وَيَقُوْلُوْنَ مَتٰى هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٧١
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- matā
- مَتَىٰ
- कब होगा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-waʿdu
- ٱلْوَعْدُ
- वादा
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
वे कहते है, 'यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?' ([२७] अन-नम्ल: 71)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ عَسٰٓى اَنْ يَّكُوْنَ رَدِفَ لَكُمْ بَعْضُ الَّذِيْ تَسْتَعْجِلُوْنَ ٧٢
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ʿasā
- عَسَىٰٓ
- उम्मीद है
- an
- أَن
- कि
- yakūna
- يَكُونَ
- हो वो
- radifa
- رَدِفَ
- पीछे आ लगे
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे
- baʿḍu
- بَعْضُ
- बाज़ / कुछ हिस्सा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- tastaʿjilūna
- تَسْتَعْجِلُونَ
- तुम जल्दी माँगते हो
कहो, 'जिसकी तुम जल्दी मचा रहे हो बहुत सम्भव है कि उसका कोई हिस्सा तुम्हारे पीछे ही लगा हो।' ([२७] अन-नम्ल: 72)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَشْكُرُوْنَ ٧٣
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ladhū
- لَذُو
- अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
- faḍlin
- فَضْلٍ
- अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
- ʿalā
- عَلَى
- लोगों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो शुक्र करते
- yashkurūna
- يَشْكُرُونَ
- नहीं वो शुक्र करते
निश्चय ही तुम्हारा रब तो लोगों पर उदार अनुग्रह करनेवाला है, किन्तु उनमें से अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखाते ([२७] अन-नम्ल: 73)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّ رَبَّكَ لَيَعْلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُوْرُهُمْ وَمَا يُعْلِنُوْنَ ٧٤
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- layaʿlamu
- لَيَعْلَمُ
- अलबत्ता वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- tukinnu
- تُكِنُّ
- छुपाते हैं
- ṣudūruhum
- صُدُورُهُمْ
- सीने उनके
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yuʿ'linūna
- يُعْلِنُونَ
- वो ज़ाहिर करते हैं
निश्चय ही तुम्हारा रह भली-भाँति जानता है, जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है और जो कुछ वे प्रकट करते है। ([२७] अन-नम्ल: 74)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا مِنْ غَاۤىِٕبَةٍ فِى السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مُّبِيْنٍ ٧٥
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- min
- مِنْ
- कोई ग़ायब होने वाली
- ghāibatin
- غَآئِبَةٍ
- कोई ग़ायब होने वाली
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- एक किताब में है
- kitābin
- كِتَٰبٍ
- एक किताब में है
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
आकाश और धरती में छिपी कोई भी चीज़ ऐसी नहीं जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो ([२७] अन-नम्ल: 75)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ هٰذَا الْقُرْاٰنَ يَقُصُّ عَلٰى بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اَكْثَرَ الَّذِيْ هُمْ فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ٧٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरान
- yaquṣṣu
- يَقُصُّ
- बयान करता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बनी इस्राईल पर
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल पर
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल पर
- akthara
- أَكْثَرَ
- अक्सर (बातें)
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- hum
- هُمْ
- वो
- fīhi
- فِيهِ
- उनमें
- yakhtalifūna
- يَخْتَلِفُونَ
- वो इख़्तिलाफ़ करते हैं
निस्संदेह यह क़ुरआन इसराईल की सन्तान को अधिकतर ऐसी बाते खोलकर सुनाता है जिनके विषय में उनसे मतभेद है ([२७] अन-नम्ल: 76)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنَّهٗ لَهُدًى وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِيْنَ ٧٧
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lahudan
- لَهُدًى
- अलबत्ता हिदायत है
- waraḥmatun
- وَرَحْمَةٌ
- और रहमत है
- lil'mu'minīna
- لِّلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों के लिए
और निस्संदह यह तो ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है ([२७] अन-नम्ल: 77)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ رَبَّكَ يَقْضِيْ بَيْنَهُمْ بِحُكْمِهٖۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْعَلِيْمُۚ ٧٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- yaqḍī
- يَقْضِى
- वो फ़ैसला करेगा
- baynahum
- بَيْنَهُم
- दर्मियान उनके
- biḥuk'mihi
- بِحُكْمِهِۦۚ
- अपने हुक्म से
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब इल्म वाला है
निश्चय ही तुम्हारा रब उनके बीच अपने हुक्म से फ़ैसला कर देगा। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ है ([२७] अन-नम्ल: 78)Tafseer (तफ़सीर )
فَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗاِنَّكَ عَلَى الْحَقِّ الْمُبِيْنِ ٧٩
- fatawakkal
- فَتَوَكَّلْ
- पस तवक्कल कीजिए
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह पर
- innaka
- إِنَّكَ
- और बेशक आप
- ʿalā
- عَلَى
- हक़ पर हैं
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ पर हैं
- l-mubīni
- ٱلْمُبِينِ
- वाज़ेह
अतः अल्लाह पर भरोसा रखो। निश्चय ही तुम स्पष्ट सत्य पर हो ([२७] अन-नम्ल: 79)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتٰى وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَاۤءَ اِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِيْنَ ٨٠
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- lā
- لَا
- नहीं आप सुना सकते
- tus'miʿu
- تُسْمِعُ
- नहीं आप सुना सकते
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰ
- मुर्दों को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- tus'miʿu
- تُسْمِعُ
- आप सुना सकते
- l-ṣuma
- ٱلصُّمَّ
- बहरों को
- l-duʿāa
- ٱلدُّعَآءَ
- पुकार
- idhā
- إِذَا
- जब
- wallaw
- وَلَّوْا۟
- वो फिर जाऐं
- mud'birīna
- مُدْبِرِينَ
- पीठ फेर कर
तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ देकर फिरे भी जा रहें हो। ([२७] अन-नम्ल: 80)Tafseer (तफ़सीर )