५१
اِنَّا نَطْمَعُ اَنْ يَّغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطٰيٰنَآ اَنْ كُنَّآ اَوَّلَ الْمُؤْمِنِيْنَ ۗ ࣖ ٥١
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naṭmaʿu
- نَطْمَعُ
- हम उम्मीद रखते हैं
- an
- أَن
- कि
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- बख़्श देगा
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- rabbunā
- رَبُّنَا
- हमारा रब
- khaṭāyānā
- خَطَٰيَٰنَآ
- ख़ताऐं हमारी
- an
- أَن
- कि
- kunnā
- كُنَّآ
- हैं हम
- awwala
- أَوَّلَ
- सबसे पहले
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।' ([२६] अस-शुआरा: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
۞ وَاَوْحَيْنَآ اِلٰى مُوْسٰٓى اَنْ اَسْرِ بِعِبَادِيْٓ اِنَّكُمْ مُّتَّبَعُوْنَ ٥٢
- wa-awḥaynā
- وَأَوْحَيْنَآ
- और वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ मूसा के
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- तरफ़ मूसा के
- an
- أَنْ
- ये कि
- asri
- أَسْرِ
- रात को ले चल
- biʿibādī
- بِعِبَادِىٓ
- मेरे बन्दों को
- innakum
- إِنَّكُم
- बेशक तुम
- muttabaʿūna
- مُّتَّبَعُونَ
- पीछा किए जाने वाले हो
हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, 'मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।' ([२६] अस-शुआरा: 52)Tafseer (तफ़सीर )
५३
فَاَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى الْمَدَاۤىِٕنِ حٰشِرِيْنَ ۚ ٥٣
- fa-arsala
- فَأَرْسَلَ
- तो भेजा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- fī
- فِى
- शहरों में
- l-madāini
- ٱلْمَدَآئِنِ
- शहरों में
- ḥāshirīna
- حَٰشِرِينَ
- इकट्ठा करने वालों को
इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा ([२६] अस-शुआरा: 53)Tafseer (तफ़सीर )
५४
اِنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيْلُوْنَۙ ٥٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये लोग
- lashir'dhimatun
- لَشِرْذِمَةٌ
- अलबत्ता एक जमाअत है
- qalīlūna
- قَلِيلُونَ
- कम
कि 'यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है, ([२६] अस-शुआरा: 54)Tafseer (तफ़सीर )
५५
وَاِنَّهُمْ لَنَا لَغَاۤىِٕظُوْنَ ۙ ٥٥
- wa-innahum
- وَإِنَّهُمْ
- और बेशक वो
- lanā
- لَنَا
- हमें
- laghāiẓūna
- لَغَآئِظُونَ
- अलबत्ता ग़ुस्सा दिलाने वाले हैं
और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है। ([२६] अस-शुआरा: 55)Tafseer (तफ़सीर )
५६
وَاِنَّا لَجَمِيْعٌ حٰذِرُوْنَ ۗ ٥٦
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lajamīʿun
- لَجَمِيعٌ
- अलबत्ता सब
- ḥādhirūna
- حَٰذِرُونَ
- मोहतात/होशियार हैं
और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।' ([२६] अस-शुआरा: 56)Tafseer (तफ़सीर )
५७
فَاَخْرَجْنٰهُمْ مِّنْ جَنّٰتٍ وَّعُيُوْنٍ ۙ ٥٧
- fa-akhrajnāhum
- فَأَخْرَجْنَٰهُم
- तो निकाल दिया हमने उन्हें
- min
- مِّن
- बाग़ात से
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात से
- waʿuyūnin
- وَعُيُونٍ
- और चश्मों
इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों ([२६] अस-शुआरा: 57)Tafseer (तफ़सीर )
५८
وَّكُنُوْزٍ وَّمَقَامٍ كَرِيْمٍ ۙ ٥٨
- wakunūzin
- وَكُنُوزٍ
- और ख़ज़ानों
- wamaqāmin
- وَمَقَامٍ
- और उमदा/नफ़ीस ठिकाने से
- karīmin
- كَرِيمٍ
- और उमदा/नफ़ीस ठिकाने से
और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए ([२६] अस-शुआरा: 58)Tafseer (तफ़सीर )
५९
كَذٰلِكَۚ وَاَوْرَثْنٰهَا بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ۗ ٥٩
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- wa-awrathnāhā
- وَأَوْرَثْنَٰهَا
- और वारिस बना दिया हमने उनका
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया ([२६] अस-शुआरा: 59)Tafseer (तफ़सीर )
६०
فَاَتْبَعُوْهُمْ مُّشْرِقِيْنَ ٦٠
- fa-atbaʿūhum
- فَأَتْبَعُوهُم
- तो उन्होंने पीछा किया उनका
- mush'riqīna
- مُّشْرِقِينَ
- सूरज तुलूअ होते वक़्त
सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया ([२६] अस-शुआरा: 60)Tafseer (तफ़सीर )