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सूरा अल-क़सस - Page: 7

Al-Qasas

(कहानियाँ)

६१

اَفَمَنْ وَّعَدْنٰهُ وَعْدًا حَسَنًا فَهُوَ لَاقِيْهِ كَمَنْ مَّتَّعْنٰهُ مَتَاعَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ثُمَّ هُوَ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ مِنَ الْمُحْضَرِيْنَ ٦١

afaman
أَفَمَن
क्या भला वो जो
waʿadnāhu
وَعَدْنَٰهُ
वादा किया हमने उससे
waʿdan
وَعْدًا
वादा
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छा
fahuwa
فَهُوَ
फिर वो
lāqīhi
لَٰقِيهِ
पाने वाला है उसे
kaman
كَمَن
मानिन्द उसके हो सकता है
mattaʿnāhu
مَّتَّعْنَٰهُ
सामान दिया हमने जिसे
matāʿa
مَتَٰعَ
सामान
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी का
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
thumma
ثُمَّ
फिर
huwa
هُوَ
वो
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
mina
مِنَ
हाज़िर किए जाने वालों में से होगा
l-muḥ'ḍarīna
ٱلْمُحْضَرِينَ
हाज़िर किए जाने वालों में से होगा
भला वह व्यक्ति जिससे हमने अच्छा वादा किया है और वह उसे पानेवाला भी हो, वह उस व्यक्ति की तरह हो सकता है जिसे हमने सांसारिक जीवन की सामग्री दे दी हो, फिर वह क़ियामत के दिन पकड़कर पेश किया जानेवाला हो? ([२८] अल-क़सस: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

وَيَوْمَ يُنَادِيْهِمْ فَيَقُوْلُ اَيْنَ شُرَكَاۤءِيَ الَّذِيْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ٦٢

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yunādīhim
يُنَادِيهِمْ
वो पुकारेगा उन्हें
fayaqūlu
فَيَقُولُ
फिर वो फ़रमायेगा
ayna
أَيْنَ
कहाँ हैं
shurakāiya
شُرَكَآءِىَ
शरीक मेरे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिनका
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
tazʿumūna
تَزْعُمُونَ
तुम गुमान रखते
ख़याल करो जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा और कहेगा, 'कहाँ है मेरे वे साझीदार जिनका तुम्हें दावा था?' ([२८] अल-क़सस: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

قَالَ الَّذِيْنَ حَقَّ عَلَيْهِمُ الْقَوْلُ رَبَّنَا هٰٓؤُلَاۤءِ الَّذِيْنَ اَغْوَيْنَاۚ اَغْوَيْنٰهُمْ كَمَا غَوَيْنَاۚ تَبَرَّأْنَآ اِلَيْكَ مَا كَانُوْٓا اِيَّانَا يَعْبُدُوْنَ ٦٣

qāla
قَالَ
कहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग
ḥaqqa
حَقَّ
सच होगई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्हें
aghwaynā
أَغْوَيْنَآ
गुमराह किया हमने
aghwaynāhum
أَغْوَيْنَٰهُمْ
गुमराह किया था हमने उन्हें
kamā
كَمَا
जैसा कि
ghawaynā
غَوَيْنَاۖ
गुमराह हुए हम
tabarranā
تَبَرَّأْنَآ
इज़हारे बराअत करते हैं हम(उनसे)
ilayka
إِلَيْكَۖ
तेरे सामने
مَا
ना
kānū
كَانُوٓا۟
थे वो
iyyānā
إِيَّانَا
सिर्फ़ हमारी ही
yaʿbudūna
يَعْبُدُونَ
वो इबादत करते
जिनपर बात पूरी हो चुकी होगी, वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! ये वे लोग है जिन्हें हमने बहका दिया था। जैसे हम स्वयं बहके थे, इन्हें भी बहकाया। हमने तेरे आगे स्पष्ट कर दिया कि इनसे हमारा कोई सम्बन्ध नहीं। ये हमारी बन्दगी तो करते नहीं थे?' ([२८] अल-क़सस: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

وَقِيْلَ ادْعُوْا شُرَكَاۤءَكُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَهُمْ ۗوَرَاَوُا الْعَذَابَۚ لَوْ اَنَّهُمْ كَانُوْا يَهْتَدُوْنَ ٦٤

waqīla
وَقِيلَ
और कहा जाएगा
id'ʿū
ٱدْعُوا۟
पुकारो
shurakāakum
شُرَكَآءَكُمْ
अपने शरीकों को
fadaʿawhum
فَدَعَوْهُمْ
तो वो पुकारेंगे उन्हें
falam
فَلَمْ
फिर ना
yastajībū
يَسْتَجِيبُوا۟
वो जवाब देंगे
lahum
لَهُمْ
उन्हें
wara-awū
وَرَأَوُا۟
और वो देख लेंगे
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَۚ
अज़ाब को
law
لَوْ
काश
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
होते वो
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
वो हिदायत पाते
कहा जाएगा, 'पुकारो, अपने ठहराए हुए साझीदारों को!' तो वे उन्हें पुकारेंगे, किन्तु वे उनको कोई उत्तर न देंगे। और वे यातना देखकर रहेंगे। काश वे मार्ग पानेवाले होते! ([२८] अल-क़सस: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

وَيَوْمَ يُنَادِيْهِمْ فَيَقُوْلُ مَاذَآ اَجَبْتُمُ الْمُرْسَلِيْنَ ٦٥

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yunādīhim
يُنَادِيهِمْ
वो पुकारेगा उन्हें
fayaqūlu
فَيَقُولُ
फिर वो कहेगा
mādhā
مَاذَآ
क्या कुछ
ajabtumu
أَجَبْتُمُ
जवाब दिया तुमने
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों को
और ख़याल करो, जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा और कहेगा, 'तुमने रसूलों को क्या उत्तर दिया था?' ([२८] अल-क़सस: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

فَعَمِيَتْ عَلَيْهِمُ الْاَنْۢبَاۤءُ يَوْمَىِٕذٍ فَهُمْ لَا يَتَسَاۤءَلُوْنَ ٦٦

faʿamiyat
فَعَمِيَتْ
तो अँधी हो जाऐंगी
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-anbāu
ٱلْأَنۢبَآءُ
ख़बरें
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
fahum
فَهُمْ
तो वो
لَا
ना वो आपस में सवाल करेंगे
yatasāalūna
يَتَسَآءَلُونَ
ना वो आपस में सवाल करेंगे
उस दिन उन्हें बात न सूझेंगी, फिर वे आपस में भी पूछताछ न करेंगे ([२८] अल-क़सस: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

فَاَمَّا مَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَعَسٰٓى اَنْ يَّكُوْنَ مِنَ الْمُفْلِحِيْنَ ٦٧

fa-ammā
فَأَمَّا
तो रहा
man
مَن
वो जिसने
tāba
تَابَ
तौबा कि
waāmana
وَءَامَنَ
और ईमान लाया
waʿamila
وَعَمِلَ
और उसने अमल किए
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
faʿasā
فَعَسَىٰٓ
तो उम्मीद है
an
أَن
कि
yakūna
يَكُونَ
होगा वो
mina
مِنَ
फ़लाह पाने वालों में से
l-muf'liḥīna
ٱلْمُفْلِحِينَ
फ़लाह पाने वालों में से
अलबत्ता जिस किसी ने तौबा कर ली और वह ईमान ले आया और अच्छा कर्म किया, तो आशा है वह सफल होनेवालों में से होगा ([२८] अल-क़सस: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

وَرَبُّكَ يَخْلُقُ مَا يَشَاۤءُ وَيَخْتَارُ ۗمَا كَانَ لَهُمُ الْخِيَرَةُ ۗسُبْحٰنَ اللّٰهِ وَتَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٦٨

warabbuka
وَرَبُّكَ
और रब आपका
yakhluqu
يَخْلُقُ
पैदा करता है
مَا
जो
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayakhtāru
وَيَخْتَارُۗ
और वो मुन्तख़िब कर लेता है
مَا
नहीं
kāna
كَانَ
है
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-khiyaratu
ٱلْخِيَرَةُۚ
इख़्तियार
sub'ḥāna
سُبْحَٰنَ
पाक है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह
wataʿālā
وَتَعَٰلَىٰ
और वो बुलन्दतर है
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
तेरा रब पैदा करता है जो कुछ चाहता है और ग्रहण करता है जो चाहता है। उन्हें कोई अधिकार प्राप्त नहीं। अल्लाह महान और उच्च है उस शिर्क से, जो वे करते है ([२८] अल-क़सस: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

وَرَبُّكَ يَعْلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُوْرُهُمْ وَمَا يُعْلِنُوْنَ ٦٩

warabbuka
وَرَبُّكَ
और रब आपका
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो कुछ
tukinnu
تُكِنُّ
छुपाते हैं
ṣudūruhum
صُدُورُهُمْ
सीने उनके
wamā
وَمَا
और जो कुछ
yuʿ'linūna
يُعْلِنُونَ
वो ज़ाहिर करते हैं
और तेरा रब जानता है जो कुछ उनके सीने छिपाते है और जो कुछ वे लोग व्यक्त करते है ([२८] अल-क़सस: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

وَهُوَ اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۗ لَهُ الْحَمْدُ فِى الْاُوْلٰى وَالْاٰخِرَةِ ۖوَلَهُ الْحُكْمُ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٧٠

wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह है
لَآ
नहीं कोई इलाह(बरहक़)
ilāha
إِلَٰهَ
नहीं कोई इलाह(बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۖ
वो ही
lahu
لَهُ
उसी के लिए है
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
فِى
दुनिया में
l-ūlā
ٱلْأُولَىٰ
दुनिया में
wal-ākhirati
وَٱلْءَاخِرَةِۖ
और आख़िरत में
walahu
وَلَهُ
और उसी का
l-ḥuk'mu
ٱلْحُكْمُ
हुक्म है
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और उसी की तरफ़
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
और वही अल्लाह है, उसके सिवा कोई इष्ट -पूज्य नहीं। सारी प्रशंसा उसी के लिए है पहले और पिछले जीवन में फ़ैसले का अधिकार उसी को है और उसी की ओर तुम लौटकर जाओगे ([२८] अल-क़सस: 70)
Tafseer (तफ़सीर )