८१
وَالَّذِيْ يُمِيْتُنِيْ ثُمَّ يُحْيِيْنِ ۙ ٨١
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِى
- और वो जो
- yumītunī
- يُمِيتُنِى
- मौत देगा मुझे
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuḥ'yīni
- يُحْيِينِ
- वो ज़िन्दा करेगा मुझे
और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा ([२६] अस-शुआरा: 81)Tafseer (तफ़सीर )
८२
وَالَّذِيْٓ اَطْمَعُ اَنْ يَّغْفِرَ لِيْ خَطِيْۤـَٔتِيْ يَوْمَ الدِّيْنِ ۗ ٨٢
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِىٓ
- और वो जिससे
- aṭmaʿu
- أَطْمَعُ
- मैं उम्मीद रखता हूँ
- an
- أَن
- कि
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- वो बख़्श देगा
- lī
- لِى
- मेरे लिए
- khaṭīatī
- خَطِيٓـَٔتِى
- ख़ता मेरी
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- बदले के
और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा ([२६] अस-शुआरा: 82)Tafseer (तफ़सीर )
८३
رَبِّ هَبْ لِيْ حُكْمًا وَّاَلْحِقْنِيْ بِالصّٰلِحِيْنَ ۙ ٨٣
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- hab
- هَبْ
- अता कर
- lī
- لِى
- मुझे
- ḥuk'man
- حُكْمًا
- हुक्म/ हिकमत
- wa-alḥiq'nī
- وَأَلْحِقْنِى
- और मिला दे मुझे
- bil-ṣāliḥīna
- بِٱلصَّٰلِحِينَ
- साथ नेक लोगों के
ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला। ([२६] अस-शुआरा: 83)Tafseer (तफ़सीर )
८४
وَاجْعَلْ لِّيْ لِسَانَ صِدْقٍ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۙ ٨٤
- wa-ij'ʿal
- وَٱجْعَل
- और बना दे
- lī
- لِّى
- मेरे लिए
- lisāna
- لِسَانَ
- ज़बान/ नामवरी
- ṣid'qin
- صِدْقٍ
- सच्चाई की
- fī
- فِى
- बाद वालों में
- l-ākhirīna
- ٱلْءَاخِرِينَ
- बाद वालों में
और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर ([२६] अस-शुआरा: 84)Tafseer (तफ़सीर )
८५
وَاجْعَلْنِيْ مِنْ وَّرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيْمِ ۙ ٨٥
- wa-ij'ʿalnī
- وَٱجْعَلْنِى
- और बना दे मुझे
- min
- مِن
- वारिसों में से
- warathati
- وَرَثَةِ
- वारिसों में से
- jannati
- جَنَّةِ
- जन्नत के
- l-naʿīmi
- ٱلنَّعِيمِ
- नेअमत भरी
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर ([२६] अस-शुआरा: 85)Tafseer (तफ़सीर )
८६
وَاغْفِرْ لِاَبِيْٓ اِنَّهٗ كَانَ مِنَ الضَّاۤلِّيْنَ ۙ ٨٦
- wa-igh'fir
- وَٱغْفِرْ
- और बख़्श दे
- li-abī
- لِأَبِىٓ
- मेरे बाप को
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- kāna
- كَانَ
- है वो
- mina
- مِنَ
- गुमराहों में से
- l-ḍālīna
- ٱلضَّآلِّينَ
- गुमराहों में से
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है ([२६] अस-शुआरा: 86)Tafseer (तफ़सीर )
८७
وَلَا تُخْزِنِيْ يَوْمَ يُبْعَثُوْنَۙ ٨٧
- walā
- وَلَا
- और ना
- tukh'zinī
- تُخْزِنِى
- तू रुस्वा कर मुझे
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yub'ʿathūna
- يُبْعَثُونَ
- वो उठाए जाऐंगे
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे। ([२६] अस-शुआरा: 87)Tafseer (तफ़सीर )
८८
يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَّلَا بَنُوْنَ ۙ ٨٨
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- lā
- لَا
- ना फ़ायदा देगा
- yanfaʿu
- يَنفَعُ
- ना फ़ायदा देगा
- mālun
- مَالٌ
- माल
- walā
- وَلَا
- और ना
- banūna
- بَنُونَ
- बेटे
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद, ([२६] अस-शुआरा: 88)Tafseer (तफ़सीर )
८९
اِلَّا مَنْ اَتَى اللّٰهَ بِقَلْبٍ سَلِيْمٍ ۗ ٨٩
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَنْ
- जो
- atā
- أَتَى
- आए
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह के पास
- biqalbin
- بِقَلْبٍ
- साथ दिल
- salīmin
- سَلِيمٍ
- सलामत के
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।' ([२६] अस-शुआरा: 89)Tafseer (तफ़सीर )
९०
وَاُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِيْنَ ۙ ٩٠
- wa-uz'lifati
- وَأُزْلِفَتِ
- और क़रीब लाई जाएगी
- l-janatu
- ٱلْجَنَّةُ
- जन्नत
- lil'muttaqīna
- لِلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी ([२६] अस-शुआरा: 90)Tafseer (तफ़सीर )