لَاُعَذِّبَنَّهٗ عَذَابًا شَدِيْدًا اَوْ لَاَا۟ذْبَحَنَّهٗٓ اَوْ لَيَأْتِيَنِّيْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍ ٢١
- la-uʿadhibannahu
- لَأُعَذِّبَنَّهُۥ
- अलबत्ता मैं ज़रूर सज़ा दूँगा उसे
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- सज़ा
- shadīdan
- شَدِيدًا
- शदीद
- aw
- أَوْ
- या
- laādh'baḥannahu
- لَأَا۟ذْبَحَنَّهُۥٓ
- अलबत्ता मैं ज़रूर ज़िबह करूँगा उसे
- aw
- أَوْ
- या
- layatiyannī
- لَيَأْتِيَنِّى
- अलबत्ता वो ज़रूर लाए मेरे पास
- bisul'ṭānin
- بِسُلْطَٰنٍ
- कोई दलील
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
मैं उसे कठोर दंड दूँगा या उसे ज़बह ही कर डालूँगा या फिर वह मेरे सामने कोई स्पष्ट॥ कारण प्रस्तुत करे।' ([२७] अन-नम्ल: 21)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَكَثَ غَيْرَ بَعِيْدٍ فَقَالَ اَحَطْتُّ بِمَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ وَجِئْتُكَ مِنْ سَبَاٍ ۢبِنَبَاٍ يَّقِيْنٍ ٢٢
- famakatha
- فَمَكَثَ
- तो वो ठहरा
- ghayra
- غَيْرَ
- थोड़ी देर
- baʿīdin
- بَعِيدٍ
- थोड़ी देर
- faqāla
- فَقَالَ
- तो कहा (हुदहुद ने)
- aḥaṭtu
- أَحَطتُ
- अहाता किया मैं ने
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- tuḥiṭ
- تُحِطْ
- आपने अहाता किया
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- waji'tuka
- وَجِئْتُكَ
- और लाया हूँ मैं आपके पास
- min
- مِن
- सबा से
- saba-in
- سَبَإٍۭ
- सबा से
- binaba-in
- بِنَبَإٍ
- एक ख़बर
- yaqīnin
- يَقِينٍ
- यक़ीनी
फिर कुछ अधिक देर नहीं ठहरा कि उसने आकर कहा, 'मैंने वह जानकारी प्राप्त की है जो आपको मालूम नहीं है। मैं सबा से आपके पास एक विश्वसनीय सूचना लेकर आया हूँ ([२७] अन-नम्ल: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِنِّيْ وَجَدْتُّ امْرَاَةً تَمْلِكُهُمْ وَاُوْتِيَتْ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ وَّلَهَا عَرْشٌ عَظِيْمٌ ٢٣
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- wajadttu
- وَجَدتُّ
- पाया मैं ने
- im'ra-atan
- ٱمْرَأَةً
- एक औरत को
- tamlikuhum
- تَمْلِكُهُمْ
- वो हुक्मरानी करती है उन पर
- waūtiyat
- وَأُوتِيَتْ
- और वो दी गई है
- min
- مِن
- हर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ ( ज़रूरत की )
- walahā
- وَلَهَا
- और उसके लिए
- ʿarshun
- عَرْشٌ
- तख़्त है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
मैंने एक स्त्री को उनपर शासन करते पाया है। उसे हर चीज़ प्राप्त है औऱ उसका एक बड़ा सिंहासन है ([२७] अन-नम्ल: 23)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَدْتُّهَا وَقَوْمَهَا يَسْجُدُوْنَ لِلشَّمْسِ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَزَيَّنَ لَهُمُ الشَّيْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ السَّبِيْلِ فَهُمْ لَا يَهْتَدُوْنَۙ ٢٤
- wajadttuhā
- وَجَدتُّهَا
- पाया मैं ने उसे
- waqawmahā
- وَقَوْمَهَا
- और उसकी क़ौम को
- yasjudūna
- يَسْجُدُونَ
- वो सजदा करते हैं
- lilshamsi
- لِلشَّمْسِ
- सूरज को
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wazayyana
- وَزَيَّنَ
- और मुज़य्यन कर दिए
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْ
- आमाल उनके
- faṣaddahum
- فَصَدَّهُمْ
- फिर उसने रोक दिया उन्हें
- ʿani
- عَنِ
- (सीधे) रास्ते से
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- (सीधे) रास्ते से
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत पाते
- yahtadūna
- يَهْتَدُونَ
- नहीं वो हिदायत पाते
मैंने उसे और उसकी क़ौम के लोगों को अल्लाह से इतर सूर्य को सजदा करते हुए पाया। शैतान ने उनके कर्मों को उनके लिए शोभायमान बना दिया है और उन्हें मार्ग से रोक दिया है - अतः वे सीधा मार्ग नहीं पा रहे है। - ([२७] अन-नम्ल: 24)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّا يَسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِيْ يُخْرِجُ الْخَبْءَ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُخْفُوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ٢٥
- allā
- أَلَّا
- ये कि नहीं
- yasjudū
- يَسْجُدُوا۟
- वो सजदा करते
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yukh'riju
- يُخْرِجُ
- निकालता है
- l-khaba-a
- ٱلْخَبْءَ
- छुपी चीज़ को
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- tukh'fūna
- تُخْفُونَ
- तुम छुपाते हो
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- tuʿ'linūna
- تُعْلِنُونَ
- तुम ज़ाहिर करते हो
खि अल्लाह को सजदा न करें जो आकाशों और धरती की छिपी चीज़ें निकालता है, और जानता है जो कुछ भी तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो ([२७] अन-नम्ल: 25)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۙ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ ۩ ٢٦
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़ )
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- rabbu
- رَبُّ
- रब है
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- अर्शे
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ۩
- अज़ीम का
अल्लाह कि उसके सिवा कोई इष्ट -पूज्य नहीं, वह महान सिंहासन का रब है।' ([२७] अन-नम्ल: 26)Tafseer (तफ़सीर )
۞ قَالَ سَنَنْظُرُ اَصَدَقْتَ اَمْ كُنْتَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ ٢٧
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- sananẓuru
- سَنَنظُرُ
- अनक़रीब हम देखेंगे
- aṣadaqta
- أَصَدَقْتَ
- क्या सच कहा तू ने
- am
- أَمْ
- या
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- mina
- مِنَ
- झूठों में से
- l-kādhibīna
- ٱلْكَٰذِبِينَ
- झूठों में से
उसने कहा, 'अभी हम देख लेते है कि तूने सच कहा या तू झूठा है ([२७] अन-नम्ल: 27)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْهَبْ بِّكِتٰبِيْ هٰذَا فَاَلْقِهْ اِلَيْهِمْ ثُمَّ تَوَلَّ عَنْهُمْ فَانْظُرْ مَاذَا يَرْجِعُوْنَ ٢٨
- idh'hab
- ٱذْهَب
- ले जाओ
- bikitābī
- بِّكِتَٰبِى
- ख़त मेरा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- fa-alqih
- فَأَلْقِهْ
- फिर डाल दो उसे
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tawalla
- تَوَلَّ
- हट जाओ
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- फिर देखो
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ
- yarjiʿūna
- يَرْجِعُونَ
- वो जवाब देते हैं
मेरा यह पत्र लेकर जा, और इसे उन लोगों की ओर डाल दे। फिर उनके पास से अलग हटकर देख कि वे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते है।' ([२७] अन-नम्ल: 28)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَتْ يٰٓاَيُّهَا الْمَلَؤُا اِنِّيْٓ اُلْقِيَ اِلَيَّ كِتٰبٌ كَرِيْمٌ ٢٩
- qālat
- قَالَتْ
- बोली (मलका)
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-mala-u
- ٱلْمَلَؤُا۟
- सरदारो
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- ul'qiya
- أُلْقِىَ
- डाला गया
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- एक ख़त
- karīmun
- كَرِيمٌ
- मुअज़्ज़िज़
वह बोली, 'ऐ सरदारों! मेरी ओर एक प्रतिष्ठित पत्र डाला गया है ([२७] अन-नम्ल: 29)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّهٗ مِنْ سُلَيْمٰنَ وَاِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ۙ ٣٠
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- min
- مِن
- सुलैमान की तरफ़ से है
- sulaymāna
- سُلَيْمَٰنَ
- सुलैमान की तरफ़ से है
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- bis'mi
- بِسْمِ
- साथ नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के है
- l-raḥmāni
- ٱلرَّحْمَٰنِ
- जो बड़ा मेहरबान है
- l-raḥīmi
- ٱلرَّحِيمِ
- निहायत रहम करने वाला है
वह सुलैमान की ओर से है और वह यह है कि अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है ([२७] अन-नम्ल: 30)Tafseer (तफ़सीर )