanṣurūnahu
يَنصُرُونَهُۥ
जो मदद करता उसकी
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
था वो
mina
مِنَ
बदला लेने वालों में से
l-muntaṣirīna
ٱلْمُنتَصِرِينَ
बदला लेने वालों में से
अन्ततः हमने उसको और उसके घर को धरती में धँसा दिया। और कोई ऐसा गिरोह न हुआ जो अल्लाह के मुक़ाबले में उसकी सहायता करता, और न वह स्वयं अपना बचाव कर सका ([२८] अल-क़सस: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

وَاَصْبَحَ الَّذِيْنَ تَمَنَّوْا مَكَانَهٗ بِالْاَمْسِ يَقُوْلُوْنَ وَيْكَاَنَّ اللّٰهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَيَقْدِرُۚ لَوْلَآ اَنْ مَّنَّ اللّٰهُ عَلَيْنَا لَخَسَفَ بِنَا ۗوَيْكَاَنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الْكٰفِرُوْنَ ࣖ ٨٢

wa-aṣbaḥa
وَأَصْبَحَ
और सुबह की
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
tamannaw
تَمَنَّوْا۟
तमन्ना कर रहे थे
makānahu
مَكَانَهُۥ
उसके मक़ाम की
bil-amsi
بِٱلْأَمْسِ
कल तक
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कह रहे थे
wayka-anna
وَيْكَأَنَّ
अफ़सोस,बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yabsuṭu
يَبْسُطُ
वो फैला देता है
l-riz'qa
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों में से
wayaqdiru
وَيَقْدِرُۖ
और वो तंग कर देता है
lawlā
لَوْلَآ
अगर ना होता
an
أَن
ये कि
manna
مَّنَّ
एहसान करता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
lakhasafa
لَخَسَفَ
अलबत्ता वो धँसा देता
binā
بِنَاۖ
हमें (भी)
wayka-annahu
وَيْكَأَنَّهُۥ
अफ़सोस, बेशक वो
لَا
नहीं वो फ़लाह पाते
yuf'liḥu
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाते
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
जो काफ़िर हैं
अब वही लोग, जो कल उसके पद की कामना कर रहे थे, कहने लगें, 'अफ़सोस हम भूल गए थे कि अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि अल्लाह ने हमपर उपकार न किया होता तो हमें भी धँसा देता। अफ़सोस हम भूल गए थे कि इनकार करनेवाले सफल नहीं हुआ करते।' ([२८] अल-क़सस: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

تِلْكَ الدَّارُ الْاٰخِرَةُ نَجْعَلُهَا لِلَّذِيْنَ لَا يُرِيْدُوْنَ عُلُوًّا فِى الْاَرْضِ وَلَا فَسَادًا ۗوَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِيْنَ ٨٣

til'ka
تِلْكَ
ये है
l-dāru
ٱلدَّارُ
घर
l-ākhiratu
ٱلْءَاخِرَةُ
आख़िरत का
najʿaluhā
نَجْعَلُهَا
हम बनाते हैं उसे
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
لَا
नहीं वो चाहते
yurīdūna
يُرِيدُونَ
नहीं वो चाहते
ʿuluwwan
عُلُوًّا
बुलन्दी
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
walā
وَلَا
और ना
fasādan
فَسَادًاۚ
फ़साद
wal-ʿāqibatu
وَٱلْعَٰقِبَةُ
और अंजाम
lil'muttaqīna
لِلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के लिए है
आख़िरत का घर हम उन लोगों के लिए ख़ास कर देंगे जो न धरती में अपनी बड़ाई चाहते है और न बिगाड़। परिणाम तो अन्ततः डर रखनेवालों के पक्ष में है ([२८] अल-क़सस: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

مَنْ جَاۤءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ خَيْرٌ مِّنْهَاۚ وَمَنْ جَاۤءَ بِالسَّيِّئَةِ فَلَا يُجْزَى الَّذِيْنَ عَمِلُوا السَّيِّاٰتِ اِلَّا مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٨٤

man
مَن
जो कोई
jāa
جَآءَ
लाया
bil-ḥasanati
بِٱلْحَسَنَةِ
भलाई
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए है
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर
min'hā
مِّنْهَاۖ
उससे
waman
وَمَن
और जो कोई
jāa
جَآءَ
लाया
bil-sayi-ati
بِٱلسَّيِّئَةِ
बुराई
falā
فَلَا
तो नहीं
yuj'zā
يُجْزَى
वो बदला दिए जाऐंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
ʿamilū
عَمِلُوا۟
अमल किए
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुरे
illā
إِلَّا
मगर
مَا
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
जो कोई अच्छा आचारण लेकर आया उसे उससे उत्तम प्राप्त होगा, और जो बुरा आचरण लेकर आया तो बुराइयाँ करनेवालों को तो वस वही मिलेगा जो वे करते थे ([२८] अल-क़सस: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

اِنَّ الَّذِيْ فَرَضَ عَلَيْكَ الْقُرْاٰنَ لَرَاۤدُّكَ اِلٰى مَعَادٍ ۗقُلْ رَّبِّيْٓ اَعْلَمُ مَنْ جَاۤءَ بِالْهُدٰى وَمَنْ هُوَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٨٥

inna
إِنَّ
बेशक
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
faraḍa
فَرَضَ
फ़र्ज़ किया
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
l-qur'āna
ٱلْقُرْءَانَ
क़ुरान को
larādduka
لَرَآدُّكَ
अलबत्ता फेर ले जाने वाला है आपको
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ लौटने की जगह के
maʿādin
مَعَادٍۚ
तरफ़ लौटने की जगह के
qul
قُل
कह दीजिए
rabbī
رَّبِّىٓ
मेरा रब
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
man
مَن
उसे जो
jāa
جَآءَ
लाया
bil-hudā
بِٱلْهُدَىٰ
हिदायत को
waman
وَمَنْ
और उसे जो
huwa
هُوَ
हो वो
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली
जिसने इस क़ुरआन की ज़िम्मेदारी तुमपर डाली है, वह तुम्हें उसके (अच्छे) अंजाम तक ज़रूर पहुँचाएगा। कहो, 'मेरा रब उसे भली-भाँति जानता है जो मार्गदर्शन लेकर आया, और उसे भी जो खुली गुमराही में पड़ा है।' ([२८] अल-क़सस: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

وَمَا كُنْتَ تَرْجُوْٓا اَنْ يُّلْقٰٓى اِلَيْكَ الْكِتٰبُ اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ ظَهِيْرًا لِّلْكٰفِرِيْنَ ۖ ٨٦

wamā
وَمَا
और ना
kunta
كُنتَ
थे आप
tarjū
تَرْجُوٓا۟
आप उम्मीद रखते
an
أَن
कि
yul'qā
يُلْقَىٰٓ
इल्क़ा की जाएगी
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
l-kitābu
ٱلْكِتَٰبُ
किताब
illā
إِلَّا
मगर
raḥmatan
رَحْمَةً
रहमत है
min
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَۖ
आपके रब की तरफ़ से
falā
فَلَا
पस हरगिज़ ना हों आप
takūnanna
تَكُونَنَّ
पस हरगिज़ ना हों आप
ẓahīran
ظَهِيرًا
मददगार
lil'kāfirīna
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के
तुम तो इसकी आशा नहीं रखते थे कि तुम्हारी ओर किताब उतारी जाएगी। इसकी संभावना तो केवल तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुई। अतः तुम इनकार करनेवालों के पृष्ठपोषक न बनो ([२८] अल-क़सस: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

وَلَا يَصُدُّنَّكَ عَنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ بَعْدَ اِذْ اُنْزِلَتْ اِلَيْكَ وَادْعُ اِلٰى رَبِّكَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ۚ ٨٧

walā
وَلَا
और ना
yaṣuddunnaka
يَصُدُّنَّكَ
वो हरगिज़ रोकें आपको
ʿan
عَنْ
आयात से
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
baʿda
بَعْدَ
बाद इसके कि
idh
إِذْ
जब
unzilat
أُنزِلَتْ
वो नाज़िल की गईं
ilayka
إِلَيْكَۖ
आपकी तरफ़
wa-ud'ʿu
وَٱدْعُ
और दावत दीजिए
ilā
إِلَىٰ
अपने रब की तरफ़
rabbika
رَبِّكَۖ
अपने रब की तरफ़
walā
وَلَا
और हरगिज़ ना हों आप
takūnanna
تَكُونَنَّ
और हरगिज़ ना हों आप
mina
مِنَ
मुशरिकों में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकों में से
और वे तुम्हें अल्लाह की आयतों से रोक न पाएँ, इसके पश्चात कि वे तुमपर अवतरित हो चुकी है। और अपने रब की ओर बुलाओ और बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना ([२८] अल-क़सस: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

وَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَۘ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۗ كُلُّ شَيْءٍ هَالِكٌ اِلَّا وَجْهَهٗ ۗ لَهُ الْحُكْمُ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ࣖ ٨٨

walā
وَلَا
और ना
tadʿu
تَدْعُ
आप पुकारिए
maʿa
مَعَ
साथ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ilāhan
إِلَٰهًا
कोई इलाह
ākhara
ءَاخَرَۘ
दूसरा
لَآ
नहीं कोई इलाह(बरहक़)
ilāha
إِلَٰهَ
नहीं कोई इलाह(बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۚ
वो ही
kullu
كُلُّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़
hālikun
هَالِكٌ
हलाक होने वाली है
illā
إِلَّا
सिवाए
wajhahu
وَجْهَهُۥۚ
उसके चेहरे के
lahu
لَهُ
उसी के लिए है
l-ḥuk'mu
ٱلْحُكْمُ
हुक्म
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और उसी की तरफ़
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम पलटाए जाओगे
और अल्लाह के साथ किसी और इष्ट-पूज्य को न पुकारना। उसके सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। हर चीज़ नाशवान है सिवास उसके स्वरूप के। फ़ैसला और आदेश का अधिकार उसी को प्राप्त है और उसी की ओर तुम सबको लौटकर जाना है ([२८] अल-क़सस: 88)
Tafseer (तफ़सीर )