Skip to content

सूरा अन-नम्ल - Page: 4

An-Naml

(चींटियाँ)

३१

اَلَّا تَعْلُوْا عَلَيَّ وَأْتُوْنِيْ مُسْلِمِيْنَ ࣖ ٣١

allā
أَلَّا
कि ना
taʿlū
تَعْلُوا۟
तुम सरकशी करो
ʿalayya
عَلَىَّ
मुझ पर
watūnī
وَأْتُونِى
और आ जाओ मेरे पास
mus'limīna
مُسْلِمِينَ
फ़रमाबरदार बन कर
यह कि मेरे मुक़ाबले में सरकशी न करो और आज्ञाकारी बनकर मेरे पास आओ।' ([२७] अन-नम्ल: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

قَالَتْ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَؤُا اَفْتُوْنِيْ فِيْٓ اَمْرِيْۚ مَا كُنْتُ قَاطِعَةً اَمْرًا حَتّٰى تَشْهَدُوْنِ ٣٢

qālat
قَالَتْ
वो कहने लगी
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
l-mala-u
ٱلْمَلَؤُا۟
सरदारो
aftūnī
أَفْتُونِى
जवाब दो मुझे
فِىٓ
मेरे मामले में
amrī
أَمْرِى
मेरे मामले में
مَا
नहीं
kuntu
كُنتُ
हूँ मैं
qāṭiʿatan
قَاطِعَةً
क़तई फ़ैसला करने वाली
amran
أَمْرًا
किसी काम का
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tashhadūni
تَشْهَدُونِ
तुम मौजूद हो मेरे पास
उसने कहा, 'ऐ सरदारों! मेरे मामलें में मुझे परामर्श दो। मैं किसी मामले का फ़ैसला नहीं करती, जब तक कि तुम मेरे पास मौजूद न हो।' ([२७] अन-नम्ल: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

قَالُوْا نَحْنُ اُولُوْا قُوَّةٍ وَّاُولُوْا بَأْسٍ شَدِيْدٍ ەۙ وَّالْاَمْرُ اِلَيْكِ فَانْظُرِيْ مَاذَا تَأْمُرِيْنَ ٣٣

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
naḥnu
نَحْنُ
हम
ulū
أُو۟لُوا۟
क़ुव्वत वाले हैं
quwwatin
قُوَّةٍ
क़ुव्वत वाले हैं
wa-ulū
وَأُو۟لُوا۟
और जंगजू हैं
basin
بَأْسٍ
और जंगजू हैं
shadīdin
شَدِيدٍ
सख़्त
wal-amru
وَٱلْأَمْرُ
और फ़ैसला
ilayki
إِلَيْكِ
तुम्हारी तरफ़ है
fa-unẓurī
فَٱنظُرِى
तो देखलो / ग़ौर कर लो
mādhā
مَاذَا
क्या
tamurīna
تَأْمُرِينَ
तुम हुक्म देती हो
उन्होंने कहा, 'हम शक्तिशाली है और हमें बड़ी युद्ध-क्षमता प्राप्त है। आगे मामले का अधिकार आपको है, अतः आप देख लें कि आपको क्या आदेश देना है।' ([२७] अन-नम्ल: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

قَالَتْ اِنَّ الْمُلُوْكَ اِذَا دَخَلُوْا قَرْيَةً اَفْسَدُوْهَا وَجَعَلُوْٓا اَعِزَّةَ اَهْلِهَآ اَذِلَّةً ۚوَكَذٰلِكَ يَفْعَلُوْنَ ٣٤

qālat
قَالَتْ
वो कहने लगी
inna
إِنَّ
बेशक
l-mulūka
ٱلْمُلُوكَ
बादशाह
idhā
إِذَا
जब
dakhalū
دَخَلُوا۟
वो दाख़िल होते हैं
qaryatan
قَرْيَةً
किसी बस्ती में
afsadūhā
أَفْسَدُوهَا
वो तबाह कर देते हैं उसे
wajaʿalū
وَجَعَلُوٓا۟
और वो कर देते हैं
aʿizzata
أَعِزَّةَ
उसके मुअज़्ज़िज़ बाशिन्दों को
ahlihā
أَهْلِهَآ
उसके मुअज़्ज़िज़ बाशिन्दों को
adhillatan
أَذِلَّةًۖ
ज़लील
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
ये करेंगे
उसने कहा, 'सम्राट जब किसी बस्ती में प्रवेश करते है, तो उसे ख़राब कर देते है और वहाँ के प्रभावशाली लोगों को अपमानित करके रहते है। और वे ऐसा ही करेंगे ([२७] अन-नम्ल: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

وَاِنِّيْ مُرْسِلَةٌ اِلَيْهِمْ بِهَدِيَّةٍ فَنٰظِرَةٌ ۢبِمَ يَرْجِعُ الْمُرْسَلُوْنَ ٣٥

wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
mur'silatun
مُرْسِلَةٌ
भेजने वाली हूँ
ilayhim
إِلَيْهِم
तरफ़ उनके
bihadiyyatin
بِهَدِيَّةٍ
एक हदिया
fanāẓiratun
فَنَاظِرَةٌۢ
फिर देखने वाली हूँ
bima
بِمَ
साथ किस चीज़ के
yarjiʿu
يَرْجِعُ
लौटते हैं
l-mur'salūna
ٱلْمُرْسَلُونَ
भेजे हुए (क़ासिद)
मैं उनके पास एक उपहार भेजती हूँ; फिर देखती हूँ कि दूत क्या उत्तर लेकर लौटते है।' ([२७] अन-नम्ल: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

فَلَمَّا جَاۤءَ سُلَيْمٰنَ قَالَ اَتُمِدُّوْنَنِ بِمَالٍ فَمَآ اٰتٰىنِ َۧ اللّٰهُ خَيْرٌ مِّمَّآ اٰتٰىكُمْۚ بَلْ اَنْتُمْ بِهَدِيَّتِكُمْ تَفْرَحُوْنَ ٣٦

falammā
فَلَمَّا
तो जब
jāa
جَآءَ
वो आया
sulaymāna
سُلَيْمَٰنَ
सुलैमान के पास
qāla
قَالَ
उसने कहा
atumiddūnani
أَتُمِدُّونَنِ
क्या तुम मदद देते हो मुझे
bimālin
بِمَالٍ
साथ माल के
famā
فَمَآ
तो जो
ātāniya
ءَاتَىٰنِۦَ
अता किया मुझे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
mimmā
مِّمَّآ
उससे जो
ātākum
ءَاتَىٰكُم
उसने अता किया तुम्हें
bal
بَلْ
बल्कि
antum
أَنتُم
तुम ही
bihadiyyatikum
بِهَدِيَّتِكُمْ
साथ अपने हदिये के
tafraḥūna
تَفْرَحُونَ
तुम ख़ुश होते हो
फिर जब वह सुलैमान के पास पहुँचा तो उसने (सुलैमान ने) कहा, 'क्या तुम माल से मेरी सहायता करोगे, तो जो कुछ अल्लाह ने मुझे दिया है वह उससे कहीं उत्तम है, जो उसने तुम्हें दिया है? बल्कि तुम्ही लोग हो जो अपने उपहार से प्रसन्न होते हो! ([२७] अन-नम्ल: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اِرْجِعْ اِلَيْهِمْ فَلَنَأْتِيَنَّهُمْ بِجُنُوْدٍ لَّا قِبَلَ لَهُمْ بِهَا وَلَنُخْرِجَنَّهُمْ مِّنْهَآ اَذِلَّةً وَّهُمْ صَاغِرُوْنَ ٣٧

ir'jiʿ
ٱرْجِعْ
लौट जाओ
ilayhim
إِلَيْهِمْ
उनकी तरफ़
falanatiyannahum
فَلَنَأْتِيَنَّهُم
पस अलबत्ता हम ज़रूर लाऐंगे उनके पास
bijunūdin
بِجُنُودٍ
ऐसे लश्करों को
لَّا
नहीं कोई मुक़ाबला
qibala
قِبَلَ
नहीं कोई मुक़ाबला
lahum
لَهُم
उनके लिए
bihā
بِهَا
उनका
walanukh'rijannahum
وَلَنُخْرِجَنَّهُم
और अलबत्ता हम ज़रूर निकाल देंगे उन्हें
min'hā
مِّنْهَآ
उससे
adhillatan
أَذِلَّةً
ज़लील करके
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
ṣāghirūna
صَٰغِرُونَ
ख़्वार होंगे
उनके पास वापस जाओ। हम उनपर ऐसी सेनाएँ लेकर आएँगे, जिनका मुक़ाबला वे न कर सकेंगे और हम उन्हें अपमानित करके वहाँ से निकाल देंगे कि वे पस्त होकर रहेंगे।' ([२७] अन-नम्ल: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

قَالَ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَؤُا اَيُّكُمْ يَأْتِيْنِيْ بِعَرْشِهَا قَبْلَ اَنْ يَّأْتُوْنِيْ مُسْلِمِيْنَ ٣٨

qāla
قَالَ
कहा
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
l-mala-u
ٱلْمَلَؤُا۟
सरदारो
ayyukum
أَيُّكُمْ
कौन तुम में से
yatīnī
يَأْتِينِى
लाएगा मेरे पास
biʿarshihā
بِعَرْشِهَا
तख़्त उसका
qabla
قَبْلَ
इससे पहले
an
أَن
कि
yatūnī
يَأْتُونِى
वो आ जाऐं मेरे पास
mus'limīna
مُسْلِمِينَ
फ़रमाबरदार बन कर
उसने (सुलैमान ने) कहा, 'ऐ सरदारो! तुममें कौन उसका सिंहासन लेकर मेरे पास आता है, इससे पहले कि वे लोग आज्ञाकारी होकर मेरे पास आएँ?' ([२७] अन-नम्ल: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

قَالَ عِفْرِيْتٌ مِّنَ الْجِنِّ اَنَا۠ اٰتِيْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ تَقُوْمَ مِنْ مَّقَامِكَۚ وَاِنِّيْ عَلَيْهِ لَقَوِيٌّ اَمِيْنٌ ٣٩

qāla
قَالَ
कहा
ʿif'rītun
عِفْرِيتٌ
एक देव ने
mina
مِّنَ
जिन्नों में से
l-jini
ٱلْجِنِّ
जिन्नों में से
anā
أَنَا۠
मैं
ātīka
ءَاتِيكَ
मैं ले आऊँगा आपके पास
bihi
بِهِۦ
उसे
qabla
قَبْلَ
इससे पहले
an
أَن
कि
taqūma
تَقُومَ
आप खड़े हों
min
مِن
अपनी जगह से
maqāmika
مَّقَامِكَۖ
अपनी जगह से
wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
laqawiyyun
لَقَوِىٌّ
अलबत्ता क़ुव्वत रखने वाला
amīnun
أَمِينٌ
बहुत अमानतदार हूँ
जिन्नों में से एक बलिष्ठ निर्भीक ने कहा, 'मैं उसे आपके पास ले आऊँगा। इससे पहले कि आप अपने स्थान से उठे। मुझे इसकी शक्ति प्राप्त है और मैं अमानतदार भी हूँ।' ([२७] अन-नम्ल: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

قَالَ الَّذِيْ عِنْدَهٗ عِلْمٌ مِّنَ الْكِتٰبِ اَنَا۠ اٰتِيْكَ بِهٖ قَبْلَ اَنْ يَّرْتَدَّ اِلَيْكَ طَرْفُكَۗ فَلَمَّا رَاٰهُ مُسْتَقِرًّا عِنْدَهٗ قَالَ هٰذَا مِنْ فَضْلِ رَبِّيْۗ لِيَبْلُوَنِيْٓ ءَاَشْكُرُ اَمْ اَكْفُرُۗ وَمَنْ شَكَرَ فَاِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ رَبِّيْ غَنِيٌّ كَرِيْمٌ ٤٠

qāla
قَالَ
कहा
alladhī
ٱلَّذِى
उसने
ʿindahu
عِندَهُۥ
जिसके पास
ʿil'mun
عِلْمٌ
इल्म था
mina
مِّنَ
किताब का
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का
anā
أَنَا۠
मैं
ātīka
ءَاتِيكَ
मैं ले आऊँगा आपके पास
bihi
بِهِۦ
उसे
qabla
قَبْلَ
इससे पहले
an
أَن
कि
yartadda
يَرْتَدَّ
लौटे
ilayka
إِلَيْكَ
आपकी तरफ़
ṭarfuka
طَرْفُكَۚ
नज़र आपकी
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
raāhu
رَءَاهُ
उसने देखा उसे
mus'taqirran
مُسْتَقِرًّا
रखा हुआ
ʿindahu
عِندَهُۥ
अपने पास
qāla
قَالَ
उसने कहा
hādhā
هَٰذَا
ये
min
مِن
फ़ज़ल से है
faḍli
فَضْلِ
फ़ज़ल से है
rabbī
رَبِّى
मेरे रब के
liyabluwanī
لِيَبْلُوَنِىٓ
ताकि वो आज़माए मुझे
a-ashkuru
ءَأَشْكُرُ
क्या मैं शुक्र करता हूँ
am
أَمْ
या
akfuru
أَكْفُرُۖ
मैं नाशुक्री करता हूँ
waman
وَمَن
और जिसने
shakara
شَكَرَ
शुक्र किया
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो यक़ीनन
yashkuru
يَشْكُرُ
वो शुक्र करेगा
linafsihi
لِنَفْسِهِۦۖ
अपने ही लिए
waman
وَمَن
और जिसने
kafara
كَفَرَ
कुफ़्र किया
fa-inna
فَإِنَّ
चो यक़ीनन
rabbī
رَبِّى
मेरा रब
ghaniyyun
غَنِىٌّ
बहुत बेनियाज़ है
karīmun
كَرِيمٌ
निहायत इज़्ज़त वाला है
जिस व्यक्ति के पास किताब का ज्ञान था, उसने कहा, 'मैं आपकी पलक झपकने से पहले उसे आपके पास लाए देता हूँ।' फिर जब उसने उसे अपने पास रखा हुआ देखा तो कहा, 'यह मेरे रब का उदार अनुग्रह है, ताकि वह मेरी परीक्षा करे कि मैं कृतज्ञता दिखाता हूँ या कृतघ्न बनता हूँ। जो कृतज्ञता दिखलाता है तो वह अपने लिए ही कृतज्ञता दिखलाता है और वह जिसने कृतघ्नता दिखाई, तो मेरा रब निश्चय ही निस्पृह, बड़ा उदार है।' ([२७] अन-नम्ल: 40)
Tafseer (तफ़सीर )