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सूरा अन-नम्ल - Page: 3

An-Naml

(चींटियाँ)

२१

لَاُعَذِّبَنَّهٗ عَذَابًا شَدِيْدًا اَوْ لَاَا۟ذْبَحَنَّهٗٓ اَوْ لَيَأْتِيَنِّيْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍ ٢١

la-uʿadhibannahu
لَأُعَذِّبَنَّهُۥ
अलबत्ता मैं ज़रूर सज़ा दूँगा उसे
ʿadhāban
عَذَابًا
सज़ा
shadīdan
شَدِيدًا
शदीद
aw
أَوْ
या
laādh'baḥannahu
لَأَا۟ذْبَحَنَّهُۥٓ
अलबत्ता मैं ज़रूर ज़िबह करूँगा उसे
aw
أَوْ
या
layatiyannī
لَيَأْتِيَنِّى
अलबत्ता वो ज़रूर लाए मेरे पास
bisul'ṭānin
بِسُلْطَٰنٍ
कोई दलील
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह
मैं उसे कठोर दंड दूँगा या उसे ज़बह ही कर डालूँगा या फिर वह मेरे सामने कोई स्पष्ट॥ कारण प्रस्तुत करे।' ([२७] अन-नम्ल: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

فَمَكَثَ غَيْرَ بَعِيْدٍ فَقَالَ اَحَطْتُّ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ وَجِئْتُكَ مِنْ سَبَاٍ ۢبِنَبَاٍ يَّقِيْنٍ ٢٢

famakatha
فَمَكَثَ
तो वो ठहरा
ghayra
غَيْرَ
थोड़ी देर
baʿīdin
بَعِيدٍ
थोड़ी देर
faqāla
فَقَالَ
तो कहा (हुदहुद ने)
aḥaṭtu
أَحَطتُ
अहाता किया मैं ने
bimā
بِمَا
उसका जो
lam
لَمْ
नहीं
tuḥiṭ
تُحِطْ
आपने अहाता किया
bihi
بِهِۦ
जिसका
waji'tuka
وَجِئْتُكَ
और लाया हूँ मैं आपके पास
min
مِن
सबा से
saba-in
سَبَإٍۭ
सबा से
binaba-in
بِنَبَإٍ
एक ख़बर
yaqīnin
يَقِينٍ
यक़ीनी
फिर कुछ अधिक देर नहीं ठहरा कि उसने आकर कहा, 'मैंने वह जानकारी प्राप्त की है जो आपको मालूम नहीं है। मैं सबा से आपके पास एक विश्वसनीय सूचना लेकर आया हूँ ([२७] अन-नम्ल: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنِّيْ وَجَدْتُّ امْرَاَةً تَمْلِكُهُمْ وَاُوْتِيَتْ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ وَّلَهَا عَرْشٌ عَظِيْمٌ ٢٣

innī
إِنِّى
बेशक मैं
wajadttu
وَجَدتُّ
पाया मैं ने
im'ra-atan
ٱمْرَأَةً
एक औरत को
tamlikuhum
تَمْلِكُهُمْ
वो हुक्मरानी करती है उन पर
waūtiyat
وَأُوتِيَتْ
और वो दी गई है
min
مِن
हर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ ( ज़रूरत की )
walahā
وَلَهَا
और उसके लिए
ʿarshun
عَرْشٌ
तख़्त है
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
मैंने एक स्त्री को उनपर शासन करते पाया है। उसे हर चीज़ प्राप्त है औऱ उसका एक बड़ा सिंहासन है ([२७] अन-नम्ल: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

وَجَدْتُّهَا وَقَوْمَهَا يَسْجُدُوْنَ لِلشَّمْسِ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَزَيَّنَ لَهُمُ الشَّيْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ السَّبِيْلِ فَهُمْ لَا يَهْتَدُوْنَۙ ٢٤

wajadttuhā
وَجَدتُّهَا
पाया मैं ने उसे
waqawmahā
وَقَوْمَهَا
और उसकी क़ौम को
yasjudūna
يَسْجُدُونَ
वो सजदा करते हैं
lilshamsi
لِلشَّمْسِ
सूरज को
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wazayyana
وَزَيَّنَ
और मुज़य्यन कर दिए
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
आमाल उनके
faṣaddahum
فَصَدَّهُمْ
फिर उसने रोक दिया उन्हें
ʿani
عَنِ
(सीधे) रास्ते से
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
(सीधे) रास्ते से
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो हिदायत पाते
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
नहीं वो हिदायत पाते
मैंने उसे और उसकी क़ौम के लोगों को अल्लाह से इतर सूर्य को सजदा करते हुए पाया। शैतान ने उनके कर्मों को उनके लिए शोभायमान बना दिया है और उन्हें मार्ग से रोक दिया है - अतः वे सीधा मार्ग नहीं पा रहे है। - ([२७] अन-नम्ल: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

اَلَّا يَسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِيْ يُخْرِجُ الْخَبْءَ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُخْفُوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ٢٥

allā
أَلَّا
ये कि नहीं
yasjudū
يَسْجُدُوا۟
वो सजदा करते
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
yukh'riju
يُخْرِجُ
निकालता है
l-khaba-a
ٱلْخَبْءَ
छुपी चीज़ को
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में
wayaʿlamu
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
مَا
जो कुछ
tukh'fūna
تُخْفُونَ
तुम छुपाते हो
wamā
وَمَا
और जो कुछ
tuʿ'linūna
تُعْلِنُونَ
तुम ज़ाहिर करते हो
खि अल्लाह को सजदा न करें जो आकाशों और धरती की छिपी चीज़ें निकालता है, और जानता है जो कुछ भी तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो ([२७] अन-नम्ल: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۙ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ ۩ ٢٦

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़ )
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो ही
rabbu
رَبُّ
रब है
l-ʿarshi
ٱلْعَرْشِ
अर्शे
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ۩
अज़ीम का
अल्लाह कि उसके सिवा कोई इष्ट -पूज्य नहीं, वह महान सिंहासन का रब है।' ([२७] अन-नम्ल: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

۞ قَالَ سَنَنْظُرُ اَصَدَقْتَ اَمْ كُنْتَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ ٢٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
sananẓuru
سَنَنظُرُ
अनक़रीब हम देखेंगे
aṣadaqta
أَصَدَقْتَ
क्या सच कहा तू ने
am
أَمْ
या
kunta
كُنتَ
है तू
mina
مِنَ
झूठों में से
l-kādhibīna
ٱلْكَٰذِبِينَ
झूठों में से
उसने कहा, 'अभी हम देख लेते है कि तूने सच कहा या तू झूठा है ([२७] अन-नम्ल: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

اِذْهَبْ بِّكِتٰبِيْ هٰذَا فَاَلْقِهْ اِلَيْهِمْ ثُمَّ تَوَلَّ عَنْهُمْ فَانْظُرْ مَاذَا يَرْجِعُوْنَ ٢٨

idh'hab
ٱذْهَب
ले जाओ
bikitābī
بِّكِتَٰبِى
ख़त मेरा
hādhā
هَٰذَا
ये
fa-alqih
فَأَلْقِهْ
फिर डाल दो उसे
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
thumma
ثُمَّ
फिर
tawalla
تَوَلَّ
हट जाओ
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
fa-unẓur
فَٱنظُرْ
फिर देखो
mādhā
مَاذَا
क्या कुछ
yarjiʿūna
يَرْجِعُونَ
वो जवाब देते हैं
मेरा यह पत्र लेकर जा, और इसे उन लोगों की ओर डाल दे। फिर उनके पास से अलग हटकर देख कि वे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते है।' ([२७] अन-नम्ल: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

قَالَتْ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَؤُا اِنِّيْٓ اُلْقِيَ اِلَيَّ كِتٰبٌ كَرِيْمٌ ٢٩

qālat
قَالَتْ
बोली (मलका)
yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
l-mala-u
ٱلْمَلَؤُا۟
सरदारो
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
ul'qiya
أُلْقِىَ
डाला गया
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
kitābun
كِتَٰبٌ
एक ख़त
karīmun
كَرِيمٌ
मुअज़्ज़िज़
वह बोली, 'ऐ सरदारों! मेरी ओर एक प्रतिष्ठित पत्र डाला गया है ([२७] अन-नम्ल: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

اِنَّهٗ مِنْ سُلَيْمٰنَ وَاِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ۙ ٣٠

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
min
مِن
सुलैमान की तरफ़ से है
sulaymāna
سُلَيْمَٰنَ
सुलैमान की तरफ़ से है
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
bis'mi
بِسْمِ
साथ नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के है
l-raḥmāni
ٱلرَّحْمَٰنِ
जो बड़ा मेहरबान है
l-raḥīmi
ٱلرَّحِيمِ
निहायत रहम करने वाला है
वह सुलैमान की ओर से है और वह यह है कि अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है ([२७] अन-नम्ल: 30)
Tafseer (तफ़सीर )