تِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِ الْمُبِيْنِ ٢
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- āyātu
- ءَايَٰتُ
- आयात हैं
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- वाज़ेह किताब की
- l-mubīni
- ٱلْمُبِينِ
- वाज़ेह किताब की
(जो आयतें अवतरित हो रही है) वे स्पष्ट। किताब की आयतें हैं ([२८] अल-क़सस: 2)Tafseer (तफ़सीर )
نَتْلُوْا عَلَيْكَ مِنْ نَّبَاِ مُوْسٰى وَفِرْعَوْنَ بِالْحَقِّ لِقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٣
- natlū
- نَتْلُوا۟
- हम पढ़ते हैं
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِن
- कुछ ख़बर
- naba-i
- نَّبَإِ
- कुछ ख़बर
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा की
- wafir'ʿawna
- وَفِرْعَوْنَ
- और फ़िरऔन की
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान लाते हैं
हम उन्हें मूसा और फ़िरऔन का कुछ वृत्तान्त ठीक-ठीक सुनाते है, उन लोगों के लिए जो ईमान लाना चाहें ([२८] अल-क़सस: 3)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ فِرْعَوْنَ عَلَا فِى الْاَرْضِ وَجَعَلَ اَهْلَهَا شِيَعًا يَّسْتَضْعِفُ طَاۤىِٕفَةً مِّنْهُمْ يُذَبِّحُ اَبْنَاۤءَهُمْ وَيَسْتَحْيٖ نِسَاۤءَهُمْ ۗاِنَّهٗ كَانَ مِنَ الْمُفْسِدِيْنَ ٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन ने
- ʿalā
- عَلَا
- सरकशी की
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने कर दिया
- ahlahā
- أَهْلَهَا
- उसके रहने वालों को
- shiyaʿan
- شِيَعًا
- कई गिरोह
- yastaḍʿifu
- يَسْتَضْعِفُ
- उसने कमज़ोर कर रखा था
- ṭāifatan
- طَآئِفَةً
- एक गिरोह को
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- yudhabbiḥu
- يُذَبِّحُ
- वो ज़िबह करता था
- abnāahum
- أَبْنَآءَهُمْ
- उनके बेटों को
- wayastaḥyī
- وَيَسْتَحْىِۦ
- और वो ज़िन्दा छोड़ देता था
- nisāahum
- نِسَآءَهُمْۚ
- उनकी औरतों को
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- kāna
- كَانَ
- था वो
- mina
- مِنَ
- फ़साद करने वालों में से
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- फ़साद करने वालों में से
निस्संदेह फ़िरऔन ने धरती में सरकशी की और उसके निवासियों को विभिन्न गिरोहों में विभक्त कर दिया। उनमें से एक गिरोह को कमज़ोर कर रखा था। वह उनके बेटों की हत्या करता और उनकी स्त्रियों को जीवित रहने देता। निश्चय ही वह बिगाड़ पैदा करनेवालों में से था ([२८] अल-क़सस: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَنُرِيْدُ اَنْ نَّمُنَّ عَلَى الَّذِيْنَ اسْتُضْعِفُوْا فِى الْاَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ اَىِٕمَّةً وَّنَجْعَلَهُمُ الْوٰرِثِيْنَ ۙ ٥
- wanurīdu
- وَنُرِيدُ
- और हम चाहते थे
- an
- أَن
- कि
- namunna
- نَّمُنَّ
- हम एहसान करें
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर जो
- us'tuḍ'ʿifū
- ٱسْتُضْعِفُوا۟
- कमज़ोर बनाए गए थे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wanajʿalahum
- وَنَجْعَلَهُمْ
- और हम बनाऐं उन्हें
- a-immatan
- أَئِمَّةً
- इमाम /पेशवा
- wanajʿalahumu
- وَنَجْعَلَهُمُ
- और हम बनाऐं उन्हें
- l-wārithīna
- ٱلْوَٰرِثِينَ
- वारिस
और हम यह चाहते थे कि उन लोगों पर उपकार करें, जो धरती में कमज़ोर पड़े थे और उन्हें नायक बनाएँ और उन्हीं को वारिस बनाएँ ([२८] अल-क़सस: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَنُمَكِّنَ لَهُمْ فِى الْاَرْضِ وَنُرِيَ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَحْذَرُوْنَ ٦
- wanumakkina
- وَنُمَكِّنَ
- और हम इक़तिदार बख़्शें
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wanuriya
- وَنُرِىَ
- और हम दिखा दें
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन को
- wahāmāna
- وَهَٰمَٰنَ
- और हामान को
- wajunūdahumā
- وَجُنُودَهُمَا
- और उन दोनों के लश्करों को
- min'hum
- مِنْهُم
- उनसे
- mā
- مَّا
- (वो चीज़) जिससे
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaḥdharūna
- يَحْذَرُونَ
- वो डरते
और धरती में उन्हें सत्ताधिकार प्रदान करें और उनकी ओर से फ़िरऔन और हामान और उनकी सेनाओं को वह कुछ दिखाएँ, जिसकी उन्हें आशंका थी ([२८] अल-क़सस: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَوْحَيْنَآ اِلٰٓى اُمِّ مُوْسٰٓى اَنْ اَرْضِعِيْهِۚ فَاِذَا خِفْتِ عَلَيْهِ فَاَلْقِيْهِ فِى الْيَمِّ وَلَا تَخَافِيْ وَلَا تَحْزَنِيْ ۚاِنَّا رَاۤدُّوْهُ اِلَيْكِ وَجَاعِلُوْهُ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ٧
- wa-awḥaynā
- وَأَوْحَيْنَآ
- और वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ummi
- أُمِّ
- मूसा की माँ के
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा की माँ के
- an
- أَنْ
- कि
- arḍiʿīhi
- أَرْضِعِيهِۖ
- दूध पिलाओ उसे
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- khif'ti
- خِفْتِ
- ख़ौफ़ हो तुम्हें
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- fa-alqīhi
- فَأَلْقِيهِ
- तो फिर डाल दो उसे
- fī
- فِى
- दरया में
- l-yami
- ٱلْيَمِّ
- दरया में
- walā
- وَلَا
- और ना
- takhāfī
- تَخَافِى
- तुम डरो
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzanī
- تَحْزَنِىٓۖ
- तुम ग़म करो
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- rāddūhu
- رَآدُّوهُ
- लौटा देने वाले हैं उसे
- ilayki
- إِلَيْكِ
- तरफ़ तेरे
- wajāʿilūhu
- وَجَاعِلُوهُ
- और बनाने वाले हैं उसे
- mina
- مِنَ
- रसूलों में से
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- रसूलों में से
हमने मूसा की माँ को संकेत किया कि 'उसे दूध पिला फिर जब तुझे उसके विषय में भय हो, तो उसे दरिया में डाल दे और न तुझे कोई भय हो और न तू शोकाकुल हो। हम उसे तेरे पास लौटा लाएँगे और उसे रसूल बनाएँगे।' ([२८] अल-क़सस: 7)Tafseer (तफ़सीर )
فَالْتَقَطَهٗٓ اٰلُ فِرْعَوْنَ لِيَكُوْنَ لَهُمْ عَدُوًّا وَّحَزَنًاۗ اِنَّ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا كَانُوْا خٰطِـِٕيْنَ ٨
- fal-taqaṭahu
- فَٱلْتَقَطَهُۥٓ
- पस उठा लिया उसे
- ālu
- ءَالُ
- आले फ़िरऔन ने
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- आले फ़िरऔन ने
- liyakūna
- لِيَكُونَ
- ताकि वो हो
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿaduwwan
- عَدُوًّا
- दुश्मन
- waḥazanan
- وَحَزَنًاۗ
- और ग़म को (मोजिब)
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन
- wahāmāna
- وَهَٰمَٰنَ
- और हामान
- wajunūdahumā
- وَجُنُودَهُمَا
- और उन दोनों के लश्कर
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- khāṭiīna
- خَٰطِـِٔينَ
- ख़ताकार
अन्ततः फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया, ताकि परिणामस्वरूप वह उनका शत्रु और उनके लिए दुख बने। निश्चय ही फ़िरऔन और हामान और उनकी सेनाओं से बड़ी चूक हुई ([२८] अल-क़सस: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَتِ امْرَاَتُ فِرْعَوْنَ قُرَّتُ عَيْنٍ لِّيْ وَلَكَۗ لَا تَقْتُلُوْهُ ۖعَسٰٓى اَنْ يَّنْفَعَنَآ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ٩
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहने लगी
- im'ra-atu
- ٱمْرَأَتُ
- बीवी
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन की
- qurratu
- قُرَّتُ
- ठंडक
- ʿaynin
- عَيْنٍ
- आँखों की
- lī
- لِّى
- मेरे लिए
- walaka
- وَلَكَۖ
- और तेरे लिए
- lā
- لَا
- ना तुम क़त्ल करो इसे
- taqtulūhu
- تَقْتُلُوهُ
- ना तुम क़त्ल करो इसे
- ʿasā
- عَسَىٰٓ
- उम्मीद है
- an
- أَن
- कि
- yanfaʿanā
- يَنفَعَنَآ
- वो नफ़ा देगा हमें
- aw
- أَوْ
- या
- nattakhidhahu
- نَتَّخِذَهُۥ
- हम बना लेंगे उसे
- waladan
- وَلَدًا
- बेटा
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- नहीं वो शऊर रखते थे
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- नहीं वो शऊर रखते थे
फ़िरऔन की स्त्री ने कहा, 'यह मेरी और तुम्हारी आँखों की ठंडक है। इसकी हत्या न करो, कदाचित यह हमें लाभ पहुँचाए या हम इसे अपना बेटा ही बना लें।' और वे (परिणाम से) बेख़बर थे ([२८] अल-क़सस: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَصْبَحَ فُؤَادُ اُمِّ مُوْسٰى فٰرِغًاۗ اِنْ كَادَتْ لَتُبْدِيْ بِهٖ لَوْلَآ اَنْ رَّبَطْنَا عَلٰى قَلْبِهَا لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٠
- wa-aṣbaḥa
- وَأَصْبَحَ
- और हो गया
- fuādu
- فُؤَادُ
- दिल
- ummi
- أُمِّ
- मूसा की माँ का
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा की माँ का
- fārighan
- فَٰرِغًاۖ
- ख़ाली
- in
- إِن
- बेशक
- kādat
- كَادَتْ
- क़रीब था
- latub'dī
- لَتُبْدِى
- कि वो ज़ाहिर कर देती
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- lawlā
- لَوْلَآ
- अगर ना होता
- an
- أَن
- ये कि
- rabaṭnā
- رَّبَطْنَا
- मज़बूत कर दिया हमने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उसके दिल को
- qalbihā
- قَلْبِهَا
- उसके दिल को
- litakūna
- لِتَكُونَ
- ताकि वो हो
- mina
- مِنَ
- ईमान लाने वालों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों में से
और मूसा की माँ का हृदय विचलित हो गया। निकट था कि वह उसको प्रकट कर देती, यदि हम उसके दिल को इस ध्येय से न सँभालते कि वह मोमिनों में से हो ([२८] अल-क़सस: 10)Tafseer (तफ़सीर )