فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ مَكْرِهِمْ اَنَّا دَمَّرْنٰهُمْ وَقَوْمَهُمْ اَجْمَعِيْنَ ٥١
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- पस देखिए
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसा
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- makrihim
- مَكْرِهِمْ
- उनकी चाल का
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- dammarnāhum
- دَمَّرْنَٰهُمْ
- तबाह कर दिया हमने उन्हें
- waqawmahum
- وَقَوْمَهُمْ
- और उनकी क़ौम को
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सब के सबको
अब देख लो, उनकी चाल का कैसा परिणाम हुआ! हमने उन्हें और उनकी क़ौम - सबको विनष्ट करके रख दिया ([२७] अन-नम्ल: 51)Tafseer (तफ़सीर )
فَتِلْكَ بُيُوْتُهُمْ خَاوِيَةً ۢبِمَا ظَلَمُوْاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيَةً لِّقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ٥٢
- fatil'ka
- فَتِلْكَ
- तो ये
- buyūtuhum
- بُيُوتُهُمْ
- उनके घर हैं
- khāwiyatan
- خَاوِيَةًۢ
- गिरे हुए
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- ẓalamū
- ظَلَمُوٓا۟ۗ
- उन्होंने ज़ुल्म किया
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसमें
- laāyatan
- لَءَايَةً
- अलबत्ता एक निशानी है
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
अब ये उनके घर उनके ज़ुल्म के कारण उजडें पड़े हुए है। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है उन लोगों के लिए जो जानना चाहें ([२७] अन-नम्ल: 52)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْجَيْنَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَكَانُوْا يَتَّقُوْنَ ٥٣
- wa-anjaynā
- وَأَنجَيْنَا
- और निजात दी हमने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- yattaqūna
- يَتَّقُونَ
- वो डरते
और हमने उन लोगों को बचा लिया, जो ईमान लाए और डर रखते थे ([२७] अन-नम्ल: 53)Tafseer (तफ़सीर )
وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اَتَأْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ وَاَنْتُمْ تُبْصِرُوْنَ ٥٤
- walūṭan
- وَلُوطًا
- और लूत को
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِۦٓ
- अपनी क़ौम से
- atatūna
- أَتَأْتُونَ
- क्या तुम आते हो
- l-fāḥishata
- ٱلْفَٰحِشَةَ
- बेहयाई को
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- हालाँकि तुम
- tub'ṣirūna
- تُبْصِرُونَ
- तुम देखते हो
और लूत को भी भेजा, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'क्या तुम आँखों देखते हुए अश्लील कर्म करते हो? ([२७] अन-नम्ल: 54)Tafseer (तफ़सीर )
اَىِٕنَّكُمْ لَتَأْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَاۤءِ ۗبَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُوْنَ ٥٥
- a-innakum
- أَئِنَّكُمْ
- क्या बेशक तुम
- latatūna
- لَتَأْتُونَ
- अलबत्ता तुम आते हो
- l-rijāla
- ٱلرِّجَالَ
- मर्दों के पास
- shahwatan
- شَهْوَةً
- शहवत के लिए
- min
- مِّن
- अलावा
- dūni
- دُونِ
- अलावा
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِۚ
- औरतों के
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- qawmun
- قَوْمٌ
- एक क़ौम हो
- tajhalūna
- تَجْهَلُونَ
- तुम जिहालत बरतते हो
क्या तुम स्त्रियों को छोड़कर अपनी काम-तृप्ति के लिए पुरुषों के पास जाते हो? बल्कि बात यह है कि तुम बड़े ही जाहिल लोग हो।' ([२७] अन-नम्ल: 55)Tafseer (तफ़सीर )
۞ فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖٓ اِلَّآ اَنْ قَالُوْٓا اَخْرِجُوْٓا اٰلَ لُوْطٍ مِّنْ قَرْيَتِكُمْۙ اِنَّهُمْ اُنَاسٌ يَّتَطَهَّرُوْنَ ٥٦
- famā
- فَمَا
- तो ना
- kāna
- كَانَ
- था
- jawāba
- جَوَابَ
- जवाब
- qawmihi
- قَوْمِهِۦٓ
- उसकी क़ौम का
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- akhrijū
- أَخْرِجُوٓا۟
- निकाल दो
- āla
- ءَالَ
- आले लूत को
- lūṭin
- لُوطٍ
- आले लूत को
- min
- مِّن
- अपनी बस्ती से
- qaryatikum
- قَرْيَتِكُمْۖ
- अपनी बस्ती से
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- unāsun
- أُنَاسٌ
- लोग
- yataṭahharūna
- يَتَطَهَّرُونَ
- वो बहुत पाकबाज़ बनते हैं
परन्तु उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने कहा, 'निकाल बाहर करो लूत के घरवालों को अपनी बस्ती से। ये लोग सुथराई को बहुत पसन्द करते है!' ([२७] अन-नम्ल: 56)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَنْجَيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اِلَّا امْرَاَتَهٗ قَدَّرْنٰهَا مِنَ الْغٰبِرِيْنَ ٥٧
- fa-anjaynāhu
- فَأَنجَيْنَٰهُ
- तो निजात दी हमने उसे
- wa-ahlahu
- وَأَهْلَهُۥٓ
- और उसके घर वालों को
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- im'ra-atahu
- ٱمْرَأَتَهُۥ
- उसकी बीवी के
- qaddarnāhā
- قَدَّرْنَٰهَا
- मुक़द्दर कर दिया हमने उसे
- mina
- مِنَ
- पीछे रहने वालों में से
- l-ghābirīna
- ٱلْغَٰبِرِينَ
- पीछे रहने वालों में से
अन्ततः हमने उसे और उसके घरवालों को बचा लिया सिवाय उसकी स्त्री के। उसके लिए हमने नियत कर दिया था कि वह पीछे रह जानेवालों में से होगी ([२७] अन-नम्ल: 57)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَّطَرًاۚ فَسَاۤءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِيْنَ ࣖ ٥٨
- wa-amṭarnā
- وَأَمْطَرْنَا
- और बरसाई हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- maṭaran
- مَّطَرًاۖ
- एक बारिश
- fasāa
- فَسَآءَ
- तो बहुत बुरी थी
- maṭaru
- مَطَرُ
- बारिश
- l-mundharīna
- ٱلْمُنذَرِينَ
- डराए जाने वालों की
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई और वह बहुत ही बुरी बरसात था उन लोगों के हक़ में, जिन्हें सचेत किया जा चुका था ([२७] अन-नम्ल: 58)Tafseer (तफ़सीर )
قُلِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ وَسَلٰمٌ عَلٰى عِبَادِهِ الَّذِيْنَ اصْطَفٰىۗ ءٰۤاللّٰهُ خَيْرٌ اَمَّا يُشْرِكُوْنَ ۔ ٥٩
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- wasalāmun
- وَسَلَٰمٌ
- और सलाम है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उसके उन बन्दों पर
- ʿibādihi
- عِبَادِهِ
- उसके उन बन्दों पर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्हें
- iṣ'ṭafā
- ٱصْطَفَىٰٓۗ
- उसने चुन लिया
- āllahu
- ءَآللَّهُ
- क्या अल्लाह
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- ammā
- أَمَّا
- या जिन्हें
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
कहो, 'प्रशंसा अल्लाह के लिए है और सलाम है उनके उन बन्दों पर जिन्हें उसने चुन लिया। क्या अल्लाह अच्छा है या वे जिन्हें वे साझी ठहरा रहे है? ([२७] अन-नम्ल: 59)Tafseer (तफ़सीर )
اَمَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَاَنْزَلَ لَكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَاَنْۢبَتْنَا بِهٖ حَدَاۤىِٕقَ ذَاتَ بَهْجَةٍۚ مَا كَانَ لَكُمْ اَنْ تُنْۢبِتُوْا شَجَرَهَاۗ ءَاِلٰهٌ مَّعَ اللّٰهِ ۗبَلْ هُمْ قَوْمٌ يَّعْدِلُوْنَ ۗ ٦٠
- amman
- أَمَّنْ
- या कौन है जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और उसने उतारा
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-anbatnā
- فَأَنۢبَتْنَا
- फिर उगाए हमने
- bihi
- بِهِۦ
- साथ इसके
- ḥadāiqa
- حَدَآئِقَ
- बाग़ात
- dhāta
- ذَاتَ
- रौनक़ वाले
- bahjatin
- بَهْجَةٍ
- रौनक़ वाले
- mā
- مَّا
- ना
- kāna
- كَانَ
- था
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- an
- أَن
- कि
- tunbitū
- تُنۢبِتُوا۟
- तुम उगा सको
- shajarahā
- شَجَرَهَآۗ
- दरख़्त उनके
- a-ilāhun
- أَءِلَٰهٌ
- क्या है कोई इलाह
- maʿa
- مَّعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- qawmun
- قَوْمٌ
- ऐसे लोग हैं
- yaʿdilūna
- يَعْدِلُونَ
- जो(अल्लाह के) बराबर क़रार देते हैं
(तुम्हारे पूज्य अच्छे है) या वह जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया और तुम्हारे लिए आकाश से पानी बरसाया; उसके द्वारा हमने रमणीय उद्यान उगाए? तुम्हारे लिए सम्भव न था कि तुम उनके वृक्षों को उगाते। - क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु-पूज्य है? नहीं, बल्कि वही लोग मार्ग से हटकर चले जा रहे है! ([२७] अन-नम्ल: 60)Tafseer (तफ़सीर )