فَخَسَفْنَا بِهٖ وَبِدَارِهِ الْاَرْضَ ۗفَمَا كَانَ لَهٗ مِنْ فِئَةٍ يَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۖوَمَا كَانَ مِنَ الْمُنْتَصِرِيْنَ ٨١
- fakhasafnā
- فَخَسَفْنَا
- पस धँसा दिया हमने
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- wabidārihi
- وَبِدَارِهِ
- और उसके घर को
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन में
- famā
- فَمَا
- तो ना
- kāna
- كَانَ
- था
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- कोई गिरोह
- fi-atin
- فِئَةٍ
- कोई गिरोह
- yanṣurūnahu
- يَنصُرُونَهُۥ
- जो मदद करता उसकी
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- था वो
- mina
- مِنَ
- बदला लेने वालों में से
- l-muntaṣirīna
- ٱلْمُنتَصِرِينَ
- बदला लेने वालों में से
अन्ततः हमने उसको और उसके घर को धरती में धँसा दिया। और कोई ऐसा गिरोह न हुआ जो अल्लाह के मुक़ाबले में उसकी सहायता करता, और न वह स्वयं अपना बचाव कर सका ([२८] अल-क़सस: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَصْبَحَ الَّذِيْنَ تَمَنَّوْا مَكَانَهٗ بِالْاَمْسِ يَقُوْلُوْنَ وَيْكَاَنَّ اللّٰهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَيَقْدِرُۚ لَوْلَآ اَنْ مَّنَّ اللّٰهُ عَلَيْنَا لَخَسَفَ بِنَا ۗوَيْكَاَنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الْكٰفِرُوْنَ ࣖ ٨٢
- wa-aṣbaḥa
- وَأَصْبَحَ
- और सुबह की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जो
- tamannaw
- تَمَنَّوْا۟
- तमन्ना कर रहे थे
- makānahu
- مَكَانَهُۥ
- उसके मक़ाम की
- bil-amsi
- بِٱلْأَمْسِ
- कल तक
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कह रहे थे
- wayka-anna
- وَيْكَأَنَّ
- अफ़सोस,बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yabsuṭu
- يَبْسُطُ
- वो फैला देता है
- l-riz'qa
- ٱلرِّزْقَ
- रिज़्क़
- liman
- لِمَن
- जिसके लिए
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों में से
- wayaqdiru
- وَيَقْدِرُۖ
- और वो तंग कर देता है
- lawlā
- لَوْلَآ
- अगर ना होता
- an
- أَن
- ये कि
- manna
- مَّنَّ
- एहसान करता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- lakhasafa
- لَخَسَفَ
- अलबत्ता वो धँसा देता
- binā
- بِنَاۖ
- हमें (भी)
- wayka-annahu
- وَيْكَأَنَّهُۥ
- अफ़सोस, बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो फ़लाह पाते
- yuf'liḥu
- يُفْلِحُ
- नहीं वो फ़लाह पाते
- l-kāfirūna
- ٱلْكَٰفِرُونَ
- जो काफ़िर हैं
अब वही लोग, जो कल उसके पद की कामना कर रहे थे, कहने लगें, 'अफ़सोस हम भूल गए थे कि अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि अल्लाह ने हमपर उपकार न किया होता तो हमें भी धँसा देता। अफ़सोस हम भूल गए थे कि इनकार करनेवाले सफल नहीं हुआ करते।' ([२८] अल-क़सस: 82)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ الدَّارُ الْاٰخِرَةُ نَجْعَلُهَا لِلَّذِيْنَ لَا يُرِيْدُوْنَ عُلُوًّا فِى الْاَرْضِ وَلَا فَسَادًا ۗوَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِيْنَ ٨٣
- til'ka
- تِلْكَ
- ये है
- l-dāru
- ٱلدَّارُ
- घर
- l-ākhiratu
- ٱلْءَاخِرَةُ
- आख़िरत का
- najʿaluhā
- نَجْعَلُهَا
- हम बनाते हैं उसे
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- lā
- لَا
- नहीं वो चाहते
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- नहीं वो चाहते
- ʿuluwwan
- عُلُوًّا
- बुलन्दी
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- walā
- وَلَا
- और ना
- fasādan
- فَسَادًاۚ
- फ़साद
- wal-ʿāqibatu
- وَٱلْعَٰقِبَةُ
- और अंजाम
- lil'muttaqīna
- لِلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए है
आख़िरत का घर हम उन लोगों के लिए ख़ास कर देंगे जो न धरती में अपनी बड़ाई चाहते है और न बिगाड़। परिणाम तो अन्ततः डर रखनेवालों के पक्ष में है ([२८] अल-क़सस: 83)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ جَاۤءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ خَيْرٌ مِّنْهَاۚ وَمَنْ جَاۤءَ بِالسَّيِّئَةِ فَلَا يُجْزَى الَّذِيْنَ عَمِلُوا السَّيِّاٰتِ اِلَّا مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٨٤
- man
- مَن
- जो कोई
- jāa
- جَآءَ
- लाया
- bil-ḥasanati
- بِٱلْحَسَنَةِ
- भलाई
- falahu
- فَلَهُۥ
- तो उसके लिए है
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर
- min'hā
- مِّنْهَاۖ
- उससे
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- jāa
- جَآءَ
- लाया
- bil-sayi-ati
- بِٱلسَّيِّئَةِ
- बुराई
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- yuj'zā
- يُجْزَى
- वो बदला दिए जाऐंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- अमल किए
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुरे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
जो कोई अच्छा आचारण लेकर आया उसे उससे उत्तम प्राप्त होगा, और जो बुरा आचरण लेकर आया तो बुराइयाँ करनेवालों को तो वस वही मिलेगा जो वे करते थे ([२८] अल-क़सस: 84)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْ فَرَضَ عَلَيْكَ الْقُرْاٰنَ لَرَاۤدُّكَ اِلٰى مَعَادٍ ۗقُلْ رَّبِّيْٓ اَعْلَمُ مَنْ جَاۤءَ بِالْهُدٰى وَمَنْ هُوَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٨٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- faraḍa
- فَرَضَ
- फ़र्ज़ किया
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरान को
- larādduka
- لَرَآدُّكَ
- अलबत्ता फेर ले जाने वाला है आपको
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ लौटने की जगह के
- maʿādin
- مَعَادٍۚ
- तरफ़ लौटने की जगह के
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- rabbī
- رَّبِّىٓ
- मेरा रब
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ख़ूब जानता है
- man
- مَن
- उसे जो
- jāa
- جَآءَ
- लाया
- bil-hudā
- بِٱلْهُدَىٰ
- हिदायत को
- waman
- وَمَنْ
- और उसे जो
- huwa
- هُوَ
- हो वो
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली
जिसने इस क़ुरआन की ज़िम्मेदारी तुमपर डाली है, वह तुम्हें उसके (अच्छे) अंजाम तक ज़रूर पहुँचाएगा। कहो, 'मेरा रब उसे भली-भाँति जानता है जो मार्गदर्शन लेकर आया, और उसे भी जो खुली गुमराही में पड़ा है।' ([२८] अल-क़सस: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كُنْتَ تَرْجُوْٓا اَنْ يُّلْقٰٓى اِلَيْكَ الْكِتٰبُ اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ ظَهِيْرًا لِّلْكٰفِرِيْنَ ۖ ٨٦
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kunta
- كُنتَ
- थे आप
- tarjū
- تَرْجُوٓا۟
- आप उम्मीद रखते
- an
- أَن
- कि
- yul'qā
- يُلْقَىٰٓ
- इल्क़ा की जाएगी
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- l-kitābu
- ٱلْكِتَٰبُ
- किताब
- illā
- إِلَّا
- मगर
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत है
- min
- مِّن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَۖ
- आपके रब की तरफ़ से
- falā
- فَلَا
- पस हरगिज़ ना हों आप
- takūnanna
- تَكُونَنَّ
- पस हरगिज़ ना हों आप
- ẓahīran
- ظَهِيرًا
- मददगार
- lil'kāfirīna
- لِّلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के
तुम तो इसकी आशा नहीं रखते थे कि तुम्हारी ओर किताब उतारी जाएगी। इसकी संभावना तो केवल तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुई। अतः तुम इनकार करनेवालों के पृष्ठपोषक न बनो ([२८] अल-क़सस: 86)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا يَصُدُّنَّكَ عَنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ بَعْدَ اِذْ اُنْزِلَتْ اِلَيْكَ وَادْعُ اِلٰى رَبِّكَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ۚ ٨٧
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaṣuddunnaka
- يَصُدُّنَّكَ
- वो हरगिज़ रोकें आपको
- ʿan
- عَنْ
- आयात से
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद इसके कि
- idh
- إِذْ
- जब
- unzilat
- أُنزِلَتْ
- वो नाज़िल की गईं
- ilayka
- إِلَيْكَۖ
- आपकी तरफ़
- wa-ud'ʿu
- وَٱدْعُ
- और दावत दीजिए
- ilā
- إِلَىٰ
- अपने रब की तरफ़
- rabbika
- رَبِّكَۖ
- अपने रब की तरफ़
- walā
- وَلَا
- और हरगिज़ ना हों आप
- takūnanna
- تَكُونَنَّ
- और हरगिज़ ना हों आप
- mina
- مِنَ
- मुशरिकों में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकों में से
और वे तुम्हें अल्लाह की आयतों से रोक न पाएँ, इसके पश्चात कि वे तुमपर अवतरित हो चुकी है। और अपने रब की ओर बुलाओ और बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना ([२८] अल-क़सस: 87)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَۘ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۗ كُلُّ شَيْءٍ هَالِكٌ اِلَّا وَجْهَهٗ ۗ لَهُ الْحُكْمُ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ࣖ ٨٨
- walā
- وَلَا
- और ना
- tadʿu
- تَدْعُ
- आप पुकारिए
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- कोई इलाह
- ākhara
- ءَاخَرَۘ
- दूसरा
- lā
- لَآ
- नहीं कोई इलाह(बरहक़)
- ilāha
- إِلَٰهَ
- नहीं कोई इलाह(बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۚ
- वो ही
- kullu
- كُلُّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़
- hālikun
- هَالِكٌ
- हलाक होने वाली है
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- wajhahu
- وَجْهَهُۥۚ
- उसके चेहरे के
- lahu
- لَهُ
- उसी के लिए है
- l-ḥuk'mu
- ٱلْحُكْمُ
- हुक्म
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और उसी की तरफ़
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम पलटाए जाओगे
और अल्लाह के साथ किसी और इष्ट-पूज्य को न पुकारना। उसके सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। हर चीज़ नाशवान है सिवास उसके स्वरूप के। फ़ैसला और आदेश का अधिकार उसी को प्राप्त है और उसी की ओर तुम सबको लौटकर जाना है ([२८] अल-क़सस: 88)Tafseer (तफ़सीर )