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सूरा अल-क़सस - शब्द द्वारा शब्द

Al-Qasas

(कहानियाँ)

bismillaahirrahmaanirrahiim

طٰسۤمّۤ ١

tta-seen-meem
طسٓمٓ
ط س م
ता॰ सीन॰ मीम॰ ([२८] अल-क़सस: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

تِلْكَ اٰيٰتُ الْكِتٰبِ الْمُبِيْنِ ٢

til'ka
تِلْكَ
ये
āyātu
ءَايَٰتُ
आयात हैं
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
वाज़ेह किताब की
l-mubīni
ٱلْمُبِينِ
वाज़ेह किताब की
(जो आयतें अवतरित हो रही है) वे स्पष्ट। किताब की आयतें हैं ([२८] अल-क़सस: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

نَتْلُوْا عَلَيْكَ مِنْ نَّبَاِ مُوْسٰى وَفِرْعَوْنَ بِالْحَقِّ لِقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٣

natlū
نَتْلُوا۟
हम पढ़ते हैं
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
min
مِن
कुछ ख़बर
naba-i
نَّبَإِ
कुछ ख़बर
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा की
wafir'ʿawna
وَفِرْعَوْنَ
और फ़िरऔन की
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
हम उन्हें मूसा और फ़िरऔन का कुछ वृत्तान्त ठीक-ठीक सुनाते है, उन लोगों के लिए जो ईमान लाना चाहें ([२८] अल-क़सस: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ فِرْعَوْنَ عَلَا فِى الْاَرْضِ وَجَعَلَ اَهْلَهَا شِيَعًا يَّسْتَضْعِفُ طَاۤىِٕفَةً مِّنْهُمْ يُذَبِّحُ اَبْنَاۤءَهُمْ وَيَسْتَحْيٖ نِسَاۤءَهُمْ ۗاِنَّهٗ كَانَ مِنَ الْمُفْسِدِيْنَ ٤

inna
إِنَّ
बेशक
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन ने
ʿalā
عَلَا
सरकशी की
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने कर दिया
ahlahā
أَهْلَهَا
उसके रहने वालों को
shiyaʿan
شِيَعًا
कई गिरोह
yastaḍʿifu
يَسْتَضْعِفُ
उसने कमज़ोर कर रखा था
ṭāifatan
طَآئِفَةً
एक गिरोह को
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
yudhabbiḥu
يُذَبِّحُ
वो ज़िबह करता था
abnāahum
أَبْنَآءَهُمْ
उनके बेटों को
wayastaḥyī
وَيَسْتَحْىِۦ
और वो ज़िन्दा छोड़ देता था
nisāahum
نِسَآءَهُمْۚ
उनकी औरतों को
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
kāna
كَانَ
था वो
mina
مِنَ
फ़साद करने वालों में से
l-muf'sidīna
ٱلْمُفْسِدِينَ
फ़साद करने वालों में से
निस्संदेह फ़िरऔन ने धरती में सरकशी की और उसके निवासियों को विभिन्न गिरोहों में विभक्त कर दिया। उनमें से एक गिरोह को कमज़ोर कर रखा था। वह उनके बेटों की हत्या करता और उनकी स्त्रियों को जीवित रहने देता। निश्चय ही वह बिगाड़ पैदा करनेवालों में से था ([२८] अल-क़सस: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَنُرِيْدُ اَنْ نَّمُنَّ عَلَى الَّذِيْنَ اسْتُضْعِفُوْا فِى الْاَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ اَىِٕمَّةً وَّنَجْعَلَهُمُ الْوٰرِثِيْنَ ۙ ٥

wanurīdu
وَنُرِيدُ
और हम चाहते थे
an
أَن
कि
namunna
نَّمُنَّ
हम एहसान करें
ʿalā
عَلَى
उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
us'tuḍ'ʿifū
ٱسْتُضْعِفُوا۟
कमज़ोर बनाए गए थे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wanajʿalahum
وَنَجْعَلَهُمْ
और हम बनाऐं उन्हें
a-immatan
أَئِمَّةً
इमाम /पेशवा
wanajʿalahumu
وَنَجْعَلَهُمُ
और हम बनाऐं उन्हें
l-wārithīna
ٱلْوَٰرِثِينَ
वारिस
और हम यह चाहते थे कि उन लोगों पर उपकार करें, जो धरती में कमज़ोर पड़े थे और उन्हें नायक बनाएँ और उन्हीं को वारिस बनाएँ ([२८] अल-क़सस: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَنُمَكِّنَ لَهُمْ فِى الْاَرْضِ وَنُرِيَ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَحْذَرُوْنَ ٦

wanumakkina
وَنُمَكِّنَ
और हम इक़तिदार बख़्शें
lahum
لَهُمْ
उन्हें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wanuriya
وَنُرِىَ
और हम दिखा दें
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन को
wahāmāna
وَهَٰمَٰنَ
और हामान को
wajunūdahumā
وَجُنُودَهُمَا
और उन दोनों के लश्करों को
min'hum
مِنْهُم
उनसे
مَّا
(वो चीज़) जिससे
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaḥdharūna
يَحْذَرُونَ
वो डरते
और धरती में उन्हें सत्ताधिकार प्रदान करें और उनकी ओर से फ़िरऔन और हामान और उनकी सेनाओं को वह कुछ दिखाएँ, जिसकी उन्हें आशंका थी ([२८] अल-क़सस: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاَوْحَيْنَآ اِلٰٓى اُمِّ مُوْسٰٓى اَنْ اَرْضِعِيْهِۚ فَاِذَا خِفْتِ عَلَيْهِ فَاَلْقِيْهِ فِى الْيَمِّ وَلَا تَخَافِيْ وَلَا تَحْزَنِيْ ۚاِنَّا رَاۤدُّوْهُ اِلَيْكِ وَجَاعِلُوْهُ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ٧

wa-awḥaynā
وَأَوْحَيْنَآ
और वही की हमने
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ummi
أُمِّ
मूसा की माँ के
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा की माँ के
an
أَنْ
कि
arḍiʿīhi
أَرْضِعِيهِۖ
दूध पिलाओ उसे
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
khif'ti
خِفْتِ
ख़ौफ़ हो तुम्हें
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
fa-alqīhi
فَأَلْقِيهِ
तो फिर डाल दो उसे
فِى
दरया में
l-yami
ٱلْيَمِّ
दरया में
walā
وَلَا
और ना
takhāfī
تَخَافِى
तुम डरो
walā
وَلَا
और ना
taḥzanī
تَحْزَنِىٓۖ
तुम ग़म करो
innā
إِنَّا
बेशक हम
rāddūhu
رَآدُّوهُ
लौटा देने वाले हैं उसे
ilayki
إِلَيْكِ
तरफ़ तेरे
wajāʿilūhu
وَجَاعِلُوهُ
और बनाने वाले हैं उसे
mina
مِنَ
रसूलों में से
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों में से
हमने मूसा की माँ को संकेत किया कि 'उसे दूध पिला फिर जब तुझे उसके विषय में भय हो, तो उसे दरिया में डाल दे और न तुझे कोई भय हो और न तू शोकाकुल हो। हम उसे तेरे पास लौटा लाएँगे और उसे रसूल बनाएँगे।' ([२८] अल-क़सस: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

فَالْتَقَطَهٗٓ اٰلُ فِرْعَوْنَ لِيَكُوْنَ لَهُمْ عَدُوًّا وَّحَزَنًاۗ اِنَّ فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَجُنُوْدَهُمَا كَانُوْا خٰطِـِٕيْنَ ٨

fal-taqaṭahu
فَٱلْتَقَطَهُۥٓ
पस उठा लिया उसे
ālu
ءَالُ
आले फ़िरऔन ने
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
आले फ़िरऔन ने
liyakūna
لِيَكُونَ
ताकि वो हो
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿaduwwan
عَدُوًّا
दुश्मन
waḥazanan
وَحَزَنًاۗ
और ग़म को (मोजिब)
inna
إِنَّ
बेशक
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन
wahāmāna
وَهَٰمَٰنَ
और हामान
wajunūdahumā
وَجُنُودَهُمَا
और उन दोनों के लश्कर
kānū
كَانُوا۟
थे वो
khāṭiīna
خَٰطِـِٔينَ
ख़ताकार
अन्ततः फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया, ताकि परिणामस्वरूप वह उनका शत्रु और उनके लिए दुख बने। निश्चय ही फ़िरऔन और हामान और उनकी सेनाओं से बड़ी चूक हुई ([२८] अल-क़सस: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَقَالَتِ امْرَاَتُ فِرْعَوْنَ قُرَّتُ عَيْنٍ لِّيْ وَلَكَۗ لَا تَقْتُلُوْهُ ۖعَسٰٓى اَنْ يَّنْفَعَنَآ اَوْ نَتَّخِذَهٗ وَلَدًا وَّهُمْ لَا يَشْعُرُوْنَ ٩

waqālati
وَقَالَتِ
और कहने लगी
im'ra-atu
ٱمْرَأَتُ
बीवी
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन की
qurratu
قُرَّتُ
ठंडक
ʿaynin
عَيْنٍ
आँखों की
لِّى
मेरे लिए
walaka
وَلَكَۖ
और तेरे लिए
لَا
ना तुम क़त्ल करो इसे
taqtulūhu
تَقْتُلُوهُ
ना तुम क़त्ल करो इसे
ʿasā
عَسَىٰٓ
उम्मीद है
an
أَن
कि
yanfaʿanā
يَنفَعَنَآ
वो नफ़ा देगा हमें
aw
أَوْ
या
nattakhidhahu
نَتَّخِذَهُۥ
हम बना लेंगे उसे
waladan
وَلَدًا
बेटा
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
नहीं वो शऊर रखते थे
yashʿurūna
يَشْعُرُونَ
नहीं वो शऊर रखते थे
फ़िरऔन की स्त्री ने कहा, 'यह मेरी और तुम्हारी आँखों की ठंडक है। इसकी हत्या न करो, कदाचित यह हमें लाभ पहुँचाए या हम इसे अपना बेटा ही बना लें।' और वे (परिणाम से) बेख़बर थे ([२८] अल-क़सस: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَاَصْبَحَ فُؤَادُ اُمِّ مُوْسٰى فٰرِغًاۗ اِنْ كَادَتْ لَتُبْدِيْ بِهٖ لَوْلَآ اَنْ رَّبَطْنَا عَلٰى قَلْبِهَا لِتَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٠

wa-aṣbaḥa
وَأَصْبَحَ
और हो गया
fuādu
فُؤَادُ
दिल
ummi
أُمِّ
मूसा की माँ का
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा की माँ का
fārighan
فَٰرِغًاۖ
ख़ाली
in
إِن
बेशक
kādat
كَادَتْ
क़रीब था
latub'dī
لَتُبْدِى
कि वो ज़ाहिर कर देती
bihi
بِهِۦ
उसे
lawlā
لَوْلَآ
अगर ना होता
an
أَن
ये कि
rabaṭnā
رَّبَطْنَا
मज़बूत कर दिया हमने
ʿalā
عَلَىٰ
उसके दिल को
qalbihā
قَلْبِهَا
उसके दिल को
litakūna
لِتَكُونَ
ताकि वो हो
mina
مِنَ
ईमान लाने वालों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों में से
और मूसा की माँ का हृदय विचलित हो गया। निकट था कि वह उसको प्रकट कर देती, यदि हम उसके दिल को इस ध्येय से न सँभालते कि वह मोमिनों में से हो ([२८] अल-क़सस: 10)
Tafseer (तफ़सीर )