Skip to content

सूरा अस-शुआरा - Page: 3

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

२१

فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِيْ رَبِّيْ حُكْمًا وَّجَعَلَنِيْ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ٢١

fafarartu
فَفَرَرْتُ
फिर भाग गया मैं
minkum
مِنكُمْ
तुम से
lammā
لَمَّا
जब
khif'tukum
خِفْتُكُمْ
डरा मैं तुम से
fawahaba
فَوَهَبَ
तो अता किया
لِى
मुझे
rabbī
رَبِّى
मेरे रब ने
ḥuk'man
حُكْمًا
हुक्म
wajaʿalanī
وَجَعَلَنِى
और उसने बनाया मुझे
mina
مِنَ
रसूलों में से
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों में से
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया ([२६] अस-शुआरा: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ اَنْ عَبَّدْتَّ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ۗ ٢٢

watil'ka
وَتِلْكَ
और यही है
niʿ'matun
نِعْمَةٌ
वो एहसान
tamunnuhā
تَمُنُّهَا
तुम जतला रहे हो जिसे
ʿalayya
عَلَىَّ
मुझ पर
an
أَنْ
कि
ʿabbadtta
عَبَّدتَّ
ग़ुलाम बना रखा है तुमने
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल को
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल को
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।' ([२६] अस-शुआरा: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ ۗ ٢٣

qāla
قَالَ
कहा
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
wamā
وَمَا
और क्या है
rabbu
رَبُّ
रब्बुल
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
आलमीन
फ़िरऔन ने कहा, 'और यह सारे संसार का रब क्या होता है?' ([२६] अस-शुआरा: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

قَالَ رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَاۗ اِنْ كُنْتُمْ مُّوْقِنِيْنَ ٢٤

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbu
رَبُّ
रब है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन का
wamā
وَمَا
और जो कुछ
baynahumā
بَيْنَهُمَآۖ
दर्मियान है उन दोनों के
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
mūqinīna
مُّوقِنِينَ
यक़ीन करने वाले
उसने कहा, 'आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।' ([२६] अस-शुआरा: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

قَالَ لِمَنْ حَوْلَهٗٓ اَلَا تَسْتَمِعُوْنَ ٢٥

qāla
قَالَ
उसने कहा
liman
لِمَنْ
उनको जो
ḥawlahu
حَوْلَهُۥٓ
उसके इर्द-गिर्द थे
alā
أَلَا
क्या नहीं
tastamiʿūna
تَسْتَمِعُونَ
तुम ग़ौर से सुनते
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, 'क्या तुम सुनते नहीं हो?' ([२६] अस-शुआरा: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ اٰبَاۤىِٕكُمُ الْاَوَّلِيْنَ ٢٦

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbukum
رَبُّكُمْ
रब तुम्हारा
warabbu
وَرَبُّ
और रब
ābāikumu
ءَابَآئِكُمُ
तुम्हारे आबा ओ अजदाद का
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
जो पहले थे
कहा, 'तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।' ([२६] अस-शुआरा: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

قَالَ اِنَّ رَسُوْلَكُمُ الَّذِيْٓ اُرْسِلَ اِلَيْكُمْ لَمَجْنُوْنٌ ٢٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
inna
إِنَّ
बेशक
rasūlakumu
رَسُولَكُمُ
रसूल तुम्हारा
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो जो
ur'sila
أُرْسِلَ
भेजा गया
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तरफ़ तुम्हारे
lamajnūnun
لَمَجْنُونٌ
अलबत्ता मजनून है
बोला, 'निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।' ([२६] अस-शुआरा: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَاۗ اِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُوْنَ ٢٨

qāla
قَالَ
उसने कहा
rabbu
رَبُّ
रब
l-mashriqi
ٱلْمَشْرِقِ
मशरिक़
wal-maghribi
وَٱلْمَغْرِبِ
और मग़रिब का
wamā
وَمَا
और जो
baynahumā
بَيْنَهُمَآۖ
उन दोनों के दर्मियान है
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल रखते
उसने कहा, 'पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।' ([२६] अस-शुआरा: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

قَالَ لَىِٕنِ اتَّخَذْتَ اِلٰهًا غَيْرِيْ لَاَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُوْنِيْنَ ٢٩

qāla
قَالَ
कहा
la-ini
لَئِنِ
अलबत्ता अगर
ittakhadhta
ٱتَّخَذْتَ
बनाया तू ने
ilāhan
إِلَٰهًا
कोई इलाह
ghayrī
غَيْرِى
मेरे सिवा
la-ajʿalannaka
لَأَجْعَلَنَّكَ
अलबत्ता मैं ज़रूर कर दूँगा तुझे
mina
مِنَ
क़ैदियों में से
l-masjūnīna
ٱلْمَسْجُونِينَ
क़ैदियों में से
बोला, 'यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।' ([२६] अस-शुआरा: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

قَالَ اَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُّبِيْنٍ ٣٠

qāla
قَالَ
उसने कहा
awalaw
أَوَلَوْ
क्या भला अगर
ji'tuka
جِئْتُكَ
लाऊँ मैं तेरे पास
bishayin
بِشَىْءٍ
कोई चीज़ (दलील)
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह
उसने कहा, 'क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?' ([२६] अस-शुआरा: 30)
Tafseer (तफ़सीर )