२१
فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِيْ رَبِّيْ حُكْمًا وَّجَعَلَنِيْ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ٢١
- fafarartu
- فَفَرَرْتُ
- फिर भाग गया मैं
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम से
- lammā
- لَمَّا
- जब
- khif'tukum
- خِفْتُكُمْ
- डरा मैं तुम से
- fawahaba
- فَوَهَبَ
- तो अता किया
- lī
- لِى
- मुझे
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब ने
- ḥuk'man
- حُكْمًا
- हुक्म
- wajaʿalanī
- وَجَعَلَنِى
- और उसने बनाया मुझे
- mina
- مِنَ
- रसूलों में से
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- रसूलों में से
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया ([२६] अस-शुआरा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ اَنْ عَبَّدْتَّ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ۗ ٢٢
- watil'ka
- وَتِلْكَ
- और यही है
- niʿ'matun
- نِعْمَةٌ
- वो एहसान
- tamunnuhā
- تَمُنُّهَا
- तुम जतला रहे हो जिसे
- ʿalayya
- عَلَىَّ
- मुझ पर
- an
- أَنْ
- कि
- ʿabbadtta
- عَبَّدتَّ
- ग़ुलाम बना रखा है तुमने
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।' ([२६] अस-शुआरा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ٢٣
- qāla
- قَالَ
- कहा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- rabbu
- رَبُّ
- रब्बुल
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- आलमीन
फ़िरऔन ने कहा, 'और यह सारे संसार का रब क्या होता है?' ([२६] अस-शुआरा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
قَالَ رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَاۗ اِنْ كُنْتُمْ مُّوْقِنِيْنَ ٢٤
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- rabbu
- رَبُّ
- रब है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآۖ
- दर्मियान है उन दोनों के
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mūqinīna
- مُّوقِنِينَ
- यक़ीन करने वाले
उसने कहा, 'आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।' ([२६] अस-शुआरा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
قَالَ لِمَنْ حَوْلَهٗٓ اَلَا تَسْتَمِعُوْنَ ٢٥
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- liman
- لِمَنْ
- उनको जो
- ḥawlahu
- حَوْلَهُۥٓ
- उसके इर्द-गिर्द थे
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tastamiʿūna
- تَسْتَمِعُونَ
- तुम ग़ौर से सुनते
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, 'क्या तुम सुनते नहीं हो?' ([२६] अस-शुआरा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ اٰبَاۤىِٕكُمُ الْاَوَّلِيْنَ ٢٦
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- रब तुम्हारा
- warabbu
- وَرَبُّ
- और रब
- ābāikumu
- ءَابَآئِكُمُ
- तुम्हारे आबा ओ अजदाद का
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- जो पहले थे
कहा, 'तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।' ([२६] अस-शुआरा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
قَالَ اِنَّ رَسُوْلَكُمُ الَّذِيْٓ اُرْسِلَ اِلَيْكُمْ لَمَجْنُوْنٌ ٢٧
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rasūlakumu
- رَسُولَكُمُ
- रसूल तुम्हारा
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- ur'sila
- أُرْسِلَ
- भेजा गया
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- lamajnūnun
- لَمَجْنُونٌ
- अलबत्ता मजनून है
बोला, 'निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।' ([२६] अस-शुआरा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَاۗ اِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُوْنَ ٢٨
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- rabbu
- رَبُّ
- रब
- l-mashriqi
- ٱلْمَشْرِقِ
- मशरिक़
- wal-maghribi
- وَٱلْمَغْرِبِ
- और मग़रिब का
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآۖ
- उन दोनों के दर्मियान है
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम अक़्ल रखते
उसने कहा, 'पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।' ([२६] अस-शुआरा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
قَالَ لَىِٕنِ اتَّخَذْتَ اِلٰهًا غَيْرِيْ لَاَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُوْنِيْنَ ٢٩
- qāla
- قَالَ
- कहा
- la-ini
- لَئِنِ
- अलबत्ता अगर
- ittakhadhta
- ٱتَّخَذْتَ
- बनाया तू ने
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- कोई इलाह
- ghayrī
- غَيْرِى
- मेरे सिवा
- la-ajʿalannaka
- لَأَجْعَلَنَّكَ
- अलबत्ता मैं ज़रूर कर दूँगा तुझे
- mina
- مِنَ
- क़ैदियों में से
- l-masjūnīna
- ٱلْمَسْجُونِينَ
- क़ैदियों में से
बोला, 'यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।' ([२६] अस-शुआरा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
قَالَ اَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُّبِيْنٍ ٣٠
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- awalaw
- أَوَلَوْ
- क्या भला अगर
- ji'tuka
- جِئْتُكَ
- लाऊँ मैं तेरे पास
- bishayin
- بِشَىْءٍ
- कोई चीज़ (दलील)
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
उसने कहा, 'क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?' ([२६] अस-शुआरा: 30)Tafseer (तफ़सीर )