२२१
هَلْ اُنَبِّئُكُمْ عَلٰى مَنْ تَنَزَّلُ الشَّيٰطِيْنُ ۗ ٢٢١
- hal
- هَلْ
- क्या
- unabbi-ukum
- أُنَبِّئُكُمْ
- मैं बताऊँ
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किस पर
- man
- مَن
- किस पर
- tanazzalu
- تَنَزَّلُ
- उतरते हैं
- l-shayāṭīnu
- ٱلشَّيَٰطِينُ
- शयातीन
क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है? ([२६] अस-शुआरा: 221)Tafseer (तफ़सीर )
२२२
تَنَزَّلُ عَلٰى كُلِّ اَفَّاكٍ اَثِيْمٍ ۙ ٢٢٢
- tanazzalu
- تَنَزَّلُ
- उतरते हैं
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- affākin
- أَفَّاكٍ
- बहुत झूठे
- athīmin
- أَثِيمٍ
- सख़्त गुनाहगार के
वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है ([२६] अस-शुआरा: 222)Tafseer (तफ़सीर )
२२३
يُّلْقُوْنَ السَّمْعَ وَاَكْثَرُهُمْ كٰذِبُوْنَ ۗ ٢٢٣
- yul'qūna
- يُلْقُونَ
- वो डालते हैं
- l-samʿa
- ٱلسَّمْعَ
- कानों में (सुनी सुनाई बात)
- wa-aktharuhum
- وَأَكْثَرُهُمْ
- और अक्सर उनके
- kādhibūna
- كَٰذِبُونَ
- झूठे हैं
वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है ([२६] अस-शुआरा: 223)Tafseer (तफ़सीर )
२२४
وَالشُّعَرَاۤءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوٗنَ ۗ ٢٢٤
- wal-shuʿarāu
- وَٱلشُّعَرَآءُ
- और शुअरा
- yattabiʿuhumu
- يَتَّبِعُهُمُ
- पैरवी करते हैं उनकी
- l-ghāwūna
- ٱلْغَاوُۥنَ
- बहके हुए लोग
रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।- ([२६] अस-शुआरा: 224)Tafseer (तफ़सीर )
२२५
اَلَمْ تَرَ اَنَّهُمْ فِيْ كُلِّ وَادٍ يَّهِيْمُوْنَ ۙ ٢٢٥
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- fī
- فِى
- हर वादी में
- kulli
- كُلِّ
- हर वादी में
- wādin
- وَادٍ
- हर वादी में
- yahīmūna
- يَهِيمُونَ
- वो सरगर्दां फिरते हैं
क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं, ([२६] अस-शुआरा: 225)Tafseer (तफ़सीर )
२२६
وَاَنَّهُمْ يَقُوْلُوْنَ مَا لَا يَفْعَلُوْنَ ۙ ٢٢٦
- wa-annahum
- وَأَنَّهُمْ
- और बेशक वो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- mā
- مَا
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं वो करते
- yafʿalūna
- يَفْعَلُونَ
- नहीं वो करते
और कहते वह है जो करते नहीं? - ([२६] अस-शुआरा: 226)Tafseer (तफ़सीर )
२२७
اِلَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَذَكَرُوا اللّٰهَ كَثِيْرًا وَّانْتَصَرُوْا مِنْۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا ۗوَسَيَعْلَمُ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْٓا اَيَّ مُنْقَلَبٍ يَّنْقَلِبُوْنَ ࣖ ٢٢٧
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- wadhakarū
- وَذَكَرُوا۟
- और उन्होंने याद किया
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- kathīran
- كَثِيرًا
- बकसरत
- wa-intaṣarū
- وَٱنتَصَرُوا۟
- और उन्होंने बदला लिया
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद उसके
- mā
- مَا
- जो
- ẓulimū
- ظُلِمُوا۟ۗ
- वो ज़ुल्म किए गए
- wasayaʿlamu
- وَسَيَعْلَمُ
- और अनक़रीब जान लेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوٓا۟
- ज़ुल्म किया
- ayya
- أَىَّ
- कौन सी
- munqalabin
- مُنقَلَبٍ
- लौटने की जगह
- yanqalibūna
- يَنقَلِبُونَ
- वो लौटेंगे
वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं ([२६] अस-शुआरा: 227)Tafseer (तफ़सीर )