Skip to content

सूरा अस-शुआरा - Page: 22

Ash-Shu'ara

(कवि, शायर)

२११

وَمَا يَنْۢبَغِيْ لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيْعُوْنَ ۗ ٢١١

wamā
وَمَا
और नहीं
yanbaghī
يَنۢبَغِى
लायक़
lahum
لَهُمْ
उनके
wamā
وَمَا
और नहीं
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
वो इस्तिताअत रखते
न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है ([२६] अस-शुआरा: 211)
Tafseer (तफ़सीर )
२१२

اِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُوْلُوْنَ ۗ ٢١٢

innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
ʿani
عَنِ
सुनने से
l-samʿi
ٱلسَّمْعِ
सुनने से
lamaʿzūlūna
لَمَعْزُولُونَ
अलबत्ता अलग किए हुए हैं
वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है ([२६] अस-शुआरा: 212)
Tafseer (तफ़सीर )
२१३

فَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتَكُوْنَ مِنَ الْمُعَذَّبِيْنَ ٢١٣

falā
فَلَا
पस ना
tadʿu
تَدْعُ
आप पुकारिए
maʿa
مَعَ
साथ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ilāhan
إِلَٰهًا
इलाह
ākhara
ءَاخَرَ
दूसरा
fatakūna
فَتَكُونَ
वरना आप हो जाऐंगे
mina
مِنَ
अज़ाब दिए जाने वालों में से
l-muʿadhabīna
ٱلْمُعَذَّبِينَ
अज़ाब दिए जाने वालों में से
अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी ([२६] अस-शुआरा: 213)
Tafseer (तफ़सीर )
२१४

وَاَنْذِرْ عَشِيْرَتَكَ الْاَقْرَبِيْنَ ۙ ٢١٤

wa-andhir
وَأَنذِرْ
और डराइए
ʿashīrataka
عَشِيرَتَكَ
अपने रिश्तेदारों को
l-aqrabīna
ٱلْأَقْرَبِينَ
जो क़रीबी हैं
और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो ([२६] अस-शुआरा: 214)
Tafseer (तफ़सीर )
२१५

وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ ٢١٥

wa-ikh'fiḍ
وَٱخْفِضْ
और झुका दीजिए
janāḥaka
جَنَاحَكَ
अपना बाज़ू
limani
لِمَنِ
वास्ते उसके जो
ittabaʿaka
ٱتَّبَعَكَ
पैरवी करे आपकी
mina
مِنَ
मोमिनों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो ([२६] अस-शुआरा: 215)
Tafseer (तफ़सीर )
२१६

فَاِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۚ ٢١٦

fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
ʿaṣawka
عَصَوْكَ
वो नाफ़रमानी करें आपकी
faqul
فَقُلْ
तो कह दीजिए
innī
إِنِّى
बेशक मैं
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी उज़-ज़िम्मा हूँ
mimmā
مِّمَّا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल कर रहे हो
किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, 'जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।' ([२६] अस-शुआरा: 216)
Tafseer (तफ़सीर )
२१७

وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيْزِ الرَّحِيْمِ ۙ ٢١٧

watawakkal
وَتَوَكَّلْ
और तवक्कल कीजिए
ʿalā
عَلَى
ऊपर बहुत ज़बरदस्त
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
ऊपर बहुत ज़बरदस्त
l-raḥīmi
ٱلرَّحِيمِ
निहायत रहम करने वाले के
और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो ([२६] अस-शुआरा: 217)
Tafseer (तफ़सीर )
२१८

الَّذِيْ يَرٰىكَ حِيْنَ تَقُوْمُ ٢١٨

alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
yarāka
يَرَىٰكَ
देखता है आपको
ḥīna
حِينَ
जिस वक़्त
taqūmu
تَقُومُ
आप खड़े होते हैं
जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो ([२६] अस-शुआरा: 218)
Tafseer (तफ़सीर )
२१९

وَتَقَلُّبَكَ فِى السّٰجِدِيْنَ ٢١٩

wataqallubaka
وَتَقَلُّبَكَ
और नक़्ल व हरकत आपकी
فِى
सजदा करने वालों में
l-sājidīna
ٱلسَّٰجِدِينَ
सजदा करने वालों में
और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है ([२६] अस-शुआरा: 219)
Tafseer (तफ़सीर )
२२०

اِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٢٢٠

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
huwa
هُوَ
वो ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला
निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है ([२६] अस-शुआरा: 220)
Tafseer (तफ़सीर )