وَقَالَتْ لِاُخْتِهٖ قُصِّيْهِۗ فَبَصُرَتْ بِهٖ عَنْ جُنُبٍ وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ۙ ١١
- waqālat
- وَقَالَتْ
- और वो कहने लगी
- li-ukh'tihi
- لِأُخْتِهِۦ
- उसकी बहन से
- quṣṣīhi
- قُصِّيهِۖ
- पीछे जा उसके
- fabaṣurat
- فَبَصُرَتْ
- फिर वो देखती रही
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- ʿan
- عَن
- दूर से
- junubin
- جُنُبٍ
- दूर से
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- वो शऊर ना रखते थे
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- वो शऊर ना रखते थे
उसने उसकी बहन से कहा, 'तू उसके पीछे-पीछे जा।' अतएव वह उसे दूर ही दूर से देखती रही और वे महसूस नहीं कर रहे थे ([२८] अल-क़सस: 11)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَحَرَّمْنَا عَلَيْهِ الْمَرَاضِعَ مِنْ قَبْلُ فَقَالَتْ هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰٓى اَهْلِ بَيْتٍ يَّكْفُلُوْنَهٗ لَكُمْ وَهُمْ لَهٗ نَاصِحُوْنَ ١٢
- waḥarramnā
- وَحَرَّمْنَا
- और हराम कर दीं हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- l-marāḍiʿa
- ٱلْمَرَاضِعَ
- दूध पिलाने वालियाँ
- min
- مِن
- उससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- उससे पहले
- faqālat
- فَقَالَتْ
- तो वो कहने लगी
- hal
- هَلْ
- क्या
- adullukum
- أَدُلُّكُمْ
- मैं बताऊँ तुम्हें
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- ऐसे घर वाले
- ahli
- أَهْلِ
- ऐसे घर वाले
- baytin
- بَيْتٍ
- ऐसे घर वाले
- yakfulūnahu
- يَكْفُلُونَهُۥ
- जो किफ़ालत करेंगे इसकी
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- nāṣiḥūna
- نَٰصِحُونَ
- ख़ैर ख़्वाह हों
हमने पहले ही से दूध पिलानेवालियों को उसपर हराम कर दिया। अतः उसने (मूसा की बहन से) कहा कि 'क्या मैं तुम्हें ऐसे घरवालों का पता बताऊँ जो तुम्हारे लिए इसके पालन-पोषण का ज़िम्मा लें और इसके शुभ-चिंतक हों?' ([२८] अल-क़सस: 12)Tafseer (तफ़सीर )
فَرَدَدْنٰهُ اِلٰٓى اُمِّهٖ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ وَلِتَعْلَمَ اَنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ١٣
- faradadnāhu
- فَرَدَدْنَٰهُ
- तो लौटा दिया हमने उसे
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ उसकी माँ के
- ummihi
- أُمِّهِۦ
- तरफ़ उसकी माँ के
- kay
- كَىْ
- ताकि
- taqarra
- تَقَرَّ
- ठंडी हों
- ʿaynuhā
- عَيْنُهَا
- आँखें उसकी
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzana
- تَحْزَنَ
- वो ग़मगीन हो
- walitaʿlama
- وَلِتَعْلَمَ
- और ताकि वो जान ले
- anna
- أَنَّ
- यक़ीनन
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqun
- حَقٌّ
- सच्चा है
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो जानते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो जानते
इस प्रकार हम उसे उसकी माँ के पास लौटा लाए, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो और ताकि वह जान ले कि अल्लाह का वादा सच्चा है, किन्तु उनमें से अधिकतर लोग जानते नहीं ([२८] अल-क़सस: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا بَلَغَ اَشُدَّهٗ وَاسْتَوٰىٓ اٰتَيْنٰهُ حُكْمًا وَّعِلْمًاۗ وَكَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٤
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- balagha
- بَلَغَ
- वो पहुँचा
- ashuddahu
- أَشُدَّهُۥ
- अपनी जवानी को
- wa-is'tawā
- وَٱسْتَوَىٰٓ
- और वो तवाना हो गया
- ātaynāhu
- ءَاتَيْنَٰهُ
- अता की हमने उसे
- ḥuk'man
- حُكْمًا
- हिकमत
- waʿil'man
- وَعِلْمًاۚ
- और इल्म
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों को
और जब वह अपनी जवानी को पहुँचा और भरपूर हो गया, तो हमने उसे निर्णय-शक्ति और ज्ञान प्रदान किया। और सुकर्मी लोगों को हम इसी प्रकार बदला देते है ([२८] अल-क़सस: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَدَخَلَ الْمَدِيْنَةَ عَلٰى حِيْنِ غَفْلَةٍ مِّنْ اَهْلِهَا فَوَجَدَ فِيْهَا رَجُلَيْنِ يَقْتَتِلٰنِۖ هٰذَا مِنْ شِيْعَتِهٖ وَهٰذَا مِنْ عَدُوِّهٖۚ فَاسْتَغَاثَهُ الَّذِيْ مِنْ شِيْعَتِهٖ عَلَى الَّذِيْ مِنْ عَدُوِّهٖ ۙفَوَكَزَهٗ مُوْسٰى فَقَضٰى عَلَيْهِۖ قَالَ هٰذَا مِنْ عَمَلِ الشَّيْطٰنِۗ اِنَّهٗ عَدُوٌّ مُّضِلٌّ مُّبِيْنٌ ١٥
- wadakhala
- وَدَخَلَ
- और वो दाख़िल हुआ
- l-madīnata
- ٱلْمَدِينَةَ
- शहर में
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ग़फ़्लत के वक़्त
- ḥīni
- حِينِ
- ग़फ़्लत के वक़्त
- ghaflatin
- غَفْلَةٍ
- ग़फ़्लत के वक़्त
- min
- مِّنْ
- उसके रहने वालों की
- ahlihā
- أَهْلِهَا
- उसके रहने वालों की
- fawajada
- فَوَجَدَ
- तो उस ने पाया
- fīhā
- فِيهَا
- उस में
- rajulayni
- رَجُلَيْنِ
- दो मर्दों को
- yaqtatilāni
- يَقْتَتِلَانِ
- वो दोनों लड़ रहे थे
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- min
- مِن
- उसके गिरोह में से था
- shīʿatihi
- شِيعَتِهِۦ
- उसके गिरोह में से था
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये(दूसरा)
- min
- مِنْ
- उसके दुश्मनों में से था
- ʿaduwwihi
- عَدُوِّهِۦۖ
- उसके दुश्मनों में से था
- fa-is'taghāthahu
- فَٱسْتَغَٰثَهُ
- पस मदद तलब की उससे
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसने जो
- min
- مِن
- उसके गिरोह में से था
- shīʿatihi
- شِيعَتِهِۦ
- उसके गिरोह में से था
- ʿalā
- عَلَى
- उसके ख़िलाफ़
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसके ख़िलाफ़
- min
- مِنْ
- जो उसके दुश्मनों में से था
- ʿaduwwihi
- عَدُوِّهِۦ
- जो उसके दुश्मनों में से था
- fawakazahu
- فَوَكَزَهُۥ
- तो घूँसा मारा उसे
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- faqaḍā
- فَقَضَىٰ
- तो पूरी कर दी
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۖ
- उस पर (ज़िन्दगी)
- qāla
- قَالَ
- बोला
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- min
- مِنْ
- काम में से है
- ʿamali
- عَمَلِ
- काम में से है
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِۖ
- शैतान के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- यक़ीनन वो
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन है
- muḍillun
- مُّضِلٌّ
- गुमराह करने वाला है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
उसने नगर में ऐसे समय प्रवेश किया जबकि वहाँ के लोग बेख़बर थे। उसने वहाँ दो आदमियों को लड़ते पाया। यह उसके अपने गिरोह का था और यह उसके शत्रुओं में से था। जो उसके गिरोह में से था उसने उसके मुक़ाबले में, जो उसके शत्रुओं में से था, सहायता के लिए उसे पुकारा। मूसा ने उसे घूँसा मारा और उसका काम तमाम कर दिया। कहा, 'यह शैतान की कार्यवाई है। निश्चय ही वह खुला पथभ्रष्ट करनेवाला शत्रु है।' ([२८] अल-क़सस: 15)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ اِنِّيْ ظَلَمْتُ نَفْسِيْ فَاغْفِرْ لِيْ فَغَفَرَ لَهٗ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ١٦
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ẓalamtu
- ظَلَمْتُ
- ज़ुल्म किया मैं ने
- nafsī
- نَفْسِى
- अपनी जान पर
- fa-igh'fir
- فَٱغْفِرْ
- पस बख़्श दे मुझे
- lī
- لِى
- पस बख़्श दे मुझे
- faghafara
- فَغَفَرَ
- तो उसने बख़्श दिया
- lahu
- لَهُۥٓۚ
- उसे
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब, मैंने अपने आपपर ज़ुल्म किया। अतः तू मुझे क्षमा कर दे।' अतएव उसने उसे क्षमा कर दिया। निश्चय ही वही बड़ी क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([२८] अल-क़सस: 16)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ رَبِّ بِمَآ اَنْعَمْتَ عَلَيَّ فَلَنْ اَكُوْنَ ظَهِيْرًا لِّلْمُجْرِمِيْنَ ١٧
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- bimā
- بِمَآ
- बवजह उसके जो
- anʿamta
- أَنْعَمْتَ
- इनआम किया तू ने
- ʿalayya
- عَلَىَّ
- मुझ पर
- falan
- فَلَنْ
- तो हरगिज़ नहीं
- akūna
- أَكُونَ
- मैं हूँगा
- ẓahīran
- ظَهِيرًا
- मददगार
- lil'muj'rimīna
- لِّلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों के लिए
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! जैसे तूने मुझपर अनुकम्पा दर्शाई है, अब मैं भी कभी अपराधियों का सहायक नहीं बनूँगा।' ([२८] अल-क़सस: 17)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَصْبَحَ فِى الْمَدِيْنَةِ خَاۤىِٕفًا يَّتَرَقَّبُ فَاِذَا الَّذِى اسْتَنْصَرَهٗ بِالْاَمْسِ يَسْتَصْرِخُهٗ ۗقَالَ لَهٗ مُوْسٰٓى اِنَّكَ لَغَوِيٌّ مُّبِيْنٌ ١٨
- fa-aṣbaḥa
- فَأَصْبَحَ
- तो उसने सुबह की
- fī
- فِى
- शहर में
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِ
- शहर में
- khāifan
- خَآئِفًا
- डरते हुए
- yataraqqabu
- يَتَرَقَّبُ
- ख़ुफ़िया टोह लगाते हुए
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर अचानक
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो शख़्स
- is'tanṣarahu
- ٱسْتَنصَرَهُۥ
- जिसने मदद माँगी थी उससे
- bil-amsi
- بِٱلْأَمْسِ
- कल
- yastaṣrikhuhu
- يَسْتَصْرِخُهُۥۚ
- वो फ़रियाद कर रहा था उससे
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा ने
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- laghawiyyun
- لَغَوِىٌّ
- अलबत्ता बहका हुआ है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
फिर दूसरे दिन वह नगर में डरता, टोह लेता हुआ प्रविष्ट हुआ। इतने में अचानक क्या देखता है कि वही व्यक्ति जिसने कल उससे सहायता चाही थी, उसे पुकार रहा है। मूसा ने उससे कहा, 'तू तो प्रत्यक्ष बहका हुआ व्यक्ति है।' ([२८] अल-क़सस: 18)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّآ اَنْ اَرَادَ اَنْ يَّبْطِشَ بِالَّذِيْ هُوَ عَدُوٌّ لَّهُمَاۙ قَالَ يٰمُوْسٰٓى اَتُرِيْدُ اَنْ تَقْتُلَنِيْ كَمَا قَتَلْتَ نَفْسًاۢ بِالْاَمْسِۖ اِنْ تُرِيْدُ اِلَّآ اَنْ تَكُوْنَ جَبَّارًا فِى الْاَرْضِ وَمَا تُرِيْدُ اَنْ تَكُوْنَ مِنَ الْمُصْلِحِيْنَ ١٩
- falammā
- فَلَمَّآ
- तो जब
- an
- أَنْ
- कि
- arāda
- أَرَادَ
- उसने इरादा किया
- an
- أَن
- कि
- yabṭisha
- يَبْطِشَ
- वो पकड़ ले
- bi-alladhī
- بِٱلَّذِى
- उसे जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन था
- lahumā
- لَّهُمَا
- उन दोनों का
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
- aturīdu
- أَتُرِيدُ
- क्या तू चाहता है
- an
- أَن
- कि
- taqtulanī
- تَقْتُلَنِى
- तू क़त्ल कर दे मुझे
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- qatalta
- قَتَلْتَ
- क़त्ल किया तू ने
- nafsan
- نَفْسًۢا
- एक नफ़्स को
- bil-amsi
- بِٱلْأَمْسِۖ
- कल
- in
- إِن
- नहीं
- turīdu
- تُرِيدُ
- तू चाहता
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- कि
- takūna
- تَكُونَ
- तू हो
- jabbāran
- جَبَّارًا
- ज़बरदस्ती करने वाला
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- turīdu
- تُرِيدُ
- तू चाहता
- an
- أَن
- कि
- takūna
- تَكُونَ
- तू हो
- mina
- مِنَ
- इस्लाह करने वालों में से
- l-muṣ'liḥīna
- ٱلْمُصْلِحِينَ
- इस्लाह करने वालों में से
फिर जब उसने वादा किया कि उस व्यक्ति को पकड़े, जो उन लोगों का शत्रु था, तो वह बोल उठा, 'ऐ मूसा, क्या तू चाहता है कि मुझे मार डाले, जिस प्रकार तूने कल एक व्यक्ति को मार डाला? धरती में बस तू निर्दय अत्याचारी बनकर रहना चाहता है और यह नहीं चाहता कि सुधार करनेवाला हो।' ([२८] अल-क़सस: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَاۤءَ رَجُلٌ مِّنْ اَقْصَى الْمَدِيْنَةِ يَسْعٰىۖ قَالَ يٰمُوْسٰٓى اِنَّ الْمَلَاَ يَأْتَمِرُوْنَ بِكَ لِيَقْتُلُوْكَ فَاخْرُجْ اِنِّيْ لَكَ مِنَ النّٰصِحِيْنَ ٢٠
- wajāa
- وَجَآءَ
- और आया
- rajulun
- رَجُلٌ
- एक शख़्स
- min
- مِّنْ
- आख़िरी किनारे से
- aqṣā
- أَقْصَا
- आख़िरी किनारे से
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِ
- शहर के
- yasʿā
- يَسْعَىٰ
- दौड़ता हुआ
- qāla
- قَالَ
- कहा
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-mala-a
- ٱلْمَلَأَ
- सरदार
- yatamirūna
- يَأْتَمِرُونَ
- वो मशवरा कर रहे हैं
- bika
- بِكَ
- तेरे बारे में
- liyaqtulūka
- لِيَقْتُلُوكَ
- कि वो क़त्ल कर दें तुझे
- fa-ukh'ruj
- فَٱخْرُجْ
- पस निकल जा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- laka
- لَكَ
- तेरे लिए
- mina
- مِنَ
- ख़ैर ख़्वाहों में से हूँ
- l-nāṣiḥīna
- ٱلنَّٰصِحِينَ
- ख़ैर ख़्वाहों में से हूँ
इसके पश्चात एक आदमी नगर के परले सिरे से दौड़ता हुआ आया। उसने कहा, 'ऐ मूसा, सरदार तेरे विषय में परामर्श कर रहे हैं कि तुझे मार डालें। अतः तू निकल जा! मैं तेरा हितैषी हूँ।' ([२८] अल-क़सस: 20)Tafseer (तफ़सीर )