اَمَّنْ جَعَلَ الْاَرْضَ قَرَارًا وَّجَعَلَ خِلٰلَهَآ اَنْهٰرًا وَّجَعَلَ لَهَا رَوَاسِيَ وَجَعَلَ بَيْنَ الْبَحْرَيْنِ حَاجِزًاۗ ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ۗبَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ۗ ٦١
- amman
- أَمَّن
- या कौन है जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- qarāran
- قَرَارًا
- जाए क़रार
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- khilālahā
- خِلَٰلَهَآ
- दर्मियान उसके
- anhāran
- أَنْهَٰرًا
- नहरों को
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए
- rawāsiya
- رَوَٰسِىَ
- पहाड़ों को
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-baḥrayni
- ٱلْبَحْرَيْنِ
- दो समुन्दरों के
- ḥājizan
- حَاجِزًاۗ
- एक परदा
- a-ilāhun
- أَءِلَٰهٌ
- क्या है कोई इलाह
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
या वह जिसने धरती को ठहरने का स्थान बनाया और उसके बीच-बीच में नदियाँ बहाई और उसके लिए मज़बूत पहाड़ बनाए और दो समुद्रों के बीच एक रोक लगा दी। क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु पूज्य है? नहीं, उनमें से अधिकतर लोग जानते ही नही! ([२७] अन-नम्ल: 61)Tafseer (तफ़सीर )
اَمَّنْ يُّجِيْبُ الْمُضْطَرَّ اِذَا دَعَاهُ وَيَكْشِفُ السُّوْۤءَ وَيَجْعَلُكُمْ خُلَفَاۤءَ الْاَرْضِۗ ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ۗقَلِيْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَۗ ٦٢
- amman
- أَمَّن
- या कौन है जो
- yujību
- يُجِيبُ
- दुआ क़ुबूल करता है
- l-muḍ'ṭara
- ٱلْمُضْطَرَّ
- बेक़रार की
- idhā
- إِذَا
- जब
- daʿāhu
- دَعَاهُ
- वो दुआ करता है उससे
- wayakshifu
- وَيَكْشِفُ
- और वो दूर करता है
- l-sūa
- ٱلسُّوٓءَ
- तक्लीफ़
- wayajʿalukum
- وَيَجْعَلُكُمْ
- और वो बनाता है तुम्हें
- khulafāa
- خُلَفَآءَ
- जानशीन
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۗ
- ज़मीन के
- a-ilāhun
- أَءِلَٰهٌ
- क्या है कोई इलाह
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- qalīlan
- قَلِيلًا
- कितना कम
- mā
- مَّا
- कितना कम
- tadhakkarūna
- تَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ते हो
या वह जो व्यग्र की पुकार सुनता है, जब वह उसे पुकारे और तकलीफ़ दूर कर देता है और तुम्हें धरती में अधिकारी बनाता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और पूज्य-प्रभु है? तुम ध्यान थोड़े ही देते हो ([२७] अन-नम्ल: 62)Tafseer (तफ़सीर )
اَمَّنْ يَّهْدِيْكُمْ فِيْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ وَمَنْ يُّرْسِلُ الرِّيٰحَ بُشْرًا ۢ بَيْنَ يَدَيْ رَحْمَتِهٖۗ ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ۗتَعٰلَى اللّٰهُ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٦٣
- amman
- أَمَّن
- या कौन है जो
- yahdīkum
- يَهْدِيكُمْ
- राह दिखाता है तुम्हें
- fī
- فِى
- अँधेरों में
- ẓulumāti
- ظُلُمَٰتِ
- अँधेरों में
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- ख़ुशकी के
- wal-baḥri
- وَٱلْبَحْرِ
- और समुन्दर के
- waman
- وَمَن
- और कौन है जो
- yur'silu
- يُرْسِلُ
- भेजता है
- l-riyāḥa
- ٱلرِّيَٰحَ
- हवाओं को
- bush'ran
- بُشْرًۢا
- बतौरे ख़ुशख़बरी
- bayna
- بَيْنَ
- आगे-आगे
- yaday
- يَدَىْ
- आगे-आगे
- raḥmatihi
- رَحْمَتِهِۦٓۗ
- अपनी रहमत के
- a-ilāhun
- أَءِلَٰهٌ
- क्या है कोई इलाह
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- taʿālā
- تَعَٰلَى
- बुलन्दतर है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
या वह जो थल और जल के अँधेरों में तुम्हारा मार्गदर्शन करता है और जो अपनी दयालुता के आगे हवाओं को शुभ-सूचना बनाकर भेजता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु पूज्य है? उच्च है अल्लाह, उस शिर्क से जो वे करते है ([२७] अन-नम्ल: 63)Tafseer (तफ़सीर )
اَمَّنْ يَّبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ وَمَنْ يَّرْزُقُكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِۗ ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ۗقُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٦٤
- amman
- أَمَّن
- या कौन है जो
- yabda-u
- يَبْدَؤُا۟
- इब्तिदा करता है
- l-khalqa
- ٱلْخَلْقَ
- तख़्लीक़ की
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuʿīduhu
- يُعِيدُهُۥ
- वो एआदा करेगा उसका
- waman
- وَمَن
- और कौन है जो
- yarzuqukum
- يَرْزُقُكُم
- रिज़्क़ देता है तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन से
- a-ilāhun
- أَءِلَٰهٌ
- क्या है कोई इलाह
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- hātū
- هَاتُوا۟
- लाओ
- bur'hānakum
- بُرْهَٰنَكُمْ
- दलील अपनी
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
या वह जो सृष्टि का आरम्भ करता है, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करता है, और जो तुमको आकाश और धरती से रोज़ी देता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभ पूज्य है? कहो, 'लाओ अपना प्रमाण, यदि तुम सच्चे हो।' ([२७] अन-नम्ल: 64)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّا يَعْلَمُ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ الْغَيْبَ اِلَّا اللّٰهُ ۗوَمَا يَشْعُرُوْنَ اَيَّانَ يُبْعَثُوْنَ ٦٥
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّا
- नहीं जानता
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- नहीं जानता
- man
- مَن
- जो कोई
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में है
- l-ghayba
- ٱلْغَيْبَ
- ग़ैब को
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- वो शऊर रखते
- ayyāna
- أَيَّانَ
- कि कब
- yub'ʿathūna
- يُبْعَثُونَ
- वो उठाए जाऐंगे
कहो, 'आकाशों और धरती में जो भी है, अल्लाह के सिवा किसी को भी परोक्ष का ज्ञान नहीं है। और न उन्हें इसकी चेतना प्राप्त है कि वे कब उठाए जाएँगे।' ([२७] अन-नम्ल: 65)Tafseer (तफ़सीर )
بَلِ ادّٰرَكَ عِلْمُهُمْ فِى الْاٰخِرَةِۗ بَلْ هُمْ فِيْ شَكٍّ مِّنْهَاۗ بَلْ هُمْ مِّنْهَا عَمُوْنَ ࣖ ٦٦
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- iddāraka
- ٱدَّٰرَكَ
- गुम हो गया
- ʿil'muhum
- عِلْمُهُمْ
- इल्म उनका
- fī
- فِى
- आख़िरत के बारे में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِۚ
- आख़िरत के बारे में
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- fī
- فِى
- शक में हैं
- shakkin
- شَكٍّ
- शक में हैं
- min'hā
- مِّنْهَاۖ
- उस से
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُم
- वो
- min'hā
- مِّنْهَا
- उससे
- ʿamūna
- عَمُونَ
- अँधे हैं
बल्कि आख़िरत के विषय में उनका ज्ञान पक्का हो गया है, बल्कि ये उसकी ओर से कुछ संदेह में है, बल्कि वे उससे अंधे है ([२७] अन-नम्ल: 66)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا ءَاِذَا كُنَّا تُرَابًا وَّاٰبَاۤؤُنَآ اَىِٕنَّا لَمُخْرَجُوْنَ ٦٧
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- a-idhā
- أَءِذَا
- क्या जब
- kunnā
- كُنَّا
- हो जाऐंगे हम
- turāban
- تُرَٰبًا
- मिट्टी
- waābāunā
- وَءَابَآؤُنَآ
- और आबा ओ अजदाद हमारे
- a-innā
- أَئِنَّا
- क्या यक़ीनन हम
- lamukh'rajūna
- لَمُخْرَجُونَ
- ज़रूर निकाले जाऐंगे
जिन लोगों ने इनकार किया वे कहते है कि 'क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे और हमारे बाप-दादा भी, तो क्या वास्तव में हम (जीवित करके) निकाले जाएँगे? ([२७] अन-नम्ल: 67)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ وُعِدْنَا هٰذَا نَحْنُ وَاٰبَاۤؤُنَا مِنْ قَبْلُۙ اِنْ هٰذَآ اِلَّآ اَسَاطِيْرُ الْاَوَّلِيْنَ ٦٨
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- wuʿid'nā
- وُعِدْنَا
- वादा किए गए हम
- hādhā
- هَٰذَا
- उसका
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- waābāunā
- وَءَابَآؤُنَا
- और आबा ओ अजदाद हमारे
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُ
- इससे क़ब्ल
- in
- إِنْ
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- asāṭīru
- أَسَٰطِيرُ
- कहानियाँ हैं
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
इसका वादा तो इससे पहले भी किया जा चुका है, हमसे भी और हमारे बाप-दादा से भी। ये तो बस पहले लोगो की कहानियाँ है।' ([२७] अन-नम्ल: 68)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ سِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَانْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِيْنَ ٦٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- sīrū
- سِيرُوا۟
- चलो फिरो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fa-unẓurū
- فَٱنظُرُوا۟
- फिर देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों का
कहो कि 'धरती में चलो-फिरो और देखो कि अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ।' ([२७] अन-नम्ल: 69)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَلَا تَكُنْ فِيْ ضَيْقٍ مِّمَّا يَمْكُرُوْنَ ٧٠
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzan
- تَحْزَنْ
- आप ग़म कीजिए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- takun
- تَكُن
- आप हों
- fī
- فِى
- तंगी में
- ḍayqin
- ضَيْقٍ
- तंगी में
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- yamkurūna
- يَمْكُرُونَ
- वो चालें चल रहे हैं
उनके प्रति शोकाकुल न हो और न उस चाल से दिल तंग हो, जो वे चल रहे है। ([२७] अन-नम्ल: 70)Tafseer (तफ़सीर )