२११
وَمَا يَنْۢبَغِيْ لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيْعُوْنَ ۗ ٢١١
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yanbaghī
- يَنۢبَغِى
- लायक़
- lahum
- لَهُمْ
- उनके
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- वो इस्तिताअत रखते
न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है ([२६] अस-शुआरा: 211)Tafseer (तफ़सीर )
२१२
اِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُوْلُوْنَ ۗ ٢١٢
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- ʿani
- عَنِ
- सुनने से
- l-samʿi
- ٱلسَّمْعِ
- सुनने से
- lamaʿzūlūna
- لَمَعْزُولُونَ
- अलबत्ता अलग किए हुए हैं
वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है ([२६] अस-शुआरा: 212)Tafseer (तफ़सीर )
२१३
فَلَا تَدْعُ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَتَكُوْنَ مِنَ الْمُعَذَّبِيْنَ ٢١٣
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tadʿu
- تَدْعُ
- आप पुकारिए
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- इलाह
- ākhara
- ءَاخَرَ
- दूसरा
- fatakūna
- فَتَكُونَ
- वरना आप हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- अज़ाब दिए जाने वालों में से
- l-muʿadhabīna
- ٱلْمُعَذَّبِينَ
- अज़ाब दिए जाने वालों में से
अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी ([२६] अस-शुआरा: 213)Tafseer (तफ़सीर )
२१४
وَاَنْذِرْ عَشِيْرَتَكَ الْاَقْرَبِيْنَ ۙ ٢١٤
- wa-andhir
- وَأَنذِرْ
- और डराइए
- ʿashīrataka
- عَشِيرَتَكَ
- अपने रिश्तेदारों को
- l-aqrabīna
- ٱلْأَقْرَبِينَ
- जो क़रीबी हैं
और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो ([२६] अस-शुआरा: 214)Tafseer (तफ़सीर )
२१५
وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ ٢١٥
- wa-ikh'fiḍ
- وَٱخْفِضْ
- और झुका दीजिए
- janāḥaka
- جَنَاحَكَ
- अपना बाज़ू
- limani
- لِمَنِ
- वास्ते उसके जो
- ittabaʿaka
- ٱتَّبَعَكَ
- पैरवी करे आपकी
- mina
- مِنَ
- मोमिनों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों में से
और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो ([२६] अस-शुआरा: 215)Tafseer (तफ़सीर )
२१६
فَاِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۚ ٢١٦
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- ʿaṣawka
- عَصَوْكَ
- वो नाफ़रमानी करें आपकी
- faqul
- فَقُلْ
- तो कह दीजिए
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- barīon
- بَرِىٓءٌ
- बरी उज़-ज़िम्मा हूँ
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल कर रहे हो
किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, 'जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।' ([२६] अस-शुआरा: 216)Tafseer (तफ़सीर )
२१७
وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيْزِ الرَّحِيْمِ ۙ ٢١٧
- watawakkal
- وَتَوَكَّلْ
- और तवक्कल कीजिए
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर बहुत ज़बरदस्त
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- ऊपर बहुत ज़बरदस्त
- l-raḥīmi
- ٱلرَّحِيمِ
- निहायत रहम करने वाले के
और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो ([२६] अस-शुआरा: 217)Tafseer (तफ़सीर )
२१८
الَّذِيْ يَرٰىكَ حِيْنَ تَقُوْمُ ٢١٨
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yarāka
- يَرَىٰكَ
- देखता है आपको
- ḥīna
- حِينَ
- जिस वक़्त
- taqūmu
- تَقُومُ
- आप खड़े होते हैं
जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो ([२६] अस-शुआरा: 218)Tafseer (तफ़सीर )
२१९
وَتَقَلُّبَكَ فِى السّٰجِدِيْنَ ٢١٩
- wataqallubaka
- وَتَقَلُّبَكَ
- और नक़्ल व हरकत आपकी
- fī
- فِى
- सजदा करने वालों में
- l-sājidīna
- ٱلسَّٰجِدِينَ
- सजदा करने वालों में
और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है ([२६] अस-शुआरा: 219)Tafseer (तफ़सीर )
२२०
اِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٢٢٠
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है ([२६] अस-शुआरा: 220)Tafseer (तफ़सीर )