فَلَمَّا جَاۤءَ السَّحَرَةُ قَالُوْا لِفِرْعَوْنَ اَىِٕنَّ لَنَا لَاَجْرًا اِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغٰلِبِيْنَ ٤١
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- jāa
- جَآءَ
- आए
- l-saḥaratu
- ٱلسَّحَرَةُ
- जादूगर
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- lifir'ʿawna
- لِفِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन से
- a-inna
- أَئِنَّ
- क्या बेशक
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- la-ajran
- لَأَجْرًا
- वाक़ई कोई सिला है
- in
- إِن
- अगर
- kunnā
- كُنَّا
- हों हम
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम ही
- l-ghālibīna
- ٱلْغَٰلِبِينَ
- ग़ालिब आने वाले
फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, 'क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?' ([२६] अस-शुआरा: 41)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ نَعَمْ وَاِنَّكُمْ اِذًا لَّمِنَ الْمُقَرَّبِيْنَ ٤٢
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- naʿam
- نَعَمْ
- हाँ
- wa-innakum
- وَإِنَّكُمْ
- और बेशक तुम
- idhan
- إِذًا
- तब
- lamina
- لَّمِنَ
- अलबत्ता मुक़र्रबीन में से होगे
- l-muqarabīna
- ٱلْمُقَرَّبِينَ
- अलबत्ता मुक़र्रबीन में से होगे
उसने कहा, 'हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।' ([२६] अस-शुआरा: 42)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ لَهُمْ مُّوْسٰٓى اَلْقُوْا مَآ اَنْتُمْ مُّلْقُوْنَ ٤٣
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lahum
- لَهُم
- उनसे
- mūsā
- مُّوسَىٰٓ
- मूसा ने
- alqū
- أَلْقُوا۟
- डालो
- mā
- مَآ
- जो
- antum
- أَنتُم
- तुम
- mul'qūna
- مُّلْقُونَ
- डालने वाले हो
मूसा ने उनसे कहा, 'डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।' ([२६] अस-शुआरा: 43)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوْا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ اِنَّا لَنَحْنُ الْغٰلِبُوْنَ ٤٤
- fa-alqaw
- فَأَلْقَوْا۟
- तो उन्होंने डालीं
- ḥibālahum
- حِبَالَهُمْ
- रस्सियाँ अपनी
- waʿiṣiyyahum
- وَعِصِيَّهُمْ
- और लाठियाँ अपनी
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- biʿizzati
- بِعِزَّةِ
- क़सम है इज़्ज़ते
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन की
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- lanaḥnu
- لَنَحْنُ
- अलबत्ता हम ही
- l-ghālibūna
- ٱلْغَٰلِبُونَ
- ग़ालिब आने वाले हैं
तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, 'फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।' ([२६] अस-शुआरा: 44)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَلْقٰى مُوْسٰى عَصَاهُ فَاِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُوْنَ ۚ ٤٥
- fa-alqā
- فَأَلْقَىٰ
- तो डाली
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- ʿaṣāhu
- عَصَاهُ
- लाठी अपनी
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो अचानक
- hiya
- هِىَ
- वो
- talqafu
- تَلْقَفُ
- निगल रही थी
- mā
- مَا
- उसको जो
- yafikūna
- يَأْفِكُونَ
- वो गढ़ रहे थे
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है ([२६] अस-शुआरा: 45)Tafseer (तफ़सीर )
فَاُلْقِيَ السَّحَرَةُ سٰجِدِيْنَ ۙ ٤٦
- fa-ul'qiya
- فَأُلْقِىَ
- तो डाल दिए गए
- l-saḥaratu
- ٱلسَّحَرَةُ
- जादूगर
- sājidīna
- سَٰجِدِينَ
- सजदा करते हुए
इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े ([२६] अस-शुआरा: 46)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْٓا اٰمَنَّا بِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ۙ ٤٧
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- birabbi
- بِرَبِّ
- साथ रब्बुल
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- आलमीन के
वे बोल उठे, 'हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए - ([२६] अस-शुआरा: 47)Tafseer (तफ़सीर )
رَبِّ مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ٤٨
- rabbi
- رَبِّ
- रब
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- wahārūna
- وَهَٰرُونَ
- और हारून के
मूसा और हारून के रब पर!' ([२६] अस-शुआरा: 48)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اٰمَنْتُمْ لَهٗ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْۚ اِنَّهٗ لَكَبِيْرُكُمُ الَّذِيْ عَلَّمَكُمُ السِّحْرَۚ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ەۗ لَاُقَطِّعَنَّ اَيْدِيَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ وَّلَاُصَلِّبَنَّكُمْ اَجْمَعِيْنَۚ ٤٩
- qāla
- قَالَ
- कहा
- āmantum
- ءَامَنتُمْ
- ईमान लाए तुम
- lahu
- لَهُۥ
- उस पर
- qabla
- قَبْلَ
- इससे पहले
- an
- أَنْ
- कि
- ādhana
- ءَاذَنَ
- मैं इजाज़त देता
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lakabīrukumu
- لَكَبِيرُكُمُ
- अलबत्ता बड़ा है तुम्हारा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- ʿallamakumu
- عَلَّمَكُمُ
- सिखाया तुम्हें
- l-siḥ'ra
- ٱلسِّحْرَ
- जादू
- falasawfa
- فَلَسَوْفَ
- पस अलबत्ता ज़रूर
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَۚ
- तुम जान लोगे
- la-uqaṭṭiʿanna
- لَأُقَطِّعَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर काट दूँगा
- aydiyakum
- أَيْدِيَكُمْ
- तुम्हारे हाथों को
- wa-arjulakum
- وَأَرْجُلَكُم
- और तुम्हारे पाँवों को
- min
- مِّنْ
- मुख़ालिफ़ सिम्त से
- khilāfin
- خِلَٰفٍ
- मुख़ालिफ़ सिम्त से
- wala-uṣallibannakum
- وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर सूली पर चढ़ाऊँगा तुम्हें
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सब के सब को
उसने कहा, 'तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।' ([२६] अस-शुआरा: 49)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْا لَا ضَيْرَ ۖاِنَّآ اِلٰى رَبِّنَا مُنْقَلِبُوْنَ ۚ ٥٠
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- lā
- لَا
- नहीं कोई नुक़्सान
- ḍayra
- ضَيْرَۖ
- नहीं कोई नुक़्सान
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbinā
- رَبِّنَا
- तरफ़ अपने रब के
- munqalibūna
- مُنقَلِبُونَ
- पलटने वाले हैं
उन्होंने कहा, 'कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है ([२६] अस-शुआरा: 50)Tafseer (तफ़सीर )