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सूरा अन-नम्ल - Page: 9

An-Naml

(चींटियाँ)

८१

وَمَآ اَنْتَ بِهٰدِى الْعُمْيِ عَنْ ضَلٰلَتِهِمْۗ اِنْ تُسْمِعُ اِلَّا مَنْ يُّؤْمِنُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ مُّسْلِمُوْنَ ٨١

wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
bihādī
بِهَٰدِى
हिदायत देने वाले
l-ʿum'yi
ٱلْعُمْىِ
अँधों को
ʿan
عَن
उनकी गुमराही से
ḍalālatihim
ضَلَٰلَتِهِمْۖ
उनकी गुमराही से
in
إِن
नहीं
tus'miʿu
تُسْمِعُ
आप सुना सकते
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
उनको जो
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान लाते हैं
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
fahum
فَهُم
फिर वो
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
फ़रमाबरदार हैं
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से हटाकर राह पर ला सकते हो। तुम तो बस उन्हीं को सुना सकते हो, जो हमारी आयतों पर ईमान लाना चाहें। अतः वही आज्ञाकारी होते है ([२७] अन-नम्ल: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

۞ وَاِذَا وَقَعَ الْقَوْلُ عَلَيْهِمْ اَخْرَجْنَا لَهُمْ دَاۤبَّةً مِّنَ الْاَرْضِ تُكَلِّمُهُمْ اَنَّ النَّاسَ كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا لَا يُوْقِنُوْنَ ࣖ ٨٢

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
waqaʿa
وَقَعَ
वाक़ेअ हो जाएगी
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
akhrajnā
أَخْرَجْنَا
निकालेंगे हम
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
dābbatan
دَآبَّةً
एक जानवर
mina
مِّنَ
ज़मीन से
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन से
tukallimuhum
تُكَلِّمُهُمْ
जो कलाम करेगा उनसे
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोग
kānū
كَانُوا۟
थे वो
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
لَا
ना वो यक़ीन रखते
yūqinūna
يُوقِنُونَ
ना वो यक़ीन रखते
और जब उनपर बात पूरी हो जाएगी, तो हम उनके लिए धरती का प्राणी सामने लाएँगे जो उनसे बातें करेगा कि 'लोग हमारी आयतों पर विश्वास नहीं करते थे' ([२७] अन-नम्ल: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

وَيَوْمَ نَحْشُرُ مِنْ كُلِّ اُمَّةٍ فَوْجًا مِّمَّنْ يُّكَذِّبُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ يُوْزَعُوْنَ ٨٣

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
naḥshuru
نَحْشُرُ
हम इकट्ठा करेंगे
min
مِن
हर उम्मत में से
kulli
كُلِّ
हर उम्मत में से
ummatin
أُمَّةٍ
हर उम्मत में से
fawjan
فَوْجًا
एक फ़ौज को
mimman
مِّمَّن
उनमें से जो
yukadhibu
يُكَذِّبُ
झुठलाते हैं
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
fahum
فَهُمْ
तो वो
yūzaʿūna
يُوزَعُونَ
वो गिरोहों में तक़सीम किए जाऐंगे
और जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में से एक गिरोह, ऐसे लोगों का जो हमारी आयतों को झुठलाते है, घेर लाएँगे। फिर उनकी दर्जाबन्दी की जाएगी ([२७] अन-नम्ल: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

حَتّٰٓى اِذَا جَاۤءُوْ قَالَ اَكَذَّبْتُمْ بِاٰيٰتِيْ وَلَمْ تُحِيْطُوْا بِهَا عِلْمًا اَمَّاذَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٨٤

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
jāū
جَآءُو
वो आजाऐंगे
qāla
قَالَ
वो फ़रमाएगा
akadhabtum
أَكَذَّبْتُم
क्या झुठलाया तुम ने
biāyātī
بِـَٔايَٰتِى
मेरी आयात को
walam
وَلَمْ
हालाँकि नहीं
tuḥīṭū
تُحِيطُوا۟
तुम ने अहाता किया था
bihā
بِهَا
उनका
ʿil'man
عِلْمًا
इल्म के ऐतबार से
ammādhā
أَمَّاذَا
या क्या कुछ
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
यहाँ तक कि जब वे आ जाएँगे तो वह कहेगा, 'क्या तुमने मेरी आयतों को झुठलाया, हालाँकि अपने ज्ञान से तुम उनपर हावी न थे या फिर तुम क्या करते थे?' ([२७] अन-नम्ल: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

وَوَقَعَ الْقَوْلُ عَلَيْهِمْ بِمَا ظَلَمُوْا فَهُمْ لَا يَنْطِقُوْنَ ٨٥

wawaqaʿa
وَوَقَعَ
और वाक़ेअ हो जाएगी
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
उन्होंने ज़ुल्म किया
fahum
فَهُمْ
तो वो
لَا
ना वो बोल सकेंगे
yanṭiqūna
يَنطِقُونَ
ना वो बोल सकेंगे
और बात उनपर पूरी होकर रहेगी, इसलिए कि उन्होंने ज़ुल्म किया। अतः वे कुछ बोल न सकेंगे ([२७] अन-नम्ल: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

اَلَمْ يَرَوْا اَنَّا جَعَلْنَا الَّيْلَ لِيَسْكُنُوْا فِيْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٨٦

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
annā
أَنَّا
बेशक हम
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात को
liyaskunū
لِيَسْكُنُوا۟
ताकि वो सुकून पाऐं
fīhi
فِيهِ
उसमें
wal-nahāra
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
mub'ṣiran
مُبْصِرًاۚ
रौशन
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने रात को (अँधेरी) बनाया, ताकि वे उसमें शान्ति और चैन प्राप्त करें। और दिन को प्रकाशमान बनाया (कि उसमें काम करें)? निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान ले आएँ ([२७] अन-नम्ल: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

وَيَوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِ فَفَزِعَ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ اِلَّا مَنْ شَاۤءَ اللّٰهُ ۗوَكُلٌّ اَتَوْهُ دَاخِرِيْنَ ٨٧

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yunfakhu
يُنفَخُ
फूँका जाऐगा
فِى
सूर में
l-ṣūri
ٱلصُّورِ
सूर में
fafaziʿa
فَفَزِعَ
तो घबरा जाऐगा
man
مَن
जो कोई
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
waman
وَمَن
और जो कोई
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जिसे
shāa
شَآءَ
चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
wakullun
وَكُلٌّ
और सब के सब
atawhu
أَتَوْهُ
आऐंगे उसके पास
dākhirīna
دَٰخِرِينَ
ज़लील हो कर
और ख़याल करो जिस दिन सूर (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी और जो आकाशों और धरती में है, घबरा उठेंगे, सिवाय उनके जिन्हें अल्लाह चाहे - और सब कान दबाए उसके समक्ष उपस्थित हो जाएँगे ([२७] अन-नम्ल: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

وَتَرَى الْجِبَالَ تَحْسَبُهَا جَامِدَةً وَّهِيَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحَابِۗ صُنْعَ اللّٰهِ الَّذِيْٓ اَتْقَنَ كُلَّ شَيْءٍۗ اِنَّهٗ خَبِيْرٌ ۢبِمَا تَفْعَلُوْنَ ٨٨

watarā
وَتَرَى
और आप देखते हैं
l-jibāla
ٱلْجِبَالَ
पहाड़ों को
taḥsabuhā
تَحْسَبُهَا
आप समझते हैं उन्हें
jāmidatan
جَامِدَةً
जामिद
wahiya
وَهِىَ
हालाँकि वो
tamurru
تَمُرُّ
वो चलते हैं
marra
مَرَّ
चलना
l-saḥābi
ٱلسَّحَابِۚ
बादलों का
ṣun'ʿa
صُنْعَ
कारीगरी / सनअत है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो जिसने
atqana
أَتْقَنَ
मज़बूत बनाया
kulla
كُلَّ
हर
shayin
شَىْءٍۚ
चीज़ को
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
khabīrun
خَبِيرٌۢ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
bimā
بِمَا
उसकी जो
tafʿalūna
تَفْعَلُونَ
तुम करते हो
और तुम पहाड़ों को देखकर समझते हो कि वे जमे हुए है, हालाँकि वे चल रहे होंगे, जिस प्रकार बादल चलते है। यह अल्लाह की कारीगरी है, जिसने हर चीज़ को सुदृढ़ किया। निस्संदेह वह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो ([२७] अन-नम्ल: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

مَنْ جَاۤءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ خَيْرٌ مِّنْهَاۚ وَهُمْ مِّنْ فَزَعٍ يَّوْمَىِٕذٍ اٰمِنُوْنَ ٨٩

man
مَن
जो कोई
jāa
جَآءَ
लाएगा
bil-ḥasanati
بِٱلْحَسَنَةِ
नेकी को
falahu
فَلَهُۥ
तो उसके लिए
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
min'hā
مِّنْهَا
उससे
wahum
وَهُم
और वो
min
مِّن
घबराहट से
fazaʿin
فَزَعٍ
घबराहट से
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
āminūna
ءَامِنُونَ
अमन में होंगे
जो कोई सुचरित लेकर आया उसको उससे भी अच्छा प्राप्त होगा; और ऐसे लोग घबराहट से उस दिन निश्चिन्त होंगे ([२७] अन-नम्ल: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

وَمَنْ جَاۤءَ بِالسَّيِّئَةِ فَكُبَّتْ وُجُوْهُهُمْ فِى النَّارِۗ هَلْ تُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٩٠

waman
وَمَن
और जो कोई
jāa
جَآءَ
लाएगा
bil-sayi-ati
بِٱلسَّيِّئَةِ
बुराई को
fakubbat
فَكُبَّتْ
तो औंधे डाले जाऐंगे
wujūhuhum
وُجُوهُهُمْ
चेहरे उनके
فِى
आग में
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग में
hal
هَلْ
नहीं
tuj'zawna
تُجْزَوْنَ
तुम बदला दिए जाओगे
illā
إِلَّا
मगर
مَا
उसका जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
और जो कुचरित लेकर आया तो ऐसे लोगों के मुँह आग में औधे होंगे। (और उनसे कहा जाएगा) 'क्या तुम उसके सिवा किसी और चीज़ का बदला पा रहे हो, जो तुम करते रहे हो?' ([२७] अन-नम्ल: 90)
Tafseer (तफ़सीर )